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Pulse Candy Success Story. 1 रुपये से 300 करोड़ कमाने वाली कंपनी।

दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं पल्स कैंडी के बारे में, भारत जैसे देश में जहां आम के स्वाद को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है चाहे वह बच्चे हो या बड़े बूढ़े आम का स्वाद अधिकांश लोगों के लिए सबसे पसंदीदा स्वाद होता है। हमारे देश में अधिकांश बच्चे कच्चे आम को भी बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। कच्चे आम पर थोड़ा सा नमक डालकर बहुत ही स्वाद से खाते हैं। हिंदुस्तान के इसी टेस्ट को देखते हुए कई बड़ी कंपनियां कच्चे आम पर कई कैंडिस बना चुकी है। पारले जैसी कंपनी ने भी कच्चे आम पर कच्चा मैंगो बाइट भी ला चुकी है, साथ ही कई अन्य कंपनियों ने भी कच्चे आम के फ्लेवेर्स पर कई टॉफीस व कैंडिस भी निकाले हैं। आपको शायद यकीन ना हो परंतु हमारे देश में 50% से ज्यादा कैंडीज में सिर्फ मैंगो फ्लेवर कैंडी ही लोग ज्यादा पसंद करते हैं। इस मार्केट रिसर्च को देखते हुए कई बड़ी कंपनियो ने भी मेंगों फ्लेवेर्स पर अपनी कई टॉफीस व कैंडिस बाजार में उतार चुकी है। इतने कंपटीशन वाले मार्केट में सन 2015 में एक कंपनी ने भी अपनी कच्चे आम की टॉफी को मार्केट में उतारा और 1 रुपये के रेट वाली टॉफी ने बहुत ही कम समय में 300 करोड़ से ज्यादा का व्यापार भी कर लिया।

तुलसी, बाबा तंबाकू, राजनीगंधा, पर्ल इलायची और कैच मसालो को बनाने वाली कंपनी D.S. Group ने साल 2015 मे भारतीय बाजार मे पल्स कैंडी की शुरुवात की। जल्द ही लोगो को इस कैंडी का स्वाद इतना पसंद आने लगा की लोगो ने इस कैंडी को हाथों हाथ लिया और इसकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ने लगी। आज पल्स कैंडी कई देशी विदेशी कंपनियों को पछाड़ते हुए भारतीय बाजार मे अपना अच्छा वर्चस्व स्थापित किया हुआ है।

Pulse Candy Success Story
कैंडी के रूप में मैंगो फ्लेवर पल्स कैंडी बनाने वाली “DS Group” कंपनी की नींव सन 1929 में रखी गई थी। DS Group भारत में एक ऐसी कैंडी को लाने की योजना बना रहे थे जिसे खाकर सभी उस कैंडी के दीवाने हो जाये। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के कैंडी बाजार में कई बड़े ब्रांड अपने अलग अलग फ्लेवेर्स की कई तरह की कैंडी बाजार मे ला चुके थे। इस कंपनी के द्वारा भारतीय बाजार पर एक रिसर्च किया गया और रिसर्च के नतीजों के मुताबिक पता चला की भारतीय लोगों को अधिकतर आम और कच्चे आम से बनने वाली चीजों को खाना अधिक पसंद करते हैं, इसके अलावा कैंडी मार्किट में आम से बनी कैंडी का मार्किट भी 50% है। इस रिसर्च के परिणाम को देखने के बाद DS Group कंपनी ने भारतीय कैंडी मार्किट में कुछ अलग करने का सोचा।

