मेरी मोहब्बत कौन...?(भाग 02) Swati Kumari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मेरी मोहब्बत कौन...?(भाग 02)


हेमंत बार-बार उस लड़की से नाम पूछ रहा था लेकिन, वह बार-बार उसे टाले जा रही थी और यह क्रम काफी लम्बे समय तक चलता है

"नॉट फेयर यार... इतनी देर बहस करने से अच्छा आप अपना नाम ही बता देती मोहतरमा.....",हेमंत चिढ़ते हुए कहता है

"नाम का क्या अचार डालोगे...",वह लड़की घूरते हुए कहती है

"हाँ कभी-कभार माँ सब्जी टेस्टी नहीं बनाती तो चावल दाल के साथ खा लिया करूंगा।"

हेमंत की यह बात सुन वह लड़की खुद को हँसने से नहीं रोक पाती है और ठहाके लगाकर हँसने लगती है

"हा हा हा हा....तुम ना सच में पागल हो यार...बादवे आई एम हेमाश्रि.... "कहते हुए वह लड़की अपना हाथ हेमंत की तरफ बढ़ाती है

"आई एम हेमंत....",हेमंत मुस्कूरा कर कहता है

"हाँ भाई पता है ...तुम अपना नाम इतनी बार बता चूके हो कि दुनिया के सबसे बड़े भुल्लकर को भी याद हो जाए।"

"उफ्फ्फ... सॉरी....",शर्माते हुए हेंमत कहता है और मुस्कूरा कर अपने बालों में हाथ फेरता है

"वैसे तुम इसी कॉलेज में पढ़ते हो क्या...?"

"हाँ और तुम..?"

"मैं भी पर इसी कॉलेज में..., पर मैं यहाँ पर किसी ढूढ़ने आई हूँ।"

"किसे....?",हेमंत आश्चर्य से कहता है

"अरे! सारी बातें तुम्हें अभी ही कैसे बता दूँ...? अभी तो मैं तुम्हें ठीक से जानती तक नहीं..."

"तो उसमें कौन सी बड़ी बात है कॉफी पर चलो मेरे साथ बांकी की जान-पहचान वहीं कर लेंगे।"

"सॉरी आज मुझे थोड़ा काम है तो फिर कभी मिलते हैं।"

"कहाँ पर मिलोगी कल...?"

"अम्म्म....,(कुछ देर सोचने के बाद) लेकिन तुम से मैं मिलू क्यों ..? तुम हो कौन मेरे...?"

"अरे! अभी तो हम ने दोस्ती की..."

"ले....इस दो मिनट के मुलाकात को तुम दोस्ती कहते हो पागल...."

"हाँ तो क्या कभी-कभी दो मिनट की मुलाकात जिन्दगी भर का साथ भी बन जाता है।"

"बस...बस रहने दो फिल्मी डाइलॉग बाजी..."

"कल कॉलेज आओगी ना...?"

"वो तो कल ही पता चलेगा वाइय काम है मुझे, मैं निकलती हूँ।",इतना कहते हुए हेमाश्रि अपने हाथो को हवा में लहराते हुए हेमंत को वाइय बोलती है और अपने घर के लिए निकल जाती है ।

हेमाश्रि वहां से जा चूकी थी पर हेमंत अभी भी उसी के ख्यालों में डुबा था । वो ऐसा महसूस कर रहा था कि हेमाश्रि के साथ वो नाच रहा है और सच में फिल करते-करते वह सचमुच में डांस करने लगता है। बिल्कुल बॉलीवुड के फिल्मों की तरह तभी उसके कानों में किसी के जोड़-जोड़ से हँसने की आवाज आती है ।

" हाय रे बेओरा.. तू तो बीना नशा किए नशे में है हा हा हा हा हा हा हा..., ऐसा क्या हो गया जो हँसते-कुदते तुझे नशा चढ़ गया ....",इतना कहते हुए हिमाशु हँसते-हँसते अपने पेट को पकड़े जमीन पर गीर जाता है वो इतना हँस रहा था कि उसके आँखों से पानी आने लगा...

"हाँ..हाँ.. अब ज्यादा तू खी..खी...खी...मत कर वरना असली दांत तेरे मुँह निकाल कर मिट्टी ठुस दूंगा।",हेमंत कहता है

"हाय...अले..ले...ले..ले मेरा मुन्ना... इससे ज्यादा तू कर भी नहीं सकता अले...ले...ले..ले मेरा बच्चा..."

"देख हिमांशु सच कह रहा हूँ मैं, ज्यादा दिमाग मत खा मेरा वरना....",कहते हुए हेमंत हिमांशु को घुसा मारने उसकी तरफ बढ़ ही रहा था कि अचानक उसे हिमांशु हेमाश्रि दिखने लगती है वो झट से अपने हाथ को पीछे मोड़ लेता है और हेमाश्रि के हवा में लहर रहे बालो को सवारने लगता है

"छी...कमीने लगता है तू सच में पागल हो गया है यार अब तो तेरे लिए सच में किसी को ढूढ़ना ही पड़ेगा। नहीं तो तू साले यू ही नाच-नाच कर, मेरे साथ रोमांस करके पागल होकर मर जाएगा।",हिमांशु कहता है

हिमांशु के इतने कहते ही हेमंत हिमांशु से कुछ दूरी बनाते हुए खड़ा होता है

"क्यों क्या कहता है आज ही लगे मिशन हेमंत की गलफ्रेंड अभियान में..."

