रिस्की लव - 48 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 48



(48)

सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज इंस्पेक्टर चैंग ली द्वारा भेजी गई जानकारी लेकर एसीपी सत्यपाल वागले के पास गया। उसे तस्वीरें दिखाकर बोला,
"इन दोनों की लाश शहर के बाहरी हिस्से में एक पुरानी फैक्ट्री के पिछले हिस्से में मिली हैं। एक तो नेटिव है। लेकिन दूसरा भारतीय लग रहा है। क्या आप इसे जानते हैं ?"
नागेश की लाश की तस्वीर देखने के बाद एसीपी सत्यपाल वागले ईमेल में मिली तस्वीर को याद करने लगा। ईमेल से मिली तस्वीर कुछ साल पुरानी थी। लेकिन लाश की शक्ल से मिल रही थी। एसीपी सत्यपाल वागले ने कहा,
"मुझे खबर मिली थी कि भारत में कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि अंजन पुलिस के हाथ लगे। उन्होंने अंजन को मरवाने की सुपारी दी थी। जिस आदमी को सुपारी दी गई थी उसका नाम नागेश गुप्ता है। मुझे ऐसा लगता है कि यह लाश नागेश गुप्ता की है।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को एसीपी सत्यपाल वागले का यह दोस्ताना व्यवहार अच्छा लगा। उसने कहा,
"थैंक्यू एसीपी सत्यपाल वागले। आपने हमारी मदद की। आपको भी जिस तरह की मदद की ज़रूरत हो हम करने को तैयार हैं। अंजन हम दोनों ही मुल्क का अपराधी है।"
कुछ सोचकर एसीपी सत्यपाल वागले ने कहा,
"सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज एक और मदद की है हमने आपकी। मेरी टीम के इंस्पेक्टर नदीम अंसारी ने अंजन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई हैं।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने कहा,
"यह तो बहुत अच्छी बात है। आप जानकारी हमारे साथ साझा कीजिए। हम अंजन को पकड़ने में मदद करेंगे।"
एसीपी सत्यपाल वागले ने सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज को वह सारी बात बता दी जो इंस्पेक्टर नदीम अंसारी ने पता की थीं। उसके बाद उसने कहा,
"सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज जिस ज्वैलरी शॉप में अंजन गया था वह सिंगापुर सिटी में बही है। आपके हिसाब से फैक्ट्री के बाहरी हिस्से में है। इसका मतलब अंजन भी सिंगापुर सिटी के आसपास ही है।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने कहा,
"एसीपी सत्यपाल वागले नागेश का कत्ल अंजन ने ही किया होगा। इसका मतलब है कि उसे खबर मिल गई है कि कुछ लोग उसे जान से मारना चाहते हैं।"
"बिल्कुल सही अनुमान लगाया आपने। वह कीमती सामान बेचकर पैसे जुटा रहा है। इसका मतलब है कि वह सिंगापुर से बाहर निकलने की तैयारी कर रहा है।"
"अंजन जो भी करे एसीपी सत्यपाल वागले पर हमारे हाथों से बचकर भाग नहीं पाएगा।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने एसीपी सत्यपाल वागले से हाथ मिलाते हुए कहा,
"थैंक्यू फॉर कोऑपरेशन। हम एक दूसरे की मदद करेंगे तब ही उसे पकड़ पाएंगे।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज चला गया। एसीपी सत्यपाल वागले कमरे में टहलते हुए कुछ सोचने लगा।

अंजन आश्वस्त था कि अजय मोहते उसकी सहायता ज़रूर करेगा। वह जल्द से जल्द थाईलैंड जाना चाहता था ताकी उसकी ज़िंदगी आगे बढ़ सके। उसने सोम आर्य से अब तक कोई संपर्क नहीं किया था। वह सीधा थाईलैंड पहुँचकर उससे मिलना चाहता था। इसलिए अब उससे और इंतज़ार नहीं हो रहा था।
सबकुछ खोकर उसके सीने में एक आग जल रही थी। यह आग तभी बुझ सकती थी जब वह फिर से वही मुकाम हासिल कर ले जो उसने खोया है। उसे अपने ऊपर यकीन था कि अगर उसे थोड़ी सी भी मदद मिल गई तो वह अपना मुकाम हासिल कर लेगा। उसकी मदद केवल सोम आर्य ही कर सकता था।
वह खुश था कि उसने सोम आर्य के साथ पार्टनरशिप की थी। उसका यह फैसला आज अंधेरे में उसके लिए उजाले की एक किरण था। कुछ एहसान भी थे जो उसने सोम आर्य पर किए थे। अब वह उन्हीं एहसानों का बदला चाहता था।
उसने तय कर लिया था कि सोम आर्य से मदद मिलने के बाद वह कौन सा रास्ता होगा जिस पर चलकर वह अपना मुकाम हासिल करेगा। सही गलत का भेद उसके लिए कभी रहा ही नहीं था। उसे बस तेज़ क़दमों से चलकर अपनी मंज़िल तक पहुँचना था।
वह तरुण काला के फिशिंग बिज़नेस की आड़ में मानव तस्करी करता था। उसने अपना खोया हुआ मुकाम पाने के लिए यही राह चुनी थी। इस बिज़नेस के बारे में उसके पास अनुभव और जान पहचान दोनों थी। वह उसका प्रयोग करके खूब पैसा कमाना चाहता था।
उसने तय कर लिया था कि अपना सबकुछ पा लेने के बाद उन लोगों से हिसाब चुकता करेगा जिन्होंने इस समय में उसे धोखा दिया था।
उसने अपने लिए एक बड़ा सा पेग बनाया और इत्मीनान से बैठकर पीने लगा। इस समय वह अच्छे मूड में था। शराब पीते हुए उसे मीरा की याद आई। उसके साथ जब वह पहली बार मिला था तो उसके लिए एक आइस टी ऑर्डर की थी। मीरा अपनी आइस टी पी रही थी और वह उसे निहार रहा था।

