लखनऊ मर्डर केस - 4 Palak Jain द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लखनऊ मर्डर केस - 4





लखनऊ मर्डर केस- भाग 4









इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री ने चहल से गाड़ी निकालने को कहा और फिर दोनों अहसान के घर की तरफ निकल पड़े। लगभग पंद्रह मिनिट बाद चहल ने गोदावरी कॉलोनी में स्थित अहसान के घर के सामने गाड़ी रोक दी।
खत्री गाड़ी से तुरंत उतरा और गेट के बाहर खड़े होकर डोर बेल बजाने लगा। दो तीन बार बेल बजाने के बाद भी जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो खत्री ने दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन वो बाहर से ही लॉक था।
अहसान के एक दो पड़ोसी आवाज़ें सुनकर अपने घर से बाहर आ गए थे.!! खत्री और चहल ने उनसे अहसान के बारे में पूछताछ करने का सोचा।
"ये अहसान मिर्जा का ही घर है ना..?" खत्री ने एक आदमी के पास जाकर पूछा।
"जी सर..ये अहसान का ही घर है..!!" उस आदमी ने बेझिझक कहा।
"क्या आप बता सकते हैं कि अहसान कहाँ गया है...? उसका घर तो लॉक है..!!"
"जी सर मुझे पता है..!! वो अपने घर गया है..अपने माँ-बाप के पास।"
"और उसके माँ-बाप कहाँ रहते है..?"
"सर वो..मलिहाबाद ब्लॉक के एक गाँव...फतेह..नहीं फतेहपुर नहीं..फिरोजपुर..हाँ..फिरोजपुर में रहते हैं..!! वहाँ उनकी खेती बाड़ी..ज़मीन जायदाद है न..इसलिए। पर सर आप उसके बारे में इतनी जाँच पड़ताल क्यों कर रहे हो..?" उस आदमी ने पूछा।
"तुम्हें..पता नहीं चला क्या..!! अहसान जिसके साथ जिस कंपनी में काम करता था..नित्या मित्तल, उसका मर्डर हो गया है..!!" इस बार चहल बोला।
"नित्या मैडम का क़त्ल...!! हमें क्या पता साहब..हमें हमारे काम से ही फुर्सत नहीं मिलती तो हम कब दूसरों की खबर रखें..? और न तो हमारे पास अखबार आता है..और न ही घर में टीवी है..तो फिर पता कैसे चले भला..?"
"अच्छा..वो सब छोड़ो। अगर अहसान यहाँ आये तो मुझे इस नंबर पर इन्फॉर्म करना..!!" अनिरुद्ध ने अपना कार्ड उस आदमी की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
"ठीक है..साब..!!"
"चलो चहल..लगे हाथ फिरोजपुर भी हो ही आते हैं..आखिर अहसान हमारा प्राइम सस्पेक्ट है।" खत्री ने गाड़ी में बैठते हुए कहा।

चहल ने गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी। लगभग एक घंटे बाद वे फिरोजपुर पहुँचे। चहल ने वहाँ उतर कर एक आदमी से अहसान के घर का पता पूछा और गाड़ी फिर उसके घर की दिशा में मोड़ दी। पाँच मिनिट के अंदर ही दोनों अहसान के घर के सामने मौजूद थे।
गाड़ी रुकने की आवाज़ से अहसान के घर के आसपास के कुछ लोग अपने घर से बाहर निकल आये थे..सब इस बात को एक दूसरे को बड़े रस लेकर बता रहे थे कि अहसान के घर पुलिस आयी हैं। क्योंकि गाँव मे अमूमन पुलिस कम ही देखने को मिलती है...इसलिए सब लोग अपनी साँसे रोके पूरे मंज़र को देख रहे थे कि आखिर बात क्या है..और आज पुलिस कैसे आयी है। देखते ही देखते..भीड़ अहसान के घर के आसपास जमा हो गयी थी। गाड़ी की आवाज़ सुनकर अहसान के घर के भी कुछ लोग बाहर निकल आये थे।
"अहसान मिर्ज़ा कहाँ है..? उसे बुलाओ..उससे बात करनी है।" खत्री ने गेट के बाहर खड़े होकर कड़क आवाज़ में कहा।
"क्या बात है सर..? आपको मेरे भाई से क्या काम है..?" अहसान के बड़े भाई काशिफ़ ने पूछा।
"तुम पहले अहसान को बुलाओ..फिर तुम्हें खुद-ब-खुद पता चल जाएगा कि क्या काम है..?" खत्री ने उसी टोन में कहा।
"क्या हुआ..क्या बात है सर..?" आवाज़ें सुनकर अहसान बाहर आया और आते ही पूछने लगा।
"नित्या मित्तल का क़त्ल क्यों किया तुमने..?" खत्री ने अहसान की तरफ देखते हुए सीधा सवाल दाग दिया।
ये सुनते ही भीड़ में खुसरपुसर होने लगी। सब चोंक गए कि अहसान ने क्या सच में किसी का क़त्ल कर दिया है..?
