प्यार वाली पठरी ... - भाग १ vidya,s world द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार वाली पठरी ... - भाग १

पांच माले कि सुंदर सी इमारत के दूसरी मंजिल पर डॉक्टर ऋतुराज ने अपनी नई क्लिनिक शुरू की थी । उन्हें यहा का इलाका बड़ा पसंद आया था और यहां उनकी क्लिनिक भी जोरो शोरो से चल रही थी । उन्हें एक असिस्टेंट की जरूरत थी ।उनके पहचान के मिश्रा अंकल ने उनके लिए एक असिस्टेंट लाने का वादा किया था जब की वो अभी तक अपने वादे पे खरे नहीं उतरे थे।ऋतुराज ने और दो दिन इतंजार करने का फैसला किया यदि इन दो दिनों में भी मिश्रा अंकल नहीं आए तो अखबार में ईश्तिहार देने की उसने सोच ली थी ।

दोपहर के वक्त ऋतुराज अपनी क्लिनिक में बैठा ही था कि मिश्रा अंकल क्लिनिक आ पोहचे ।

मिश्रा अंकल : नमस्ते ऋतुराज बेटा ।

ऋत्रुराज ने आवाज कि दिशा में देखा तो उसे मिश्रा अंकल दिखाई दिये।

ऋतुराज : अरे अंकल आप ? आयिए ...एक काम क्या दिया आपको आप तो गायब ही हो गए अब तो मै थक गया था आपकी राह देख कर सोचा था ..खुद ही ढूंढ लू एक असिस्टेंट ।

मिश्रा अंकल : अरे हा बेटा जरा देर तो लगी पर मैंने तुम्हारा काम कर दिया है।

ऋतुराज : सच्ची अंकल ?

मिश्रा अंकल: अरे हा बेटा..मै उसे अपने साथ ही लेकर आया हू।अरे पायल बेटा आगे आओ डॉक्टर साहब को नमस्ते तो बोल दो ।

मिश्रा अंकल ने अपने पीछे छिपे लड़की से कहा और वो भी उनकी पीछे से सामने आके खड़ी हो गई।उसने ऋतुराज की तरह देखा और कुछ पल के लिए देखती ही रेह गई।

ऋतुराज भी अधीरता से अंकल के पीछे से आने वाले शक्स को देखने की कोशिश कर रहा था कि सामने पायल आके खड़ी ही हो चुकी थी।उसने पीले रंग का कुर्ता और काले रंग की लेगीज पेहनी हुई थी उस लिबाज में उसका गोरा रंग और भी ज्यादा खिल उठा था ।वो बड़ी ही गोरी चिट्ठी थी ,उसके बाल कंधे के थोड़े नीचे तक थे जो एक छोटिसी क्लिप में आधे बंधे हुए और आधे खुले छोड़े हुए थे । उसकी आंखे काली और ओठ हलके गुलाबी थे ।एक हात में उसने घड़ी पहनी थी और दूसरी में बीच बीच में लटकते घुघरू से भरा एक ब्रिसलेट था ,जब भी वो थोड़ी हलचल करती ,उसके हां थो के घुघरू ओ की बड़ी ही मदमस्त छुम छू म आवाज आ रही थी।पीठ पे उसकी बैग थी मानो जैसे वो कोई कॉलेज की छात्रा हो।ऋतुराज मानो सुध बुध खोए बस उसे ही देखे जा रहा था उसे तो क्लिनिक में खड़े मिश्रा अंकल का भी ध्यान ना रहा था।पायल ने भी क्लिनिक में आने से पहले सोचा था कि डॉक्टर साहब मतलब कोई अधेड़ उम्र का इन्सान होगा ,कोई बुड्ढा सफेद बालों वाला पर ऋतुराज को देख पायल की भी आंखे भी चमक उठी थी। वो था ही उतना हैंडसम ,बिल्कुल किसी फिल्म का हीरो हो वैसा नजर आ रहा था ,गोरा ,एकदम हट्टा कट्टा ,लंबा और हवा के संग गोते खाते हुए उसके बाल उफ्फ एक पल के लिए तो पायल सोचने लगी अगर डॉक्टर साहब इतने हैंडसम है तो मरीज तो बस उन्हें देख के ही ठीक होते होंगे उन्हें तो इलाज कराने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।कुछ पल के लिए पायल मन ही मन ये सोच कर मुस्कुराई लेकिन फिर फटाक से उस ने खुद को संभाल लिए और बोल पड़ी।

पायल : नमस्ते डॉक्टर साहब ।

इतनी देर से ऋतुराज जी जो खयालों में खोए हुए थे पायल की आवाज सुनकर अपनी जगह पर आ पोह चे।

ऋतुराज : नमस्ते।

मिश्रा अंकल : अरे बेटा अब क्या दरवाजे में ही खड़ा रखोगे? अंदर आके बैठने के लिए ना कहोगे ?

