The Author Neerja Pandey फॉलो Current Read पिशाच..! - 10 - पहाड़ी राक्षस ... By Neerja Pandey हिंदी डरावनी कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... My Wife is Student ? - 23 स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Neerja Pandey द्वारा हिंदी डरावनी कहानी कुल प्रकरण : 12 शेयर करे पिशाच..! - 10 - पहाड़ी राक्षस ... (17) 3k 12.5k सात लडको का ट्रेकिंग ग्रुप एक नए पहाड़ी के बारे में सुनता है। वो सभी उस पे जाने का कार्यक्रम तय करते है। उस पहाड़ी पर अभी तक कोई नहीं गया था। राजन उस ग्रुप का सबसे योग्य मेंबर था। उसी ने किसी प्राचीन किताब में इस पहाड़ी के विषय में पढ़ा था कि मध्य प्रदेश के इन पहाड़ियों में प्रकृति की अनमोल संपदा छुपी हुई है जिसे कोई अब तक नही तलाश नही पाया है। जो भी इसकी तलाश कर लेगा वो इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा जायेगा । बहुत कड़ी मेहनत कर राजन ने कई पहाड़ियों पर अकेले ही गया। कई वर्ष की तलाश के बाद उसे इस पहाड़ी के बारे में पता चला था। अब वो कनफर्म हो गया था की यही को दुर्लभ संपदा वाली पहाड़ी है। राजन ने सोचा अब वो अकेला इतने बड़े मिशन पर कैसे जाएगा! इस कारण उसने अपने कुछ दोस्तो को इसके बारे में बताया और साथ चलने को राजी किया। उसके दोस्त भी इसके बारे में सुना था। पर उन्हे यकीन नही हो था कि वाकई राजन ने इस पहाड़ी की खोज कर ली है। वो भी इस लालच में तैयार हो गए की इस खोज में उनका भी नाम शामिल हो जायेगा। विनीत , सोहन, अजय, पावन, अमित दीपक सभी ने जाने की तैयारी कर ली । जरूरत का सारा सामान इक्कठा किया गया जिसकी जरूरत आगे पड़ने वाली थी। ढेर सारी खाने पीने की सामग्री ले कर वो अपने इस महत्व पूर्ण सफर पर चल पड़े। राजन आगे आगे अपने दोस्तो को रह दिखाते हुए चल रहा था। तीन दिन लगातर उन्हे चलते हुए हो गया था। पर अभी कुछ भी उन्हे खास नही दिखा था। तीसरी रात उनका उत्साह कुछ काम हो गया था। थोड़ी सी निराशा उनके मन में आ गई थी की इतनी मेहनत कही बेकार ना चली जाए!जिस प्राकृतिक संपदा की खोज में वो आए थे अभी तक उसका नमो निशान नहीं दिख रहा था।सब ने मिल कर आस पास लकड़ियों को चुन कर जलाया और खाना बनाया। सब ने खाया और आराम करने लेट गए। अभी कुछ देर हुआ था लेटे । राजन लेते हुआ आसमान की ओर देख रहा था ,तभी अचानक उसकी निगाह पास के पेड़ पर चमकती हुई पोटली पर गई। इतनी चमक उसने आज तक नही देखी थी। रात का अंधेरा उस चमक को और भी बढ़ा रहा था। उसने अपने दोस्तों को जगाकर पोटली की ओर इशारा करते हुए कहने लगा "दोस्तों उधर देखो इस पेड़ पर कुछ चमक रहा है।"उसके दोस्त उस पेड़ पर चढ़कर उस पोटली को उतारने लगे। थोड़ी देर बाद जब पोटली उतार गई तब उन्होंने देखा की उस पोटली में चमकती चीज हीरे थे। इतने हीरे उनमें से किसीने आज तक नहीं देखे थे।सबने मिल कर निर्णय लिया की औषधि नहीं मिली तो क्या हुआ हीरे तो मिल गए। राजन ने उनके फैसले का विरोध किया लेकिन बाकी लोग एकमत थे इसलिए उसे उनकी बात माननी ही पड़ी।वापस लौटने से पहले राजन ने थोड़ी देर सोने की सोची। उसके सोने जाते ही बाकी लोग आपस में बात करने लगे। एक ने कहा "यार मुझे पूरी तरह से पता है की वापस लौटने के बाद वो हीरे सरकार को वापस कर देगा।"दूसरे ने कहा "तो क्या करें? उसे यहीं छोड़ दें क्या?"तीसरे ने कहा "नहीं। अगर वो वापस आ गया तो हम लोग फंस जाएंगे।"चौथे ने कहा "मेरी मानो तो हम इसको रास्ते से ही हटा देते हैं।"पहले ने कहा "मार दें?"चौथे ने कहा "हां। मारकर उसके परिवार से कह देंगे की वो हमसे अलग हो गया।"उसके बाद सबने मिलकर उसे मारने का प्लान बनाया। वापस लौटते वक्त सबने मौका देखकर राजन को मारकर उसकी लाश को वहीं गाड़ दिया और हीरे लेकर वापस जाने लगे। अभी वो वापस लौट ही रहे होंगे कि उन्हें एक खूब तेज आवाज सुनाई दी। वो लोग डर के मारे अगल बगल देखने लगे। तभी झानियों में से एक राक्षस निकल आया। वो राक्षस बहुत विशालकाय था और उसके चेहरा बिल्कुल राजन की तरह था।एक लड़के ने डरते डरते पूछा "तुम कौन हो?"राक्षस ने कहा "अभी तो मारा है इतनी जल्दी भूल गए मुझे?"लड़के ने कहा "राजन।"राक्षस ने कहा "हां।"वो सब लड़के उसके पैरों पर गिरकर माफी मांगने लगे तो उसने कहा "अब तुम लोग को कोई नहीं बचा सकता।"ये सुनते ही सब लड़के वहां से भागने लगे लेकिन उस राक्षस ने एक एक करके सबको मार दिया और उनसे हीरे लेकर वापस उस पेड़ पर रख आया। अब उस पहाड़ पर कोई नहीं जाता है। लेकिन अगर कोई भटक कर उस शापित पहाड़ पर चला भी जाता है तो उस पहाड़ का राक्षस उन्हें भी मार देता है। उन हीरों की रक्षा करना ही अब उस राक्षस का धर्म बन गया है।आगे पढ़़ते रहेें 🙏🙏🙏 ‹ पिछला प्रकरणपिशाच..! - 9 - मास्क के पीछे का खौफनाक चेहरा › अगला प्रकरण पिशाच..! - 11 - ला लोराना ... Download Our App