प्यार वाली पठरी - भाग 10 ( अंतिम भाग ) vidya,s world द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार वाली पठरी - भाग 10 ( अंतिम भाग )

पायल और ऋतुराज अपने प्यार का इजहार कर के खुश थे ।पायल भी कुछ दिन तक फिर से क्लिनिक आने लग जाती है।आज दोनों एक साथ बाहर घूमने आए थे।एक बड़ा सा तालाब था ,उसके किनारे बोहत सारे फूल खिले हुए थे।बोहत शांति और सुकून था उस जगह ।शाम के समय में तो ढलता हुआ सूरज और तालाब पे उसकी हल्की फैली हुई रोशनी बेहद ही सुंदर नजारा था।पायल ऋतुराज की बाहों में लिपटकर बैठी हुई ..उस नजारे को देख रही थी और ऋतुराज उस रोशनी में पायल के चेहरे को प्यार से निहार रहा था।अचानक पायल के मन में क्या आया क्या पता उसने अपना चेहरा ऋतुराज की ओर घूमते हुए कहा।

पायल : ऋतुराज जी,हम शादी कब करेंगे?

ऋतुराज अचानक शादी की बात उसके मुंह से सुनकर चौंक गया ,फिर उसने उल्टा उस से पूछा।

ऋतुराज : शादी ?

पायल : हा,शादी अब प्यार तो कर लिया ,शादी नहीं करोगे ?

ऋतुराज: हा..पर अचानक तुम्हे शादी की काय सूझी ?

पायल : वो मेरी पढ़ाई पुरी हो चुकी है तो कल मैंने मेरे बाबूजी को फोन पर किसी से बात करते हुए सुना।वो मेरे लिए रिश्ते कि बात कर रहे थे।

ऋतुराज चौंक कर उस से पूछता है।

ऋतुराज: ये बात तुम मुझे अब बता रही हो?

पायल : सॉरी ,वो मेरे ध्यान से निकल गया था,पर ऋतुराज जी मै आपके सिवा किसी और से शादी नहीं करूंगी।आपको आपके परिवार के साथ मेरे घर आकर मेरे बाबूजी से मेरा हाथ मांगना होगा।

उसकी बात सुनकर ऋतुराज को अपना घर और अपने घरवाले याद आ जाते है।

ऋतुराज विपिन शर्मा जी का दूसरा बेटा था ।विपिन शर्मा जी और ऋतुराज का बड़ा भाई राजीव भी डॉक्टर थे ।उनका खुद का बड़ा सा अस्पताल था।जब ऋतुराज अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करके घर लौटा तो उसके पिताजी ने ऋतुराज की शादी तय करने का सोच लिया ।उन्होंने ऋतुराज के लिए लड़की भी देख रखी थी पर ऋतुराज को जब इस बात का पता चला वो बोहत नाराज हो गया।उसे अभी शादी नहीं करनी थी ।उस ने शादी की बात को लेकर अपने पिताजी से झगड़ा किया।उनके खुद के अस्पताल में उसने काम करने से मना कर दिया और वो अपना घर और सब कुछ छोड़ चला आया।उसने अपने एक दोस्त की मदद से यहां पर एक छोटी सी क्लिनिक शुरू की और यही उसे पायल भी मिल गई ।

ऋतुराज अपने ख़यालो में खोया हुआ है ये देख पायल ने उसे फिर से आवाज दि।

पायल: ऋतुराज जी ,कहा खो गए ?आप मेरी बात सुन रहे हो ना ?

ऋतुराज पायल की बात सुनकर हड़बड़ा कर कहता है।

ऋतुराज : हा...सुन रहा हूं।

पायल : तो आप आओगे ना अपने परिवार को लेकर मेरे घर ?

ऋतुराज: पायल इस बारे में बाद में बात करते है ना ?

पायल उसे गुस्से में देखते हुए कहती है।

पायल : बाद में कब ऋतुराज जी ? जब मेरी शादी किसी ओर से हो जाएगी तब ?

