(6)
पंकज ने उस शख्स से हाथ मिलाया। फिर बैठने का इशारा किया। उसके बाद बसंत को बुलाकर कुछ निर्देश दिया। उसके साथ जो शख्स बैठा था वह तरुण काला था। तरुण ने कहा,
"पता चला कि अंजन पर किसने हमला करवाया था ?"
पंकज ने कहा,
"अभी तक कुछ भी पता नहीं चला। उस दिन अंजन बीच हाउस जाएगा यह बात किसी को भी पता नहीं थी। फिर इस बात की सूचना उन्हें कैसे मिली समझ नहीं आ रहा है।"
बसंत ने पीने का सामान लाकर मेज़ पर रख दिया। बोतल उठाकर दो पेग बनाए। तरुण और पंकज को देकर वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद तरुण ने कहा,
"मीरा कहाँ है ?"
"उस दिन अंजन ने मुझे मीरा को वहाँ से ले जाने के लिए कहा था। मैं मीरा का हाथ पकड़कर उस गोलीबारी के बीच से बचते हुए बीच हाउस के बाहर आया। तभी पीछे से किसी ने मेरे सर पर किसी चीज़ से वार किया। मैं बेहोश हो गया। जब होश आया तो सुबह हो गई थी। मीरा नहीं थी। गोलीबारी भी बंद हो चुकी थी।"
तरुण ने अपना गिलास उठाकर दो एक घूंट भरे। वह कुछ सोचकर बोला,
"वह जो भी हो लेकिन उसने अंजन की हत्या करने के इरादे से ही हमला किया था। तो फिर उसे ज़िंदा क्यों छोड़ दिया ?"
"अंजन शायद अपनी किस्मत से बच गया। डॉक्टर मेहरा ने बताया था कि गोली उसके दिल के पास लगी थी। मुकेश अगर उसे अस्पताल नहीं ले गया होता तो वह बच नहीं पाता।"
"मुकेश कहाँ गायब हो गया ?"
"मैं जब होश में आया तो मैंने देखा कि अंजन की कार बीच हाउस में नहीं थी। मुझे लगा कि शायद गोलीबारी में बचकर घर चला गया होगा। मैं उसके घर गया। पता चला कि वह घर नहीं आया है। तभी डॉक्टर मेहरा ने फोन करके बताया कि मुकेश देर रात अंजन को लेकर कावेरी हॉस्पिटल आया था। अंजन की हालत गंभीर थी। उसने ऑपरेशन कर दिया है। पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। उसके बाद मैंने मुकेश के बारे में पता किया। मेरे आदमी ने बताया कि वह सुबह जल्दी ही अपनी बीवी बच्चे को लेकर कहीं चला गया।"
"कहाँ चला गया ?"
"अभी तक इतना ही पता चला है कि उसे मुंबई सेंट्रल पर दिल्ली जाने वाली गाड़ी में बैठते हुए देखा गया है।"
बसंत एक बार फिर हाज़िर हुआ। उसके हाथ में एक प्लेट थी जिसमें पॉन कटलेट्स थे। उसने उन दोनों के लिए दूसरा पेग बनाने की पेशकश की। पंकज ने यह कहकर मना कर दिया कि वह बना लेगा। अब जब बुलाया जाए तब आए।
पंकज ने अपने और तरुण के लिए एक और पेग बनाया। उसके बाद एक कटलेट उठाकर खाने लगा। तरुण ने भी एक कटलेट उठाते हुए कहा,
"किसी ने तुम पर वार किया। तुम बेहोश हो गए और मीरा कहीं गायब हो गई। तुम्हें नहीं लगता कि यह सब मीरा के लिए किया गया।"
"क्या मतलब ?"
"मतलब हमला करवाने वाला मीरा का कोई आशिक हो सकता है। उसे मीरा का अंजन के साथ होना अच्छा नहीं लगा हो। अंजन का काम तमाम कर वह मीरा को ले गया। यह अलग बात है कि अंजन अपनी किस्मत से बच गया।"
पंकज इस बात पर विचार करने लगा। उसने अभी तक इस प्रकार नहीं सोचा था। लेकिन उसे तरुण की इस बात में दम लग रहा था। उसे सोच में पड़ा देखकर तरुण ने कहा,
"मीरा और अंजन का चक्कर कैसे शुरू हुआ था ?"