"क्या बकवास है ये..? मेरे भाई ने किसी का क़त्ल नहीं किया है.!!" काशिफ़ ने आश्चर्य और गुस्से के मिश्रित भाव से कहा।
"तो फिर ये यहाँ छुपकर क्यों बैठा है..?"
"ये छुपकर नहीं बैठा है यहाँ...!! अम्मी की तबियत कुछ दिनों से नासाज़ है..इसलिए ये यहाँ कुछ दिनों के लिये उनकी देखभाल करने आया है..!! बस..और कोई बात नहीं है.!!" काशिफ़ ने ऊँची आवाज़ में कहा।
"ये सब तो बहाने मात्र है..!! खेर..मुझे तुमसे कुछ पूछताछ करनी है..पुलिस स्टेशन चलोगे या यहीं पर मेरे सवालों के जवाब दोगे..?"
"अच्छा ठीक है..आप अपनी तस्सली कर लें..!! आएं.. अंदर..!!" अहसान ने कहा और खत्री और चहल को घर के अंदर बुला लिया।
तीनों कुर्सियों पर बैठ गए। फिर खत्री ने अपने सवाल पूछना शुरू किया।
"सबसे पहले तो ये बताइये मिर्ज़ा साहब की आपकी और नित्या की पार्टनशिप कैसी चल रही थी..?"
"सर बहुत ही बढ़िया चल रही थी..और हमें लगातर एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट मिल रहे थे।"
"तो फिर जिस रात नित्या का कत्ल हुआ..उस शाम तुम्हारा और नित्या का झगड़ा क्यों हुआ था..?"
"सर वो इसलिए हुआ था क्योंकि जो प्रोजेक्ट हमारे पास आया था उन क्लाइंट्स का बैकग्राउंड ठीक नहीं था। मुझे पता चला था कि उनका कॉन्टेक्ट अंडरवर्ल्ड के लोगों से है। इसलिए मैंने नित्या से कहा कि हम ये प्रोजेक्ट नहीं करेगें..पर नित्या नहीं मान रही थी। जिस रात उसका कत्ल हुआ..उसी रात को डिनर पर क्लाइंट्स ने मीटिंग फिक्स की थी..!! और क्योंकि हर क्लाइंट्स मीटिंग में हम दोनों साथ जाते है..उस रात भी हमें साथ जाना था..!! पर जैसा मैंने कहा..मुझे उनके बैकग्राउंड से प्रॉब्लम थी..इसलिए मैंने नित्या के साथ जाने से मना कर दिया। जिसकी वजह से नित्या को गुस्सा आ गया और गुस्से में वो मुझ पर चिल्लाने लगी। मैंने फिर भी उसे समझाने की कोशिश की कि उन लोगों और विश्वास नहीं किया जा सकता..वो कब किस बात के लिए हमें फंसा दे हम नहीं जानते..एक बार उनके साथ एग्रीमेंट बन जायेगा तो फिर चाहे जो हो जाये वो हमें किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे..!! और क्या पता अगर कोई सी चीज उनके मन मुताबकि न हो तो वो हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं..उनके अंडरवर्ल्ड के लोगो के साथ रिलेशन है..!! मैं इन सब पचड़े में नही पड़ना चाहता था..इसलिए नित्या को भी समझा रहा था कि वो ये मीटिंग केंसिल कर दे..!! कुछ भी बहाना बनाकर ये प्रोजेक्ट करने से मना कर दे...