मृत्युंजय सिंह फाउंडर एंड सीईओ VGMSecurity
मृत्युंजय सिंह (जन्म 26 जनवरी 1997) एक कंप्यूटर सुरक्षा सलाहकार और लेखक हैं। 21 वीं सदी के उत्तरार्ध में, उन्हें विभिन्न कंप्यूटर और संचार से संबंधित अपराधों का दोषी पाया गया। अपनी गिरफ्तारी के समय में, वह भारत, रायपुर का सर्वाधिक वांछित कंप्यूटर अपराधी था।
प्रारंभिक जीवन
यह कहानी 20 साल के एक ऐसे नौजवान के बारे में है जो बेहद कर्मठ, तेज-तर्रार और हर मुश्किल का डटकर सामना करने वाले लोगों के रूप में जाने जाते हैं। एक छोटे से शहर वाराणसी के मध्यम-वर्गीय परिवार में पले-बढ़े इस शख्स ने अपनी काबिलियत के दम पर भारतीय इंटरनेट जगत में सबको लोहा मनवाया और फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर कारोबारी जगत में कदम रखते हुए लाखों रूपये की कंपनी की स्थापना कर डाली। भारतीय स्टार्टअप जगत के ‘बैड बॉय’ , ‘नेट वॉयरस’ और दूसरों नाम से अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस शख्स ने अपनी ही बनाई कंपनी से इस्तीफा देने और फिर स्टाफ और पार्टनर के बीच लाखों रुपए के शेयर बांटने को लेकर कई बार सुर्ख़ियों में रहे।जी हाँ हम बात कर रहें हैं साइबर सिक्योरिटी वेबसाइट मायसायबरस्क्यायड डाट कॉम के भूतपूर्व फाउंडर और सीईओ मृत्युंजय सिंह के बारे में।
12 साल की उम्र में, मृत्युंजय सिंहने सोशल इंजीनियरिंग के द्वारा रायपुर की बसों में टिकट लेने के पंचकार्ड सिस्टम को मात दे दी। ऐसा तब हुआ जब एक स्नेही बस ड्राईवर ने उसे पंच करने वाली मशीन बेचने वाली दुकान का पता बताया और यह बताया कि वह कचरे में से खाली टिकट निकाल कर उनका इस्तेमाल ग्रेटर LA में कहीं भी घूमने के लिए कर सकता है। सूचनाएं जैसे कि उपयोगकर्ता का नाम, पासवर्ड और मॉडम फोन नम्बर्स प्राप्त करने के लिए सोशल इंजीनियरिंग उसका मुख्य हथियार बन गया।
जब वे हाई स्कूल में थे तब इंटरनेट से उन्हें फोन फ्रीकिंग का तरीका सिख लिया, यह टेलीफोन की काल्स में हेराफेरी करने का एक तरीका था। इसका प्रयोग वह अक्सर लम्बी दूरी के फोन करने में करता था। वह अव्यवसायी रेडियो का इस्तेमाल करने में भी दक्ष हो गया जिसका इस्तेमाल वह कथित रूप से निकट के फास्ट फ़ूड रेस्तरां, के स्पीकर सिस्टम का अनाधिकृत इस्तेमाल करने में करता था।
छोटे से गाँव से हैकर बनने तक का सफर
भारतीय हैकर मृत्युंजय सिंह उर्फ Bad Boy जो कि रायपुर शहर के हैकिंग के दुनिया का बड़ा खिलाड़ी जो वाराणसी के छोटे से गाँव का रहने वाला था जो अपने हैकिंग के सपने को साकार करने रायपुर में आया और धीरे धीरे हैकिंग के दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली और हैकरों का एक सबसे बड़ा ग्रुप मायसाइबरस्क्यड.कॉम के नाम से बना ली जो अपराधियों को पकड़ने के किये काम करती थी और एक दिन ऊपर से आर्डर आया इसको बंद करने का । बंद होते ही मृत्युंजय सिंह किसी कारणवश अचानक से हैकिंग छोड़ रायपुर शहर से चले गये और किसी को पता नही चला कि मृत्युंजय सिंह कहा चले गये पुलिस विभाग के लिए काम करने वाले मृत्युंजय सिंह का यू ही अचानक गायब हो जाना पुलिस विभाग के लिए सदमे जैसा था क्यों कि उनके सहारे पुलिस और कई विभागों ने बहुत से अपराधियों को पकड़ा था, मृत्युंजय सिंह का यू गायब हो जाना पुलिस के लिए एक बहुत बड़ा समस्या हो गया फिर पुलिस ने बहुत