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अश्विन राहाणे का फोन आने के बाद अंजन उसकी बताई गई जगह पर जाने की तैयारी करने लगा। अश्विन राहाणे ने उससे कहा था कि पासपोर्ट बनाने वाले ने उसे मिलने के लिए बुलाया है। उसने एक जगह बताई थी जहाँ पहुँचना था। अंजन को आश्चर्य हो रहा था कि उस आदमी ने उसे इस समय मिलने क्यों बुलाया था। वह भी किसी दूसरी जगह। उसने अश्विन राहाणे से इस बारे में पड़ताल की भी थी। अश्विन राहाणे ने उसे बताया था कि वह आदमी उस जगह ही अपना काम करता है। उसे काम करने की जल्दी है। इसलिए इस समय बुलाया है। वहाँ पासपोर्ट के लिए कुछ कार्यवाही करनी है।
अंजन उस जगह के लिए निकल रहा था तभी उसके मन में खयाल आया कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए साथ में गन रखनी चाहिए। उसने अपनी जैकेट के अंदर वाली पॉकेट में गन रख ली। गाड़ी की चाभी ली और निकल गया।
जीपीएस की मदद से वह उस जगह पर पहुँच गया। यह एक सुनसान जगह थी। वह गाड़ी से उतरा और सामने बने एक पुराने से मकान की तरफ चल दिया। मकान के चारों तरफ कई पेड़ लगे हुए थे। मकान के सामने पहुँच कर उसने अश्विन राहाणे को फोन किया। तीन बार रिंग बजने के बाद फोन कट गया। अंजन को आश्चर्य हुआ। वह दोबारा फोन मिलाने जा रहा था तभी अश्विन राहाणे के नंबर से मैसेज आया 'कम इन'। अंजन को बात करने की जगह मैसेज भेजना अजीब लगा।
उसका माथा ठनका कि ज़रूर कोई गड़बड़ है। उसने अपनी गन निकाल ली। वह भागकर पास की झाड़ियों में छिप गया। कुछ देर बाद उसने देखा कि एक आदमी बाहर आया। उसने इधर उधर देखा। फिर मैसेज टाइप करने लगा। अंजन के फोन पर अश्विन राहाणे का मैसेज था। उसने पूँछा था कि वह कहाँ है ? अंदर क्यों नहीं आया ? अंजन समझ गया कि यह उसके लिए एक जाल है। उसने मैसेज करके कहा कि वह अपनी कार में बैठा है। उससे मिलना है तो वहीं आए।
वह आदमी अंजन की कार की तरफ बढ़ने लगा। अंजन ने देखा कि चलते हुए उसका हाथ कोट की पॉकेट में था। वह समझ गया कि गन है। उस आदमी ने कार के पास पहुँच कर शीशे पर नॉक किया। अंजन फुर्ती से झाड़ियों के पीछे से निकल कर कार की तरफ भागा। कदमों की आहट पाकर वह आदमी जैसे ही घूमा अंजन ने उसके हाथ पर गोली चला दी। फिर उसे गन प्वाइंट पर लेकर घुटनों पर बैठने को कहा। वह घुटनों पर बैठ गया। उसके हाथ से तेज़ खून निकल रहा था। वह गन नहीं निकाल सकता था। अंजन ने उससे कहा,
"अपनी जान की सलामती चाहते हो तो सच सच बताओ कि तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया ? अश्विन कहाँ है ?
"मेरा नाम पॉल है। अश्विन को मार दिया है। उसके फोन से तुम्हें मैसेज कर रहा था।"
"वो तो मैं समझ गया। यह बताओ कि मुझे धोखे से यहांँ बुलाने का क्या कारण है ? मुझसे क्या चाहते हो ?"
पॉल बहुत तकलीफ में था। अंजन ने उससे कहा,
"सच सच बताओ। नहीं तो इससे भी बुरी हालत कर दूँगा।"
पॉल ने कहा,
"मुझे मेरे बॉस ने तुम्हें जान से मारने के लिए कहा था।"
"क्यों ? तुम्हारा बॉस है कौन ?"