पर नहीं..नित्या नहीं मानी। उसने कहा तुम नहीं जाना चाहते तो ठीक है..मैं अकेली ही चली जाऊँगी..लेकिन इस प्रोजेक्ट को हाथ से नहीं जा ने दूँगी.!! क्योंकि क्लाइंट के पास बहुत पैसे थे और वो हमें हमारी मुँह माँगी पेमेंट देने को तैयार था इसलिए नित्या इस प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। उसका कहना था ये अब तक की हमारी कंपनी की बहुत ही हाई प्रोफाईल शादी होने वाली है..इसके बाद ऐसा प्रोजेक्ट दौबारा मिले न मिले..इसलिए इसे छोड़ना तो बेवकूफी है..!! और सर..आखिर वो गई... अकेली ही चली गयी क्लाइंट के साथ डिनर मीटिंग पर। मुझे क्या पता था ऐसा कुछ होगा..वरना मैं उसके साथ ही चला जाता।" अहसान ने उदासी से कहा।
"अच्छा...!! हमें पता चला है कि तुम्हारा और तुम्हारी कंपनी में रिस्पेसनिस्ट..सायरा मंत्री का अफेयर चल रहा है..!! क्या ये सच है..?"
"जी सर..!! ये सच है..मैं और सायरा एक दूसरे से प्यार करते हैं..!!"
"और ये बात नित्या को पता चल गई थी..और उसे ये बिल्कुल नागवार गुजरा था..!!"
''जी सर..ये सच है कि नित्या को शुरू शुरू में हमारे अफेयर से दिक्कत थी..और उसके पीछे जो रिज़न था वो भी जायज़ भी था..!! पर जब मैंने और सायरा ने उसे विश्वास दिलवा दिया था कि हम ऑफिस में ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे उसकी रिपुटेसन खराब हो..और हम अपने अफेयर की वजह से काम अफेक्ट नहीं होने देंगे तो फिर वो मान गयी थी।"
"अच्छा...चलो तुम्हारी ये बात भी मान ली..पर फिर तुमने..क़त्ल वाली रात नित्या को कॉल क्यों किया था..? आखरी कॉल तुम्हारा ही था..!!"
"वो तो सर मैंने उससे ये पूछने के लिये कॉल किया था कि मीटिंग ठीक से हो गयी है या नहीं..!! अब सर जो भी हुआ था मीटिंग से पहले.. पर थी तो वो मेरी बिज़नेस पार्टनर..और जैसा मैंने आपको बताया..क्लाइंट्स ठीक नहीं थे इसलिए कहीं न कहीं मुझे नित्या की चिंता तो थी..बस इसलिए मैंने उसे कॉल किया था।"
"क्या तुम्हारे पास कोई फोटो या कॉन्टैक्ट नंबर कुछ है उस क्लाइंट का..?"
"नहीं सर..क्योंकि मैं इस प्रोजेक्ट में काम नहीं कर रहा था..इसलिए मेरे पास कुछ भी नहीं है..पर नित्या के फोन में जरूर कुछ न कुछ इन्फॉर्मेशन आपको मिल जाएगी।"
"नित्या का फोन मिलेगा तभी तो कोई इन्फॉर्मेशन हाथ लगेगी..!! खेर..अब हम चलते हैं..अगर कोई जरूरत पड़ी तो आपको थाने बुलाया जाएगा..!!"
