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मे और महाराज - ( एक एहसास_२) 27

सप....... तीर कमान से निकला और सीधा समायरा के पकड़े फूल पर से गुजरा। तालियों की आवाज सुन समायरा ने अपनी आंखे खोली।

" वाउ..... " वो दौड़ते हुए सिराज के पास गई और उसका हाथ पकड़ लिया। " ये तो कमाल का था। ग्रेट।" फिर उसने गुस्से से गौर बाई को देखा। " अब तुम्हारी बारी।"

सिराज को उसकी पहली बात ज्यादा समझ नही आई पर आखरी बात जरूर समझ गया था। जैसे ही गौर बाई ने फुल हाथ मे लिया और निशाने पर खड़ी रही। सिराज ने हाथ पकड़ समायरा को अपनी बाहों मे खीच लिया और कमान थमा दी।

" ये क्या कर रहे हो ? मुझे ये सब नही आता।" समायरा ने हिचकिचाते हुए कहा।

" हमने सोचा क्यों न बदला लेने मे आपकी थोड़ी मदद कर दे।" सिराज ने फिर अपने एक हाथ से समायरा के साथ कमान पकड़ी।

गौर बाई घबराहट के मारे दौड़ते हुए, सिराज तक पोहोची। " मेरे महाराज। ये क्या कर रहे है, आप? इन्हे तीरंदाजी बिल्कुल नही आती।"

" आपको हम पर भरोसा नहीं है।" सिराज ने गुस्से मे पूछा।

" नही नही। मेरा मतलब....... राजकुमारी शायरा हमे संभाल लीजिएगा।" गौर बाई समायरा की तरफ मूडी।

" नोप। मुझे ये सब नही आता, अब तो सिर्फ भगवान ही तुम्हे बचाएंगे।" समायरा ने कमान को उसकी दिशा मे घुमाते हुए कहा।

गौर बाई जैसे ही मुंह मे फूल पकड़ कर खड़ी हुई। सिराज ने समायरा का हाथ पकड़ते हुए, तीर चलाया। जो सीधा गौर बाई के सर के ऊपर बालो के बीच जाकर फसा, बेचारी डर के मारे वही बेहोश हो गई। समायरा ने चैन की सांस ली। आखिरकार उसका बदला पूरा हुवा। वो भी सिर्फ सिराज की वजह से।

खेल के मैदान से बाहर आने के बाद, वो अपने कमरे मे गुमसुम बैठी थी।

" सैम, ऐसे उदास मत रहो। मुझे बताओ तुम्हे कुछ चाहिए क्या?" मौली ने पूछा।

" अब सारे तौहार शुरू होंगे मौली। लेकिन में कुछ नही कर सकती। तभी भी मुझे अकेला यही रहना होगा। मां _ बाबा आपकी बोहोत याद आ रही है।" उसने रोते हुए अपने उस पुराने लकड़ी के पलंग को पकड़ा।

" सैम रो मत ना। देखो तौहर के लिए महल मे नई नई मिठाइयां बनी है। क्यों ना में तुम्हारे लिए ले आवु ?" मौली ने उसे समझाते हुए पूछा।

" नहीं। तुम जाओ में अभी सोना चाहती हूं।" समायरा की बात मान आख़िर मौली को कमरे से जाना ही पड़ा।

उसके जाते ही समायरा बिस्तर पर चढ़ी। उसने अपने हाथ जोड़े और कहा, " हे जादुई बिस्तर आप ही के जरीए में इस अनजान वक्त मे पोहोच गई। प्लीज मुझे वापस २१ वी सदी पोहचा दीजिए।" पर कोई फायदा नही। हर बार आंख खोलने के बाद भी वो उसी महल मे होती। थक हार कर वो युही रोते रोते सो गई।

सिराज के कदम अनजाने मे टहलते टहलते उसे समायरा के कमरे तक पोहचा देते है। समायरा को नींद मे रोता देख उसे बोहोत बुरा लगता है। वो उसके पास बैठ उसका सर अपनी गोद मे ले कर सहलाता है।

" मां। आप कहा थी ? मैने आपको कितना मिस किया। मुझे आपके हाथो से बनी तीखी मछली खानी है। प्लीज बनाएं ना। प्लीज़।" नींद मे बिना कुछ जाने वो बस बडबडा रही थी।

" आप कौन है ? हम कुछ सालो पहले राजकुमारी शायरा से मिले थे। यकीनन आप वो नही है। कौन है आप ? कहा से आई है ? ये अजीब भाषाएं कहा से सीखी आपने ??? क्यो हम आपकी तरफ यूं खींचे चले आते है ? बोहोत सारे सवाल है। जिनके जवाब सिर्फ आप दे सकती है। पर अभी आराम कीजिए।" इतना कह वो समायरा का सर अपनी गोद मे से नीचे रखने वाला ही होता है। जब समायरा आंखे खोलती है।

" तुम ??" उसने तुरंत सवाल किया।

" यू वूमैनाइजर। यहां आधी रात मेरे कमरे मे क्या कर रहे हो ?" उसने गुस्से मे उसकी गोद से उठते हुए पूछा।

" आपने क्या कहा हमे ? हम समझे नही।" सिराज पहले बड़े से शब्द को लेकर परेशान था।

" वूमैनाइजर। मतलब लड़कीबाज।" समायरा।

" आप हमारी गोद मे सोई थी और हम लड़कीबाज। हम इस महल के महाराज है। भूल रही है आप।" सिराज।

" में बिस्तर पर सोई थी। तुमने मेरे सर अपनी गोद मे लिया। आधी रात किसी के कमरे मे जाओगे तो लोग लड़कीबाज ही कहेंगे।" समायरा।

" आपको स्वागत करना चाहिए हमारा। शुक्रगुजार रहिए के हम आपको सब से ज्यादा पसंद कर रहे है यहां।" सिराज।

" अपनी पसंद अपने पास रखो। निकलो यहां से।" समायरा ने दरवाज़े की ओर इशारा करते हुए कहा।

" हमारा महल है। हम जहा चाहे रहे।" सिराज।

" लेकिन ये मेरा कमरा है। मुझे तुम यहां नही चाहिए।" समायरा चिल्लाई।

" आप भी तो हमारी बीवी है। हमारा हक।" सिराज ने कहा।

" ठीक है। तो रहो यही। में चली जाती हु।" उसने जैसे ही बिस्तर के बाहर कदम रखने की कोशिश की सिराज ने उसे अपनी बाहों मे खीच लिया।

" कहा ना आप हमारी है। और हम आपको कभी कही नही जाने देंगे। यहां से जाने के बारे मे सोचिएगा भी मत। ये नामूमकिन है।" सिराज ने अपने होठ उसके होठों पर रखते हुए कहा।


एक पल के लिए समायरा चुप सी हो गई। सिराज एक काफी खूबसूरत नौजवान है। अच्छी सूरत और अच्छी सीरत। कोई भी लड़की उसे अपना बनाकर खुश रहेगी पर उसे तो सिर्फ समायरा मे दिलचस्पी है। जो अब दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।

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