हकीकत Abha Dave द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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हकीकत



हकीकत
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ओल्ड एज होम में संगीता अपना सामान अलमारी में रख रही थी और अपने पति से कह रही थी की "तकदीर हमें कहाँ ले कर आ गई है । कितने खुश होकर हम लोग अपना घर बार बेचकर अमेरिका गए थे अगर अपने बेटे के साथ वह हादसा ना हुआ होता तो आज हम अमेरिका में होते हैं ।" इतना कहकर वह चुप हो गई ।


उसके पति प्रताप कहने लगे "हाँ किसने सोचा था कि रिटायरमेंट के बाद ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे अगर आज अपना बेटा जिंदा होता तो हमें यहांँ सचमुच नहीं आना पड़ता ।"। लंबी साँस लेते हुए संगीता ने कहना शुरू किया "एक ही बेटा है इस लिए सोचा था कि आराम से उसके साथ रहेंगे । शादी के लिए अब तक वह माना करता आ रहा था सोचा था समझा-बुझाकर उसकी शादी कर देंगे पर तकदीर को कुछ और ही मंजूर था । पैंतीस साल की उम्र में ही उसे हार्टअटैक आ गया और वह हमें छोड़कर चला गया । काश कि हमने अपना घर न बेचा होता । " संगीता दुखी हो कर बोली ।

संगीता को अपने बेटे की हर एक बात याद आने लगी उसके बेटे ने हँसकर कहा था "माँ तुम चिंता मत करो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम दोनों की सेवा करता रहूँगा ।"

संगीता ने अपने बेटे की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी । उसने अपने बेटे की खातिर अपनी लगी लगाई सरकारी नौकरी भी छोड़ दी थी और उसकी खुशी में ही अपनी खुशी देखने लगी थी। कितने अच्छे दिन थे जब वह अपने बेटे की मनपसंद चीजों को बनाकर उसे खिलाती थी और फिर रविवार के दिन सब चल पड़ते थे पिकनिक मनाने । हर छोटी से छोटी खुशियों को भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाते थे। संगीता को याद आ रहा था वह गुजरा हुआ पल जब वह अपने पाँच साल के बेटे के साथ घूमने निकली थी और वह जिद करने लगा था "माँ गोदी ले लो ,माँ गोदी ले लो।" संगीता ने झट से उसे गोद में ले लिया था और चल पड़ी थी हरियाली भरे रास्तों पर। वह अपने बेटे को गोद में लिए प्रकृति का नजारा दिखा रही थी कि तभी एक पत्थर पर पैर लगते ही वह अपने बेटे के साथ गिर पड़ी थी। संगीता ने अपने बेटे को बचा लिया था पर बुरी तरह जख्मी हो गई थी। जख्मी होने के बावजूद भी वह बेहद खुश थी कि उसकी बेटे को एक खरोंच तक नहीं आई उसने अपनी बेटे को बचा लिया था। बेटा सहम कर बहुत देर तक माँ से लिपटा रहा। वह उसके प्यार को महसूस करती रही। संगीता आज भी वह सब महसूस कर रह थी है। मानों आज भी उसका बेटा उससे आकर लिपट गया है। अचानक संगीता को अपने पति के स्वर सुनाई दिए वह उससे कह रहे थे-

"अब यही जीवन की हकीकत है कि यह ओल्ड एज होम ही हमारा अपना घर है।" संगीता को सांत्वना देते हुए प्रताप ने कहा ।" दोनों की आँखों में पीड़ा उभर आई । संगीता ने अपने बेटे की मुस्कुराती फोटो को दीवार पर लगा दिया। आँसुओं से उसका आँचल भीग चुका था।

आभा दवे
मुंबई