प्यार वाली पठरी... - भाग 2 vidya,s world द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार वाली पठरी... - भाग 2

डॉक्टर साहब तो पायल को फिर से देखने के लिए बेताब हुए जा रहे थे ।कब सुबह होगी कब बारह बजेंगे और पायल आएगी इन्हीं खयालों में खोए हुए थे।अगले दिन सुबह डॉक्टर ऋतुराज ने अपनी क्लिनिक में जा कर अपना काम शुरू कर दिया।पर उनकी नजर बार बार घड़ी की तरह ही जा रही थी ।अभी दस ही बजे थे और पायल को आने में अभी तो दो घंटे बाकी थे ।ऋतुराज अपना काम करने लगा तभी उसे क्लिनिक में घुंघरू की छम छम सुनाई दी ।ऋतुराज की नजर दरवाजे पर पड़ी तो वहां पायल आके खड़ी हो चुकी थी।आज उसने गुलाबी रंग का कुर्ता पहना था जिसमें वह बिल्कुल गुलाबी परी लग रही थी फर्क सिर्फ इतना था कि उसे दो पंख नहीं थे ।ऋतुराज का दिल पायल को देख गुनगुनाने लगा था...

गुलाबी आंखे जो तेरी देखी...
शराबी ये दिल हो गया..
संभालो मुझको ओ मेरे यारो..
संभालना मुश्किल हो गया...

ऋतुराज बस पायल को देखे ही जा रहा था ये देख पायल थोड़ी शरमा गई और उसने ऋतुराज को आवाज दी।

पायल : डॉक्टर साहब..

ऋतुराज उसकी आवाज सुन होश में आया और अपनी नजर ईधर उधर दौड़ने लगा।फिर उसने घड़ी की तरफ देख के पायल से पूछा।

ऋतुराज : आज आप इतनी जल्दी कॉलेज नहीं था क्या ?

पायल : कॉलेज तो था पर मैंने सोचा कि आज काम का पहला दिन है तो आज कॉलेज की छुट्टी कर काम समझ लू ।

यह सुनकर ऋतुराज खुश तो बो हत हुआ पर उसने वैसा जताया नहीं ।

ऋतुराज : आज तो ठीक है पर आपको काम के लिए कॉलेज को छुट्टी लेने की जरूरत नहीं पढ़ाई भी जरूरी है।

पायल : हा ठीक है डॉक्टर साहब आगे से ना होगा ऐसा।

फिर ऋतुराज ने पायल को उसका काम समझा दिया और वो अपनी कुर्सी पे आके बैठ गया पायल का वहा उसे बड़ा ही सुकून पोहाचा रहा था।यू तो वो खुद ही इतना स्मार्ट था कि कोई भी उसे झट से पंसद कर लेता था पर पायल की सादगी के उसका दिल आ गया था।कुछ देर बाद क्लिनिक में मरीज आना शुरू हो गए।दोपहर के वक्त क्लिनिक में खाने की छुट्टी हुई तो ऋतुराज ने पायल को खाना खाने के लिए कहा वह अपना डिब्बा साथ लेके आया थी पर ऋतुराज तो हमेशा खाना खाने अपनी रूम में जाता था क्युकी उसका रूम क्लिनिक में थोड़ी ही दूरी पर था।उसका मन पायल को अकेला छोड़ के जाने का ना था फिर भी अब वो क्या करता। वो अपनी रूम पे जाकर खाना खाकर जल्दी से वापस आ गया।

पायल : अरे डॉक्टर साहब इतनी जल्दी आप वापस भी आ गए।

ऋतुराज : हा वो आप यहां अकेली थी ना। और प्लीज आप मुझे डॉक्टर साहब ना बोलिए ।

पायल : ठीक है पर आप भी मुझे पायल जी ना कहा कीजिए आप मुझे सिर्फ पायल बुला सकते है और अकेली थी तो क्या हुआ मै किसी से डरती नहीं हूं।
पायल ने इ त रा कर जवाब दिया।

ऋतुराज : ठीक है पायल ।
ऋतुराज मुस्कुरा कर बोला । थोड़ी देर बाद ऋतुराज के पेहचान के पुराने मरीज शेख साहब आए ।

