मे और महाराज - ( इम्तिहान_१) 20 Veena द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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मे और महाराज - ( इम्तिहान_१) 20

समायरा अपने गहने छिपा कर अपने कमरे पोहचि जहा पहले से ही मौली उसका इंतजार कर रही थी।
मौली बैचेन हो कर यहां वहा टहल रही थी। तभी समायरा गुस्से मे उस तक गई।

" मौली......" समायरा आगे कुछ बोले तभी मुख्य बटलर के आने की घोषणा हुई। समायरा के कमरे के बाहर खड़े होकर उसने महाराज का आदेश बताना शुरू किया।

" कल आपको आठवें राजकुमार के साथ महल जाना है।" बटलर।

" मुझे कही नहीं जाना। उन्हे बता दीजिए।" समायरा।

" ऐसा मत कीजिए उनकी बात सुन लीजिए राजकुमारी।" मौली ने कहा।

" राजकुमारी कल बड़े राजकुमार अमन के जन्मदिवस की खुशी मे जश्न रखा गया है। सब वहा होंगे अगर आप नही गई। तो हमारे महाराज को बुरा लगेगा।" बटलर।

" सब .... मतलब बड़े राजकुमार अमन भी होंगे क्या????" समायरा ने पूछा। बटलर से हा मिलते ही उसने जश्न मे जाने के लिए सहमति जताई। बटलर ने ये संदेश राजकुमार सिराज तक पोहचा दिया।

" पता नही आप ऐसी बाते कर के हमे ठेस क्यो पोहचाती है आप ?????? क्या आप अभी भी उन्हे पसंद करती है ???? " सिराज ने अपनी नजरे फेरते हुए कहा।


वही दूसरी तरफ समायरा के कमरे मे,

" बोहोत अच्छे सैम। अब तुम्हारी वजह से इतने दिनो बाद मेरी राजकुमारी अपने बड़े राजकुमार से मिल पाएंगी।" मौली ने उस से कहा।

" तुम और तुम्हारी राजकुमारी दोनो झूठे हो। वो क्या मुझे मरवा कर ही मानेंगि क्या????" समायरा ने चीखते हुए कहा।

" क्या हुवा सैम??? अपनी आवाज धीरे करो।" मौली ने उसे समझाया।

" क्या धीरे करो मौली? तुम्हे पता था ना उस मुद्रा के बारे मे? तुम और तुम्हारी वो सो कॉल्ड राजकुमारी सब जानती थी। सिराज के लिए वो चीज़ कितनी जरूरी है। पर फिर भी तुमने मुझे उसे उस बड़े राजकुमार को देने के लिए कहा। अरे वो तो अच्छा है, मुझ मे दिमाग है। इसलिए मैने तुम्हारी बात टाल दी, वरना आज हम दोनो की जगह दो लाशे सजी हुई होती यहां। सब तुम्हारी राजकुमारी की वजह से।" समायरा ने चिढ़ते हुए कहा।

" लाशे होती से मतलब क्या है तुम्हारा?? सैम बताओ मुझे।" मौली ने पूछा।

" पहले तुम जवाब दो जानती थी या नही??? उस मुद्रा की अहमियत।" समायरा ने पूछा।

" हा पता थी। मुझे भी और मेरी राजकुमारी को भी। इसीलिए वो मुद्रा राजकुमार अमन को दे कर वो यहां से दूर चले जाना चाहती थी।" मौली ने कहा।

" उनकी ये दूर जाने की ख्वाइश हमे इस दुनिया से उठा देती। सिराज उस मुद्रा को ढूंढते हुए आया था मेरे पास। उसे पता चल गया था, मैने उसे बेच दिया वो। सोचो अगर राजकुमार अमन वाली बात उसे पता चल जाति तो क्या होता??? मैंने सोच लिया है, मुझे इस सदी मे नही मरना। मुझे अपने घर जाना है। इसीलिए आज से ना में तुम लोगो से बात करूंगी ना तुम मुझसे बात करोगी । समझी। " समायरा अपने बिस्तर पर जा कर सो गई। उसने न मौली को कुछ बोलने दिया ना खुद उसकी बात समझनी जरूरी समझी।

दूसरे दिन सुबह सुबह जो उठी, वो राजकुमारी शायरा थी।

" मौली मौली। कहा हो????" उन्होंने आवाज लगाई।

" जी राजकुमारी।" मौली।

" हम यहां क्या कर रहे है????? वो मुद्रा कहा है??? क्या तुमने वो मुद्रा राजकुमार अमन तक पोहचा दी???? कुछ तो बोलो, ऐसे क्यो खड़ी हो???" शायरा ने बेसब्री से पूछा।

" हमे माफ कर दीजिए राजकुमारी पर हम वो मुद्रा राजकुमार अमन तक नही पोहचा पाए। समायरा ने उसे एक सोनार के पास बेच दिया।" मौली।

" क्या तुम ने हमारी आजादी इस तरह से बाजार मे बेचने दी मौली ??? तुम हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो ???? एक तुम ही तो थी जिस पर हमे भरोसा था। लेकिन तुमने भी हमारी जगह उस नई लड़की को चूना। चली जाओ यहां से हमे तुमसे कोई बात नही करनी। जाओ यहां से हमे अकेला छोड़ दो।" शायरा ने रोते हुए कहा। उसकी वो हालत देख मौली ने चुपचाप वापस जाना ही सही समझा।

" ना उसे मुझसे बात करनी है, ना इन्हे मुझसे बात करनी है। पता नही मैने ऐसा क्या कर दिया।" मौली सोच सोच कर पागल हुए जा रही थी, की उसकी दोनो राजकुमारियो ने उसे बोलने का बिल्कुल मौका ही नही दिया।

दोपहर तक तैयार हो कर राजकुमार सिराज और राजकुमारी शायरा बड़े महल पोहचे।

राजकुमार अमन जश्न के लिए खुद मेहमानो का स्वागत कर रहे थे। जैसे ही राजकुमार सिराज और राजकुमारी शायरा वहा पोहचे,

" आप आ गई शायरा, स्वागत है आपका।" बड़े राजकुमार ने खुश होते हुए राजकुमारी का हाथ पकड़ने की कोशिश की।

तभी राजकुमार सिराज बीच मे आ गए।

" जन्मदिन मुबारक हो बड़े भाई।" सिराज ने अमन के गले लगते हुए कहा।

" शुक्रिया।" राजकुमार अमन अपनी जगह से पीछे हट गए।

" आप औरतों मे जाकर बैठ सकती है, राजकुमारी।" सिराज ने शायरा को आदेश दिया, और वो औरतों के कक्ष मे मौली के साथ चली गई। इस पूरे वाक्य के दौरान शायरा ने एक भी बार राजकुमार अमन को नजरे उठाकर देखना जरूरी नही समझा। वो झुकी हुई नजरो से आई, और उसी तरह दूसरे कक्ष मे चली गई। पुरुष भी अपने जश्न मे मग्न हो गए।
दूसरे कक्ष मे शायरा की बड़ी बहन और राजकुमार अमन की पत्नी भी मौजूद थी। उसने जैसे ही शायरा को देखा, वो अपनी जगह से उठकर उस के पास आईं।

" बेशरम, बेहया। शादी होने के बाद भी नही सुधरोगी। अभी भी मेरे पति के साथ रंगरलियां मनाने के सपने सजा रही हो। उसका ध्यान खींचने के लिए भरी महफिल मे भी कपड़े उतारने से चुकोगी नही तुम।" शायरा की बहन ने गुस्से मे आग बबूला होते हुए कहा।