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निर्भय के मकान में पहुँचकर अंजन सोचने लगा कि अब आगे क्या करे। पुलिस ही नहीं अब उसके पुराने दोस्त भी उसके पीछे पड़ गए थे। वह और अधिक परेशान हो गया था। उसे किसी भी तरह से इस स्थिति से निकलना था। लेकिन कोई राह नहीं दिख रही थी।
अपने लिए पेग बनाकर वह पीने लगा। शराब के कुछ घूंट अंदर जाने के बाद उसे अच्छा महसूस हुआ। अब उसने दिमाग दौड़ाना शुरू किया। उसके दो दुश्मन पैदा हो गए थे। एक पुलिस और दूसरा अजय मोहते। उसे उन दोनों से बचना था। पुलिस उसे किसी भी कीमत पर गिरफ्तार करना चाहती थी। अजय अपने स्वार्थ के लिए यह चाहता था कि वह पुलिस के हाथ ना लगे। इसलिए उसे मरवाने की सुपारी दी थी।
यह सोचते हुए एक बात उसके दिमाग में आई। उसके एक तरफ कुआं है दूसरी तरफ खाई। खाई यानी पुलिस के चंगुल में फंसकर वह निकल नहीं सकता। कुएं में कूदने पर एक उम्मीद हो सकती है। अजय उसे सिर्फ इसलिए मारना चाहता है कि उसके गिरफ्तार होने से उसके भी फंसने का खतरा है। उसे अपना डर छोड़कर उसके साथ सौदा करना होगा। उससे कहना होगा कि वह उसे सुरक्षित भागने में मदद करे। अगर वह पुलिस के हाथ आ गया तो पहला नाम उसका ही लेगा।
पर इसके लिए अजय मोहते को यह यकीन दिलाना ज़रूरी था कि दूर से बैठकर उसे मरवा देना आसान नहीं है। अंजन सोचने लगा कि यह काम कैसे करे। बहुत सोचने पर उसने तय किया कि वह नागेश गुप्ता को मारकर अजय मोहते को संदेश देगा कि वह कमज़ोर नहीं पड़ा है।
अंजन अपना प्लान बनाने लगा।
नागेश गुप्ता बहुत गुस्से में था। अजय मोहते के आदमी ने उसे फोन करके बहुत कुछ सुनाया था। अपनी बेइज्जती उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। अब उसे किसी भी कीमत पर अंजन को मारना था। वह नहीं जानता था कि सिंगापुर में अंजन कहाँ रह रहा है। यह बात अश्विन राहाणे को भी नहीं पता थी। उसके पास केवल अंजन का फोन नंबर था।
नागेश गुप्ता वह जगह जानता था जहाँ अंजन पासपोर्ट के चक्कर में गया था। वह उस आदमी से मिला और कहा कि जब अंजन उसके पास आए तो उसे किसी तरह उलझा कर रखे। उसे फौरन फोन कर दे।
जो समय अंजन को दिया था वह उसमें उस आदमी से मिलने नहीं गया। नागेश अब और समय नहीं लगाना चाहता था। उसने उस आदमी से कहा कि वह फोन करके अंजन को मिलने बुलाए। उस आदमी ने खोजा पर उसे अंजन का नंबर नहीं मिला। उसने नागेश से कहा कि शायद उससे नंबर खो गया है।
पॉल की लाश के पास नागेश गुप्ता को अश्विन का फोन मिला था। उसमें से उसने भी अंजन का नंबर नोट कर लिया था। उसने वह नंबर दे दिया।
अंजन के फोन की घंटी बजी। उसने फोन उठाया। उधर से उसी आदमी का फोन था जिससे वह पासपोर्ट के लिए मिला था। वह समझ गया कि कोई उससे फोन करवा रहा है। वह नागेश गुप्ता ही हो सकता है। क्योंकी उस आदमी को अंजन ने अपना नंबर दिया ही नहीं था। उसके पास तो अश्विन का नंबर था। अंजन ने उससे कहा,
