कोरोना - एक प्रेम कहानी - 9 Neha Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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कोरोना - एक प्रेम कहानी - 9

भाग-9

"कांग्रेचुलेशन, लिली तुम्हारी पहली कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। तुम्हारे लिए तो आज दोहरी खुशी का मौका है लिली, क्योंकि एक तरफ शेखर अंकल की कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है और अब तुम्हारी रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है। तुम्हारा और अंकल का रिकवरी रेट काफी अच्छा है। चौबीस घंटे बाद तुम्हारा दूसरा कोरोना टेस्ट होगा और यदि उसमें भी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है ,तो तुम्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।"

अनुराग आज पहले से काफी अच्छे तरीके से लिली के सामने पेश आते हुए कहता है।

लिली अनुराग को अपलक निहारे जा रही थी। उसके दिल के दरवाजे के अंदर कैद अनुराग के साथ बिताया यादे उसकी आंखों के आगे फिर से जीवंत हो रही थी।

अनुराग लिली के चेहरे के आगे हाथ हिलाते हुए बोल पड़ता है- "लिली किन ख्यालातों में खोई हुई हो। मैं कब से तुमसे बात कर रहा हूँ और तुम हो कि मेरी किसी बात पर ध्यान ही नहीं दे रही हो।"

"नहीं अनुराग ऐसी बात नहीं है। दरअसल मैं तो तुम्हारे बारे में ही सोच रही हूँ ।"

 

"मेरे बारे में सोच रही हो, लेकिन क्या लिली।"

अनुराग आश्चर्य भरी दृष्टि से लिली से पूछ बैठता है।

 

"अनुराग तुम्हारे साथ लड़ना- झगड़ना, तुम्हारे साथ ढ़ेर सारी बातें करना,नुक्कड़ वाली दुकान पर कड़ाके की ठंड में तुम्हारे साथ चाय पीना वह हर एक पल जो मैंने तुम्हारे साथ जिया मेरे जेहन में मौजूद सबसे खूबसूरत यादों में से एक है अनुराग।

जब पापा का ट्रांसफर यहाँ दिल्ली हुआ, तो मैंने सभी को तुम्हारे और मेरे बारे में सब कुछ बता दिया था। मम्मा और दादी तुम्हारी बारे में जानकर बहुत खुश हुए थे। लेकिन पापा वैभव अंकल के साथ अपने झगड़े को भुलाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। और जब मम्मा तुम्हारे पास फोन मिला रही थी, तो पापा ने हम सब को यह कहकर रोक दिया कि अनुराग के परिवार में यह बात किसी को भी नहीं पता चलना चाहिए कि उनका ट्रांसफर दिल्ली हो गया है। पापा ने मुझसे कसम ले ली कि मैं तुम्हें इस विषय में कुछ भी ना बताऊं। फिर अगली ही रात हम बिना किसी को कुछ भी बताएं दिल्ली के लिए रवाना हो गए। तुम सोच भी नहीं सकते अनुराग उस वक्त मेरे दिल पर क्या बीती होगी।"

कहते हुए लिली अपनी आंखों से छलक रहे आंसू पोंछने लगती है।

 

दूर खड़े अनुराग की आंखें भी नम हो जाती है। वह लिली से कहता है-

 

"लिली तुम्हें मुझे सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है। मैं जानता हूँ लिली तुम मुझसे कितना प्यार करती हो। जरूर कोई वजह रही होगी तभी तुम मुझे अचानक इस तरह बिना कुछ बताए छोड़ कर चली आई और अब तो मुझे वह वजह भी पता चल गई है।"

 

तभी लिली अनुराग की बात काटते हुए बीच में ही बोल पड़ती है- "अनुराग मैं पापा से किए वादे के कारण कभी तुम्हें कुछ नहीं बता पाई और हमेशा पापा के सामने ऐसे दिखाया जैसे अब मैं तुम्हें भूल चुकी हूँ। लेकिन अनुराग इन चार वर्षों में कोई भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैंने तुम्हें याद नहीं किया हो। जब भी मैं कहीं तुम्हारा नाम सुनती तो मन में आशा जगती कि तुम मुझे ढूंढते हुए यहाँ तक चले आए हो। लेकिन जब मेरी आंखें तुम्हें वहाँ नहीं पाती तो दिल के सारे अरमान कागज की कश्ती की तरह टूटते नजर आते अनुराग।"