शेख साहब को देख पायल ने उनका नाम पूछा।

पायल : जी आपका नाम बताई ये।

शेख साहब : अरे बेटी हम तो डॉक्टर साहब के पुराने मरीज है।वो हमे जानते है।

पायल : हा अंकल पर मै यहां नई आयी हूं ना तो मुझे पता नहीं।

तभी ऋतुराज ने शेख साहब को देखा और बोल पड़े।

ऋतुराज : अरे पायल उन्हें अंदर भेज दो मै जानता हूं उन्हें ।

पायल ने उन्हें अंदर भेज दिया।

ऋतुराज : अरे शेख साहब सब खैरियत तो है ना ?

शेख साहब: कहा डॉक्टर साहब अब तो बुढ़ापा ऐसे ही दवाई खा खा कर और अस्पताल के चक्कर काट काट कर ही गुजर जाएगा लगता है।ये ब्लड प्रेशर तो फिर से बढ़ ही रहा है।

ऋतुराज : अरे शेख साहब कितनी बार तो कहा है की अपनी खान पान का थोड़ा ध्यान रखा कीजिए ।पर आप सुनते कहा हो ? चलिए यहां मेज पर लेट जाइए मै चेक करता हूं।

ऋतुराज उन्हें चेक करते हुए कहता है।

ऋतुराज : वाकई ब्लड प्रेशर तो बढ़ गया है।मै एक नई दवाई लिख देता हूं उसे खाने से पहले रोजाना लिया कीजिए असर पड़ेगा और हा अपने गुस्से पे भी थोड़ा कंट्रोल रखा कीजिए शेख साहब ।ऋतुराज हस्ते हुए बोला।

शेख साहब भी हा में सर हिलाते है और फिज देकर जाने लगते है ।तभी वो पायल की तरफ देख ऋतुराज को केहते है।

शेख साहब: लगता है आपने नई असिस्टेंट रख ली है।

ऋतुराज : हा शेख साहब क्लिनिक बढ़िया चल रही है और मुझे अकेले को थोड़ा मुश्किल हो जाता है ना इस लिए ।

शेख साहब : हा वो तो है वैसे आपकी असिस्टेंट बड़ी प्यारी है।

ऋतुराज उनकी बात सुनकर मुस्कुरा कर केह देता है...हा वो तो है।

फिर उस याद आता है वो क्या बोल गया शेख साहब भी मुस्कुरा रहे होते है।

ऋतुराज : क्या शेख साहब आप भी ... और मैंने कहीं बाते याद रखिए और दवाई वक़्त पर लेते रहिए गा।

शेख साहब जाने के बाद और भी कई मरीज आते है और चले जाते है और शाम का वक़्त हो जाता है ।
पायल भी घर के लिए जाने के लिए निकलती है।

ऋतुराज : पायल आप अकेली चली जाओगी ना ?

पायल : हा डॉक्टर मै चली जाऊं गीं..।

पायल की बात सुनकर भी ऋतुराज रुक जाता है और उसके साथ बस स्थानक तक चला जाता है और जब वो बस में बैठ चली जाती है तब वो भी अपनी रूम की तरफ निकल जाता है।पायल को ऋतुराज की ये बात भा जाती है कि उसने उसे अकेला नहीं छोड़ा।

चार दिन यूहीं गुजर जाते है पायल भी कॉलेज के बाद क्लिनिक आया करती ।ऋतुराज खुश था ।वो अपनी कुर्सी पे बैठ कर ही बीच बीच में पायल को देखा करता वो जिस तरह से मरीजों से बात करती ,मुस्कुराती उनका खयाल रखती ऋतुराज को उसकी ये बाते पसंद आने लगी थी ।
पर चार दिन बाद अचानक पायल क्लिनिक आना बंद कर देती है।ऋतुराज रोज उसकी राह देखता ।उसकी खाली मेज को देख उसका मन उदास हो जाता था।क्या हुआ पायल क्यों नहीं आती ? क्या वो मुझसे खफा होगी ? पर मैंने तो उसे कुछ भी नहीं कहा ? पायल कहा चली गई आप ? आपकी आदत लग गई है अब मुझे प्लीज जल्दी लौट आओ।ऋतुराज मन ही मन सोचता रहता है ।

क्रमशः