भारतीय लोगों से मिला अनोखा आइडिया।
डी.एस. ग्रुप की मार्केट रिसर्च टीम के मुताबिक भारतीय लोगो को कच्चा आम खाना काफी पसंद है और साथ ही वह कच्चे आम पर मसाला का भी प्रयोग करते है। जिससे उसका स्वाद काफी खट्टा मीठा हो जाता है। कंपनी को यह आइडिया काफी पसंद आया उन्होने अपनी नयी कैंडी पर यह आइडिया आजमाने के बारे मे सोचा। उन्होने अपनी कैंडी के अंदर के भाग मे भारतीय टेस्ट को ध्यान मे रखते हुए एक स्पेशल मसाले को डाल दिया। जिससे कैंडी खाने वाले व्यकित को पहले तो कच्चे आम का टेस्ट आता है फिर कैंडी के बीच मे रखे मसाले का धीरे-धीरे टेस्ट आना शुरू हो जाता है जिससे कैंडी का स्वाद भी धीरे-धीरे काफी बढ़ता जाता है।

सफल रहा कंपनी का एक्सपेरिमेंट।
डी.एस. ग्रुप के द्वारा सबसे पहले इस कैंडी का ट्रायल फ़रवरी 2015 को भारत के एक राज्य गुजरात मे किया गया। गुजराती लोगों को इस कैंडी का स्वाद इतना पसंद आने लगा की इसकी डिमांड दिन पर दिन बढ़ती ही गई। अधिकांश लोगों ने तो कैंडी का पूरा डिब्बा ही खरीदना शुरू कर दिया जिससे कंपनी की सप्लाइ मे गिरावट आने लगी साथ ही कुछ फर्जी कंपनी ने तो इसके ड्यूप्लिकेट भी निकालना शुरू कर दिया।

कंपनी ने जल्द ही कई दूसरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से भी समझौता करते हुए बढ़ती हुई डिमांड को पूरा किया और साथ ही पूरे भारत मे इसकी सप्लाई भी शुरू कर दी। डी.एस. ग्रुप के कई बड़े प्रॉडक्ट मार्केट मे पहले से ही थे जिसकी मार्केटिंग टीम, डिस्ट्रीब्यूटर टीम ने पूरे भारत मे अपनी पकड़ बनाई हुई थी। उन सभी टीमों के द्वारा Pulse Candy को भी भारतीय बाजार मे पहुँचने मे जरा भी परेशानी नहीं हुई। Success Story.

mouth to mouth publicity.
इस कैंडी की सफलता आलम यह था कि जहां कंपनियो को मार्किट में कोई भी नया प्रॉडक्ट उतारने के बाद प्रचार का सहारा लेना पड़ता था, वहीं इस कैंडी को लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी ने शुरुवात मे किसी भी तरह का कोई Advertisement का खर्चा नहीं उठाना पड़ा।

कंपनी पल्स कैंडी के बारे में बताती है कि जहां लोग किसी भी प्रॉडक्ट को उसके ब्रांड के नाम से जानते हैं या खरीदते है वहीं लोग उसे कंपनी के ब्रांड के नाम से नहीं बल्कि स्वाद को पसंद करके खरीद रहे थे। लोग खुद बा खुद एक दूसरे को चाहे वह मित्र हो या रिश्तेदार कैंडी के बारे मे बता रहे है। कंपनी के अनुसार शायद किसी भी कैंडी के इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ की कैंडी का प्रचार खुद ही ग्राहकों के द्वारा ही किया गया हो।


पल्स बनी मार्किट की नंबर वन कैंडी।
Pulse Candy ने भारतीय बाजार मे लगातार 3 साल तक नम्बर वन कैंडी का ताज पहना रहा। success story. जहां पारले, ITC और Perfetti की कैंडीज़ को भारतीय मार्केट मे जमने मे सालो लग गए वही पल्स ने कुछ ही समय मे नम्बर वन कैंडी का ताज झटके मे उनसे ले लिया। पल्स के आने से पहले इटली की कंपनी ऐल्पेन्लिबे को भी भारतीय बाजार ने खूब पसंद किया था परंतु कुछ ही समय मे पल्स भी भारतीय लोगो को अपना दीवाना बनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी।

