भूत बंगला - भाग 3 Shakti Singh Negi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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भूत बंगला - भाग 3

दिव्य तलवार के मेरे हाथ में आते ही मेरे सब घाव अपने आप ठीक हो गए और मेरे शरीर में नया बल और उत्साह आ गया। मैंने तलवार से चुड़ैल के दोनों पैर भी काट दिए।


चुड़ैल पीड़ा से तड़पने लगी। अचानक वह एक सुंदर स्त्री में बदल गई और रो-रो कर मुझसे दया की भीख मांगने लगी। मेरा दिल पिघल गया। मैंने तलवार नीचे कर ली।


अचानक चुड़ैल उड़ कर मुझ पर झपटी। वह फिर अपने भयानक रूप में आ गई थी। उसके मुंह में बड़े-बड़े दांत दिख रहे थे। वह अपने मुंह से मेरी गर्दन पर वार करना चाह रही थी।


परंतु इस बार मैं सतर्क था। जैसे ही वह वापस आई। मैंने दोनों हाथों से तलवार घुमा कर उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी।


चुड़ैल दो टुकड़े होकर जमीन पर गिर पड़ी। उसके हाथ व पैर कुछ ही दूरी पर पड़े थे। कुछ देर बाद अचानक उसके कटे हुए अंगों व धड़ में आग सी लग गई। और वह जलने लगी। कुछ ही देर में वह राख के ढेर में बदल गई।


मैंने बाथरूम में जाकर स्नान किया दूसरे कपड़े पहने और तलवार सिरहाने रख कर सो गया।


रात भर में शांति से सोता रहा। सुबह उठते ही फ्रेश होकर मैंने कुछ मजदूरों को बुलाया और बंगले में व बगीचे में सफाई करवाई। सारे घर व बगीचे में पवित्र गंगाजल छिडका गया। बगीचे में काम करते हुए मजदूरों को एक बहुत बड़ा घड़ा मिला घड़ा सोने की अशर्फियां से भरा था।


कुछ मजदूरों ने चुपके से उसमें से कुछ अशर्फियां चुरा ली। चोर मजदूरों के चेहरे अचानक पीले पड गये और वह छटपटाने लगे। हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई।


मैंने घड़े पर पवित्र गंगा जल छिड़का। व अपनी दिव्य तलवार से उसे स्पर्श किया। अब सोने का या भंडार पवित्र हो चुका था। मैं खरबपति बन चुका था।


अचानक एक भयानक प्रेत प्रकट हुआ। वह बहुत डरा हुआ था। प्रेत मुझसे बोला हे मनुष्य तुम वीर विद्वान और परोपकारी हो। यह दिव्य तलवार तुम्हारी रक्षा करती है। तुम इस धन का उपयोग अच्छे कार्यों में व स्वयं के लिए करो। मैं भी आज से तुम्हारा गुलाम हूं। मैं तुम्हारी और तुम्हारे धन की रक्षा करूंगा। मैंने प्रेत को मनुष्य रूप धारण करने का आदेश दिया। प्रेत तुरंत मनुष्य रूप में आ गया। मैंने प्रेत पर गंगाजल छिड़का व अपनी दिव्य तलवार से स्पर्श किया।


अब प्रेत की सभी तामसी मानसिकता जलकर भस्म हो गई। वह अब मनुष्य रूप में एक सात्विक प्रेत था। मैंने प्रेत से स्वयं के प्रति वफादारी की सौगंध लिवाई। वह मेरा एक वफादार साथी बन चुका था।


मैंने प्रेत को कुछ रुपए दिए और उसे आदेश दिया कि वह नाई से बाल और दाढ़ी आदि कटवा कर आए। और स्वयं के लिए कुछ आधुनिक वस्त्र बाजार से ले ले। और जल्दी ही नहा धोकर मेरे सामने प्रस्तुत हो।


प्रेत ने ऐसा ही किया। 2-4 घंटे बाद वह एक सभ्य व आधुनिक मनुष्य के रूप में मेरे सामने उपस्थित था। मैंने कहा मैं तुम्हारा नाम बेताल रखता हूं। तुम सर्वदा वफादारी से आज से मेरे पास रहोगे। तुम प्रेतलोक के बारे में सभी जानकारी एक पुस्तक के रूप में लिखकर मुझे दोगे। साथ ही अन्य कार्यों में भी मेरा हाथ बटांओगे। परंतु तुम अपनी अलौकिक शक्तियों का प्रयोग कम से कम करोगे।

अभी तुम स्वादिष्ट भोजन बनाकर मुझे खाना खिलाओ। प्रेत एक साधारण मनुष्य की तरह किचन में खाना बनाने लगा।