"जी सर..जरूर! मैं अपना पूरा सहयोग दूँगा।"
खत्री और चहल गाड़ी में बैठकर लखनऊ वापस आ गए।
"चहल...हम तो सोच रहे थे कि ये अहसान हमारा प्राइम सस्पेक्ट है..!! पर उसकी बातों से लग रहा है कि वो सच बोल रहा है। और फिर उसकी मोबाइल लोकेशन भी उसके घर की ही दिख रही है..!! तुम्हें क्या लगता है..चहल! ये अहसान सच कह रहा था या..फिर हमें घुमा रहा है..?" खत्री ने अपने केबिन में आकर चहल से पूछा।
"सर..मुझे तो अहसान की बातों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है..!! नित्या का मर्डर करने का सबसे बड़ा कारण उसी के पास है...!! वो हमें उसकी गोल गोल बातों में घुमा रहा है..!! और रही फोन लोकेशन की बात..तो सर आजकल सबको पता है कि फोन लोकेशन से कोई भी आसानी से पकड़ा जा सकता है..इसलिए क्रिमिनल अपना फोन जानबूझकर घर ही छोड़ जाता है.!!"
"अच्छा..ठीक है हम अभी अहसान को क्लीन चिट नहीं देंगे..! वो अभी भी हमारी सस्पेक्ट लिस्ट में है।" इतना कहकर खत्री ने अपनी डायरी निकाली और कुछ बातें नोट करने लगा।

अगले दिन
फैज़ाबाद पुलिस थाना

खत्री नित्या मित्तल की केस फ़ाइल को शुरू से चेक कर रहा था। सुबह से वो अब तक तीन बार ऑलरेडी फ़ाइल चेक कर चुका था..!! पर उसे लग रहा था कि एक आध बार और चेक करने पर शायद कोई छूटा हुआ सिरा मिल जाये। तभी चहल ने उसके केबिन में आने की इजाज़त माँगी।
"आओ..चहल..!! बताओ कोई नई खबर नित्या मित्तल केस में मिली...?" खत्री ने बिना चहल की ओर देखे कहा।
"जी सर..!! अभी अभी मोबाइल कंपनी से फोन आया था..वो कह रहे थे कि नित्या का फोन कुछ देर के लिए ऑन हुआ था। मोबाइल कम्पनी ने मुझे फोन की लेटेस्ट लोकेशन सेंड कर दी है..!!"
"चलो..इस केस में कुछ तो हाथ आया..!! चहल जल्दी करो गाड़ी निकालो..और जल्द से जल्द लोकेशन पर ले चलो..इससे पहले की क्रिमिनल हाथ से निकल जाए।" खत्री ने कहा और फिर दोनों गाड़ी में बैठकर लोकेशन की तरफ निकल गए।
लोकेशन क्राइम सीन से काफ़ी दूर पर नित्या के घर के काफी करीब था।
"चहल..ये तो जानकीपुरम के काफी पास का इलाका है..!! यहाँ से तो नित्या और नीतेश का घर भी बहुत पास है..!! यहाँ पर फोन किसके पास होगा..?" खत्री ने गाड़ी से उतरने के बाद कहा।
"पता नहीं सर..!!" चहल आगे कुछ बोलता उससे पहले ही उसका फोन बज उठा।
"हाँ..अच्छा..!! ठीक है..!!" चहल ने फोन पर किसी से कहा।
"सर.अभी अभी मोबाइल कंपनी से फोन आया था..वो कह रहे थे कि नित्या का फोन दोबारा से ऑन हुआ था..लोकेशन जानकीपुरम के आसपास की ही आ रही है.!!"
"ठीक है फिर आसपास ढूंढना शुरू करते हैं..!!" खत्री ने कहा तो चहल ने उसकी हाँ में हाँ मिलायी और फिर दोनों अलग अलग दिशा में ढूँढने लगे।
कुछ देर बाद चहल ने खत्री को कॉल किया।
"हाँ..सर..!! लगता है मुझे वो आदमी मिल गया जिसके पास नित्या का फोन है..!! आप जल्दी से आ जाइये।"
"मैं आ रहा हूँ..तुम उस पर नज़र बनायें रखना..वो वहाँ से निकलने न पाए..!!"