"मैं इस समय खतरे में हूँ। इसलिए तुम्हारे पास नहीं आ सकता हूँ। लेकिन मेरे लिए पासपोर्ट बनवाना भी बहुत ज़रूरी है। मैं तुम्हें कुछ देर में फोन करके वह जगह बताऊँगा जहाँ तुम मुझसे आकर मिल सकते हो।"
अंजन जानता था कि उस आदमी की जगह नागेश गुप्ता ही आएगा। उसने ऐसी जगह के बारे में सोचना शुरू कर दिया जहाँ वह नागेश गुप्ता का सामना कर सके। सागर खत्री उसे अपने एक जगह ले गया था। उसके आसपास जंगल था। वहाँ पास में एक बंद पड़ी फैक्ट्री थी। सागर ने वह जगह खरीद ली थी। उसका प्लान वहाँ एक गेस्टहाऊस बनाने का था।
अंजन ने उस आदमी को फोन करके उसी जगह आने को कहा। वह दिए गए समय से बहुत पहले ही वहाँ पहुँच गया और नागेश गुप्ता के आने की राह देखने लगा।
अंजन उस फैक्ट्री की छत पर चढ़कर बैठा था। यहाँ से वह कच्चा रास्ता दिखाई पड़ रहा था जो मुख्य सड़क से फैक्ट्री की तरफ आता था। गाड़ी फैक्ट्री के सामने नहीं आ सकती थी। जो भी आता उसे अपनी कार कोई सौ मीटर पहले ही छोड़कर पैदल आना पड़ता।
समय होने के कोई दस मिनट बाद अंजन को एक कार मुख्य सड़क से उतरकर कच्चे रास्ते पर आगे बढ़ती हुई दिखाई पड़ी। वह सौ मीटर पहले ही उस कांटेदार बाड़ के पास रुक गई जहाँ से पैदल आना था। कार से वही आदमी उतरा जिससे वह पासपोर्ट के लिए मिला था। उस आदमी ने इधर उधर देखा। फिर फैक्ट्री की तरफ निगाह डाली। कुछ देर रुक कर वह फैक्ट्री की तरफ बढ़ गया।
अंजन को आश्चर्य हो रहा था कि नागेश गुप्ता की जगह वह क्यों आया है। लेकिन कार से कोई और नहीं उतरा था। अंजन को लगा कि वह अकेला ही आया है। पर उसे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था। तेज़ी से छत से उतरकर नीचे आ गया। एक दीवार के पीछे छिप गया। कुछ ही समय में वह आदमी फैक्ट्री के आहते में था। उसने अपना फोन निकाला और अंजन को कॉल किया।
फोन उठाकर अंजन ने उससे बात की। उसे फैक्ट्री के पिछले हिस्से में आने को कहा। उसे लग रहा था कि यह एक चाल है। वह आदमी अकेला नहीं आया है। उससे बात करके वह आदमी पिछले हिस्से की तरफ चला गया। अंजन भागकर फिर छत पर चढ़ गया। उसने देखा कि कार का पिछला दरवाज़ा खुला। एक अधेड़ आदमी नीचे उतरा। वह फोन पर किसी से बात कर रहा था। फोन काटकर वह फैक्ट्री की तरफ बढ़ा। उसे सारा मामला समझ आ गया। वह नागेश गुप्ता था। वह उसी आदमी से बात कर रहा था। वह तेज़ी से अपना दिमाग दौड़ाने लगा।
वह भागकर छत के दूसरी तरफ गया। यहाँ पत्थर के कुछ स्लैब एक के ऊपर एक रखे हुए थे। उसने अंदाज़ लगाया कि वह यहाँ से सबसे ऊपर वाले स्लैब पर कूद सकता है। ऐसा करके वह जल्दी फैक्ट्री के पिछले हिस्से में पहुँच जाएगा। वह ऊपर से उस स्लैब पर कूदा। उसके बाद स्लैब के नीचे उतरा और भागकर फैक्ट्री के पीछे पहुँच गया।
वह उस आदमी के पास पहुँचा। उसे आया देखकर वह आदमी इधर उधर देखने लगा। अंजन ने कहा,
"किसे देख रहे हो ?"