पंकज ने दूसरा कटलेट खत्म किया और अपना गिलास उठाकर उस दिन के बारे में सोचने लगा। उसने कहा,
"अंजन और मीरा लंदन के एक नाइट क्लब में मिले थे। वहीं से उन दोनों के बीच दोस्ती शुरू हो गई। जो प्यार में बदल गई।"
"कुछ और जानते हो मीरा के बारे में। उन दोनों के रिश्ते के बारे में।"
"नहीं.... अंजन ने तरक्की करनी शुरू की तो मैं उसके दोस्त से उसका बॉडीगार्ड बनकर रह गया। अंदर की बातें मुझे पता नहीं चल पाती थीं।"
तरुण हल्के से मुस्कुरा कर बोला,
"अब वही बॉडीगार्ड अंजन को अपने रास्ते से हटाने का इरादा रखता है।"
तरुण की मुस्कान पंकज को अच्छी नहीं लगी। इस मुस्कान ने उसके अंदर जल रही नफरत की आग को भड़का दिया। उसने तरुण को घूरकर देखा।
"हम दोनों लगभग एक ही साथ चले थे। पर उसे मानवी का साथ मिल गया। उसके सहारे मुझसे आगे निकल गया। उसके बाद मैं उसके लिए बस एक दुमछल्ला बनकर रह गया।"
पंकज ने गिलास में बची हुई शराब एक सांस में गटक ली। दोबारा गिलास भरते हुए बोला,
"ऐसा नहीं है कि अंजन को जो सफलता मिली उसमें मेरा हाथ नहीं था। मैं उसके कंधे से कंधा मिलाकर चला था। पर उसने मुझे पीछे ढकेल दिया।"
उसने एक बार फिर अपना गिलास एक सांस में खाली कर दिया। तरुण ने कहा,
"तुम उस दिन मौके का फायदा उठाकर उसे मार सकते थे। फिर अंजन की बात मानकर वहाँ से चले क्यों गए ?"
"उसी बात का पछतावा हो रहा है अब। लेकिन तब मुझे पूरी उम्मीद थी कि अंजन उस हमले में बचेगा नहीं। हमारे दो आदमी शुरू में ही मर गए थे। सिर्फ मैं और अंजन बचे थे। जब अंजन ने मीरा को निकाल कर ले जाने को कहा तो मुझे लगा अच्छा मौका है। अंजन मर जाएगा और कोई मुझ पर शक भी नहीं करेगा। लेकिन उस मुकेश ने सब गड़बड़ कर दी।"
"पता नहीं वो खुद कैसे बच गया और अंजन को कैसे निकाल कर ले गया ?"
"पता नहीं..."
"क्या अंजन को कावेरी हॉस्पिटल में निपटा देने का कोई चांस है ?"
पंकज अपनी कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया। अपने दोनों हाथों की उंगलियां आपस में फंसा कर हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली। फिर कमरे में एक दो कदम चलकर बोला,
"डॉक्टर मेहरा के रहते हुए कोई चांस नहीं है। अभी उसे मुझपर शक नहीं है। इसलिए अंजन की सारी जानकारी मुझे देता है। फिर अंजन को वहाँ कुछ हुआ तो शक मुझ पर आएगा।"
तरुण ने अपना गिलास रखा और उठकर खड़ा हो गया।
"अभी अंजन कमज़ोर है। उसे हटाना आसान होगा। अंजन अगर पूरी तरह से ठीक हो गया तो फिर पहले से भी अधिक मजबूत हो जाएगा।"
पंकज ने कहा,
"अगर हम यह पता कर पाएं कि हमारे अलावा उसका दुश्मन कौन है तो हम उसकी मदद ले सकते हैं।"
"अगर उसका इरादा मीरा को पाने का था तो फिर मीरा उसे मिल चुकी है। पर बात कुछ और भी हो सकती है। इसलिए तुम जो कह रहे हो वह ठीक है। तुम अपनी कोशिश करो मैं अपनी कोशिश करता हूँ।"
तरुण चला गया। पंकज ने अपने लिए एक और पेग बनाया और पीने लगा।
