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मे और महाराज - ( एक तोहफा_२) 18

सिराज सुबह सुबह बाहर चबूतरे पर बैठ कोई चित्र बना रहा था। मर्जी ना होते हुए भी समायरा को उसने जबरदस्ती अपने पास बिठाया था। तभी राजकुमारी आर्या उनके महल में आई। रिहान के काफी रोकने के बाद भी उस से बहस कर राजकुमारी सिराज तक पोहोच ही गई। आर्या को देखते ही सिराज ने समायरा को अपनी गोद मे खीच लिया। उसके पास जाकर कानो मे धीरे से कहा, " हमारे पास आपके लिए एक खास तोहफा है। जिसे आप काफी दिनो से ढूंढ रही है। अगर आपको वो चाहिए तो इन्हे यहां से भगाने मे हमारी मदद कीजिए।"

कुछ तो उस बिस्तर से जुड़ा हुवा होगा ये सोचकर समायरा ने सिराज की मदद के लिए हा कह दी।

" राजकुमार प्रणाम स्वीकार कीजिए।" आर्या।

" राजकुमारी यहां आ चुकी है, अब तो हमे जाने दीजिए।" समायरा।

" हमे फर्क नहीं पड़ता। हमारे लिए हमारी बीवी से ज्यादा जरूरी और कुछ नही है। आप क्यो हम से दूर जाना चाहती है।" समायरा।

" में कहा दूर जाना चाहती हू। पर राजकुमारी अभी उम्र मे छोटी उनके सामने ऐसी हरकते हमे शोभा नही देती।" समायरा ने शरमाते हुए अपना हर उसकी बाहों में छिपा लिया।

" तो राजकुमारी अभी यहां से चली जाएंगी। फिर हम दोनो आपके कमरे मे चलते है। कल रात वाला खेल फिर खेलेंगे।" सिराज ने एक नजर आर्या को देखना भी जरूरी नही समझा।

" मेरे महाराज। आप भी ना बड़े शरारती होते जा रहे है।" समायरा ने अपना हाथ सिराज के सीने पर रखा। "वाउ क्या मसल है इसके। मुझे हमेशा से अच्छी बॉडी वाला अमीर बॉयफ्रेंड चाहिए था। ये बिलकुल वैसा ही है।" वो बस आंखे बंद कर सिराज के सीने पर हाथ घुमाए जा रही थी।

राजकुमारी आर्या उन दोनो को इतना पास देख रोते हुए वहा से चली गई।

" अब अगर आपने हमारे पूरे सीने को नाप लिया हो तो हमारी गोद से उठेंगी ???" सिराज ने समायरा से कहा।

समायरा तुरंत उठ गई, " मेरा तोहफा।" उसने हाथ आगे किया।

राजमुद्रा समायरा के हाथ पर रख सिराज ने कहा, " ये राजमुद्रा हम आपको तोहफे मे दे रहे है।"

" क्या ये है तुम्हारा तोहफा। एक गोल्ड कॉइन।कंजूस।" समायरा।

" आप कंजूस किसे कह रही है ? अगर आप को नही चाहिए तो दे दीजिए वापस।" सिराज।


आखिर है तो एक सोने का टुकड़ा सोच कर समायरा ने उसे अपने पास रख लिया। वो जैसे ही अपने कमरे मे चली गई, सिराज ने रिहान को अपने पास बुलाया।

" हर पल अब राजकुमारी पर नजर रखना। सिपाहियों को बता दो, वो कही भी आ _ जा ना चाहे कोई उन्हे नही रोकेगा। हम भी तो देखे अब वो क्या करेंगी।" सिराज।

शाम को समायरा ने मौली के पास बोहोत सारी शराब मंगवाई और रात भर बैठ कर पी।
सुबह जो सर दर्द की शिकायत के साथ जगी वो राजकुमारी शायरा थी। उसने अपनी हालत और कपड़े देखे। उसे अपने आप से घिन आ रही थी।

" ना जाने क्या सोच हमने अपना शरीर उस पागल लड़की के हवाले कर दिया। मौली।" उन्होंने पास पास चीखते हुए कहा।

मौली दौड़ कर कमरे मे आई। " राजकुमारी।"

" कमरे की हालत देखी तुमने। हमारी हालत देखी। बताओ हमे कल रात क्या किया उसने।" शायरा ने पूछा।

" वो समायरा ने कहा। यहां जिंदगी काफी धीमी है। सब सात बजे मे सो जाते है। उसे ये पसंद नही। वो रात की रानी थी अपने जहां मे। इसीलिए उसने शराब मंगवाई और पी। कब सो गई ये नही पता। में अभी सब ठीक कर देती हु।" मौली।

