प्यार उम्र का लिहाज़ नहीं करता Sweety Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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प्यार उम्र का लिहाज़ नहीं करता

कभी उनके इस अकेलेपन को समझ नहीं पाई थी । जब भी उन्हें देखती तो लगता कैसे लोग है यार कोई मान मर्यादा नाम की चीज नहीं है । कहां , कैसे रहना चाहिए , इसका तो लिहाज़ करना चाईए । पर्सनल और प्रोफेनल को तो अलग रखना चाहिए । और देखा जाए तो बात भी सही है । अगर हर समय आपके आस पास ऐसा कुछ होता रहे तो , चिड भी तो होने लगती है ।। और ऐसा ही कुछ हो भी रही था ।
कभी उनका साथ में चाय पीना तो कभी कॉफ़ी पीना , कभी साथ वॉशरूम जाना , तो कभी अजीबो - गरीब बहाने बनाकर उनका मिलना । और उसके बाद भी लंच करने के लिए घंटे भर अपने काम को रोक कर रखना ।
और ऐसा लगता की यार इतना लंबा लंच कोन करता है । इतनी देर में तो इन्सान बना ले और फिर खा भी ले । और ये है कि इनका लंच ख़तम होने का नाम ही नहीं लेता ।
कभी कभी तो ये भी सोचती की ये यहां ऑफिस में ऐसे रहते है तो घर पे बिना एक दूसरे के कैसे रहते होंगे ।
सवाल पर सवाल आते रहते हैं इन्हें देखकर ।
खैर ऐसे सवाल इसलिए आते है क्योंकि इनकी उम्र लगभग पैंतीस साल होगी । शादीशुदा थे । एक बच्चा भी था , जिसकी उमर लगभग होगी पांच - छह साल ।
और जिसके साथ वो अपना हर कीमती समय बिताते ,जिसके लिए वो सबके खिलाफ चले जाते , जिसके लिए वो हर कम्फर्ट ढूंढते , उसे किसी तरह की कोई परेशानी होने नहीं देते , उसकी उम्र थी लगभग पच्चीस साल । शादी नहीं हुई थी अभी , देखने में सुदर ही नहीं बहुत सीधी भी लगती थी । उसका चलना , बोलना , देखना सब बहुत सुंदर था । उसका नॉर्मल बोलना भी ऐसा लगता जैसे रिक्वेस्ट कर रही है ।
शुरुआत में जब दोनों को साथ देखा तो कुछ खास समझ नहीं आया । लगता था काम के सिलसिले में ही अक्सर साथ दिखते हैं । पर ऐसे ही देखते देखते मॉर्निंग में साथ में आने से ,, साथ में ब्रेकफास्ट , फिर बीच बीच में अलग अलग बहाने से मिलने । फिर कभी लंच के लिए मिलना । तो खाली समय में दोनों का साथ में रहना । ये हर दिन बढ़ता जा रहा था और फिर मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा । यहां कहानी कुछ और है ।
और देखा जाए तो प्यार उमर देख कर तो नहीं होता , बस हो जाता है । प्यार तो एक एहसास है जो कहीं भी कभी भी किसी के भी साथ अनुभव किया जा सकता है ।
शायद उनके बीच भी ऐसा ही कुछ हो !
या एक बात और जो मुझे लगती है कभी कभी हम अपने काम में बहुत ज्यादा ही उलझे रहते है । तो उस उलझन से निकलने के लिए या अपने दिमाग को थोड़ा शांत रखने के लिए भी हम इस तरह के तरीके ढूंढते हैं जहां प्यार हो , तकरार हो । जैसे कोई नया इंसान हमारी ज़िंदगी में आता है तो एक अलग सी खुशी और एक उत्साह हमारे अंदर होता है ।
यहां पर भी जरूर इन्हीं दोनों में से कोई बात रही होगी ।
हम किसी की लाइफ को जज नहीं कर सकते । ना ही करना चाहिए क्योंकि हमें नहीं पता असल में वो किन हालातो से गुजर रहे है । हो सकता है कुछ ऐसे टेंशन हो या अकेलापन , जो ना तो किसी को बताया जा सकता है ओर ना ही किसी को समझाया जा सकता है । बस खुद में ही महसूस किया जा सकता है ।
और इस अकेलेपन से बाहर आने के लिए किसी का साथ मिल जाए , तो उसकी खुशी समझी जा सकती है ।

सब अपनी जगह सही होते हुए भी एक सवाल जो बार बार दिमाग में आता है , क्या जब उनकी पत्नी को ये सब मालूम चलेगा क्या वो भी इसी तरह सोचेंगी ?
या उनकी प्रतिक्रिया कुछ और होगी ???