अनचाहा रिश्ता - (निर्णय) 27 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता - (निर्णय) 27

" आप को शर्म नही आई ? ऐसे कैसे आप किसी अंजान लड़की से किसी के दबाव में शादी कर सकते है?" सारी कहानी सुनने के बाद सब से पहला सवाल जो अजय ने स्वप्निल से पूछा।

" पूरी कहानी में तूझे सिर्फ हमारी शादी दिखी क्या ??? ये भी तो देख अगर ये हा नही कहते तो मुझे उस कबीले में शादी करनी पड़ती ??" मीरा ने गुस्सा होते हुए कहा।

" तू पागल है क्या मीरा। तुझे बस एक फोन करना था। वो तेरे पापा है, तू उन्हे जानती है। मिस्टर पटेल। तुझे क्या लगता हैं, एक देहाती इंसान ने इतना बड़ा बिजनेस बिना किसी जोखिम के खड़ा किया होगा क्या ? बिल्कुल नही। उनकी पहचान है, व्हाइट से ब्लैक तक और आगे ब्लैक से रेड भी।" अजय ने स्वप्निल को देखते हुए कहा।

" ओ हैलो। माना मिस्टर पटेल की कोई पहचान होगी। पर मेरा दोस्त लावारिस नही है। अगर वो पहचान पे आ जाए ना तो उसे फोन की भी जरूरत नही है। जानते हो वो किसका बेटा......" समीर आगे कुछ बोल पाए उस से पहले स्वप्निल ने उसे चुप रहने का इशारा किया।

" अजय उस वक्त माहौल अलग था। हमारे पास किसी को कॉन्टेक्ट करने के लिए मोबाइल्स नही थे। मुझे पता था की ४ घंटो मे मुझे ढूढने का काम शुरू होगा। लेकिन उन घंटो तक भी कबीले वालो से मुकाबला करना ना मुमकिन था। हम चारो में से एक पहले ही घायल था। एक उन्ही में से एक था। बचे हम दोनो। या तो वो मुझे मार के मीरा की शादी किसी और से करा देते या फिर मुझे मीरा से शादी करने का मौका दिया जाएं। दोनो में से मुझे एक चुनना था। तुम्हे क्या लगता है, खुद घायल हो कर मीरा को किसी अंजान लोगो के बीच छोड़ने का निर्णय कितना सही होता।" स्वप्निल ने बात को संभालते हुए कहा।

" चलिए माना की हो गई गलती।" अजय।

" शादी हुई है।" मीरा

" गलती से शादी हो गई। " अजय ने मीरा को डराते हुए फिर से स्वप्निल से बात शुरू की। " लेकिन फिर क्या, आप को भूल जाना चाहिए था । बिना परिवार हुई शादी भी कोई शादी है।"

" मतलब क्या है तुम्हारा भूल जाना चाहिए था ? ठाकुर जी को साक्षी मान सारे रीति रिवाजों से शादी हुई है हमारी। ऐसे कैसे भूल जाए।" अब मीरा को अजय पर गुस्सा आ रहा था।

" मीरा बिना सर्टिफिकेट हमारी गवर्नमेंट भी इस शादी को नही मानेगी।" अजय

" शादी करने के लिए भगवान का आशीर्वाद और एक मंगलसूत्र लगता है।" स्वप्निल ने मीरा के गले पर बंधा धागा और धागे में बंधा एक सोने का पत्ता दिखाया। " ये है वो मंगलसूत्र। जो भगवान को साक्षी मान मैने मीरा के गले में पहनाया। अब मीरा चाहे ना चाहे वो मेरी पत्नि है और रहेगी।" स्वप्निल की कुर्सी पर बैठ समीर पूरा ड्रामा दिलचस्पी से देख रहा था। उसे बस पॉपकॉर्न और कोक की जरूरत थी।

" ठीक है। बोहोत अच्छे। चलिए यही हालत वाली बात मीरा के पापा को बता देते है। फिर आगे सोचेंगे।" अजय केबिन के दरवाजे की ओर जाने लगा।

