रिस्की लव - 47 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 47



(47)

एसीपी सत्यपाल वागले चाहता था कि अंजन सिंगापुर पुलिस की जगह उसके हाथ लगे। इसके लिए उसने अपनी कोशिशें तेज़ कर दी थीं। उसने अपनी टीम को कहा था कि सिंगापुर के अलग अलग हिस्सों में जाकर अंजन के बारे में पता करें।
इंस्पेक्टर नदीम अंसारी उसकी टीम में शामिल था। वह सिंगापुर के विभिन्न डिस्को, पब्स, रेस्टोरेंट्स में अंजन के बारे में पता करते हुए घूम रहा था। लेकिन कहीं से भी कुछ पता नहीं चला था। उसने दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर भी अंजन के बारे में पता करने की कोशिश की। एक ज्वैलरी शॉप से उसे अच्छी खबर मिली। उस ज्वैलरी शॉप के एक कर्मचारी ने अंजन की तस्वीर देखकर बताया कि उसे ऐसा लगता है कि शायद वह आदमी उस ज्वैलरी शॉप में आया था। उसके पास कुछ सामान था जिसे वह बेचना चाहता था। उस कर्मचारी ने नदीम अंसारी से कहा कि वह उसके मैनेजर से बात करे। वह सही तरह से बता सकते हैं। क्योंकी जब कोई कुछ बेचने आता है तो बिना मैनेजर की अनुमति के हम उसका सामान नहीं खरीदते हैं।
नदीम अंसारी फौरन मैनेजर से मिला। उसे अंजन की तस्वीर दिखाते हुए उससे कहा,
"यह आदमी आपकी ज्वैलरी शॉप में कुछ कीमती सामान बेचने आया था। क्या आप उसके बारे में कुछ बता सकते हैं ?"
मैनेजर ने ध्यान से अंजन की तस्वीर को देखा। पर नदीम की बात का जवाब देने की जगह उसने कहा,
"आप कौन हैं ? यह सारी पूँछताछ क्यों कर रहे हैं ?"
नदीम अंसारी ने उसे अपना आईडी कार्ड दिखाते हुए कहा,
"मैं मुंबई पुलिस में इंस्पेक्टर नदीम अंसारी हूँ। यहाँ हमारी टीम अंजन विश्वकर्मा नाम के एक अपराधी को तलाश कर रही है। जिसकी तस्वीर मैंने आपको दिखाई है।"
मैनेजर ने एक बार फिर तस्वीर को ध्यान से देखकर कहा,
"यह आदमी हमारी शॉप पर आया था। लेकिन इसने अपना नाम जेम्स फर्नांडिस बताया था।"
"मैंने आपको बताया था कि वह अपराधी है। इसलिए नाम बदल लेना कोई बड़ी बात नहीं है। आपने उसका सामान खरीदा था।"
"हाँ.... हमने जांच करके देखा था। खरा माल था।‌ हमने उसकी उचित कीमत दे दी।"
"उसके पास सामान की रसीद थी।"

इस सवाल पर मैनेजर चुप हो गया। नदीम अंसारी ने कहा,
"आप मुझे उसकी सीसीटीवी फुटेज दिला सकते हैं।"
मैनेजर तैयार हो गया। सीसीटीवी फुटेज लेकर नदीम अंसारी एसीपी सत्यपाल वागले के सामने हाजिर हुआ।
एसीपी सत्यपाल वागले ने सीसीटीवी फुटेज देखी। उसके बाद नदीम अंसारी की तारीफ करते हुए कहा,
"वेलडन..…यह ज्वैलरी शॉप किस इलाके में है ?"
"सर सिंगापुर सिटी में ही है।"
"तो फिर अंजन को इस इलाके में ही खोजो।"
"ठीक है सर.... लेकिन हमें सिंगापुर पुलिस की मदद भी लेनी पड़ेगी।"
"अभी अपने स्तर पर काम करो। जब ज़रूरत होगी तो उनकी मदद भी लेंगे।"
इंस्पेक्टर नदीम अंसारी चला गया। एसीपी सत्यपाल वागले को उसके सूत्रों से पता चला था कि किसी नागेश गुप्ता को अंजन को मारने की सुपारी दी गई है। इस खबर के बाद उसने अपने आदमी से नागेश गुप्ता के बारे में पता करने को कहा था। उसके आदमी ने ईमेल के ज़रिए उसे नागेश गुप्ता के बारे में कुछ अहम जानकारियां भेजी थीं। इंस्पेक्टर नदीम अंसारी के जाने के बाद एसीपी सत्यपाल वागले ईमेल देखने लगा।
ईमेल में नागेश गुप्ता की एक तस्वीर के साथ कुछ बातें लिखी हुई थीं। नागेश गुप्ता उत्तर प्रदेश का रहने वाला था।‌ छोटी उम्र में ही उसने अपराध करने शुरू कर दिए थे। लेकिन बीस साल की उम्र में अपने पहले कत्ल के बाद उसने पैसे लेकर कत्ल करने को अपना रोज़गार बना लिया। इस काम में इतनी महारत हासिल की कि उत्तर प्रदेश से निकल कर मुंबई आ गया। अपनी लाइफ स्टाइल के कारण उसका बड़ी बड़ी पार्टियों ‌में आना जाना था।