"मुझे नहीं पता कि तुम्हें क्यों मारना था। मेरे बॉस नागेश गुप्ता को किसी ने तुम्हें मारने की सुपारी दी थी। मैं कई दिनों से तुम्हारी तलाश कर रहा था। मैंने तुम्हें अश्विन राहाणे के रेस्टोरेंट में देखा था। उसके बाद तुम उसके साथ एक आदमी से मिलने गए थे। पर वहाँ तुम्हें मारना ठीक नहीं था। इसलिए बाद में अश्विन राहाणे को अगवा कर उसे हमारी बात मानने के लिए धमकाया और लालच दिया। वह मान गया। तुम्हें यहाँ बुला लिया। फिर मैंने उसे यहाँ लाकर मार दिया।"
सारी बात जानने के बाद अंजन के लिए उसका कोई उपयोग नहीं था। उसने पॉल को मार दिया। उसकी जेब से दो फोन मिले। एक अश्विन राहाणे का था और दूसरा उसका। उसने उसका फोन निकाला। उसमें एक नंबर बॉस के नाम से था। उसने वह नंबर अपने मोबाइल पर फीड कर लिया। पॉल का फोन वहीं फेंककर वह अपनी कार में बैठकर निकल गया।
कार चलाते हुए वह सोच रहा था कि आखिर उसे कौन मरवाना चाहता है। वह समझ गया कि मुंबई में बैठे कुछ लोग जिनके तार उससे जुड़े हैं उनमें से ही किसी ने उसकी सुपारी दी होगी। वह सोचने लगा कि उसके गिरफ्तार होने से सबसे अधिक नुकसान किसे होगा ? कौन इतना पावरफुल है कि वहाँ से बैठे हुए उसकी सुपारी दे सकता है।
उसके दिमाग में एक नाम उभरा। वन मंत्री अजय मोहते का। उसने ही उसे वन विभाग की ज़मीन रिज़ार्ट के लिए दिलवाई थी। बदले में अच्छी खासी रकम ली थी। उससे पहले भी कई मामलों में वह अंजन की मदद कर चुका था। जब एक पत्रकार ने ज़मीन को लेकर आवाज़ उठाई थी तो उसका भी नाम लिया था। तब अजय मोहते ने अपने रसूख से सारा मामला दबवा दिया था। अजय ही हो सकता है जिसने उसे मरवाने की सुपारी दी होगी। क्योंकी उसके पकड़े जाने पर अजय का नाम सामने आ सकता था।
वह सोचने लगा कि अभी तक उसे पुलिस से खतरा था अब उसके दोस्त भी दुश्मन बनकर उसकी जान के पीछे पड़े हैं। आज उससे कितनी बड़ी गलती हो गई थी। वह अश्विन राहाणे के झांसे में आ गया था। अगर समय रहते उसका दिमाग ना चला होता तो वह उसी जंगल में पॉल की जगह पर पड़ा होता।
वह नागेश गुप्ता के बारे में सोचने लगा। उसकी नज़र उस पर है। जब उसे पता चलेगा कि वह बच गया है तो दोबारा कोशिश करेगा। अब उसे सावधान रहना पड़ेगा। जल्द से जल्द सिंगापुर से निकलना होगा। पर उससे पहले निर्भय का मकान छोड़ना होगा। क्योंकी हो सकता है कि नागेश गुप्ता वहाँ भी पहुँच जाए।
नागेश गुप्ता बार बार पॉल का नंबर मिला रहा था। लेकिन पॉल फोन नहीं उठा रहा था। चौथी बार भी जब उसने फोन नहीं उठाया तो नागेश गुप्ता को लगा कि ज़रूर पॉल ने कुछ गडबड कर दी है। तभी फोन नहीं उठा रहा है।
