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अनचाहा रिश्ता - ( नया कर्मचारी_२) 23

मीरा और स्वप्निल ने एक दूसरे को देखा " क्या????"

वहा खड़ा हर कोई चौक गया था। इस तरह बिना इंटरव्यू, कभी किसी को इस कंपनी मे नही चुना गया। आखिर इस लड़के में क्या खास बात है???????

समीर ने स्वप्निल को शांत होने का इशारा किया। तभी मिस्टर पटेल की मीटिंग रूम मे एंट्री हुई।

" हैलो एवरीबडी। मैने कहा था ना अब अक्सर हमारी मुलाकाते होंगी।" मिस्टर पटेल।

" डैड। मुझे आप से बात करनी है?" मीरा ने मि पटेल का हाथ पकड़ते हुए कहा। वो स्वप्निल को पहचानने लगी थी। स्वप्निल को अपने ऊपर किसी और को कंट्रोल बिल्कुल मंजूर नहीं था। इसीलिए वो अपनी फैमिली से अलग अकेला रहता था। ऐसे मे उसके काम मे मि पटेल की दखलंदाजगी वो बिल्कुल नही सहता।

" घर पे बात करेंगे। अभी मुझे बोहोत काम है। तो चले हम ।मिस्टर हुड्डा।" मिस्टर पटेल ने स्वप्निल के बॉस को इशारा किया।

" हा जरूर। चलते है। स्वप्निल जरा कैबिन मे आना कुछ बात करनी है।" मि हुड्डा , मि पटेल और स्वप्निल तीनो मि हुड्डा के कैबिन की तरफ निकल पड़े।

" सर हमारे ऑफिशियल डिस्कशन मे किसी अन्य इंसान का सहभाग कैसे हो सकता है???" स्वप्निल ने मि पटेल की ओर इशारा करते हुए कहा।

" स्वप्निल दिमाग शांत करो थोड़ा। मि पटेल हमारे क्लायंट है, साथ ही साथ मेरे अच्छे दोस्त है। तमीज से बात करो उनके बारे मे।" मि हुड्डा ने उस से कहा।

" कोई परेशानी नहीं। मुझे ईमानदार लोग ही पसंद आते है।" मि पटेल ने मि हुड्डा को उसे डाटने से रोकते हुए कहा। " स्वप्निल। मुझे तुम्हारे काम मे कोई फेरबदल नहीं करना। नाही में तुम्हे कोई परेशानी दूंगा। में चाहता हूं मेरी नई कंपनी का काम मेरी बेटी और मेरा होने वाला जमाई संभाले। इसीलिए लक्ष्मण को तुम्हारे अंडर दिया गया है। दोनो को अच्छे से सिखाओ, उन्हे भविष्य साथ बिताना है। अभी से एक दूसरे की मदद करना सीखेंगे। तभी तो अच्छे जीवनसाथी साबित होंगे एक दूसरे के लिए।" मि पटेल की हा मे मि हुड्डा ने हा मिलाई। तभी मि हुड्डा को एक अर्जेंट कॉल उठाने कैबिन से बाहर जाना पड़ा।

" बिल्कुल सही आपके कंपनी का काम आपकी बेटी और होने वाला जमाई ही संभालेंगे। उसके लिए उस लक्ष्मण को मेरे सर भेजने की कोई जरूरत नही है आपको। ससुरजी।" स्वप्निल ने उनके इन तानो को वापस लौटाना जरूरी समझा।

" मुंह संभाल कर बात करो। एक गलत बात और में तुम्हे यहां से निकलवा भी सकता हू। बिना किसी वजह के? समझ गए ना।" मि पटेल।

" मैने क्या गलत कहा??? ओ सही। माफ कर दीजिए। होनेवाला नही। हो चुका जमाई। और रही मुझे निकालने की बात तो मुझे अपने आप पर और अपने काम पर पूरा भरोसा है। में किसी के सहारे के बिना यहां पोहचा हु, अगर यहां से गिरा तो भी अपनी जिम्मेदारी पर गिरूंगा, और फिर उठूंगा। लगा लीजिए जितना जोर लगाना हो। और क्या कहा आपने जीवनसाथी??? पहले मीरा को पूछ तो लीजिए वो उसे पसंद भी करती है या नही???" स्वप्निल ने गुस्से मे कहा।

" मीरा नादान है। खिलौनों की तरफ आकर्षित हो जाती है। आज खिलौना पसंद आया, तो दिलवाने की जिद्द करेंगी और दो दिनों बाद उसकी पसंद बदल जाती है। बुरा लगा???? तुम्हे नही पता होगा ना????? मेरी बेटी है। मेरा खून। उसकी पसंद बदल ना भी जानता हूं में।" मिस्टर पटेल ने स्वप्निल को देखते हुए कहा।

