ब्रह्मराक्षस - 3 Vaibhav Surolia द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ब्रह्मराक्षस - 3

शांतनु ने अपने सारे दोस्तों को ग्राम वन में जाने के लिए मना लिया था । लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह राक्षस कितना शक्तिशाली है ।

उन लोगों ने ब्रह्म वन में जाने का समय 9:00 बजे का रखा था। उन लोगोंं को कुछ नहीं पता था की ब्रह्मराक्षस वहां पर उन लोगों को आज मिलेगा या नहीं और अगर मिला तो वह उस से सामना कैसे करेंगे ।

उन सब दोस्तों ने जाने की तैयारी तो कर ली थी बस अब वह लोग 9:00 बजने का इंतजार कर रहे थे ।

रात के 9:00 बजे

रात के 9:00 बज चुके थे उसके सारे दोस्त शांतनु के घर आ गए थे और वह सब भी तैयार थे उस भवन में जाने के लिए।

उनका आगे का सफर बहुत मुश्किल होने वाला था लेकिन उसके बेस्ट फ्रेंड कि साथ जैसा हुआ दूसरे के साथ वैसा ना हो ।

शांतनु के घर से लेकर भ्रम वन तक का रास्ता बड़ा सुनसान था । वह शांतनु के घर से ब्रह्म के लिए निकल गए। उनको कुछ नहीं पता था कि अगर वह ब्रह्मराक्षस उनको मिला तो वह उसको कैसे मारेंगे ।

5 किलोमीटर चलने के बाद वह लोग ब्रहम वन पहुंच गए और वह सब थक गए थे तो शांतनु के एक दोस्त केशव ने उससे पानी मांगा । जैसे शांतनु ने अपने बैग में पानी की बोतल निकालने के लिए हाथ डाला तो उसको पता चला कि वह अपनी पानी की बोतल घर ही बुलाया है ।

उसने केशव से कहा "अरे मैं तो पानी की बोतल लाना ही भूल गया इतनी टेंशन के मारे मेरे को कुछ याद ही नहीं रहा । "

तो केशव ने बोला "अरे तो अब हम पानी कैसे पिएंगे इस जंगल में हमें पानी कहां से मिलेगा।

इतने में शांतनु को जंगल के अंदर एक पेड़ के पास हेडपंप दिखा । तो उसने किससे कहा अरे वह देखो हेड पंप उसमें से पानी जरूर आएगा तो तुम्हें काम करो जाओ उधर जा कर पानी पी आओ।

केशव पानी पीने के लिए हेड पंप के पास गया। तो वहां शांतनु यह सोच कर परेशान हो रहा था की हम यहां भ्रम वन में आ तो गए हैं लेकिन हम उस राक्षस का सामना कैसे करेंगे ।

इतने में जंगल से केशव की चीखने की आवाज आई । सब लोग जंगल की तरफ दौड़े

जंगल में जाकर देखा तो वहां हेड पंप के पास केशव था कि नहीं वह लोग केशव को जगह जगह ढूंढने लगे। शांतनु वैसे ही बहुत परेशान था इसके बाद उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था वह सोचने क कि यह क्या हो रहा है हमारे साथ पहले तो हमारा
दोस्त को ब्रह्मराक्षस ने मार दिया और अब केशव पता नहीं कहां चला गया।

केशव ने सबसे कहा कि हम लोगों को अलग-अलग दिशाओं में जाकर ढूंढना चाहिए तो सब अलग-अलग दिशाओं में जाकर केशव को ढूंढने लगे।

शांतनु उसको ढूंढने के लिए जंगल के अंदर तक चला गया। लेकिन शांतनु को केशव नहीं मिल रहा था।

तभी शांतनु को केशव की आवाज सुनाई दी ऐसा लग रहा था जैसे हो मदद के लिए पुकार रहा हो।


TO BE CONTINUED...