"जी सर..आप आ जाइए।" चहल ने कहा और फोन काट दिया।
कुछ देर बाद ही खत्री चहल के पास पहुँच गया। दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर उस आदमी को एक दम कसकर पकड़ लिया।
"चहल..इसे गाड़ी में बैठाओ..!!" खत्री ने उस आदमी की बाँह पकड़े पकड़े कहा।
"अरे...मुझे कहाँ ले जा रहे हो..साब? मैंने क्या किया है..मुझे बताओ तो सही..? ओ..साब! साब मुझे छोड़ दीजिए..मैंने कुछ नहीं किया।" वो आदमी चिल्लाता रहा..पर चहल और खत्री ने उसे पकड़ कर गाड़ी में बैठा दिया और पुलिस थाने की ओर निकल पड़े।
थाने पहुँचने के बाद खत्री उस आदमी को लॉकअप में ले गया।
"बता..नित्या मित्तल का क़त्ल क्यों किया..? किसके कहने पर किया बोल...?" खत्री ने उस आदमी को कुर्सी पर बैठाने के बाद कहा।
"कौन नित्या मित्तल साब..? मैं किसी भी नित्या वित्तया को नहीं जानता..तो फिर कत्ल कैसे करूँगा भला..?" उस आदमी ने चिढ़ते हुए कहा।
"हर अपराधी यही कहता है कि उसने अपराध नहीं किया...!! तो इसका मतलब ये तो नहीं है न कि हम उसकी बातों पर विश्वास कर लें..? चल अब जल्दी बता...नित्या मित्तल को क्यों मारा..? या किसी ने मरवाया तेरे द्वारा..!! बोल जल्दी..!!"
"साब...न तो मैंने आज तक किसी का क़त्ल किया है..और न ही आज तक किसी ने मुझसे किसी का क़त्ल करने का कहा है..फिर आप किसकी बात कर रहे हो मुझे नहीं पता.!!"
"अच्छा..तुझे नहीं पता..? फिर ये नित्या का फोन तेरे पास क्या कर रहा है..?"
"अच्छा..ये..? ये तो साब मुझे..वहीँ झाड़ियों के पास पड़ा हुआ मिला..!! तो मैंने उठा लिया।"
"अच्छा..और झाड़ियों के पास ये आया कैसे..? अपने आप चलकर चला गया क्या वहाँ पर..? देख सच सच बता दे..फायदे में रहेगा..!! सच बोलेग तो मैं तेरी सज़ा कुछ कम करवा सकता हूँ..और अगर तू सच नहीं भी बतायेगा तब भी हम तो सच का पता लगा ही लेंगे..!! फिर उसके बाद तू ज़िंदगी भर जेल में सड़ेगा..!! सोच ले..!! मैं एक घण्टे बाद दोबारा आऊँगा..! और तब मुझे सिर्फ सच ही सुनने को मिलना चाहिए।" इतना कहकर खत्री और चहल वहाँ से निकल कर खत्री के केबिन में आ गए।

"चहल..मान लो कि ये आदमी सच बोल रहा है..!! तो फिर नित्या का फोन वहाँ कैसे आ सकता है..? अब फोन खुद चलकर तो वहाँ गया नहीं होगा।" अपने केबिन में आने के बाद खत्री ने चहल से कहा।
"तो सर आपको क्या लगता है..क़ातिल क्राइम सीन से नित्या का फोन अपने साथ ले गया..और फिर नित्या के घर के आसपास के इलाक़े में फोन को जानबूझकर डंप किया..?"
"करेक्ट..!!! बिल्कुल यही हुआ होगा। एक काम करो चहल..तुम उस इलाके के आसपास के जितने भी सीसीटीवी कैमरे हैं..उनकी फुटेज निकलवाओ..!! क़ातिल उनमें से किसी एक में तो जरूर कैप्चर हुआ होगा।''
"जी ठीक है सर..मैं अभी जाता हूँ..!!" इतना कहकर चहल खत्री के केबिन से बाहर चला गया।
खत्री ने नित्या का फोन चेक करने की कोशिश की लेकिन वो डिस्चार्ज था तो खत्री ने फोन को चार्जिंग पर लगाया और अपनी डायरी में कुछ लिखने लगा।
एक घंटे बाद खत्री दोबारा लॉकअप में उस आदमी से पूछताछ करने गया।
"हाँ..तो क्या सोचा..? सच बोलकर जल्दी यहां से छूटना चाहते हो..या ज़िंदगी भर यहीं सड़ने का इरादा है..?" खत्री ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

"साब..मुझे बस इतना पता है कि ये फोन किसी आदमी ने उस दिन वहाँ झाड़ियों में फेंका था..!! मैंने उसे ये फोन फेंकते हुए देखा भी था..!! बस इससे ज्यादा मैं और कुछ भी नहीं जानता..!!"