नफीस वीकेंड पर आने वाले अपने क्राइम शो की शूटिंग कर रहा था। उसका काम सच्ची क्राइम स्टोरी को तलाश कर उसे स्क्रीन प्ले में ढालना था। कहानी के नाट्य रूपांतरण के बीच में वह एंकर के तौर पर कहानी को आगे बढ़ाता था। इस वक्त उसी का शूट चल रहा था। आखिरी शॉट था जब उसे उस क्राइम स्टोरी के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बोलना था। निर्देशक ने एक्शन कहा और नफीस ने एक टेक में शॉट ओके कर दिया।
नफीस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। ऑफिस ब्वॉय ने उसे कॉफी लाकर दी। वह सिप करते हुए तरुण के बारे में सोच रहा था। तभी क्राइम सीरीज़ का निर्देशक जॉन पीटर्स उसके पास आकर बैठ गया।
"अगली कहानी किस क्राइम पर है ? हमने इधर मर्डर, रेप, डकैती इन पर काम किया है। इस बार कुछ नया सोचो।"
"मैं भी वही सोच रहा था। पर इधर कोई नई तरह की कहानी नज़र नहीं आ रही है। कोशिश करता हूँ।"
"मेरी मानो तो आर्काइव्ज़ डिपार्टमेंट की हेड शोभना गिल से मिलो। इस बार बीते दौर से कोई कहानी लाते हैं।"
नफीस को जॉन का आइडिया पसंद आया। उसे तरुण के बारे में जानने का एक रास्ता मिल गया था। उसने शोभना से बात की। आर्काइव्ज़ में पुरानी क्राइम स्टोरीज़ में तरुण काला को तलाश करने लगा।
विनोद दिल्ली में था। उसे पता चला था कि मुकेश अपने परिवार के साथ दिल्ली जाने वाली ट्रेन पर चढ़ा था। विनोद फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली चला आया। वह बहुत वक्त दिल्ली में बिता चुका था। यहाँ उसके कई खबरी थे। उसे पूरा विश्वास था कि जल्दी ही उसे मुकेश के बारे में पता चल जाएगा।
उसने अपने सबसे अच्छे खबरी से संपर्क कर उसे मुकेश की खोज के काम में लगा दिया था।
विनोद दिल्ली में अपने एक दोस्त के घर में ठहरा था। नाश्ता करके वह निकलने की तैयारी कर रहा था। तभी उसके खबरी का फोन आया। उसने मिलने के लिए बुलाया। विनोद उसकी बताई हुई जगह पर मिलने के लिए चला गया।
उसके खबरी ने बताया कि अब तक उसने छोटे मोटे होटल, लॉज, गेस्ट हाउस सब देख लिए। कहीं भी मुकेश के ठहरने की सूचना नहीं मिली है। अब या तो मुकेश किसी जानने वाले के घर ठहरा होगा या किसी बड़े होटल में।
विनोद ने उससे कहा कि अभी वह अपनी कोशिश जारी रखे। शायद कोई सुराग मिल जाए। खबरी चला गया। उसके बाद विनोद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन चला गया।
विनोद को पता था कि मुकेश दिल्ली के लिए जनता एक्सप्रेस ट्रेन पर चढ़ा था। वह स्टेशन पर तैनात कुलियों से इस विषय में पूँछताछ करने गया था कि किसी ने भी मुकेश का सामान स्टेशन के बाहर पहुँचाया हो। वह मुकेश की तस्वीर दिखाकर उनसे पूँछताछ कर रहा था। पर उसे कोई सफलता नहीं मिली।
स्टेशन के बाहर भी उसने ऑटो रिक्शा चालकों से पूँछताछ की। पर निराशा ही हाथ लगी।
हार कर वह वापस लौट गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मुकेश दिल्ली में गायब कहाँ हो गया।
दूर मुंबई में कावेरी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉक्टर मेहराअंजन को समझा रहे थे कि अभी वह पूरी तरह ठीक नहीं है। इसलिए अभी आराम करे।
अंजन डॉक्टर मेहरा से कह रहा था कि उसे इसी समय पंकज से मिलना है।