"नहीं भाई तू तो इतनी बड़ी मेहबनी करना ही मत...."

"क्यों बे.....?"

"क्या पता आज तू जिसको पटाकर मेरे लिए लाया है कल वही तेरे साथ बाहो में बाहें डालकर घूमते हुए नजर आए फिर तो मैं सारी जिन्दगी यूँ ही रोते पिटते रहूंगा ना...."

"मतलब भाई का डर बड़कड़ा है हा हा हा हा हा...."

"कोई डर वर नहीं है और सुन ले मैं खुद के लिए परफेक्ट लड़की ढूढ़कर दिखाऊंगा देखना और वो ना तो तेरे डोले-शोले पर फिदा नहीं होगी और ना ही तेरे हेंडसम होने पर समझा ना...."

"हाय बच्चे का पहले लड़की तो ढूढ़ ले फिर देखते हैं क्या होता है।"

"ज्यादा एटीट्यूड मत दिखा ढूढ़कर दिखाऊंगा।"

"जा बे जा...बड़ा आया लड़की पटाने वाला, तुझसे तो एक मक्खी भी ना पटे लड़की तो बहुत दूर की बात है।"

"देख हिमांशु ज्यादा हो रहा है अब...",हेमंत हिमाशु को धमकाते हुए कहता है

"हाँ तो.....",कहते हुए हिमांशु वहां से निकल जाता है

हेमंत गुस्से से वहीं पर पैर पटकता है और दूसरी वाइक से हिमांशु का पीछा करते हुए वो भी निकल जाता है । दोनों रूम पहुँचने के बाद भी लड़ते हैं धीरे-धीरे वक़्त बीतता है और लगभग शाम होने को आती है और हेमंत को याद आता है आज सोमवार का दिन है और उसे शिवमंदिर जाने है शिव का श्रृंगार देखने तथा महाआरती में शामिल होने। यह याद आते ही वह फटाक से नहाता है और जल्दी से तैयार होता है । आज हेमंत कुछ अलग ढंग से तैयार हो रहा था जिस पर हिमांशु की नजर काफी देर थी । आज हेमंत ब्लैक और रेड चेक वाली शर्ट पहना हुआ था जो उसके गोरे रंग पर ओर भी जंच रहा था। हेमंत बड़े प्यार से बालों में कंघी घुमाते हुए सिटी बजा रहा था, कभी वो अपनी शर्ट को ठीक करता तो कभी बाल...बार-बार वो खुद को आईने में निहारे जा रहा था।

"कही तेरे उपर किसी लड़की का भूत-वुत तो नहीं आ गया ना....",हिमांशु हेमंत की इन सारी हरकतों को काफी देर तक देखने के बाद कहता है

"तू जब भी सजता सवता है तो मैं कभी अपत्ति जताया हूँ नहीं ना तो तू भी अपना मुँह बंद करके बैठ समझा...।",कहते हुए हेमंत पर्फ्यूम की बोतल हिमांशु की तरफ फेकता है

"अरे! मैं तो हूँ ही लोफर.... मैं भी घर से निकलता हूँ मात्र लड़की घुमाने, लेकिन तू तो मंदिर जा रहा है फिर इतनी सजावट क्यों...?"

"मेरी मर्जी....",कहते हुए हेमंत जल्दी से जुते पहनता है

"हमेशा तो तू चप्पल में मंदिर जाता है तो फिर आज जूते क्यों...?"

"हर बात पर तेरा सवाल करना जरूरी है क्या....?"

"दोस्त होने के नाते शायद हाँ...."

"दोस्त कमीने तू तो दुश्मन से भी बढ़कर है।",कहते हुए हेमंत वाइक की चाभी अंगुलियों में घुमाते हुए कमरे से बाहर जाने लगता है

"जा...जा जिससे मिलने तू जा रहा है ना वो आएगी ही नहीं, एक बिना मेकअप किए, बिना पर्फ्यूम लगाए मनुष्य की हाय लगेगी तुझे जा....",हिमांशु झूठ-मुठ का रोने की एक्टिंग करते हुए कहता है

हेमंत जल्दी से वाइक लेकर वहाँ से मंदिर के लिए निकल जाता है। हेमंत के रूम से मंदिर की दूरी ढ़ाई किलोमीटर थी जिसे आसानी से दस मिनटों में तय किया जा सकता था। मंदिर पहुँच कर हेमंत पूजा का सामान लेता है और फूल वाले के यहाँ ही अपना जूता उताकर रख देता है क्योंकि जूते चप्पलों को चोरी सबसे ज्यादा मंदिरों में ही होती है । इधर मंदिर में भोलेनाथ का श्रृंगार शुरु हो चूका था और काफी भीड़ भी इकठ्ठी हो चूकी थी। तभी हेमंत की नजर......

क्रमशः.........

Swati kumari