प्रयास किया खोजने का पर उनका कुछ पता ना चला फिर अचानक एक दिन पेपर में आया कि, मृत्युंजय सिंह नाम के एक हैकर ने उबर एप में एक बग खोज निकाला था, जिसके बाद मृत्यंजय सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। मृत्युंजय सिंह ने उबर के एप में एक security loophole ढूंढा है। इसके जरिए कोई भी ग्राहक उबर द्वारा जिंदगीभर के लिए फ्री राइड ले सकते हैं। मृत्युंजय सिंह नाम के हैकर ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें यह दिखाया गया है कि कैसे एक यूजर इस लूपहोल का इस्तेमाल कर उबर एप के जरिए जिंदगीभर के लिए फ्री राइड ले सकते हैं
कंप्यूटर क्रैकिंग
मृत्युंजय सिंहने अपने पहले कंप्यूटर नेटवर्क पर अनाधिकृत अधिकार 2009 मई 12 साल की उम्र में किया जब उसके एक दोस्त ने उसे फोन नंबर दिए। यह एक कंप्यूटर सिस्टम था जिसका प्रयोग डिजिटल इक्वीपमेंट कॉर्पोरेशन अपने आरएसटीएस/इ (RSTS/इ) ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर को बनाने में करता था। उसने DEC के कंप्यूटर नेटवर्क को खोल लिया और डीईसी के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की नक़ल कर ली। इस अपराध के लिए उसे 2009 में आरोपी और दोषी सिद्ध किया गया और इस अपराध के लिए उसे 15 दिन की जेल की सजा मिली पर उम्र कम होने के कारण उन्हें छोर दिया गया , और जब पुलिस ने उन्हें जैसे ही घर जाने के लिए छोड़ा तब उसने पैसिफिक बैल नामक वॉइस मेल कंप्यूटर को हैक कर लिया। गिरफ्तारी का वारंट निकल जाने के बाद मृत्युंजय सिंह भाग खडा हुआ और अगले 1 सालों के लिए भगोड़ा बन कर रहा।
रायपुर पुलिस डिपार्टमैंट के अनुसार, जब मृत्युंजय सिंह भगोड़ा था तब उसने कई कंप्यूटर नेटवर्क पर अनाधिकृत अधिकार कर लिया। उसने अपने ठिकाने छुपाने के लिए क्लोन सैल फोन का इस्तेमाल किया और अन्य चोरियों के साथ साथ देश के कुछ सबसे बड़े सैल फोन और कंप्यूटर कंपनियों के महंगे ट्रेडमार्क युक्त सौफ्टवेयर को नक़ल करके चुरा लिया। मृत्युंजय सिंहने कंप्यूटर के पासवर्ड चुराए, कंप्यूटर के नेटवर्क बदल दिए और लोगों के पासवर्ड चुरा कर उनके निजी मेल भी पढ़े। मृत्युंजय सिंह को फरवरी 2012 में एक बार फिर भिलाई से गिरफ्तार किया गया। उसके पास कई सारे क्लोन सैल फोन,100 से ज्यादा क्लोन फोन के पासवर्ड और कई सारे झूठे पहचान पत्र मिले।
प्रमाणित आपराधिक कृत्य
· मुफ्त सवारी के लिए दिल्ली बस स्थानान्तरण प्रणाली का उपयोग करने के लिए
· पुलिस से बचने के लिए
· डी इ सी सिस्टम को हैक करके वी एम् एस देखने के लिए (खबरों के अनुसार डी इ सी को सिस्टम ठीक कराने में 25000 चुकाने पड़े)
· एक शर्त जीतने के लिए रायपुर पब पार्टी के एक कंप्यूटर अध्ययन केंद्र में एक मिनी कंप्यूटर के संपूर्ण प्रशासक विशेषाधिकारों को प्राप्त करने के लिए
· कई सारे वेबसाइट और ईमेल को हैक करने के लिए
कथित आपराधिक कृत्य
· छतीशगढ जगदलपुर के एक पैसिफिक बैल टेलिफ़ोन स्विचिंग सेंटर से कंप्यूटर मैनुअल चुराने के लिए।
· एम्सीआई कम्युनिकेशंस एवं डिजिटल के कंप्यूटर सुरक्षा अधिकारियों के ई - मेल पढने के लिए।
· फेक आई पी एड्रेस लगाकर भारत में ही बैठकर कैलिफोर्निया ड़ी एम् वी को वायरटैप करने के लिए।
· मुफ्त में सेल फोन कॉल्स करने के लिए