" पागल मत बन अभी में ये पापा को नही बता सकती।" मीरा ने उसे हाथ पकड़ के खींचा।

" वो भला क्यों ?" अजय।

" पापा बुजुर्ग है। सोच अगर उन्हें कुछ हो गया तो ।" मीरा।

" लेकिन यही तो इन्होंने तुम्हारे पापा से कहा मीरा। उनकी इकलौती बेटी पहले ही शादी कर चुकी है, ये जानने का उन्हे पूरा हक है।" अजय फिर से बाहर जाने लगा।

" ये बार बार बाहर क्यों जा रहा है। पहले बात तो पूरी कर।" मीरा ने फिर उसे खींचा।

" मीरा बस। मेरे साथ चल अंकल को सब बता दें। उन्हे बुरा लगेगा पर वो अपने आप को संभाल सकते है। फिलहाल जो तुम कर रही हो, वो बोहोत गलत है।" अजय।

" मैं उन्हें जरूर बताऊंगी लेकिन मुझे कुछ वक्त चाहिए। जरा सोच आज सुबह मैं हमेशा की तरह घर से बाहर निकली ऑफिस आई और शाम को जाकर पापा से क्या कहूं के ऑफिस की ८ घंटे की ड्यूटी में मैने अपने बॉस से शादी कर ली। दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा।" मीरा ने अपनी आवाज बढ़ाते हुए कहा।

" तो और कब तक झूठ बोलना है? अंदमान से वापस आकर कितने महीने हो गए ? तू क्या चाहती है, मैं अभी भी भरोसा करु के तू अपने पापा को सच बताएगी।" अजय गुस्से में था। अजय का गुस्सा देख मीरा ने उसे गले लगा लिया।

स्वप्निल पास में खड़ा रह सारा नजारा देख रहा था। समीर उसकी जगह से उठ स्वानिल के पास आया।

" बहन भाई है। जलने की जरूरत नही है।" समीर ने उसके पास खुसबुसाते हुए कहा।

" माने हुए बहन भाई। पर ये हमेशा मीरा पर मुझसे ज्यादा हक जताने का दावा करता है। मेरे सामने तो सबसे ज्यादा। " स्वप्निल।

" ए...... इतना बेरहम मत बन। तुझसे पहले वो मीरा की जिंदगी में आया था।" समीर।

" यही बात तो सबसे बुरी है।" स्वप्निल।

" तू उसे उसके घरवालों से मिलने से नही रोक सकता। वो भी इस लिए क्यो की तुझे जलन हो रही है ?" समीर।

" रोक सकता हू। अब देख।" स्वप्निल मीरा के पास गया उसे अजय से दूर किया और दोनो को सोफे पर बैठने का इशारा किया।

फिर खुद अजय के सामने कुर्सी लेकर बैठ गया। " क्या परेशानी है ? उसकी शादी, उसके पापा वो कह रही है ना बतादेगी तो तुम्हे क्या परेशानी है ?"

उसके रिश्ते पर उठते सवाल देख अजय का गुस्सा हद पार कर रहा था। मीरा ने माहौल देख स्वप्निल को शांत करने की कोशिश की। " बॉस... ये आप....? " स्वप्निल ने मीरा को हाथो से शांत होने का इशारा किया।

" मैं बस ये जानना चाहता हूं। तुम्हे मुझसे कोई परेशानी है ? शादी से कोई परेशानी है ? या कोई और प्रोब्लम है ?" स्वप्निल ने उन्हें समझाया।

" हा। मीरा हमारे दोनो परिवार में इकलौती बेटी है। उसकी शादी क्या यू ही किसी से भी करा देंगे हम ??? आपके बारे जानते ही कितना है हम ? सिर्फ आपका नाम । परिवार कहा है ? कितने भाई बहन है ? क्या करते है ? मीरा नादान है, जो अपनी कुछ बदलती भावनाओं को प्यार समझ रही है। हम नही।" अजय

" ठीक है। अगले हफ्ते में अपने दोस्त की शादी में जा रहा हूं मीरा के साथ। लौटते वक्त अपने पापा से बात कर लूंगा। आगे की बात वो आकर तुम्हारे परिवार से कर लेंगे। " स्वप्निल फिर से अपनी जगह जाकर बैठ गया। " में भी अपने मां बाप का इकलौता हु। अब तुम जा सकते हो मीरा को मैं छोड़ दूंगा।"