पुरानी फैक्ट्री के पास पुलिस की गाड़ी आकर रुकी। एक आदमी भागकर उसके पास गया। उसने पुलिस को सूचना दी थी कि फैक्ट्री में दो लाशें पड़ी हैं। इंस्पेक्टर चेंग ली उसके साथ ‌उस जगह पर पहुँचा जहाँ दोनों लाशें थीं। कुछ देर में फौरेंसिक टीम भी वहाँ पहुँच गई। वह अपना काम करने लगे। इंस्पेक्टर चैंग ली उस आदमी को एक तरफ ले जाकर पूँछताछ करने लगा।
उस आदमी ने बताया कि वह कहीं जा रहा था। इस रास्ते में नेचर कॉल के लिए रुका। फिर कुछ देर यहाँ चहलकदमी करने लगा। टहलते हुए फैक्ट्री तक आया। पुरानी को देखने लगा। जब पिछले हिस्से में पहुँचा तो एक लाश दिखाई दी। कुछ दूर झाड़ियों के पास खून दिखा। वहाँ जाकर देखा तो उसके पीछे भी लाश थी। पहले तो वह घबरा गया और भागने के बारे में सोचने लगा। फिर बाद में उसे लगा कि पुलिस को खबर देना ठीक रहेगा।
उस आदमी के जाने के बाद इंस्पेक्टर चैंग ली ने दोनों लाशों को ध्यान से देखा। उनमें से एक भारतीय था। उसे सूचना मिली थी कि भारत से पुलिस की एक टीम किसी अपराधी को तलाश करने आई है। उसे लगा कि इस आदमी का संबंध उस अपराधी से हो सकता है।‌
उसे पता था कि उस अपराधी का केस की जांच सिंगापुर पुलिस की तरफ से सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को सौंपी गई है। उसने राजेंद्र सेल्वाराज को फोन मिलाया। उसे सारी बात की खबर दी। राजेंद्र सेल्वाराज ने उसे सारे डीटेल्स भेजने को कहा।

