कुछ चित्र मन के कैनवास से - 18 - लेक मेरी Sudha Adesh द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 18 - लेक मेरी

लेक मेरी

लेक मेरी से मियामी पास ही था किंतु इतना भी पास नहीं कि 1 दिन में जाकर लौटकर आया जा सके । हमारी प्लानिंग में थोड़ी कमी रह गई थी । हमारे पास आज का पूरा दिन था अतः हमने सोचा यह दिन आराम करने में बिताएंगे पर पिंकी ने कहा कि आज आप यहां भी घूम लीजिए । वह हमें सुबह मंदिर ले गई । दूर देश में भी भारतीयों की आस्था देख कर मन खुश था । बिल्कुल भारतीय अंदाज में ही यहां पूजा हो रही थी । हां साफ सफाई भारत के मंदिरों की अपेक्षा यहां मंदिर में अधिक थी ।

मंदिर प्रांगण में कुछ समय बिताने के पश्चात हमने पिंकी से कहा कि हमें किसी स्टोर में ले चलो । दरअसल बच्चे इसीलिए हमारे साथ आने के लिए तैयार हुए थे जब हमने उनसे कहा कि हम तुम्हें तुम्हारा मनपसंद खिलौना खरीदवाएंगे । पिंकी ने काफी मना किया पर हमारे बार-बार आग्रह पर वह हमें वॉलमार्ट ले गई । उसने बताया इस स्टोर में समान की कीमत रीजनेबल (वाजिब ) रहती है । सोम और अंशु अपना -अपना मनपसंद खिलौना पाकर बहुत खुश हुए । स्टोर हमें भी ठीक ही लगा ।

शाम को हमारे लिए शुभ्रांशु जी ने अपने घर से 20-25 मील दूर स्थित बीच ( समुंदर के तट ) पर जाने का प्रोग्राम बना लिया पर हमारे घर आने के थोड़ी देर पश्चात बरसात होने लगी । धीरे-धीरे हवा भी चलने लगी । एक तरह से तूफान आ गया पिंकी ने बताया यहां अक्सर ऐसा होता है । शाम को शुभ्रांशु जी ऑफिस से आए तो रिमझिम बरसात के साथ टी.वी . ने तेज हवा के साथ बरसात होने की संभावना व्यक्त की । मौसम के रुख को देखकर हमने स्वयं भी बीच पर जाने के लिए मना कर दिया ।अभी भी रिमझिम बरसात हो ही रही थी ऐसे में बीच पर जाना तथा उन्हें परेशान करना हमें उचित नहीं लग रहा था जबकि बच्चे बीच पर जाने के नाम पर खुश थे ।

मौसम खुशगवार होने के कारण हमारे मना करने के बावजूद पिंकी पकोड़े बनाने लगी । इसके लिए उसने घर के पिछवाड़े रखी गैस का उपयोग किया । घर के पिछवाड़े एक बड़ा सा लॉन है वही शेड के नीचे एक टेबल तथा कुछ कुर्सियां तथा एक झूला रखा हुआ है । हम वहीं बैठ गए रिमझिम मौसम में दूर देश में ठेठ भारतीय स्वाद की पकौड़ी खाने में अलग ही आनंद आ रहा था ।

4 दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला सोम और अंशु इन चार दिनों में ही हमसे बहुत ही मिल गए थे । दोनों ही बहुत ही समझदार और शांत बच्चे हैं । उनके सबके साथ हमारा बहुत ही अच्छा समय बीता । विशेषकर अंशु का भौगोलिक ज्ञान देखकर हम हैरान थे । जब उसे पता चला कि हम रांची से आए हैं तो उसने हमारे स्टेट के साथ मैप में रांची की पोजीशन भी बता दी ।

दूसरे दिन सुबह यानि 4 अगस्त को सुबह 5:00 बजे के लगभग हमें निकलना था । 7:00 बजे हमारी फ्लाइट थी शिकागो के लिए...। सुबह 3:00 बजे का अलार्म लगाकर हम सो गए । यद्यपि इतनी सुबह उनको उठाना अच्छा नहीं लग रहा था पर इसके अतिरिक्त कोई अन्य उपाय भी नहीं था । सुभ्रांशु जी ने हमें समय से एयरपोर्ट पहुंचा दिया इस बार हमें अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट से जाना था ।

सुधा आदेश
क्रमशः