यह सुनकर वह आदमी घबरा गया। अंजन चीते की फुर्ती से उस पर लपका। उसे गर्दन से पकड़ लिया। उसके पास एक छोटा सा चाकू था। उससे उस आदमी का गला काट दिया। उसके बाद उसकी लाश झाड़ियों में छिपाकर खुद भी छिप गया।
कुछ ही देर में नागेश गुप्ता वहाँ पहुँच गया। उसके हाथ में गन थी। लेकिन उसे वहाँ ना तो अपना आदमी दिखाई पड़ा और ना ही अंजन। गन लेकर वह सीधे कदमों से आगे बढ़ा। उसे झाड़ियों के पीछे से खून की धार निकलती हुई दिखाई दी। वह समझ गया कि खतरा है। जैसे ही वह भागने के लिए घूमा अंजन की ज़ोरदार लात उसे पड़ी। वह गिर पड़ा। गन भी छिटक कर दूर गिर गई। जब तक वह कुछ समझता अंजन उसकी छाती पर चढ़कर बैठ गया। उसने उसके सर पर गन लगा दी। अंजन ने उससे कहा,
"मुझे मारना चाहते हो। पहले अश्विन राहाणे के ज़रिए मुझे फंसाकर पॉल को मुझे मारने भेजा था। अब उस आदमी के ज़रिए मुझे फंसाना चाहते थे। लेकिन तुम्हारा खेल मैं समझ गया था। मैं तुम्हारे जाल में नहीं फंसा। लेकिन तुम मेरे जाल में फंस गए।"
अंजन ने बिना देर किए माथे के बीच में गोली मार दी। नागेश गुप्ता मर गया। अंजन ने नागेश की जेब से उसका फोन निकाला। उससे उसकी लाश का एक वीडियो बनाया। फिर उसका फोन लेकर वहाँ से चला गया। वह तेज़ी से भागते हुए फैक्ट्री के अगले हिस्से में आया। वह एक पत्थर पर बैठकर नागेश गुप्ता का फोन बजने का इंतज़ार करने लगा। उसे पता था कि अजय मोहते यह जानने की कोशिश करेगा कि नागेश गुप्ता ने उसे मारा या नहीं।
उसका अंदाज़ा सही था। करीब पंद्रह मिनट के बाद ही नागेश गुप्ता का फोन बजा। अंजन ने कॉल रिसीव कर ली। उधर से अजय मोहते के आदमी की आवाज़ आई। वह पूँछ रहा था कि अंजन का काम तमाम हुआ कि नहीं। अंजन ने कहा,
"अपने आका अजय मोहते को कह देना कि अंजन को मारना आसान नहीं है।"
बदली हुई आवाज़ सुनकर उस आदमी ने कहा,
"कौन हो तुम ? नागेश कहाँ है ?"
"अभी एक वीडियो आएगा। साथ में एक मैसेज भी। अपने आका को दिखा देना।"
अंजन ने फोन काट दिया। नागेश गुप्ता की लाश का वीडियो एक मैसेज के साथ भेज दिया। उसके बाद उसने नागेश गुप्ता के फोन का सिम निकाल कर बर्बाद कर दिया। फोन को पत्थर से कुचल कर तोड़ दिया।
अपना काम करने के बाद अंजन भागकर मुख्य सड़क पर उस जगह आया जहाँ उसकी कार खड़ी थी। वह उसमें बैठकर चला गया।
अजय मोहते के आदमी ने अंजन का भेजा हुआ वीडियो और मैसेज उसे दिखाया। नागेश गुप्ता की लाश देखकर अजय मोहते के माथे पर पसीना आ गया। उसने अंजन का मैसेज पढ़ा।
'वन मंत्री श्रीमान अजय मोहते नमस्कार....आप इतने दिनों में मुझे पहचान नहीं पाए....किन लोगों को भेजा था मुझे मारने के लिए....खैर अब इतना जान लीजिए कि मुझे मारना आसान नहीं है..... इसलिए मेरी बात सुनिए....दिए हुए नंबर पर बात कीजिएगा....'
अजय मोहते ने मैसेज में लिखा नंबर अपने मोबाइल पर फीड कर लिया। उसके बाद सामने सर झुकाए खड़े अपने आदमी को घूरकर देखा। फिर उसका फोन उसके मुंह पर फेंक दिया।