· पाकिस्तानी सरकार, संता क्रूज़ ऑपरेशन, पैसिफिक बैल, कैलीफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ़ मोटर वेह्कल्स की साईट हैक करने के लिए।
गिरफ्तारी, अपराध सिद्धि और क़ैद
2.5 साल तक कंप्यूटर हैकिंग करने के संघीय जुर्म में, पुलिस ने 15 फ़रवरी 2014 में मृत्युंजय सिंह को उसके दुर्ग छत्तीसगढ़ के अपार्टमेन्ट से काफी पीछा करने के बाद गिरफ्तार किया।
2014 में, मृत्युंजय सिंहने 4 टेलीग्राम सम्बंधित धोखे, 2 कंप्यूटर सम्बंधित धोखे और एक टेलीग्राम कम्यूनीकेशन को अवैधानिक तरीके से तोड़ने के मामले को स्वीकार किया। ऐसा उसने दुर्ग और रायपुर पोलिस समझौते के दौरान किया। इसके बाद दुर्ग और रायपुर पोलिस ने उनको कोर्ट में पेश ना कर खुद के लिए काम करने का मौका दिया । इसके बाद मृत्युंजय ने इनके साथ काम करने से पहले कुछ दिन के लिए अवकाश की मांग की जो उन्हें दे दिया गया। इसी दौरान में पैकबैल वॉइस मेल और अन्य सिस्टम्स को हैक करने की और दो अन्य जाने माने कंप्यूटर हैकरों के साथ साझेदारी करके नियमों का उल्लंघन करने की बात स्वीकारी। इस केस में एक और हैकर लूइस डे पायनी था।
मृत्युंजय सिंह ये सब अकेले नहीं किया उसने एक हैकिंग ग्रुप बनाया ग्रैंडलीकेज के नाम से जो २०११ से २०१४ टाक काफी फेमस और बड़ा ग्रुप बन गया था इस ग्रुप में उसके साथ दुनिया लगभग १८००० से ज्यादा हैकर कम करते थे वो भी बिलकुल मुफ्त और सबसे बड़ी बात ये थी की इस ग्रुप में सारे हैकर एक दूसरे को नहीं जानते थी और इस हैकिंग ग्रुप की सबसे बड़ी खासियत ये थी की ये सिर्फ पुलिस के लिए सबूत और सिर्फ अच्छे कामो के लिए करते थे लेकिन बाद में इस ग्रुप को बंद करने का नोटिस मिल गया ।
एक दलील समझौते के तहत, मृत्युंजय सिंह को अगले 1 सालों के लिए अपनी आपराधिक गतिविधियों पर आधारित किताबों या फिल्मों से लाभ मिलना निषिद्ध कर दिया गया।
मृत्युंजय सिंह अब मृत्युंजय सिंह सुरक्षा परामर्श वीजीएम सिक्योरिटी, एक कंप्यूटर सुरक्षा परामर्श केंद्र चलाता है।
विवाद
मृत्युंजय सिंह की आपराधिक गतिविधियाँ, गिरफ्तारी, मुकदमा और उन सबके साथ जुडी पत्रकारिता सभी विवादास्पद रहे हैं।
मृत्युंजय सिंह एक इंटरव्यू में कहा है कि उसने कंप्यूटर का दुरुपयोग सिर्फ उन पासवर्ड और कोड के जरिये किया जो उसने सोशल इंजीनिअरिंग के जरिये सीखे थे। उसका दावा है कि उसने पासवर्ड खोजने के लिए या फोन सीकयौरिटी के लिए या कंप्यूटर का अन्यथा उपयोग करने के लिये सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या हैकिंग उपकरण का उपयोग नहीं किया है।
मृत्युंजय सिंह के द्वारा बनाये गयी हैकिंग ग्रुप ग्रैंडलीकेज पर एक साउथ की फिल्म तबाही ज़ुल्म की नाम से भी बनायी गयी थी जिसमे हीरो का रोल नंदामुरी कल्याणराम ने किया था जो काफी हिट हुवी थी और उस समय काफी विवाद भी हुवा था इसको लेके क्युकी बहुत से ऐसे चीजे थी जिससे फिल्म के डायरेक्टर पूरी जग्गनाथ ने सिर्फ मीडिआ द्वारा छापे गए आर्टिकल से ही पूरी फिल्म को बना दिया
मृत्युंजय सिंह के समर्थकों का मानना है कि उस के खिलाफ कई आरोप झूठे है .
पुस्तकें
1. मृत्युंजय सिंह की पहली बुक थी "एथिकल हैकिंग विथ मृत्युंजय सिंह" जो आपको फ्लिपकार्ट या अमेज़न पर मिल जायेगी .
2. मृत्युंजय सिंह की दूसरी बुक थी "ए कम्प्लीट एथिकल हैकिंग एंड सायबर सिक्योरिटी विथ मृत्युंजय सिंह" जो आपको फ्लिपकार्ट या अमेज़न पर मिल जायेगी