उनकी बात सुनकर अब ऋतुराज को याद आया कि उसने उनको बैठने के लिए कहा ही नहीं।

ऋतुराज : सॉरी अंकल ..बैठिए ।

मिश्रा अंकल और पायल आकर ऋतुराज के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गए ।

मिश्रा अंकल : ऋतुराज बेटा ये पायल है ,मेरे जान पहचान की है ,अभी कॉलेज में पढ़ रही है पर वो पढ़ाई के साथ साथ काम भी करना चाहती थी इस लिए जॉब ढूंढ रही है , बोहत ही प्यारी और हुन हार है पायल ।

ऋतुराज : पर अंकल अगर ये पढ़ रही है तो काम कैसे कर पाएगी ? मतलब उनका कॉलेज का वक़्त ?

मिश्रा अंकल : उसका कॉलेज सुबह का होता है ग्यारह बजे तक छूट जाता है तो ये बारा बजे तक यहां आके अपना काम कर सकती है पर अगर तुम एडजस्ट करने को राजी हो और तुम्हे कोई शिकायत ना हो तो ।

वैसे तो ऋतुराज को एक तजुर्बे वाले असिस्टेंट की जरूरत थी पर पायल को देखने के बाद उसे ना केहने की हिम्मत वो खुद भी जुटा नहीं पा रहा था उसका दिल पहली है मुलागात में पायल का मरीज हो गया था अगर उसने हा कहा तो पायल को वो रोज अपने सामने देख पाएगा ये सोच ही उसका दिल खुशी से अंदर ही अंदर फुदक रहा था ।

ऋतुराज : ठीक है अंकल अगर पायल जी को कोई तकलीफ़ ना होगी और वो अपनी पढ़ाई संभाल कर काम कर सकती होगी तो मुझे कोई ऐतराज नहीं उन्हें असिस्टेंट रखने में ।

पायल और मिश्रा अंकल दोनों भी ऋतुराज की बात सुनकर खुश हो गए ।

ऋतुराज : तो पायल आप कब से काम पे आयेगी ?

पायल : जी डॉक्टर साहब कल से ही आ जाएगी ।

ऋतुराज : ठीक है मै कल आपको आपका काम समझा दूंगा ।

पायल : बोहत बोहत शुक्रिया डॉक्टर साहब ।

ऋतुराज : अरे इसमें शुक्रिया की क्या बात अब मिश्रा अंकल ने आपका सुझाव दिया है तो मै इतना तो कर ही सकता हू ।

मिश्रा अंकल : हा बेटा तुम्हारी यही बात तो मुझे बोहत भाती है तुम दूसरों की भावनाओ को कदर करते हो ।

ऋतुराज : बस बस अंकल अब और कितनी तारीफ करेंगे ? अंकल मै चाय मंगवाता हूं आप दोनों के लिए .

मिश्रा अंकल : नहीं बेटा चाय फिर कभी फुरसत में पी लेंगे अब हमे चलना चाहिए ।वैसे भी पायल को भी देर हो रही है ।

पायल : हा अंकल ,हमे अब चलना चाहिए ।

पायल जा रही है सोच कर ऋतुराज का दिल खट्टू सा हो गया पर अब वो कुछ कर तो नहीं सकता था उनसे भी उन दोनों को जाने की अनुमति दे दी ।पायल आंखो से ओझल नहीं हो जाती तब तक वो उसे देख रहा था पायल ने भी एक बार पीछे मूड कर ऋतुराज की ओर देखा और एक हल्किसी स्माईल की बस सिर्फ इतने से ही ऋतुराज का दिल मानो सीने से बाहर आके नाचने लगेगा ऐसा उसे लगने लगा ।पायल की मुस्कान उसका दिल भी अपने साथ ले गई ।

क्रमशः