स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 19 Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 19

रोए ने कहां ठीक है एनीवे, थैंक्स फॉर roses.

टोनी खड़े हुए और डोर की ओर चलने लगे. और डोर तक पहुंच कर ही पलट कर कहां मिस्टर रोए एक बात मैं आपसे कहना जरूरी समझता हूं के दुनिया चाहे कितनी ही बदल जाए मगर एक चीज कभी नहीं बदलती और वह है आमदनी और खर्च. और इन दोनों के बीच में जो होता है वही इकोनामी कहलाती है.


जी हां मि टोनी, रॉय ने कहा. रॉय बोले यह दोनों प्रवाहित होते हैं मगर इकोनामी हमेशा स्थिर होती है. आगाध समंदर की जैसी. अगर इकोनामी कैश में है तब भी वो अचल संपत्ति ही है.

आखिरकार टोनी बाहर निकल गए और अदैन्य ने लंबी सांस ले कर चेयर में लंबे हो गए. कुछ ही सेकंड में वह सभान हो गए और अच्छी तरह से चेयर में बैठ गए.


यहां भारत में विशाल राष्ट्रपति भवन दिखाई देता है और उसके सामने लगे हुए बड़े से टावर में घड़ी की सुई 12:00 बजे पर अटकती है.


पहला घंटा बजते ही अनजान पैर कदम बढ़ाना शुरू करते हैं और किसी निश्चित दिशा में आगे बढ़ते है.


मानव संस्कृति की स्थापना से लेकर वर्तमान तक यह बात का इतिहास सदैव साक्षी रहेगा परम घटनाओं के पीछे मध्यस्थी ओ की बड़ी और अहम भूमिकाए रही है.


क्योंकि, परम घटनाओं के प्रवाह किसी स्वर्ग चरा गंगा के प्रवाह से कम नहीं होते. और इन दोनों के लिए शंकर रूपी मध्यस्थि की परम आवश्यकता पडती है.

कदाचित यह आपकी या मेरी आवश्यकता ना हो किंतु नियति के लिए ऐसे मध्यस्थि परम आवश्यक होते हैं.

ऐसे ही यह मध्यास्थि अपने कदम किसी निश्चित दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं, और घड़ी के डंके की समाप्ति पर कदम रोक कर "जय हिंद "का मंद नाद पुकारते हैं.


सामने कुर्सी में एक सुंदर पौढा बैठी है और उनके अंतहीन आलीशान टेबल पर एक तख्ती पड़ी है.

तख्ती पर लिखा है president of India 20th generation. Mrs Pranjal Shah.



जय हिंद का मंद नाद सुनते ही राष्ट्रपति प्रांजल शाह ने कहा गौतम, आओ, जय हिंद अंदर चले आओ. कब से तुम्हारी राह देख रही हु.

आखिर कब यह सब शुरू होगा?

गौतम ने अपने आत्मबल को पहचाना और उसी मंद स्मित से बोला, प्रगति और क्रांति को कोई रोक नहीं सकता. उसने कुर्सी ग्रहण की और प्रांजल शाह को देखने लगा.

प्रांजल शाह अपना काम संभालते संभालते बोलि, कोई किताब पढ़ कर आए हो!
गौतम अपने आत्म बल से बाहर आया और हंस पड़ा.

उसने कहा नहीं नहीं मैडम मैं तो बस यूं ही.

प्रांजल शाह ने गौतम से कहा, गौतम तुम किसी भी तरह से प्रफूग के उस महात्मा को फोन लगाओ और उसे कहो सारा होमवर्क करके हिंदुस्तान आने की तैयारी करें. मैं आज ही प्रधानमंत्री से बात करती हूं.

गौतम ने कहा जी मैडम लेकिन वह महात्मा आज कल मिलेंगे कहां?

प्रांजल ने कहा सुना है इंडोनेशिया से तो वह वापस जर्मनी चला गया है. उसे जर्मनी ही फोन लगाओ.

गौतम ने प्रांजल के चेंबर से ही फोन उठाया और अदैन्य का नंबर डायल किया.
और, थोड़ी ही देर में राष्ट्रपति भवन पर लहराता तिरंगा लगातार 3 मिनट तक दिखाई देता है.

दृश्य मानो स्वप्नोक्त है, और लगता है मानो अभी नींद टूटेगी और फल आरंभ होगा.