ऋतुराज उसे समझाते हुए कहता है।

ऋतुराज :ऐसा क्यों केह रही हो ? ऐसा कुछ नहीं होगा ।मै देखता हूं करता हूं कुछ ।

फिर पायल भी शांत हो जाती है।

शादी की बात करने के लिए पायल के घर जाना होगा तो पहले ये बात पिताजी से करनी होगी ये सोच ऋतुराज अपने घर चला जाता है।इतने महीनों बाद ऋतुराज को देख सारे घरवाले खुशी से उछल पड़ते है ।ऋतुराज को घरवालों से पायल के बारे में बात करनी थी पर शादी नहीं करूंगा ये कहकर रूठ कर गया ऋतुराज अब शादी करने के लिए घर वापस लौट कर आया है ये सुनकर घर वाले क्या बोलेंगे ? ये सोच ऋतुराज चुप बैठ जाता है।

रात को खाने के वक्त सब साथ बैठे थे ।तब ऋतुराज के पिताजी सब से कहते है।

पिताजी : हमारा ऋतुराज अब घर लौट आया है ,तो जो वो चाहेगा वहीं होगा ।वो अभी शादी नहीं करना चाहता था तो कोई उसे मजबूर नहीं करेगा।

फिर वो ऋतुराज की तरफ देख कर कहते है।

बेटा सब तुम्हारी ही मर्जी से होगा अब ,कोई तुम्हे शादी करने के लिए नहीं कहेगा।बस तुम अब हमारे पास ही रहो,तुम्हे घर छोड़ दूसरी जगह रहने की कोई जरूरत नहीं।

उनकी बात सुनकर खाना ऋतुराज के गले में ही अटक जाता है और उसे जोर से खासी आ जाती है।उसकी मां उसे पानी पिलाते हुए कहती है।

मां : बेटा धीरे धीरे खाओ।

ऋतुराज लोटे का सारा पानी पीकर थोड़ा हिचकिचाते हुए कहता है।

ऋतुराज : पिताजी ,वो मै ...शादी के लिए तैयार हूं।

ऋतुराज की बात सुनकर सब चौंक जाते है और पूरे घर में खुशी की लेहर दौड़ पड़ती है।

पिताजी : अरे भागवान सुना तुमने ? हमारा बेटा शादी के लिए तैयार है..मै अभी हरिदास को फोन करके खुशखबरी देता हूं।मिठाई तो ले आओ।

ऋतुराज कहना चाहता था ..वो शादी के लिए तैयार है पर वो पायल से शादी करना चाहता है।लेकिन कोई उसे उसकी बात पूरी करने नहीं देता ओर सब खुशियां मनाने लग जाते है।

ऋतुराज : पर...पिताजी ..मेरी बात तो सुनिए।

ऋतुराज की मां उसके मुंह में मिठाई का टुकड़ा ठुसते हुए कहती।

मां : अब पर वर कुछ नहीं। बोहत दिनो बाद घर में खुशियां आई है।अब तो धूमधाम से तेरी शादी होगी हरिदास भाई साहब के बेटी के साथ..।

पिताजी उठकर फोन करने चले जाते है ।ऋतुराज की मां उसकी भाभी और बड़ा भाई राजीव तीनों आगे के बारे में बातचीत करने लग जाते है ।ऋतुराज की तरफ तो कोई ध्यान ही नहीं देता।वो गुस्से में अपने कमरे में चला जाता है।

दूसरे दिन सुबह को ही ऋतुराज की मां उसे आकर बताती है कि उसकी मगनी तय करने के लिए आज पंडितजी और हरिदास भाई साहब के घरवाले और उनकी लड़की भी आ रही है ।ऋतुराज ये बात सुनकर अपना सर पकड़ लेता है।वो अपने पिताजी के पास जाकर उनसे बात करने की कोशिश करता है पर वो तय्यारियो में लगे थे वो उसकी बात सुनते ही नहीं।घर का कोई भी उसकी बात सुनता नहीं ऋतुराज गुस्से से आग बबूला हुआ अपने कमरे में जाकर बैठ जाता है।वो गुस्से में अपने कमरे की बोहत सारी चीजे तोड़ देता है।

जब मेहमान आते है तब ऋतुराज की भाभी उसे बुलाने उसके कमरे में आती है तो वो उन्हे बतात है कि उसे ये शादी मंजूर नहीं।उसकी भाभी उस से कहती है।

भाभी : अरे रात को तो आपने ही कहा था आप शादी के लिए तैयार हूं।

ऋतुराज : है तैयार तो हू लेकिन पिताजी कह रहे है उस से नहीं।

भाभी : ऋतुराज भाई आप ये बात पिताजी को हि बताइए।मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ।

ऋतुराज की भाभी जैसे ही कमरे से बाहर निकलती है ऋतुराज भी उनके पीछे पीछे बाहर आ जाता है और जहा पिताजी बैठे थे वहा जाकर गुस्से में उनसे कहता है।