"तो पहले क्यों नहीं बोला तूने..? और जब फोन तुझे क़त्ल वाली रात ही मिल गया था..तो फिर तूने अभी तक उसे चालू क्यों नहीं किया था..? आज ही चालू क्यों किया..?"
"साब..मैंने फोन को फेंकते हुए तो उस रात ही देख लिया था..पर उठाया उसके अगले दिन था। क्योंकि जब मैं उसी रात उठाने जा रहा था तो मुझे किसी के आने की आहट हुई तो मैं वहाँ से ये सोचकर भाग गया कि शायद जिसका फोन है वो उसे लेने वापस आ गया है..!! लेकिन फिर जब मैं अगले दिन उसी रास्ते से वापस गुज़रा तो देखा कि फोन वहीं पड़ा था। तब मैंने फोन उठा लिया। लेकिन साब मैंने फोन तो उठा लिया..फिर मुझे ये चिंता होने लगी कि पता नहीं इस फोन में ऐसा क्या है जो उस आदमी ने इसे ऐसे ही फेंक दिया..! मैंने सोचा कि इसे खोलने पर कोई परेशानी न आ जाये..इस डर के मारे मैंने इसे अभी तक नहीं खोला था। और आज जब खोलने की कोशिश की तब तक आप लोग मुझे यहाँ उठा लाये।"
"कौन था वो आदमी..? तूने शक्ल देखी उसकी..?"
"चेहरा तो नहीं देख पाया साब..!! क्योंकि वहाँ बहुत अंधेरा था..!! पर हाँ उस आदमी के हाथ की घड़ी...जो कि बार बार चमक रही थी..जिसके कारण मेरा ध्यान भी कुछ सेकंड्स के लिये उस ओर खींच गया था..!! उस घड़ी पर किसी बोटल का चिन्ह बार बार उभर कर आ रहा था..!! शायद नए जमाने की घड़ी रही होगी वो..!!"
"अबकी बार पूरा सच बोला है न..? वरना तुझे कोई बचा नहीं सकता।"
"साब..अब तो आप चाहे तो मुझे मार भी लो..पर जो सच है वो मैंने आपको बता दिया है..इसके आगे मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। अगर मुझे पता होता कि ये फोन किसी कत्ल हो चुकी महिला का है तो भगवान कसम...मैं तो इसे देखता तक भी नहीं। बस यही गलती हो गयी मुझसे जो मैंने लालच में आकर ये फोन उठा लिया और इतनी बड़ी मुसीबत सिर ले ली। मुझे छोड़ दीजिए साब..मेरे घर वाले मुझे ढूंढ रहे होंगे..!! मैंने सब कुछ तो बता दिया।"
"ठीक है...तुम जा सकते हो..!! लेकिन अगर मुझे पता चला कि तुमने जो कुछ बताया वो झूठ था या कोई सी बात तुम्हें पहले से पता थी पर फिर भी तुमने नहीं बतायी है..तो फिर तुम अच्छे से जानते हो तुम्हारे साथ क्या होगा..!!"
"साब...!! आप जिसकी बोलो उसकी कसम खा कर कहता हूँ..कि मैंने जो कुछ कहा वो सौ टके सत्य है..और इसके आगे पीछे मुझे कुछ नहीं पता। अब तो जाऊँ मैं..?"
