Bhola's Bholagiri - 4 (20 wonderful stories of Bhola for children) books and stories free download online pdf in Hindi

भोला की भोलागिरी - 4 (बच्चों के लिए भोला के 20 अजब-गजब किस्से)

भोला की भोलागिरी

(बच्चों के लिए भोला के 20 अजब-गजब किस्से)


कौन है भोला ?

भीड़ में भी तुम भोला को पहचान लोगे.

उसके उलझे बाल,लहराती चाल,ढीली-ढाली टी-शर्ट, और मुस्कराता चेहरा देखकर.

भोला को गुस्सा कभी नहीं आता है और वह सबके काम आता है.

भोला तुम्हें कहीं मजमा देखते हुए,कुत्ते-बिल्लियों को दूध पिलाते हुए नजर आ जाएगा.

और कभी-कभी ऐसे काम कर जाएगा कि फौरन मुंह से निकल जाएगा-कितने बुद्धू हो तुम!

और जब भोला से दोस्ती हो जाएगी,तो उसकी मासूमियत तुम्हारा दिल जीत लेगी.

तब तुम कहोगे,‘ भोला बुद्धू नहीं है, भोला भला है.’

... और भोला की भोलागिरी की तारीफ भी करोगे.

कहानी- 7

भोला को मिला अकलमंदी का पहला पाठ

भोला को लग रहा था कि उसका दिमाग धीरे-धीरे तेज हो रहा है. तभी तो हफ्ते भर में किसी ने एक बार भी उसे बुद्धू राम नहीं कहा था.

इसी सोच के साथ कचहरी में वह एक कमरे के बाहर जाकर रूक गया. नेमप्लेट देखकर.

लिखा था-ज्ञानदेव बुद्धिराजा.

वाह! ज्ञान के देवता और बुद्धि के राजा!

भोला के मन में जिज्ञासा जागी. ऐसा बंदा कैसे दिखता होगा. जरूर कुछ अलग होगा. और उसने दरवाजा खोलकर अंदर झांका. अंदर से आवाज आयी, ‘‘ आ जाओ!’’

वह कमरे में चला गया. मगर वहां तो साधारण किस्म का एक आदमी एक बड़ी सी टेबिल के उस पार सिंहासन जैसी कुर्सी पर बैठा था.

भोला को देखकर उसने पूछा, ‘‘कहो, क्या काम है?’’

अब भोला काम क्या बताता, बस किसी तरह हिम्मत बटोर कर बोला, ‘‘ मेरा नाम भोला है! लोग मुझे बुद्धूराम और अकलबंद कहते हैं, लेकिन मैं अकलमंद बनना चाहता हूं. आप तो ज्ञान के देवता और बुद्धि के राजा हैं, मुझे थोड़ी सी अक्ल दे सकते हैं?’’

यह सुनकर वह आदमी हंस दिया और बोला, ‘‘ बैठो भोलाराम! कुछ अकलमंद ऐसे होते हैं, जिनसे लाख गुना अच्छे होते हैं बुद्धू लोग.

- एक ऐसे ही अकलमंद का मामला मेरे पास है. सुनो उनका किस्सा.

- उन्होंने सरकार से लोन लिया, तालाब खुदवाने के लिए

- कुछ दिनों बाद दूसरा लोन लिया, उस तालाब में मछलियां पालने के लिए.

- फिर तीसरा लोन लिया उस तालाब में बीमारी से मरी मछलियों को निकाल कर उस तालाब को भरने के लिए.

- और जब मैंने मामले की जांच की तो पाया कि तालाब वाली जगह पर तो स्कूल है.वहां तो तालाब बन ही नहीं सकता था.सब कुछ सरकारी फाइल में हुआ. ना तालाब खुदा.ना मछली पाली गई. ना मछली मरी.ना तालाब को पाटा गया.

- कुछ बेईमान लोगों ने मिलकर सरकार को बेवकूफ बनाया. बोलो तुम क्या ऐसा अक्लमंद बनना चाहोगे, जो दूसरों को धोखा दे.’’

भोला को आज एक बात समझ में आ गई थी कि उसे कैसा अकलमंद नहीं बनना है.

कहानी- 8

भोला को अक्कल दाढ़ नहीं आयी

दो दिन से भोला दांत दर्द से परेशान था.

जब लौंग, फिटकरी और दूसरे देसी इलाज भी फेल हो गए. तब दादी ने कहा, ‘‘ लगता है भोला को अक्कल दाढ़ आ रही है.’’

भोला ने पूछा, ‘‘ दादी, वे अक्कल दाढ़ क्या होती है? क्या इसके आने के बाद ही इन्सान को अकल आती है?’’

दादी अपनी मुंडी हिलाकर बोली, ‘‘ पता नहीं! तुम्हारे पिताजी और चाचा को तो अक्कल दाढ़ आयी ही नहीं, मगर उनको बचपन में किसी ने बुद्धूराम की उपाधि नहीं दी! अब पता नहीं तुम्हारे साथ क्या बात है.’’

भोला के संगी साथी भी नहीं बता सके, कि उनको क्या अक्कल दाढ़ आ गई है या नहीं. लेकिन जब तीसरे दिन दांत का दर्द और बढ़ गया तो भोला को एक डेंटिस्ट के पास ले जाया गया.

भोला को एक अजीब सी कुर्सी पर बैठाया, मतलब आधा लिटाया गया, पीठ के बल. उसके मुंह पर तेज रोशनी की गई. फिर उसे मुंह खोलने को कहा गया. तब भोला ने पहली बार दांतों के डॉक्टर को देखा. यह बीस-बाइस साल की लड़की थी और हाल ही में डॉक्टर बनी थी.

भोला ने मुंह खोल दिया. डॉक्टर लड़की ने जैसे ही उसके मुंह में उंगली डाली,

भोला के मुंह में गुदगुदी सी लगी और उसने अपना मुंह झटके से बंद कर दिया. उसके साथ ही वह डॉक्टर लड़की जोर से चिल्लायी, ‘‘ हाय, मेरी उंगली! मेरी उंगली काट ली.’’

भोला ने डर कर मुंह खोल दिया. सचमुच उसने डॉक्टर को दांत काट लिया था. डॉक्टर रोती हुई भाग गई.

थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा. फिर एक बूढ़े बेरहम से दिखने वाले डॉक्टर का एक एसिस्टेन्ट के साथ आगमन हुआ. उसके हाथ में एक बड़ा सा इंजेक्शन था.

बूढ़े डॉक्टर ने उसे घूरते हुए कहा, ‘‘ मुंह खोलो और तब तक खोले रहो, जब तक मैं बंद करने को न कहूं. अगर तुमने मुंह बंद करने की जरा भी कोशिश की तो यह इंजेक्शन तुम्हारे कूल्हे में पूरा घुसा दिया जाएगा, और तब तुम मेरी डॉक्टर बेटी से भी ज़्यादा जोर से चिल्लाओगे.’’

भोला डर के मारे मुंह खोले रहा. डॉक्टर ने उसके मुंह के अंदर जांच करके कहा, ‘‘ मामूली सा इंफेक्शन है. दवाई देता हूं!’’

भोला ने मासूमी से पूछा, ‘‘ तो अक्कल दाढ़ नहीं आयी!’’

डॉक्टर की हंसी छूट गई, ‘‘ नहीं!’’

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