अंजन का मोबाइल उसके सामने रखा था। वह अजय मोहते के फोन ‌का इंतज़ार कर रहा था।‌ वह जानता था कि नागेश गुप्ता की लाश का वीडियो देखकर अजय मोहते परेशान हो गया होगा। मैसेज में लिखे उसके नंबर पर फोन ज़रूर करेगा।
उसने भी सोच लिया था कि उसे कैसे और क्या बात करनी है। वह अजय मोहते से इस तरह बात करना चाहता था कि उसे यह लगे कि अंजन बेखौफ है। इसलिए उसने बिना डरे नागेश गुप्ता का भी कत्ल कर दिया।
उसके फोन की घंटी बजी। वह समझ गया कि यह फोन अजय मोहते का ही है। फोन उठाकर उसने कहा,
"नमस्कार वन मंत्री जी....."
अजय मोहते ने इधर उधर किए बिना सीधा सवाल किया,
"क्या बात करनी है तुम्हें।"
अंजन ने पहले जैसे स्वर में ही जवाब दिया,
"यही वन मंत्री जी कि आप मुझे मरवाने के लिए बेकार की मेहनत मत कीजिए। वीडियो देखा होगा आपने। आपके उस नागेश मेहता का क्या हाल हुआ। इसलिए यह सब छोड़कर वह कीजिए जो आपके फायदे में हो।"
दूसरी तरफ कुछ सेकेंड्स ‌के लिए शांति रही। फिर अजय मोहते ने कहा,
"मेरा फायदा किस चीज़ में है ?"
"मेरा साथ देने में आपका फायदा है।"
"अगर साथ ना दिया तो।"
अजय मोहते बड़े शांत तरीके से बात कर रहा था। वह दिखाना चाहता था कि जैसे अपने आदमी के मारे जाने से उसे कोई फर्क ही ना पड़ा हो। अंजन जानता था कि अजय मोहते भले ही कुछ भी दिखाने का प्रयास करे लेकिन अंदर से वह डरा हुआ है। उसने अपना वही अंदाज़ बरकरार रखते हुए कहा,
"वन मंत्री महोदय आप अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसा होने पर मैं भी कोई लिहाज़ नहीं करूँगा। मेरा भी मुंह खुलेगा।"
दूसरी तरफ से अजय मोहते इस बार कुछ कड़क स्वर में बोला,
"धमकी दे रहे हो....मत भूलो कि मैं अभी भी सरकार में मंत्री हूँ और तुम अब कुछ नहीं रह गए हो।"
अंजन पहले तो ज़ोर से हंसा। उसके बाद ‌बोला,
"वन मंत्री जी इसे धमकी समझिए या चेतावनी। लेकिन मेरे पास आपके बारे में पुलिस से बातचीत करने के लिए बहुत कुछ है। आपने सही कहा मैं कुछ नहीं बचा। पर डूबते हुए अगर मैंने आपका कॉलर पकड़ लिया तो आपका भी सबकुछ डूब जाएगा।"
अजय मोहते ने गुस्से से कहा,
"दो कौड़ी का गुंडा मुझे धमकी दे रहा है।"
इस बार अंजन ने भी गुस्से से कहा,
"अजय मोहते....इस दो कौड़ी के गुंडे के साथ कई शामें शराब पीते हुए बिताई हैं। मेरे दम पर बहुत ऐश भी किया है। माल भी बनाया है। अगर बात निकलेगी तो बहुत दूर तक जाएगी।"
कुछ क्षण दोनों लोग चुप रहे। अंजन ने कहा,
"अजय मोहते मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है। बस मुझे सिंगापुर से निकलने में मदद कर दो। फिर मैं कभी तुम्हारे रास्ते में नहीं आऊंँगा। तुम भी निश्चिंत रहना।"
अजय मोहते कुछ नरमी के साथ बोला,
"कहाँ जाना चाहते ‌हो ?"
"थाईलैंड जाना ‌है मुझे। अगर सिंगापुर से सुरक्षित निकल गया तो पुलिस के हाथ नहीं आऊँगा।"
कुछ रुक कर अजय मोहते ने कहा,
"ठीक है देखता हूँ...."
"वन मंत्री जी मुझे मरवाने के लिए आदमी भेजने की जगह मेरी यह मदद कर दीजिए।"
अजय मोहते ने उस तरफ से फोन काट दिया।

फोन काटने के बाद अजय मोहते का चेहरा एकदम लाल हो गया था। अंजन ने उसे खुले शब्दों में धमकी दी थी। वह उसे धमका कर अपना काम करवाना चाहता था। यह बात अजय मोहते से बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लेकिन वह भी उसके सामने हार नहीं मानना चाहता था। उसने अपना दिमाग दौड़ाना शुरू किया। वह कुछ ऐसा करना चाहता था कि अंजन पुलिस के हाथ ना आए पर वह उसे उसकी उद्दंडता की सज़ा दे सके।
वह उठकर कमरे में इधर से उधर चक्कर लगाने लगा। कुछ देर में उसके दिमाग में एक बात आई। उसके चेहरे पर मुस्कान खिल गई। उसने कहा,
"अंजन विश्वकर्मा तुम मुझे अपने इशारों पर नचाना चाहते हो। अब मैं तुम्हें ऐसी मात दूँगा कि याद रखोगे।"
उसने अपना फोन उठाया और एक नंबर मिलाया।