"हाँ..जाओ।" खत्री ने कहा तो वो आदमी तेज़ कदमों से पुलिस स्टेशन से बाहर निकल गया।
खत्री अपने केबिन में वापस आया और उसने नित्या का फोन ऑन किया। कॉल लोग में खत्री पड़ताल करने लगा। उसमें उसे उस क्लाइंट का नंबर मिल गया।
खत्री ने उसे एक अलग कागज़ पर नोट किया और फिर नित्या के फोन को बंद करके अपने ड्रावर में रख दिया।
खत्री ने लेड लाइन से उस नंबर को डायल किया। एक दी रिंग के बाद ही कॉल रिसीव हो गयी।
"हैलो...कौन बोल रहा है..?" क्लाइंट ने कॉल रिसीव करते ही कहा।
"मैं..इंस्पेक्टर अनिरुद्ध खत्री फैज़ाबाद पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ..!! नित्या मित्तल केस में आपसे कुछ पूछताछ करनी है..आप फ़ौरन पुलिस स्टेशन आ जाओ।"
"जी..जी बिल्कुल..!! मैं अभी आ जाता हूँ..!! मैं इतने दिनों से इसी इंतज़ार में था कि आज नहीं तो कल पुलिस का फोन मेरे पास आ जाना चाहिए..!!पर देखो..इतने दिनों बाद आज कॉल आया..!! खेर मैं अभी दस मिनिट में वहाँ पहुंचता हूँ..!!" उस आदमी ने हँसते हुए कहा और फिर फोन काट दिया।
"अजीब आदमी है..!! लोग चाहते हैं कि उनके पास पुलिस का कॉल और उनके घर और पुलिस कभी न आये..!! पर ये महाशय है जो मेरे कॉल के लिये पलकें बिछाए बैठें थे..! और तो और यहाँ आने के लिये भी एक ही बार में हामी भर ली..!! मुझे तो लगा था कि पहली बात तो फोन ही नहीं लगेगा..या लग भी गया तो रिसिव नहीं होगा..और अगर फोन उठा भी लिया तो बहुत ही सख्त आवाज़ में बात करेगा..और यहाँ आने के लिए तो बिल्कुल नहीं मानेगा..!! लेकिन मेरी सारी बातें झूठी साबित हो गयी..!! गज़ब का आदमी है ये तो..!!" खत्री कुछ देर तक मन ही मन ये सब सोचता रहा और तब तक क्लाइंट पुलिस स्टेशन भी आ गया।
वह सधे कदमी से चलता हुआ खत्री के केबिन तक पहुंचा और फिर अंदर आने की परमिशन माँगने लगा।
खत्री ने उसे परमिशन दी और कुर्सी पर बैठने का कहा।
"जी..पूछिये..क्या पूछना चाहतें हैं..?" उस आदमी ने कुर्सी पर बैठते ही कहा।
"जिस रात आपकी नित्या के साथ मीटिंग थी..उस रात क्या हुआ था...?" खत्री ने पूछा।
"वही जो अमूमन एक क्लाइंट और बॉस के बीच होता है। प्रोजेक्ट को लेकर हमारे बीच बातचीत हुई..हमने डिनर किया और फिर नित्या अपने रास्ते मैं अपने रास्ते..!!"
"शुरू से बताईये..!! आप कहाँ मिले..? आपके बीच क्या क्या बातचीत हुई..!! आप दोनों के अलावा और कौन कौन था वहाँ..? वगैरह वगैरह..!!"
"19 जुलाई रात करीबन 10 बजे हमने 'रिमझिम द जंगल रेस्टोरेंट मे डिनर मीटिंग का प्लान बनाया था..क्योंकि इससे पहले दिन में मेरे पास मीटिंग के लिए टाइम नहीं था..!! मैं पौने दस बजे के आसपास अपनी वाइफ के साथ रेस्टोरेंट पहुँच गया था। नित्या बिल्कुल टाइम पर ही आयी थी। वो अकेली ही आयी थी...उसके साथ न तो उसका पार्टनर था और न ही हसबैंड। फिर हम तीनों एक टेबल पर बैठ गए और हमने कुछ औपचारिक बातें की..तभी वेटर ऑर्डर लेने आ गया तो हम तीनों ने अपनी पसंद का खाना आर्डर किया। खाना खाते खाते हम शादी की बात डिसकस करने लगे। नित्या ने हमें कई सारे प्लान बताये..!! फिर हमने एक प्लान फाइनल किया। उसके बाद उसने उनकी टर्म्स एंड कंडीशन बतायी..जो हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी तो हमने बात फाइनल कर दी। फिर बस कुछ सेकण्ड्स बाद ही हम तीनों अपने अपने रास्ते निकल लिए। बस इतना ही हुआ था..।"
"क्या आपने या नित्या ने खाने के साथ साथ कोई अल्कोहल..आई मीन वाइन या और कुछ मंगाया था..?"