" आपकी बेटी है और आप ही उसकी जिद्द नही जानते। में उसे पहले महीने मे ही समझ गया था। किसी बात को एकबार ठान लेती है ना वो तो छोड़ती नही है। में ना जिद्द बनता जा रहा हु आपकी बेटी की। ये सब बचपना कर आप खुद उसे मेरी तरफ भेज रहे है। में इनसिक्योर लोगो मे से नही हु। अगर मेरी डोर मीरा से बंधी है। तो वो मेरे पीछे आएगी। फिर चाहे आप लोहे की सलाखे क्यो ना लगवा ले। रही बात लक्ष्मण की, तो आपने किसी ओर की जगह बिठा कर उसी का नुकसान किया है। अब ये वो जाने और आप।" स्वप्निल ने इतना कहा ही था तभी मिस्टर हुड्डा अंदर आ गए।

" सर मुझे आपके रिश्तों से कोई परेशानी नहीं है। मेरी बस यही कंप्लेंट थी, की उस लड़के की एजुकेशन अभी इस पोस्ट के लायक नही है। अगर आप उसे अभी ये पोस्ट देंगे तो बाकी लोगो के साथ नाइंसाफी होगी। में इसके खिलाफ हु। इसीलिए चाहूंगा की आप अपने फैसले के बारे मे वापस सोचे। में चलता हु।" स्वप्निल वापस अपनी कैबिन मे चला गया।

" मुझे माफ कर दीजिए। डैड ना कभी कभी ओवर करते है। में घर जाकर उनसे बात कर लूंगी।" मीरा कैबिन मे पहले ही उसका इंतजार कर रही थी स्वप्निल के अंदर आते ही उसने अपनी बात शुरू की।

" कोई परेशानी नहीं है। और कुछ बात मत करना अपने डैड से। ऑफिस मैटर है में संभाल लूंगा।" स्वप्निल ने उसे तसल्ली दी और बाहर भेज दिया तभी समीर कैबिन मे आया।

" क्या हुवा???? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है तूने कुछ गडबड कर दी ???" समीर ने स्वप्निल के चेहरे पर एक बैचैनी समझ ली थी जो मीरा को नही दिखी।

" मैने बोहोत बड़ी गड़बड़ कर दी यार ।" स्वप्निल ने उसे मीटिंग रूम हुईं सारी बाते बताई।

" में सिर्फ उसके लेवल की बात करने गया था। पर मिस्टर पटेल ने तो जैसे मेरी दुखती रग पे हाथ रख दिया। क्या उन्हे हमारी शादी के बारे मे पता चल गया होगा???" उसने समीर की तरफ देखते हुए कहा जो एक बड़ी सी मुस्कान पहने बस उसे देखे जा रहा था। " कुछ तो बोल क्या हुआ ???"

" तुझे पता है, तू कितने कमाल का है। मतलब सीरियसली। मुझे अब तक लगता था तू रोमा की वजह से किसी लड़की को नही चाह रहा। पर तुझे पसंद आई वो भी इतनी मुश्किल लड़की और उस से भी आगे अब सीधा उस के बाप से जंग। Awsome। असली मर्द की पावर।" समीर ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।

" सच मे। अभी इस वक्त भी तुझे ये सूझ रहा है? सोच अगर उन्हे शादी और उस रात के बारे मे पता चला तो कही कल के कल उस की शादी ना करवादे ??? मीरा ने सिर्फ मेरे जैसा पति चाहिए कहा तो यहां इस लक्ष्मण को बिठा दिया उन्होंने।" स्वप्निल।

" चल मिल कर सोचते है??? क्या कर सकते है??" बाद मे वो दोनो काम मे व्यस्त हो गए।

अजय मीरा से मिलने उसके डिपार्टमेंट आया। जाते वक्त मि पटेल अजय से मिलकर उसे एक काम सौप गए थे। मीरा कंप्यूटर को घुरे जा रही अजय आकार उसे बुला रहा है इस चीज का भी उसे भान नहीं था।

" हैलो। दिन मे सपने देखना शुरू कर दिया क्या??? वो कही शादी की शहनाई तो नही सुनाई दे रही। सच बता अपने पति के बारे मे सोच रही थी????" अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

" हा अपने पति के बारे मे ही सोच रही हूं।" मीरा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

" ओह... चलो अच्छा है। लक्ष्मण ठीक ही है मीरा तू उसे सुधार देना।" अजय ने कहा।

" हा उसे में संभाल लूंगी। पर इनका क्या करू????? बॉस जब से मिलकर आए है डैड से परेशान दिख रहे है?? कुछ बताते भी तो नहीं है मुझे।" मीरा उसके बारे मे सोच फिर गुमसुम हो गई।

" मीरा।" अजय ने अपनी आवाज बुलंद की।

कुछ सोचते हुए मीरा ने अजय से कहा, " मुझे तुझ से कुछ बात करनी है। आज शाम बाहर चले।"

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