प्रेम निबंध - भाग 6 Anand Tripathi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम निबंध - भाग 6

हां,कुछ पल के लिए मैं सब कुछ भूल कर उसे निहारता रहा। सब कुछ इतना आसान नहीं होता। अर्थात किसी को पाना या किसी को अपना बनाना। कोई ऐसी चीज जिसका मुझे आभास भी नही। कभी आप एक शांत जगह पर जाए। और सोचिए कि यह जो भी हो रहा है। यह करने का उचित समय है या नही। क्योंकि यह एक ऐसा नशा है जिसका पान करने के बाद आपको अहसास भी नही होगा की आप कहा है। दारू पीकर ड्राईवर संभल सकता है। मगर कभी इसका पान किया तो फिर आपका फिसलना संभव हो जायेगा। अगर प्रेम सच्चा हो तो आप डरना मत और कभी छोड़ना भी मत। यह मैं कहता हूं। लेकिन सब कुछ जांच परख कर।
दिन बीते और हमने बहुत कुछ एक साथ सा व्यवहार किया। कई त्योहार और कई पर्व भी एक साथ मनाए। होली,दिवाली,करवा चौथ,जन्माष्टमी,और सब में उन्होंने मुझे सबसे बडकर प्यार किया करते थे। मैं नहीं जानता की क्या था वो सब। और मै उसका अस्वादान किया करता था। दिवाली में इन्होंने शर्ट और जींस पहना था। लेकिन इनको खुद ही पसंद नही आ रहा था। मुझे छत पर बुलाकर कहती है की ए देखो जरा अच्छा लग रहा है। मैने कहा की जी हां बहुत बहुत ही अच्छा लग रहा है।
तुम बताओ मैं कैसा लग रहा हूं। उन्होंने उत्तर में कहा की तुमसे सुंदर लग नही रहा कोई। यही तो प्रेम की असली परिभाषा होती है। जब कोई आपको अपने से बढ़कर माने। आपकी उंगली के दर्द को भी वो अपना माने। तब समझना कोई आपको जीना चाहता है। उसको कभी मत छोड़ना। क्योंकि वो अब आपको जी रहा है खुद को नही। जैसे कृष्ण राधा को मैं तो उनको तन मन धन से प्रेम करने लगा था। मैं तुम अब हम हो गए थे। पहला साल बहुत ही सुंदर था। प्रेम इतना था की हम दोनो कोई चीज आधी ही खाते थे। बाकी एक दूसरे को अपना काटा हुआ खिलाते थे इससे प्यार बढ़ता है। लोग कहते थे। एक टॉफी भी बाट कर खाते थे। एक दिन उन्होंने खाना बनाया और उनका मन था की मैं उसको चखु। मैं दूर कुर्सी पर बैठा था। मैने कहा मुझे भूख लगी है। उन्होंने मुझसे कहा की खाना दूं
मैने कहा जी बिल्कुल आप कहे और हम न खाए ऐसा नहीं हो सकता है।
मैं झट टेबल पर बैठ गया और खाना खाने लगा। खाना वाकीय अच्छा था। मैने खाया और थोड़ी सब्जी बची थी। वो उन्होंने खाया। मुझे किचन से देखकर मुस्कुराने का अंदाज उनका मैं कैसे भूल सकता हू। जीवन की संगिनी से भी बढ़कर थी। वो कुमुदिनी थी। मेरा मन उनके लिए सदा हीं लिप्त रहता है। और इतनी चुलबुल पांडे थी वो की सबसे ज्यादा हसी उनको ही आती थी। मुझको देखती थी हसी भी रोकती थी। लेकिन मुंह हाथ रखकर फिर भी हस्ती रहती थी। उनका मुख ज्योति के समान प्रज्वलित होता रहता था। वो क्या थी ? सुंदरता की मूर्ति थी वो। कभी भी क्रोध नहीं lekin मां को बहुत याद करती थी वो उनको याद करके वो चुपके रोती थी मेरे मन को यह बात कही चुभती थी। क्योंकि न आज तक मैं उनके आशु देख पाया था। और न ही कभी देख पाऊंगा। एक दिन वो ब्यूटी पार्लर से आई और उनके सिर पर बहुत छोटे बाल थे सबको देखकर इतनी हैरानी हुई की ये क्या है शिवि। जब मैंने देखा तो मैं हैरान की ये क्या है माजरा समझ नहीं आ रहा था। मैने उनसे कागज पे पूछा तो जवाब आया की कैसी लग रही हूं मैं क्या कहता मैने कहा की लाजवाब लग रही हो। मगर ये कैसी कटिंग है। बॉय कट। मैं हस करके अपने कमरे में चला गया। लेकिन अच्छी लग रही थी। अरे वाह जी मैं आप को क्या अच्छी लग रही हूं। हम्म्म मैने इशारे से कहा अब आप कहेंगे कि अगर मैं इसे नही कटवाती तो मैं सुंदर कैसी लगती। नही ऐसा नहीं है धीरे से मैंने कहा।
ऐसा लग रहा था की मैं किसी अलग दुनिया में हूं। और ज्यादा शरारती भी यही थी।,खाना खाने के नाम पे ये आज भी नखरे बाज़ है। कोई कितना भी कहता था। ये खाना तो बिलकुल भी नहीं खाती थी। बीच में ये बीमार भी पड़ी और सुखड़ी भी हुई। मुझे एक बात कहनी है पता नहीं क्या ये इतना सोचती थी। जो मैने आज तक नही पता नही कर पाया। बहुत सोचती थी।
ये बात मुझे आज तक पता नहीं चली। लड़किया लडको के मुकाबले ज्यादा सोचती थी। ये बात पहली बार मुझे पता चली। एक दिन ये सुबह जल चढ़ाने गई और मैने इन्हे वहा पर बहुत कोशिश की पता करने की। लेकिन इन्होंने उफ्फ तक न कहा। मैने इनकी कलाई से हाथ हटाया और नीचे आ गया। जिंदगी की रफ्तार को रोकना असंभव है। वो चलती है और सिर्फ चलती जाती है। कितना भी रोको रुकती ही नही है। मैने उनको बहुत समझाया लेकिन वो न जवाब देती और न ही कुछ कहती थी। बस उनको घुटन होती थी। व्यक्ति जब ज्यादा हसता है। तो वह अंदर से बहुत दुखी होता है। जीवन का ये सत्य है। उनमें यह दोनो ही बात थी। जो की सोचने जैसी थी। लोगो में प्रेम को लेकर कितनी गलत भावना है वह आज के समय में दिखती है। दुर्भाग्य की बात यह है। की आज कई लड़के भी गलत है और कई लड़किया भी गलत तरीके से व्यवहार करती है। ना ही लड़की में वाणी की मिठास है। और न लड़के में मर्यादा और सहनशीलता होती है। यह समाज का एक कड़वा सच है। की लोग दो प्रेमी को गलत मानते है। जरा विचार करे की जब एक लड़की पिता से प्रेम करे। तो वह सुशील पुत्री,भाई से प्रेम तो वह भाई बहन का प्यार है। जब वह किसी दोस्त से प्रेम करती है तो लोगो को क्या हो जाता है। क्यों इतनी खराब मानसिकता वाले लोग इस जिंदगी को नरक बनाने का संपूर्ण प्रयास करते है। मुझे बस इतना ही कहना है। की जिंदगी दो वक्त है एक आने का और एक जाने का। जिसमे हम अगर प्रेम नही है। तो फिर क्या होगा। विचार करे। आने वाली पीढ़ी का जो आपको निभानी है और...
क्रमशः