अनचाहा रिश्ता - ( नया मिशन) 18 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता - ( नया मिशन) 18

आखिरकार एक लंबा दिन या यू कहे लंबी सी शाम खत्म हुई । अब एक शाम मे इस से ज्यादा हादसे तो नही हो सकते। नहीं हो सकते ना ????

पार्टी की तैयारियों मे दो दिन हवा की तरह उड़ गए। पार्टी की शाम। मुंबई का आलीशान होटल। मि. पटेल सबको वेलकम कर रहे थे।

अजय : क्या बात है ? इतनी अच्छी ड्रेस पर सड़ी सी शक्ल क्यो बनाई है ?

" अकेले क्या कर रहे हो ? आरती कहा है ?" मीरा को उस के सवाल का जवाब देना जरूरी नही लगा।

" बात क्यो बदल रही है ? पहले मुझे जवाब दे। " अजय।

" तू खुद फोन कर के उसे बुलायेगा या में यहां लड़की यो के आसपास घूमने वाली तेरी तस्वीरे उसे मैसेज करु। आपकी पसंद। " मीरा।
अजय ने उसका हाथ पकड़ा और मरोड़ दिया।
" ये क्या मज़ाक चल रहा है ? अजय उसे पता नही पर तुम तो जानते हो ना आज ये पार्टी क्यो है। फिर भी बेटा।" मि पटेल के आते ही अजय ने मीरा को छोड़ दिया।

" सॉरी अंकल। कब से पूछ रहा हु , शक्ल इतनी उतरी हुई क्यो है ? बता नही रही।" अजय ने फिर मीरा के सर मे मारा।

" आ.......। डैड कहिए ना इसे ?
डैड अब तो बता दीजिए। क्यो है ये पार्टी? अजय बाहर वाला हो कर उसे पता है। तो मुझे क्यो नही ?" मीरा

" ये तुम्हारे लिए बोहोत...." मि पटेल आगे कुछ कहे उस से पहले मीरा की नजर जिसे ढूंढ रही थी वो इंसान दरवाज़े पर दस्तक दे चुका था। उसने आगे अपने पिता की बात को सुनना जरूरी नही समझा और दरवाजे की तरफ भागी।

" पता है अजय। वैसे तो मुझे इस आदमी से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जिस तरह मीरा इसके आगे पीछे जाति है, मुझे उसपर गुस्सा आता है।" मि पटेल ने कहा।

" में भी इसे कुछ पसंद नही करता अंकल। इसके आस पास आते ही मीरा का पूरा ध्यान उस पर होता है। आपने उसे ऐसे मुस्कुराते हुए कभी देखा है? पता नही इसने उसे ऐसा क्या कहा जो इतनी खुश है।" अजय

वही दरवाज़े पर, " आप ने कितनी देर कर दी, में कब से इंतेजार कर रही थी। हैलो समीर सर।"

" क्या बात है मीरा। काफी खूबसूरत दिख रही हो।" समीर की बात सुन मीरा सिर्फ हसीं " अब क्या ख्याल है आप का इस ड्रेस के बारे मे ?"

" सही है। तुम्हारी नजर काफी पारखी है। अच्छी ड्रेस है।" स्वप्निल।

" ये क्या कॉमेंट हुवा। तारीफ मे भला कौन कंजूसी करता है?" समीर।

मीरा स्वप्निल की तरफ आगे बढ़ी फिर उसके कान मे उसने कहा, " ड्रेस नही उसे पहनने वाली ज्यादा खूबसूरत है। क्या आप ये कहना चाहते थे ?"

स्वप्निल ने एक सांस छोड़ी और मीरा के कानो मे कहा, " बोहोत अच्छे। अब तुम्हारी ट्रैनिंग पूरी हुई। तुम मेरे दिल की बात तक समझने लगी हो।" उसकी बाते सुन मीरा के गालों पर लाली चढ़ गई। तभी मि पटेल और अजय वहा पोहोच गए।

" वेलकम। वेलकम। मि पाटिल। हैलो।" उन्होंने दोनो को वेलकम किया अजय ने भी ऑफिशियली समीर की पहचान मि पटेल से कराई। " में दोनो को जानता हू अजय। अंदमान के वक्त मीरा ने मिलवाया था हमे।" मीरा अपने पिता का हाथ पकड़े वहीं खड़ी थी। तभी वहा कुछ और मेहमानो का आगमन हुआ। मि पटेल ने मीरा को खींचा और अपने साथ ले गए।

" मीरा इस से मिलो अपने कांतिभाई का बेटा लक्ष्मण। अमेरिका में पढ़ा है। काफी संस्कारी है।आज इन्ही के लिए वेलकम पार्टी है" मि पटेल।