मार्केट मे पल्स जैसी नकली कैंडी आने के बाद भी हिट।
मार्किट में पल्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कई धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों ने भी इस कैंडी से मिलते जुलते नाम से नकली कैंडी लांच किया परन्तु सब के सब प्लॉप हो गए क्योंकि पल्स जैसी कैंडी का स्वाद किसी में भी नहीं था। इसलिए पल्स के दीवानों ने उन सभी कैंडीज को सिरे से खारिज कर दिया। भारतीय मार्केट मे आज भी कई कंपनियां पल्स की नकल करने की कोशिश करते रहते है परंतु पल्स कैंडी को जिस व्यकित के द्वारा एक बार टेस्ट कर लिया वो शायद ही पल्स जैसी किसी कैंडी को पसंद करे।


हरे-काले रैपर के पीछे की रिसर्च।
कंपनी ने कैंडी मार्किट में अपनी एक अलग ही पहचान बनाने के लिए और लोगों को पल्स कैंडी के प्रति आकर्षित करने के लिए इस कैंडी की पैकिंग पर भी बहुत रिसर्च और विचार करने के बाद इस कैंडी का रैपर हरे-काले रंग में लांच किया गया, जो अन्य दूसरी कैंडी के रैपर के रंग के मुकाबले दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है। कंपनी की यह रिसर्च भी काफी कामयाब रही। आकर्षक रैपर होने की वजह से वह सभी कैंडी मे अलग ही प्रतीत होती थी साथ ही उस कैंडी का टेस्ट भी लोगो की जुबान पर चढ़ चुका था।

Pulse Candy की बढ़ती डिमांड।
पल्स कैंडी केवल अपने स्वादिष्ट जायके की वजह से ही लोगों को पसंद आ रही थी। कंपनी की डिमांड के साथ ही उत्पादन को भी उतनी ही तेजी के साथ बड़े पैमाने पर बढ़ाया गया। आज के समय मे इस कैंडी का स्वाद बच्चों से लेकर बड़े-बुढ़ों तक की जुबान पर छाया हुआ है। इस कैंडी की जबरदस्त सफलता को देखने के बाद पल्स कैंडी वाकई इंडिया की पल्स बन गई है।
गुजरात मे पल्स की शुरुवात करने के बाद कंपनी को पल्स की डिमांड को पूरा करना नामुमकिन सा नजर आने लगा था क्योकि रातो रात पल्स का स्टॉक खत्म हो रहा था जितना उत्पादन नहीं था उससे ज्यादा तो उसकी बिक्री होने लगी थी।

आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है की कई दुकानदार पल्स कैंडी के पूरे डिब्बे को कीमत से ज्यादा मे बेचने लगे थे। DS Group कंपनी को शायद इस बात का अंदाजा ही नहीं था। उन्होने इस डिमांड को देखते हुए तुरंत दूसरी कंपनियों के प्रोडक्शन यूनिट को कुछ समझौते के साथ अपने साथ मिला कर डिमांड को पूरा किया और साथ ही पूरे भारत मे पल्स कैंडी को शुरू कर दिया।


सन 2016 मे पल्स कैंडी का हर महीने का उत्पादन 1250 टन था। कंपनी ने डिमांड पूरी करने के साथ ही पल्स कैंडी के और भी कई फ्लेवेर्स भी लॉन्च किए। कंपनी ने 1 रुपये की टॉफी से आज 300 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर बना लिया है। जो इसकी सफलता हो दर्शाता है।

पल्स कैंडी के प्रचार की टैग लाइन।
कंपनी की ओर से पल्स कैंडी के प्रचार के लिए दुनिया भर मे एक ही टैग लाइन को चलाया गया। एक छोटी सी पंच लाइन से पल्स कैंडी की बड़ी ब्रांडिंग हो रही थी। पल्स को पूरे भारत मे लॉन्च करने के बाद टीवी, न्यूज़ पेपर, सभी जगह इसके प्रचार के लिए सिंगल टैग लाइन “प्राण जाए पर पल्स न जाए” ने इसकी डिमांड को मार्केट मे अभी तक बनाए रखा है।

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