वह गुस्से से आग बबूला हो उठा। मन ही मन पॉल को गालियां देने लगा कि इतना सा काम भी नहीं कर सका। अब वह अपने ऊपर खीज रहा था कि उसने पॉल को यह काम दिया ही क्यों ? अब उसके लिए अपने क्लाइंट को जवाब देना कठिन हो जाएगा। उसने कार की चाभी उठाई और यह देखने के लिए निकल गया कि पॉल ने क्या गड़बड़ कर दी। जब वह उस जगह पहुँचा तो उसे पॉल की लाश मिली। शिकार उसके चंगुल से निकल गया था। अपनी बेवकूफी पर उसे बहुत गुस्सा आया। वह यह सोचकर लापरवाह हो गया था कि अब उसका शिकार किसी भी कीमत पर नहीं बचेगा। पर वह बहुत चालाक निकला।
एसीपी सत्यपाल वागले और सिंगापुर पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज आमने सामने बैठे थे। दोनों अंजन की गिरफ्तारी को लेकर ही बात कर रहे थे। राजेंद्र सेल्वाराज ने कहा,
"अंजन विश्वकर्मा हमारे देश में गलत पहचान और पास्पोर्ट के साथ आया था। उसके पकड़े जाने पर हमारे देश के कानून के हिसाब से उसे सज़ा दी जाएगी।"
एसीपी सत्यपाल वागले ने कहा,
"हमारे देश में भी उसने बहुत से गलत काम किए हैं। हम कोशिश करेंगे कि आपकी सरकार से इजाज़त लेकर उसे भारत ले जाएं।"
राजेंद्र सेल्वाराज उठकर खड़ा हो गया। उसने कहा,
"हम हमारे देश में अनाधिकृत रूप से घुसने के लिए उसे सजा ज़रूर देंगे। पर उससे पहले उसका पकड़ा जाना ज़रूरी है।"
"सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज आमने एकदम ठीक कहा। उसका पकड़ा जाना बहुत ज़रूरी है। हमें ऐसी खबर मिली है कि कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि वह ज़िंदा पकड़ा जाए। उन्होंने उसकी हत्या के लिए किसी को पैसे दिए हैं। अगर वह मारा गया तो आपकी और हमारी पुलिस फोर्स की बदनामी होगी।"
सीनियर इंस्पेक्टर राजेंद्र सेल्वाराज ने एसीपी सत्यपाल वागले को घूरकर देखा। वह बोला,
"हम उसे गिरफ्तार करेंगे और अपने कानून के हिसाब से सजा देंगे।"
यह कहकर वह चला गया। एसीपी सत्यपाल वागले को लग रहा था कि अंजन पकड़ा गया तो उसे यहाँ से ले जाना आसान नहीं होगा।
अंजन का शक सही था। राज्य सरकार में वन मंत्री अजय मोहते ने ही अपने एक खास आदमी के ज़रिए नागेश गुप्ता को उसकी सुपारी दिलाई थी। इस समय अजय मोहते का वह आदमी उसके सामने सर झुकाए खड़ा था। अजय मोहते उसे गुस्से से घूर रहा था। उसने कहा,
"उम्मीद करते हो कि मैं तुम्हें किसी बड़े काम में लगा दूँ। लेकिन एक छोटा सा काम नहीं कर पाए।"
उस आदमी ने कहा,
"भाऊ.... नागेश गुप्ता अपने काम में माहिर है। इस बार ना जाने....."
अजय मोहते ने डांटते हुए कहा,
"किसी काम के नहीं हो तुम। अंजन सावधान हो गया होगा। अब उसे मारना इतना आसान नहीं होगा। अगर वह पुलिस के हाथ लग गया तो ठीक नहीं होगा। उस बेवकूफ नागेश गुप्ता से कहो कि जल्दी उसे ढूंढ़ कर उसका काम तमाम कर दे।"
वह आदमी चला गया। अजय मोहते चिंता में अपना सर पकड़े बैठा था। अंजन का मारा जाना उसके लिए बहुत ज़रूरी था।