मीरा ने लक्ष्मण की तरफ हाथ आगे बढाया। लक्ष्मण ने दोनो हाथ जोड़े और नमस्कार किया। मीरा ने अपना हाथ पीछे कर मि पटेल की तरह नजरे घुमाई।

" वा। वा। कहा ना मैने काफी संस्कारी है।" मि पटेल की बाते सुनते ही मीरा ने एक गुस्से भरी मुस्कान दिखाई।

" सो लक्ष्मण क्या काम करते हो तुम ?" मीरा ने पूछा।

" जी मै अभी MBA के आखरी साल की पढ़ाई कर रहा हू।" लक्ष्मण।

" ये तुम हमेशा ऐसे ही बात करते हो। सीरियस वे मे।" अजय।

" सुना नहीं तुमने वो संस्कारी है। वो लोग ऐसे ही बात करते है।" मीरा और अजय ने हसते हुए एक दूसरे को ताली दी। " अब आप लोग आराम से बाते कीजिए में मेरे मेहमानों के पास जा रही हु।"

मि पटेल ने मीरा का हाथ पकड़ा और फिर उसे लक्ष्मण के पास ले आए। " आज ये हमारे खास मेहमान है। तुम और अजय दोनो लक्ष्मण के साथ रहो। अपने सारे दोस्तो से उसकी पहचान कराओ। कांतीभाई हम चलते है। बच्चो को मज़ा करने दो।"

मीरा अपने डैड के पास गई और धीमी आवाज मे कहा, " डैड क्यो मुझे इस आइटम से बांध रहे हो। इतनी अच्छी पार्टी है। एंजॉय करने दो ना। अजय उसे मिला देगा सबसे।"

" बिल्कुल नही। खास मेहमान है, अच्छे से खातिरदारी करो। इसे सबसे मिलाने के तुम्हे 5 लाख दूंगा। सोचो।" मि पटेल।

" आप अपनी बेटी का ईमान 5 लाख मे खरीद रहे है।" मीरा।

मि पटेल ने उसे देखा, " 10 लाख आखरी अमाउंट है। चाहिए तो लो वरना 1 रुपया नही दूंगा।"

" लक्ष्मण चलो सबसे मिलवाती हू तुम्हे। 10 लाख का चेक।" मीरा।

" आधे घंटे मे तुम्हारे अकाउंट मे होंगे।" मि पटेल।

" चलो मेरी लॉटरी। चलते है।" मीरा ने अजय और लक्ष्मण का हाथ पकड़ा और उन्हे खींचते हुए ले गई।


" बॉस इनसे मिलिए ये लक्ष्मण है। मेरे डैड के दोस्त का बेटा।"

जैसे ही स्वप्निल ने उससे मिलाने के लिए हाथ आगे किया लक्ष्मण ने फिर हाथ जोडे प्रणाम किया। स्वप्निल ने मीरा को देखा, " वो क्या है ना ये भले ही अमेरिका से हो। लेकिन बोहोत संस्कारी है।"

" मीराजी। आप भी।" लक्ष्मण।

" मीराजी क्या होता है ? मीरा दीदी कहो। तुमसे बड़ी हू में।" मीरा ने उसे आंखे दिखाई।

" पर पिताजी ने कहा था, हमारी उम्र एक समान है।" लक्ष्मण।

" कैसे हो सकता है लक्ष्मण। में ऑफिस जाति हू। काम करती हु। तुम देखो। अभी भी आखरी साल मे हो।" मीरा।

" हा ये भी सही है।" लक्ष्मण।

" इसलिए कहती हू, दीदी कहो। और इन्हे भैय्या बुलाना।" मीरा ने स्वप्निल की और इशारा कर के कहा।

स्वप्निल और समीर इनकी बाते सुन मुश्किल से हसी रोक वहा खड़े थे।

" तुम्हे दीदी ठीक है ? उन्हे भैया क्यो ? वो बड़े है हमसे सर बुलाना सही है।" अजय

" बिल्कुल नही। सर अंग्रजोका शब्द है। हम में भैय्या ही कहते है। सही कहा ना मैने लक्ष्मण।" मिरा।

" हा हा बिल्कुल सही दीदी। जय हिंद। जय जवान जय किसान।" लक्ष्मण ने जोर जोर से घोषणाएं लगाना शुरू कर दिया।

" चलो अब पूरी पार्टी का कोई मतलब बचा नही। वेलडन मीरा।" अजय ने मीरा को देख कहा जो कब से हसे जा रही थी।

मीरा ने स्वप्निल की तरफ देखा, " मिशन पूरा हुवा।"