उसका मन हुआ कि वह मीरा से बात करे। जबसे वह लंदन वापस गई थी सिर्फ एक बार ही उससे बात हुई थी। उसके बाद ना तो मीरा ने उसे फोन किया और ना ही वह उसे फोन कर पाया। उसने अपना फोन उठाकर लंदन मीरा को कॉल लगाई। कुछ देर रिंग होने के बाद मीरा ने फोन उठाया। उसने बहुत धीमे स्वर में हैलो कहा। अंजन को उसका इस तरह बात करना ठीक नहीं लगा। उसने मीरा से पूँछा की क्या उसकी तबीयत ठीक नहीं है। मीरा ने उसे बताया कि उसे बुखार है। लेकिन घबराने की बात नहीं है। उसने डॉक्टर को दिखा लिया है।‌ दवाएं ले रही है। बाकी सब ठीक है। वह उस दिन का इंतज़ार कर रही है जब वह उसके पास लंदन आएगा।
मीरा ने फोन रख दिया। उसने बार बार यह बात तो की थी कि उसे बस बुखार है जो ठीक हो जाएगा। लेकिन अंजन को कुछ ठीक नहीं लग रहा था। वह परेशान हो गया था। मीरा से मिलने के लिए तड़प उठा था। पर इस समय वह उसके पास जाने की स्थिति में नहींं था।

अजय मोहते ने अपने एक आदमी को फोन मिलाया था। वह आदमी उसके कहने पर छोटे छोटे काम करता था। अजय मोहते जो काम उससे करवाना चाहता था वह अच्छी ‌तरह से कर सकता था।
उसके आदमी ने फोन उठाया तो उसने आदेश दिया कि वह अंजन के जासूस एंथनी को उठाकर लाए। उसने अंजन के मुंह से कई बार उसका नाम सुना था। अंजन ने उसे बताया था कि जब भी उसे किसी की जासूसी करवानी होती है तो वह एंथनी को ही यह काम सौंपता है।
अजय मोहते को यह पता था कि अपने ऊपर हमला होने के बाद अंजन ने एंथनी को ही हमलावर के बारे में पता करने के लिए बुलाया था। अब अजय मोहते चाहता था कि एंथनी से उस हमले के बारे में पता कर अंजन के दुश्मनों को अपने साथ मिला लिया जाए।

निर्भय और मानवी का पता अंजन को बताने के बाद एंथनी अपने पैसे लेकर कुछ दिनों के लिए हिमाचल प्रदेश अपने घर चला गया था। वहाँ कुछ दिन ठहर कर वह वापस लौटा तो उसे अंजन के बारे में पता चला। वह मुंबई से फरार था और पुलिस उसके पीछे थी।
एंथनी जब तक किसी के लिए काम करता था तब तक ही उससे मतलब रखता था। उसका काम खत्म हो जाने के बाद उस शख्स के साथ क्या होता है उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसलिए अंजन के बारे में जानकर भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा था।
इस समय वह एक नए क्लाइंट के केस पर काम कर रहा था। वह अपने काम के लिए अपने घर से निकल ही रहा था कि कुछ लोग जबरन उसके घर में घुस गए। एक ने उसके सर पर गन रखकर कहा,
"हमारे साथ चलो।"
एंथनी ने बिना घबराहट दिखाए बड़ी शांति के साथ कहा,
"कौन हो तुम लोग ? कहाँ ले जाना चाहते हो ?"
जिस आदमी ने गन तान रखी थी वह बोला,
"चुपचाप चलो। अपने आप पता चल जाएगा।"
एंथनी को उनके साथ जाना ही ठीक लगा। वह बिना किसी प्रतिरोध के उनके साथ चला गया।
उसे एक वैन में बैठा कर ले जाया जा रहा था। उसने एक दो बार जानने की कोशिश भी की पर किसी ने उसे कुछ नहीं बताया।

वैन कुछ देर बाद अजय मोहते के फार्म हाउस में घुसी। अजय मोहते एंथनी के आने की राह देख रहा था। उसके आदमी ने फोन करके उसे बता दिया था कि वह एंथनी को लेकर आ रहे हैं।
एंथनी को वैन से उतारा गया। उसने आसपास देखा और मुस्कुरा दिया। वह पहचान गया कि यह अजय मोहते का फार्म हाउस है। एक बार वह अंजन से मिलने यहाँ आ चुका था।
उसे अजय मोहते के पास ले जाया गया। अजय मोहते को देखकर एंथनी ने मुस्कुरा कर कहा,
"अब मंत्रियों को भी मेरे जैसे अदना इंसान की आवश्यकता पड़ने लगी।"
अजय मोहते ने उसे घूरकर देखा। फिर कहा,
"तुम अंजन के लिए जासूसी करते थे।"
"तो आपको मुझसे जासूसी करवानी है। इसके लिए इन आदमियों को भेजकर अगवा कराने की क्या ज़रूरत थी। वैसे मैं एक बार में एक ही केस लेता हूँ। इस समय मैं एक केस पर काम कर रहा हूँ।"
अजय मोहते ने डांटते हुए कहा,
"चुप करो... बहुत बोलते हो तुम। मुझे तुमसे अंजन के बारे में जानना है।"
फार्म हाउस में आते ही एंथनी जान गया था कि उसे अंजन के बारे में जानने के लिए बुलाया गया है। वह जानबूझकर इधर उधर की बातें कर रहा था।
अजय मोहते की बात सुनकर वह मुस्करा दिया।