मै रूम में वेब सीरीज देख रहा था की मुझे फिर कशिश के घर से झगड़ने की आवाज़े आने लगी पर इस बार मैंने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा पर जब मुझे रीना की रोने की आवाज़े आने लगी तो मेरा मन नहीं माना मै रूम से बाहर निकला,
माँ ने कहा, "किधर जा रहा.."
आवाज़े नही सुनी आपने?
सुनी है पर उनके घर का झगडा है, हमें बिच में नहीं जाना चाहिए
माँ, पर रीना की रोने की आवाज़ आ रही है, माँ जानती थी की बचपन से मै और रीना कितने करीब थे, हम दोनों में से अगर किसी एक को भी कुछ होता तो दूसरा उसके लिए झगडा करने लग जाता, पर शायद अब हम बच्चे नहीं थे ..पर क्या इस से दोस्ती में फर्क पड़ता...मेरे हिसाब से तो नही, फिर क्या, माँ ने भी मुझे नही रोका और मै तुरंत उनके घर चला गया...
पापा आप यहाँ?
छोटी तू क्यूँ आया है, जा यहाँ से..
पापा वो रीना की आवाज़...बस मैंने इतना कहा ही था की मुझे पीछे से १-२ गाड़ियों की आवाज़े आने लगी, मैंने पलट कर देखा तो निकेत के दो दोस्त आये थे.
रीना और कशिश जमीन पर गीरे हुए थे, आंटी सिर को हात लगाये सोफे पर बैठी थी और अंकल निकेत के पास खड़े थे..
उसके दोसत जैसे ही अन्दर घुसे वो चुपचाप साइड में खड़े हो गए मै निकेत के पैंट पर खून के धब्बे देख चूका था और समझ भी गया था की इसने फिर कोई नया काण्ड किया है..वो पापा की ओर देखते हुए कह रहा था, आपने ही बताया है ना मेरे बाप को? मै जुआ खेल रहा था..तो हाँ खेल रहा था पर इस से आपको क्या, ये हमारे घर का झगड़ा है।।आप कौन होते हो बिच में बोलने वाले..
ये सुनकर मेरे अन्दर कपकपी से होने लगी पर मैंने खुद को रोका और पापा से कहो चलो घर...तभी अंकल ने निकेत पर जोर से चिल्लाये और उसे पकड़ने लगे पर उसने जोर से धक्का दे दिया जिससे अंकल का बैलेंस बिगड़ा और वो निचे गिर गये...
निकेत अब मेरे पापा के नजदीक पहोच गया था, जाओ आप यहाँ से और आगे से अगर मेरे घर में झगडे लगाने की कोशिश की तो अच्छा नहीं होगा. बस इतना सुनते ही मै अपनाआप को रोक नहीं पाया और फटाक से नितेश के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया, मेरी मार का असर इतना उन्दा था की नितेश निचे गिर गया और उसके गाल पर मेरे उँगलियों के निशान दिखने लगे...
तभी उसका दोस्त पीछे से आया ..और अंकल को देखते हुए बोला "देखो अंकल बात ऐसी है आपके बेटे ने उसकी पत्नी के नाम पर जुआ लगायी थी और वो हार गया..अब हमें उसकी पत्नी को ...बस उतने इतना कहा ही था की मैंने २-४ फटाफट उसे लगा दी, अब जैसे मेरे अन्दर शिवजी तांडव कर रहे थे मैंने उसे जोर से गाल पर थप्पड़ लगाया, उसके हूँठो से खून निकलने लगा, तभी पापा ने मुझे रोक लिया. उसके साथ एक और लड़का था वो बस मुझे दूर से ही देख रहा था. उसकी बात सुनकर सबको गुस्सा आ गया, आंटी ने उठकर निकेत को लकड़ी से जोर जोर से मारने लगे.
पापा ने मेरे दोनों हात पकड़ कर घर ले जाने लगे, निकेत और उसका दोस्त दोनों भी शराबा के नशे में इतने धुत थे की फिरसे उठ भी नहीं पा रहे थे,अब पुरे घर में सिर्फ मेरे थप्पड़ की आवजे गूंज रही थी, सब सिर्फ मुझे ही देख रहे थे....पापा ने मुझे खिंचते हुए घर से बाहर निकलने लगे तभी पीछे से ४-५ गाड़ियों की आवाज़े सुनाई दी, वो सब निकेत के दोस्त थे, वो घर में घुसे।। अब पापा ने मेरा हात छोड़ दिया था. उन्होंने अंकल को बताया की कैसे निकेत ने जुआ खेला है और उसके पत्नी को..वो आगे कुछ बोल पाते उस से पहले उनकी नज़र निकेत और उसके दोस्त पर गयी, वो चुपचाप कशिश की ओर देखने लगे..अब मेरा दिमाग और गरम हो गया..मैंने आंटी के हात की लकड़ी ली और कशिश को जमीन से उठकर सोफे पर बिठाया..तब तक रीना भी सोफे पर आ गयी थी, मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा, आओ है किसीने हिम्मत, हात तो लगा कर दिखाओ कशिश को।।
मैंने रीना से कहा तुम दोनों अन्दर रूम में जाओ..
मै जानता था निकेत के सारे दोस्त शराब के नशे में थे, अभी उनमे खड़े रहने की ताकत नहीं थी तो वो कुछ भी नही कर सकते थे..वो सब अपनी गाड़ियाँ लेकर वापस चले गये, निकेत अब भी निचे गिरा हुआ था...अब पापा ने फिर मेरा हात पकड़ लिया और मुझे घर ले आये।अब तो जैसे पापा को भी गुस्सा चढ़ रहा था, उन्होंने मेरी ओर देखा और कहा..
"सही कहा था तूने, हमें यहाँ से जाना चाहिए, कब चलना है? हम सब चलते है...माँ ने पुछा क्या हुआ?
तो पापा ने वाहा हुई सारी बाते बताई
अंकल ने पापा के पास आकर माफ़ी मांगी, पापा ने कहा कोई बात नहीं हम बादमे बात करते है..और अंकल अपने घर चले गए।।