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इंस्पेक्शन - 1

ट्रिन ट्रिन
फोन की घटींं बजते ही पार्सल इनचार्ज मीणा ने फोन उठाया था।फोन उठाते ही आवाज सुनाइ पड़ी,"मैं मोरया।"
"यस सर्।"सीनियर डी सी एम की आवाज सुनते ही मीणा अपनी आवाज में मिठास घोलते हुए बोला,"आदेश सर्।"
"जी एम साहिब दस तारीख को इंस्पेक्शन के लिए आगरा आ रहे है। तुम फोन करके सब विभागों के इंचार्ज को बता दो।"
"सर् अभी सब को बताता हूँ।"
"वैसे मैं परसों आगरा आ रहा हूँ।सारी व्यवस्था तभी तय कर लेंगे।"
"जी सर्।"
सीनियर डीसीएम का संदेश मिलते ही मीणा ने स्टेशन प्रबंधक और सभी विभागों के इंचार्जों को संदेश दे दिया था।इंचार्जों को विश्वास नही हुआ कि जी एम साहब इतने शार्ट नोटिस पर आ रहे है।इसलिए उन्होंने अपने अपने मण्डल अधिकारियों से पूछा था।वहाँ से सूचना की पुष्टि हो गई थी।
जी एम एक जोन यानी एक रेलवे का सर्वे सर्वा होता है।वह सिर्फ दो दिन के शार्ट नोटिस पर आगरा इंस्पेक्शन के लिए आ रहे थे।दो दिन सिर्फ बीच मे थे।तीसरे दिन सुबह सात बजे आगरा आना था और पूरे दस घण्टे आगरा में गुज़ार कर उन्हें वापस शाम को पांच बजे जाना था।
जी एम पूरे दिन आगरा फोर्ट पर क्या करेंगे?एक रेलवे का प्रधान।एक रेलवे का मालिक पूरे दिन स्टेशन पर रहेगा।इस बात का पता चलते ही अफरा तफरी मच गई।
आई ओ डब्लू वर्मा ने सूचना मिकते ही अपने पूरे स्टाफ को काम पर लगा दिया।पेंटर रंग रोगन करने मे जुट गए।मिस्त्री बेलदार स्टेशन पर टूट फुट को दुरस्त करने में लग गए।पी डब्लू आई गुप्ता ने गैंगमैनों को पटरियों की मरम्मत,किनारे से घास काटना,टूटे स्लीपर बदलने पर लगा दिया।रेल्वेट्रेक को चमकाया जाने लगा।
इलेक्ट्रिक फोरमेन देवेन ने अपने स्टाफ को दफ्तरों,प्लेटफार्म मुसाफिरखाने आदि के पंखों की सफाई पर लगा दिया।फ्यूज लाइट बदली जाने लगी।टूटे या खराब उपकरण बदले जाने लगे।
हेल्थ इंस्पेक्टर रमन ने केटरिंग,स्टाल और ट्रालियों की चेकिंग शुरू कर दी।सफाई कर्मचारियों को स्टेशन की साफ सफाई और चमकाने पर लगा दिया।हेड टी सी दीवारों पर लगे पोस्टर साफ कराने लगा।
सिग्नल विभाग के लोग सिग्नलों और टेलीफोनों की साफ सफाई और उन्हें दुरुस्त करने में लग गए।अस्पताल वाले वहाँ की व्यस्था में लग गए।
वाणिज्य विभाग भी हरकत में आ गया।प्लेटफार्म पर जहाँ तन्हा ट्रेनों से उतरे हुए पैकेज पड़े रहते है।बाहर जानेवाले पैकेज भी प्लेटफार्म पर लगा दिए जाते है।
बुक होने वाले पेकजो के लिए रेलवे ने नियम बना रखा है।इस नियम के अनुसार पेकजो को वरीयता के क्रम में डिस्पेच किया जाना चाहिए।
परन्तु प्रायः ऐसा होता नही है।सब से पहले पार्सल बाबुओं द्वारा उन पेकजो को डिस्पेच किया जाता है।जिन पर उन्हें सुविधा शुल्क मिल चुका होता है।जो व्यापारी रेलवे के भाड़े के अलावा भी पैसे देता है।उस व्यापारी के पैकेज पहले भेजे जाते है।जिन पेकजो पर अलग से पैसा नही मिलता वे लंबे समय तक स्टेशन पर ही पड़े रहते है।पेकजो के समय पर डिस्पेच न होने का एक कारण लगेज वान में जगह न आना या एक्स्ट्रा लगेज वाहन समय पर ना मिल पाना भी होता है।
लेकिन अचानक होने वाले जी एम इंस्पेक्शन की वजह से लम्बे समय से डिस्पेच के लिए पड़े पेकजो की किस्मत खुल गई थी
(शेष अगले भाग में)

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