ऋतुराज : पिताजी ,मै हरिदास अंकल की बेटी से शादी नहीं करना चाहता।कल से आपको समझाने की कोशिश कर रहा हूं पर कोई मेरी बात सुनता ही नहीं।मै शादी करना चाहता हूं पर सिर्फ पायल से इन लोगो को अभी के अभी यहां से जाने के लिए केह दीजिए।

ऋतुराज मेहमानों को तरफ देखता भी नहीं।पिताजी उठकर खड़े होते है और कहते है।

पिताजी : पायल से शादी करनी है तो पायल से ही करो ।मना किसने किया है ।पर ये लोग यहां से चले गए तो तुम पायल से शादी कैसे करोगे ?

ऋतुराज उनकी बात सुनकर चकरा जाता है और मूड कर मेहमानों की तरफ देखता है तो वो पायल का ही परिवार था और उनके साथ पायल भी थी ।पायल सर झुकाए उसे देख कर मुस्करा रही थी।

ऋतुराज चौंक कर उस से कहता है।

ऋतुराज : पायल ...तुम यहां ?

ऋतुराज की बात सुनकर सब जोर जोर से हंसने लगते है और उसके पिताजी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते है।

पिताजी : पायल ही तो है मेरे दोस्त हरिदास की बेटी।क्यू बरखुर दार ..जिसे हमने तुम्हारे लिए पसंद किया था आखिर तुम्हे भी वहीं पसंद आयि ना ?

ऋतुराज सब की तरफ चौंक कर घुर घुर कर देखने लगता है ।

ऋतुराज : मतलब ?

पिताजी : मतलब ये कि हमने तो पायल की तुम्हारे लिए पसंद किया था पर तुमने तो उसे बिना देखे ही रिजेक्ट कर दिया।लेकिन पायल बेटी को तुम पसंद आ चुके थे इसलिए हमारे साथ मिलकर उसने ये नाटक किया।तुम भी पायल को देखो पसंद करो..इसलिए हमे ये प्यार वाली पठरी तैयार करनी पड़ी।

अब ऋतुराज सब कुछ समझ जाता है और मुस्कुराने लगता है ।

हरिदास भाई : अब आगे की बाते करे या हम लौट जाए ?

उनकी बात सुनकर सब हसने लग जाते है ।ऋतुराज शरमा कर अपना हुलिया ठीक करने कमरे में चला जाता है।गुस्से में वो तैयार भी नहीं हुआ था।कुछ देर बाद पायल भी उसके कमरे में आ जाती है ।

पायल :ऋतुराज जी ,आप मुझसे नाराज़ तो नहीं ना ? मतलब मै आपको पहले से जानती थी और मैंने आपसे झुट भी बोला ?पर सिर्फ आपकी तस्वीर देखकर ही मै आपसे प्यार करने लगी थी ।मेरे घरवालों को भी आप पसंद थे और मै आप को खोना नहीं चाहती थी । बस इसी लिए मैंने आपसे झुट बोला।मुझे माफ़ कर दीजिए।अगर आपको मेरी इस बात को गुस्सा आया हो तो अभी केह दीजिए।मै ...मै ..पिताजी से कह कर ये शादी रुकवा दूंगी ।

पायल अपना सर झुकाए उस से पूछती है ।ऋतुराज उसके पास आकर अपनी हाथो से उसका चेहरा ऊपर करता है और उस से कहता है।

ऋतुराज : बड़ी आई शादी रुकवा ने वाली,कितना डर गया था मै तुम्हे खोने के डर से और तुम शादी रुकवाना चाहती हो ?

पायल उसकी बात सुनकर खुश होकर पूछती है ।

पायल : मतलब आप मुझसे नाराज़ नहीं हो ?

ऋतुराज : नहीं...बल्कि... मै बेहद खुश हूं कि तुम ने मेरे लिए ये सब किया ।मेरी जिंदगी को प्यार की पठरी पर ले आई ।

उसकी बात सुनकर पायल खुशी से उस से लिपट जाती है ।ऋतुराज भी उसे अपने गले लगाते हुए उसके माथे को अपने होटों से चूमता है।

समाप्त

( हैलो डियर फ्रेंडस प्यार वाली पठरी ये मेरी पहली हिंदी कहानी थी ।ये बस एक छोटी सी हल्की फुल्की लव स्टोरी थी।आप सबने इसे थोड़ा बोहत प्यार दिया उसके लिए मै आप सबकी शुक्र गुजार हू ..)