"जी नहीं...हमने साधारण तरीके का खाना मंगवाया था..और अल्कोहल की मात्रा न तो नित्या ने ली और न ही हमने..!!"
"अच्छा..क्या डिनर के दौरान आपको एक पल के लिये भी ऐसा लगा कि नित्या जैसे टेंशन में है..!! क्या उसने अपने हसबैंड या पार्टनर का ज़िक्र किया..?"
नहीं..!! बल्कि नित्या के चेहरे पर पूरे टाइम खुशी रही और हँसते हँसते ही उसने सारी बातें डिसकस की। आई मस्ट से..शी वाज़ अ रियली गुड वर्किंग वीमेन एंड ऑल्सो अ वेरी गुड ह्यूमन ..!! नित्या के मर्डर की खबर सुनकर मुझे और मेरी वाइफ को सच में बहुत बड़ा झटका लगा था। हम बस चाहतें हैं कि उसका मर्डरर जल्द से जल्द सलाखों के पीछे हो..!!"
"क्या आपने नित्या से ये पूछा कि उसका पार्टनर अहसान मीटिंग में क्यों नहीं आया..!!"
"हाँ..पूछा था..!! नित्या ने बताया कि वो किसी दूसरे प्रोजेक्ट में बिजी है इसलिए वो नहीं आ पाया। लेकिन मैं समझ गया था कि वो मेरे बैकग्राउंड की वजह से उस मीटिंग में नहीं आया। और उसने नित्या को भी मना किया होगा..!! पर फिर भी वो आयी..बिकॉज़ शी वाज़ वेरी कॉंफिडेंट वीमेन..!!"
"तो क्या ये सच है..कि आपके संबंध अंडरवर्ल्ड से थे..?"
"हाँ..ये एक कड़वा सच है..!! और इसी की वजह से मेरी बेटी की शादी का प्रोजेक्ट लेने को कोई सी भी कंपनी तैयार नहीं हो रही थी..!! यहाँ तक कि मैंने मुँह मांगा मेहनताना देने का भी झ दिया था..ओर फिर भी कोई नहीं माना। फिर एक दिन मैंने इंटरनेट पर नित्या और अहसान मि कंपनी का एड देखा और फिर नित्या से बात की..!! पता नहीं कैसे पर नित्या ने प्रोजेक्ट के लिए हाँ कर दिया था.! अब पता नहीं मेरी बेटी की शादी कैसे होगी..? इंस्पेक्टर आप जल्द से जल्द नित्या के कातिल को ढूंढ निकालिए।"
"जी..जरूर मैं इसी केस पर लगा हुआ हूँ..!! फिलहाल आप जा सकते हैं..जरूरत पड़ेगी तो आपको दोबारा बुलाऊंगा।"
"जी..!!" कहते हुए वह आदमी कुर्सी से उठा और पुलिस सत से बाहर निकल गया।
तभी चहल अपने हाथ में पेन ड्राइव लेकर खत्री के केबिन में पहुंचा।
"सर...उस इलाके के आसपास जितने सीसीटीवी कैमरे थे...मैं सबकी 19 जुलाई वाली रात की फुटेज ले आया। आप लेपटॉप में लगाकर देख लीजिए।" चहल ने पेनड्राइव खत्री को देते हुए कहा।
खत्री ने पेन ड्राइव लेपटॉप में लगाई और वीडियो प्ले कर दी।
कुछ दी चार वीडियो देखने के बाद खत्री बोला "चहल..क़ातिल मिल गया। चलो गाड़ी निकालो।"