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एक रिश्ता ऐसा भी (भाग १)

एक रिश्ता ऐसा भी (भाग १)

स्कूल प्रांगण में प्रवेश करने का एक मात्र यही रास्ता था । पिछली रात हुई जोरदार बारिश की वजह से पूरा रास्ता टूट चुका था । रास्ते पर पानी भर जाने की वजह से सभी को इस रास्ते से अन्दर जाने में परेशानी हो रही थी । बच्चो को छोड़ने आए पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से सम्हलकर अन्दर दाखिल हो रहे थे । ऐसे में उस युवती की एक्टिवा उसी रास्ते पर बन्द पड़ गई । अन्दर आने और बाहर निकलने वाले लोगों ने हार्न बजा बजाकर उसे परेशान कर दिया । काफी प्रयास करने के बाद भी जब उसकी एक्टिवा चालू नही हुई तो वह परेशान हो उठी । परेशानी के साथ साथ लोगों की बढ़ती भीड़ देखकर उसकी घबराहट भी बढ़ती जा रही थी । अंततः हारकर एक्टिवा से उतरकर वह उसे धक्का देकर एक साइड ले जाने का प्रयत्न करने लगी । तभी पीछे से वह युवक आया और पीछे की ओर से उसकी एक्टिवा को धक्का देने लगा । उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक क्षण के लिए उसके आगे बढ़ते कदम वहीं थम गए । तभी लोगों की आवाजे और हार्न का लगातार बढ़ता शोर सुनकर उसने जोर लगाकर अपनी एक्टिवा साइड पर खड़ी कर दी ।

वह युवक कुछ देर उसे देखता रहा फिर पीछे से अपने ७ वर्षीय बेटे की आवाज सुनकर अपनी बाइक लेकर वह स्कूल प्रांगण में दाखिल हो गया ।

अपने बच्चे को अन्दर छोड़ने के बाद उसने अपनी बाइक उसकी एक्टिवा के पास लाकर खड़ी कर दी और उस युवती के अन्दर से वापस आने का इन्तजार करने लगा । इतने में बारिश फिर से शुरू हो गई और उसका वहां और अधिक खड़े रहना मुश्किल हो गया । आते जाते लोग उसे वहां बारिश में भीगता हुआ देख अचरज भरी नजरों से देखे जा रहे थे । थोड़ी ही देर में वह पूरी तरह से भीग चुका था । उसके वापस आने के आसार नजर नहीं आते मायूस होकर वह अपने घर की ओर रवाना हो गया ।

‘आप बेकार ही मेरी वजह से परेशान हो रहे है । धैर्य को दो दिन स्कूल न भेजने से कुछ बिगड़ नहीं जाएगा ।’उसके घर में दाखिल होते ही उसे पूरी तरह से भीगा हुआ देख उसकी पत्नी ने परेशान होते हुए कहा ।

‘बच्चो को शिस्त बचपन से ही सिखाया जाता है । तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है तो मैं तो हूं न । ऐसे में मेरा घर पर रहना ही ठीक है । नौकरी तो सारी उम्र करनी ही है।’ उसने शर्ट के बटन खोलते हुए कहा ।

‘बड़े जिद्दी हो तुम । चलो अब भीग ही गए हो तो लगे हाथ नहा भी लो । मैं तब तक चाय बना देती हूं।’ उसके हाथ से शर्ट लेते हुए उसने कहा ।

‘तुम आराम कर सको इसी वजह से ऑफिस से छुट्टी ली है । चाय मैं नहाकर बना लूंगा।तुम आराम करों ।’ कहते हुए वह बाथरूम में चला गया ।

अपने बेटे को स्कूल से वापस लाते वक्त उसकी आंखें उस युवती को ही ढ़ूढ़ती रही पर वह उसे कहीं नजर नहीं आई । यूं तो बेटे को स्कूल छोड़ने और वापस ले आने की जिम्मेदारी उसकी पत्नी के हिस्से आती थी पर कल रात से उसकी तबियत खराब होने से वह ही इस जिम्मेदारी को निभा रहा था । आज अचानक उत्तरा को स्कूल के पास पाकर लगभग भुला दी गई पुरानी यादें उसके जेहन में फिर से ताजा हो गई । बड़ी मुश्किल से उत्तरा को भुलाकर नलिनी से शादी कर वह अपनी जिन्दगी से समझौता कर पाया था । शादी के बाद नलिनी के संग दो साल सहजीवन गुजारने के बाद फिर वह उसे प्यार भी तो करने लगा था । पिछले नौ सालों में उत्तरा उसका अतीत बन उसकी स्मृति से दूर हो चुकी थी ।

दोपहर को नलिनी और धैर्य के सो जाने के बाद उसने अपने एकेडेमिक सर्टीफिकेट की फाइल निकाली । इस फाइल में उसने उत्तरा के प्रेम पत्र सहेज कर रखे थे । अपने अतीत के प्रेम पत्रों को छिपाने की यही एक सुरक्षित जगह उसके पास थी । वह पूरी तरह से आश्वस्त था कि नलिनी कभी भी इस फाइल पर नजर नहीं डालेगी । वैसे भी एक पत्नी के लिए उसके पति के एकेडेमिक सर्टिफिकेट हमेशा किसी भी आशंका के दायरे से दूर ही रहते है ।

उत्तरा का आखरी बार लिखा गया छोटा सा पत्र निकाल कर वह अपने अतीत को कुरेदने लगा ।

क्रमशः

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