" उन्होने ने मांगी, और तुमने दे दी। एक बार भी हमारे बारे मे नही सोचा। हमारा शरीर है ये। अगर कोई देख लेता तो इज्जत हमारी जाती। तुमने हमारे साथ ये होने दिया मौली, अब तुम्हारी वफादारी हमे बदलती दिखाई दे रही है। हमारी नजरो से दूर हो जाओ। हम तुम्हे आज ही वापस तुम्हारे घर भेज देंगे।" राजकुमारी शायरा।

मौली अपने घुटनो के बल बैठ रोने लगी। " मुझे माफ कर दीजिए राजकुमारी। मेरी वफादारी आपके प्रति थी, है और रहेगी। इसे साबित करने के लिए आप यही मेरा सर कलम करवा दीजिए। पर मुझे आपसे दूर मत कीजिए।"

" हमने हमेशा तुम्हे अपनी बहन की तरह देखा है मौली। अगर तुमने हमे धोका दिया तो हम सह नहीं पाएंगे। ऐसी गलती आगे ना होने पाएं। अब खड़ी हो जाओ। हमे जल्द इस लड़की का कुछ करना पड़ेगा। पहले कमरे का हुलिया ठीक करो।" शायरा के आदेश से मौली ने चद्दर जैसे ही उठाई, उसमे से राजमुद्रा नीचे गिरी। राजकुमारी शायरा ने उस मुद्रा को उठाया।

" ये राजमुद्रा यहां कैसे????"

" इसे राजकुमार सिराज ने समायरा को तोहफे मे दिया है।" मौली।

" राजकुमार समायरा पर इतना भरोसा करते है, की उसे राजमुद्रा दे दी।" शायरा ने उस मुद्रा को हर तरफ से देखा।

" राजकुमार समायरा के साथ काफी अलग तरह का बर्ताव करते है। उसकी गलतियां माफ़ करते है। उसकी जायज नाजायज हर मांग पूरी करते है। यहां तक वो उसके शारीरिक रूप से पास आने की कोशिश करते है। पर जब आप यहां होती है, तब उनका बर्ताव काफी ठंडा और भावना रहित होता है। ऐसा क्यों राजकुमारी ?" मौली ने पूछा।

" पता नही। पर अगर जो तुम कह रही हो वो सही है और ये राजमुद्रा यहां है। इसका मतलब यही है की राजकुमार सिराज उस पर भरोसा करते है। यही हमारे लिए अच्छा मौका है मौली। हम इस मुद्रा को राजकुमार अमन को दे देंगे। फिर हम यहां से जाने के लिए खुले हो जायेंगे। जाओ हमारे कपड़े ले आओ।" राजकुमारी शायरा कुछ ही देर मे बाहर जाने के लिए तैयार हो गई। वो महल से बिना किसी रुकावट बाहर तक निकल गई।

" अजीब है नही। आज हमे किसीने नही रोका। कोई हमारा पिछा भी नही कर रहा।" शायरा।

" राजकुमार ने समायरा की खुशी के लिए आदेश दिए होंगे। उसे बाहर घूमना फिरना बोहोत पसंद है ना। इसलिए।" मौली।

दोनो राजमुद्रा लेकर बाजार के बीचों बीच पोहोच गए।

" आपने सोच लिया है ना राजकुमारी ????" मौली ने पूछा।

" हा । हम इसे बड़े राजकुमार को दे देंगे और फिर उन से और सब से हमेशा के लिए दूर चले जायेंगे। जहा कोई हमे ढूंढ ना सके।" राजकुमारी शायरा रोने लगी तभी बाजार मे भीड़ होने की वजह से किसी ने उन्हें धक्का दे दिया और वो नीचे गिर पड़ी। एक पत्थर उनके सर पर लगा और उनके सर से खून बहने लगा। मौली ने उन्हें उठाने की कोशिश की पर जो उठी वो समायरा थी।

" मौली। वाउ हम बाजार आए हैं। शॉपिंग करने।" समायरा।

" वो क्या होता है ? सैम।" मौलिने पूछा उसे समझ नही आ रहा था अब वो क्या करे।

" अरे मतलब खरीद दारी। हमारे पास पैसे है क्या???" समायरा ने अपनी जेब टटोली। उसमें उसे वो मुद्रा मिली। " अरे इसे क्यों बाहर ले आई??? पैसे नही है। चलो कोई नही इसे बेच देते है। फिर पैसे मिल जायेंगे।"

" सैम । रुको। ये मुद्रा राजकुमार अमन के लिए जरूरी है। क्यों ना तुम मेरी राजकुमारी का छोटा सा काम कर दो। ये उन तक पहुंचा दो??????"

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