Poetry books and stories free download online pdf in Hindi

कविताएँ

१)मुहूर्त
---------
हरेक त्यौहार का
होता है मुहूर्त
लोग इस मुहूर्त में
जिंदगी के महत्त्वपूर्ण काम
को करने में लग जाते हैं ।

इंतजार करते हैं उस
शुभ घड़ी का जो
जीवन को खुशियों से भर दे
सारी विघ्न बाधाएं दूर कर दे
और वे गुजार पाएँ सुखी जिंदगी।

पर क्या वाकई उस मुहूर्त का
शुभ फल हरेक को मिलता है?
उस मुहूर्त की घड़ी में अघटित
कुछ नहीं होता है?
इतिहास गवाह हरेक मुहूर्त का
जहाँ छल कपट से छला गया आदमी
और आज भी मुहूर्त के नाम पर ठगा जा रहा।

आभा दवे

२)परिचित
------------

जाने क्या कह गई वो आँखें
कुछ कहती सी लगी थी हमें
दर्द-प्यार का एक संगम सा था
मानो सदियों से पहचानती थी उन्हें।

दूर मुझसे दूर जाती थी
पर मन में वो समाती थी
क्या रिश्ता है उन संग मेरा
जो मुझे वो लुभाती थी ।

यादों का धुंधलापन धीरे-धीरे
छटने लगा
वो अपरिचित चेहरा परिचित लगने लगा
बचपन में बिताए थे कुछ पल संग
मेरा मन कह कर अब हँसने लगा ।

आभा दवे

३)सुर का खजाना-वाद्ययंत्र
------------------------
सात सुरों की सरगम से
निकले सुरीला गीत
बांसुरी, हारमोनियम, तबला
वायलिन , तानपुरा, शहनाई
बन जाते सबके मनमीत ।

जीवन इन वाद्ययंत्रों के बिना सूना
कैसे छिड़े फिर रागों का नगीना
गीत भी इन बिन आँसू बहाते
मिल जाए तो खुशी बरसाते ।

भजन हो या कोई ग़ज़ल ही
गीत हो या कोई ठुमरी
सभी तबले ,हारमोनियम संग
बांसुरी की तान पर झूम जाते
मन को इन संग खूब बहलाते ।

आभा दवे

४)मौसम
--------

धरती संग हरियाली है

फूल संग खूशबू प्यारी है

पहाड़ संग बहता झरना है

कल -कल करती नदी न्यारी है

चाँद संग चाँदनी रानी है

बादल संग चमकती बिजली है

सूरज संग सुनहरी लाली है

सभी पर मौसम के दिवाने

राह देखते बन कर सियाने

रंग बदलता मौसम हरदम

दिखाता सबको सपने सुहाने

रूप बदल कर आता है

सभी को वो लुभाता है

शीत, ग्रीष्म , वर्षा से कर दोस्ती

सभी के संग मुस्कुराता है ।

आभा दवे

५)तमाशबीनों का तमाशा
-----------------------------

सूर्य रोज उदय और अस्त
होते हुए देखता रहता है
विश्व के हरेक कोने के कई
तमाशबीनों को अक्सर ही।

असहाय, लाचार से हैं सभी यहाँ
सब कुछ जानकर अनजान से
देखते है रोज ही तमाशबीनों को
सूर्य के उदय और अस्त होने तक।

धरती के हरेक प्राणी भी मूक हो
सब कुछ सहते हैं विवशता लिए
कभी खत्म न होने वाले तमाशे को
आदि काल से चल रहा है ये सिलसिला
और यूँही चलता रहेगा न जाने कितनी
सदियों तक अविरत , अविराम ही।

आभा दवे

६)बहार खुशी की
---------------------

हरेक के जीवन में कभी न कभी

वो आकर मुस्कुराती है

खिलखिलाती है खुशी के गीत गाती है

वही क्षण जीवन का सबसे हसीन होता है

जो यादों में बस कर चैन की नींद सोता है

कुछ पल के लिए ही सही पर वो आती है

जीवन में वसंत ऋतु बन छा जाती है

उसका भी अपना एक समय होता है

जब जीवन को अपने आगोश में ले

मंद- मंद हवा के साथ इठलाती है

अपने होने का एहसास कराती है

सब जान जाते हैं पहचान जाते हैं

खुश हो कर गीत गाते हैं

बहार आई ,बहार आई

जीवन में सुखद बहार आई ।


आभा दवे

७)सीधा-सादा
------------------

वक्त का बहाव चलता अविरल

रुकता नहीं इक पल को भी

जिंदगी अपने रास्ते खुद बना कर

आगे बढ़ती जाती है

*सीधा-सादा*जीवन जिसका

उसे ही खुशियाँ मिल पाती है

वर्ना तो भला कौन इस दुनिया में

सुखी रह पाता है

बहुत कुछ पाने की इच्छा में

छोटी- छोटी खुशियों से दूर वो

हो जाता है

शिकवे- शिकायत ही उसकी झोली में

आते हैं

और वह अपने किए पर पछताता है

काश, सीधा- सादा जीवन मैंने भी जिया होता

और चैन की नींद सोता ।

आभा दवे

मुबंई

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED