ख्वाब जो अधूरे रह गए Sweety Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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ख्वाब जो अधूरे रह गए

हमेशा से बस एक ही ख्वाब देखा है ,
और आज फिर एक दिन आया है इस ख्याब को पूरा होते हुए देखने का । आज खुशी का कोई ठिकाना ना था । ऑफिस से जल्दी- जल्दी काम ख़त्म किया और घर की और भागी । रास्ते में जाते हुए सोचा , क्यूं ना एक मिठाई का डिब्बा भी लेती हुई चलूं । अब इतनी बड़ी खुशखबरी है , मुंह मीठा करना तो बनता है । और बिल्कुल करना भी चाहिए , ऐसे मौके बार - बार थोड़ी आते हैं !
गुलाब जामुन सबको बहुत पसंद हैं , तो वही ले लिए । और सबसे ज़्यादा तो मुझे ही पसंद है । हाहा !!
जब कहीं पहुंचने की ज्लदी होती है , तो वक्त भी रुक सा जाता है । मैं ऑटो वाले भैया को बार - बार बोल रही थी , भैया जल्दी चलाओ ना ऑटो ।
और भैया कुछ ना बोलते हुए , लगातार टेढ़ी नज़रों से मुझे देख रहे थे । पर आज मुझे किसी की परवाह ना थी ।
बस अब घर पास ही था , बैग से भैया को देने के लिए रुपए निकाल कर ही बैठी थी । जैसे ही ऑटो रुका , भैया को रुपए दिए और घर की ओर भागी ।
घर पहुंचते ही सबसे पहले फोन निकाला और आया हुआ ई- मेल पापा को दिखाया ।
ई - मेल के साथ - साथ हाथ में गुलाब जामुन लिए खड़ी थी । और उसी लाइन का इंतज़ार कर रही थी "आई एम् प्राउड ऑफ यू बेटा" , तुमने कर दिखाया , "हमें गर्व है तुम हमारी बेटी हो" ।
और बचपन से बस यही सपना तो देखा है , हमेशा कुछ ऐसा कर दिखाऊं की सब को मुझ पर गर्व हो ।
और यही सब लाइन मेरे दिमाग में पहले से घूम रही थी , की अब पापा ऐसा बोलेंगे ।
कुछ देर तक फ़ोन में देखते रहने के बाद , पापा वहां से उठकर दूसरे कमरे में चले गए । मैं उनकी इस चुप्पी का कारण नहीं समझ पाई थी ।
मैं भी पापा के पीछे - पीछे गई ओर पूछने लगी , क्या हुआ पापा ?
क्या आप खुश नहीं है ?
पापा कुछ देर शांत होने के बाद बोले ' ये तुम्हारी शादी की उम्र है , विदेश जाने की नहीं ' ।।
और ये सुनते ही मेरे पैरो तले से ज़मीन ही खिसक गई थी ।

कुछ दिन पहले मैंने एक इंटरव्यू दिया था , जिसमे पास होने पर मुझे बाहर विदेश में नौकरी का मौका मिलता । मैंने घर में बात की , क्या मैं भी ये इंटरव्यू दे दू ?
तो घर से जवाब आया - हां हां , बिल्कुल ।

मैंने भी इस जॉब के लिए आवेदन दे दिया । लगभग चार राउंड हुए , और आज उस इंटरव्यू का नतीजा आया था । हालांकि सिर्फ एक ही सीट थी और कॉम्पिटिशन बहुत ज्यादा था ।
और आज जब मैंने ई - मेल पढ़ी तो , खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा , वो एक सीट मुझे मिल चुकी थी ।
आज तक पूरे खानदान से ही कोई विदेश नहीं गया था । मैं पहली थी , जिसे मौका मिला था ,, ना ही सिर्फ वहां जाने का , बल्कि वहां रहने का भी ।
मैं ये सोच सोच कर और ज्यादा खुश हो रही थी कि मम्मी - पापा को कितना गर्व होगा , जब वो बताएंगे हमारी बेटी तो विदेश में जाएगी । हमारी बेटी की काबिलियत पर हमें गर्व है । साथ ही मैं ये सोच कर खुश थी कि मैं मम्मी पापा को विदेश में घुमऊंगी । पहली बार वो इंटरनेशनल फ्लाइट में बैठेंगे । आजतक ये बस ख्वाब था , पर अब सच्चाई में बदलने को समय आ गया था ।
इन सब के बाद पापा का ये जवाब देना मुझे कुछ अटपटा लगा । मैंने थोड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा , पापा ये इंटरव्यू तो मैंने आपसे पूछकर दिया था , फिर अभी ऐसा क्यूं बोल रहे हो आप ?
और जब पापा का जवाब सुना तो दंग रह गई ।
पापा कहते , हम तो देखना चाहते थे ' हमारी बेटी में कितनी काबिलियत है ' । बाकी यही रहो , बाहर तुम अकेली जाओगी , उतना सुरक्षित भी नहीं है । फिर हमें भी चिंता लगी रहेगी । और तुम इतनी काबिल हो , यहां रह कर भी बहुत अच्छा कर सकती हो । छोड़ो ये नौकरी ।

कितनी आसानी से कह दिया गया ना , छोड़ दो ये नौकरी ।
मैं क्या चाहती हूं , जानना भी जरूरी नहीं समझा ।

मैं क्या चाहती हूं , इससे भी ज्यादा जरूरी शायद यही था सबके लिए की उम्र हो गई और अभी शादी के बारे में सोचना चाहिए ।

क्यूं हमें हमेशा समझौता करने के लिए मजबूर किया जाता है ?
क्यूं ???