भूत बंगला - भाग 4 Shakti Singh Negi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भूत बंगला - भाग 4

प्रेत एक सात्विक मनुष्य के रूप में मेरे साथ बंगले में ही रहने लगा कुछ घंटे हर रोज मेरे आदेशानुसार एक पुस्तक लिखता और शेष समय वह बंगले की साफ-सफाई, मरम्मत, बगीचे में कार्य आदि करता रहता।


प्रेत से मैंने प्रेतों व प्रेत लोक के बारे में कई जानकारियां प्राप्त की। कई भूत - प्रेतों की सिद्धियां भी प्राप्त की। बगीचे में प्राप्त अथाह धन के मैंने कुछ हिस्से किये।


एक हिस्सा स्वयं के लिए रखा। दूसरे हिस्से से देश का वाह्य व आंतरिक रिण चुकाया। तीसरा हिस्सा देश के खजाने में जमा किया। चौथा हिस्सा ज्ञान-विज्ञान के अनुसंधान में लगाया। पांचवें हिस्से से देश के गरीबों के लिये कई विकास योजनाएं चलाई।


मेरे वाले हिस्से में अभी काफी धन था। इसमें से कुछ धन लेकर मैंने एक बड़े आधुनिक शहर का निर्माण करवाया। इस शहर में मैंने देश के सभी झुग्गी - झोपड़ी वालों को मुफ्त फ्लैट आबंटित किए। इस शहर में सभी आधुनिक सुख - सुविधाएं व रोजगार उपलब्ध करवाया गया।


कुछ धन मैंने शेयर मार्केट में, नये -नये उद्योग धंधों आदि में लगाया। नये कर्मचारी भर्ती किये गये। प्रेत जिसे सब लोग बेताल कहकर पुकारते थे, के सहयोग के लिए कुछ नौकर - चाकर आदि भी भर्ती किए गए।



अब मैंने



अब मैंने अपने शहर को भूतों से रहित करने की ठानी. मैंने उस भूत पुस्तक की मदद से व अपने ज्ञान की मदद से पूरे शहर का सर्वेक्षण किया. पूरे शहर में कई जगह कई परिवार व घर भूत - पिशाच बाधा से पीड़ित थे. मैंने अपनी तंत्र शक्ति से सब लोगों और घरों को बहुत भूत बाधा से मुक्त किया.


अब मैंने ध्यान लगाया कि इस शहर में भूत प्रेत बाधा कुछ ज्यादा ही थी. तो मुझे पता चला कि इस शहर में बहुत पहले एक मैदान था और उस मैदान में कई सदियों पहले एक भयंकर युद्ध हुआ था. जिसमें कई लोग मारे गए थे. इसलिए कई लोग मर कर व भूत पिशाच बन गए थे. साथ ही आगे पीछे भी कई लोग अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. यह सब भी भूत पिशाच बन गए थे.


मैंने अपनी मंत्र तंत्र शक्ति से और बेताल की मदद से उन सभी प्राचीन भूत-प्रेतों की अस्थियां व अन्य अवशेष ढूंढे व उन्हें अग्नि के सुपुर्द कर दिया और साथ ही उन पर गंगाजल भी छिड़क दिया. जिससे सभी भूत प्रेत मुक्त हो गए. अब मेरा शहर स्वर्ग जैसा सुंदर व भूत प्रेत बाधा रहित हो गया था. अपने शहर को भूतों से रहित करने की ठानी. मैंने उस भूत पुस्तक की मदद से व अपने ज्ञान की मदद से पूरे शहर का सर्वेक्षण किया. पूरे शहर में कई जगह कई परिवार व घर भूत - पिशाच बाधा से पीड़ित थे. मैंने अपनी तंत्र शक्ति से सब लोगों और घरों को बहुत भूत बाधा से मुक्त किया.


अब मैंने ध्यान लगाया कि इस शहर में भूत प्रेत बाधा कुछ ज्यादा ही थी. तो मुझे पता चला कि इस शहर में बहुत पहले एक मैदान था और उस मैदान में कई सदियों पहले एक भयंकर युद्ध हुआ था. जिसमें कई लोग मारे गए थे. इसलिए कई लोग मर कर व भूत पिशाच बन गए थे. साथ ही आगे पीछे भी कई लोग अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. यह सब भी भूत पिशाच बन गए थे.


मैंने अपनी मंत्र तंत्र शक्ति से और बेताल की मदद से उन सभी प्राचीन भूत-प्रेतों की अस्थियां व अन्य अवशेष ढूंढे व उन्हें अग्नि के सुपुर्द कर दिया और साथ ही उन पर गंगाजल भी छिड़क दिया. जिससे सभी भूत प्रेत मुक्त हो गए. अब मेरा शहर स्वर्ग जैसा सुंदर व भूत प्रेत बाधा रहित हो गया था.