"तो तुम क्या सोचती हो लिली मैंने तुम्हें याद नहीं किया। तुम्हारे जाने के बाद मैंने तुम्हें भुला दिया। ऐसा बिल्कुल नहीं है लिली। जब मैंने तुम्हारे घर पर ताला लगा देखा तो मैंने तुम्हें कहाँ - कहाँ ढूंढने की कोशिश नहीं की, यहाँ तक कि तुम्हारे सारे दोस्तों से भी फोन कर- कर पूछा। लेकिन तुम्हारे बारे में कुछ नहीं पता चला लिली।"

अनुराग चेहरे पर मायूसी के भाव प्रकट करते हुए बोल पड़ता है।

"अनुराग अब तुम मुझे मिल गए हो, अब मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ। अनुराग तुम सब को समझाओ कि हमारी खुशी के लिए अपने बीच के झगड़े को भूल जाए। क्योंकि अब तुम को भुलाकर, तुम्हारे बगैर रहना मेरे लिए मुमकिन नहीं अनुराग।"  - कहते हुए लिली के होंठ कपकपाने लगते है।

 

तभी पीछे से एक मेल नर्स आकर कहता है -

 

"प्लीज जल्दी चलिए डॉक्टर अनुराग एक इमरजेंसी केस है।"

यह सुनते ही अनुराग लिली को अपनी मेडिसिन लेने के लिए कहता है और दरवाजे से बाहर की ओर अपने कदम बढ़ाता है। लिली अपनी दवाई खा लेती है और बेड पर सोने का प्रयास करती है आज लिली को नींद काफी अच्छी आने वाली थी, क्योंकि एक तरफ पिता शेखर कुमार की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी, तो दूसरी और अनुराग से बात कर- कर लिली का मन भी हल्का हो गया था। आंखों को मून्दते ही लिली कब नींद के आगोश में चली गई, उसे पता ही नहीं चला।

दो घंटे बाद जब अनुराग लिली को देखने आता है,तो लिली अभी भी नींद के आगोश में डूबी हुई थी। लिली को इतनी मासूमियत भरे अंदाज में सोते देख किसी का भी मन उसे जगाने को नहीं करें, तो अनुराग उसे कैसे जगा सकता था। इसीलिए अनुराग लिली को देखकर दरवाजे से ही चला जाता है।

सुबह सूर्य देव समूचे आसमान में अपने स्वर्णिम आभा बिखेर रहे थे। पूरी दुनिया कोरोना वायरस के आतंक से त्राहिमाम कर रही थी, लेकिन ऐसे समय में सूर्य देव अपनी किरणों से लोगों में नवीन ऊर्जा का संचार कर रहे थे। तभी लिली के कमरे की खिड़की पर वह चिड़िया जोर-जोर से अपनी चोंच मारने लगती है। कुछ क्षण रूकती तो अपने मुंह से मधुर आवाज निकालने लगती। मानो लिली को जगाने का प्रयास कर रही हो। चिड़िया द्वारा लगातार खिड़की पर चोंच के प्रहार की आवाज सुनकर लिली अपनी आंखें खोल लेती है। खिड़की के शीशे से स्पष्ट नजर आ रहा था की चिड़िया वहाँ खिड़की पर हठखेलियां कर रही थी। लिली जब उसके तरफ देखने लगती है, तो वह वहाँ से फुर्र से उड़ जाती है। लिली अपने पलंग पर उठ कर बैठती है। तभी अनुराग कमरे में नर्स के साथ प्रवेश करता है और कहता है-

"गुड मॉर्निंग, लिली अब कैसा फील हो रहा है तुम्हें।"

"अनुराग अब पहले से काफी अच्छा महसूस कर पा रही हूँ।" - लिली चेहरे पर मंद हँसी प्रदर्शित करते हुए कहती है।

"वैसे लिली तुम्हारे लिए एक गुड न्यूज़ है, जिसे सुनकर तुम खिल उठोगी। शेखर अंकल की दूसरी कोरोना रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है। वे अब घर जा सकते है।"

"अरे वाह अनुराग यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई। पापा घर जा सकते है, इससे बढ़कर खुशी की बात क्या होगी।"  - लिली पूरे मन से हंसते हुए बोल पड़ती है।

"हाँ लिली और अब तुम्हारा दूसरा कोरोना टेस्ट होगा और मुझे विश्वास है इस बार भी तुम्हारी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव ही आएगी। सिस्टर लिली का सैंपल लीजिए।"

अनुराग नर्स से कहता है।

नर्स सैंपल लेकर बाहर जाती है। तभी लिली का फोन बज उठता है। लिली फोन उठाती है और माँ के बोलने से पहले ही बोल पड़ती है- "मम्मा, पापा घर आ रहे है।उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है।अभी अनुराग ने मुझे बताया।"

 

"हाँ बेटा यह तो खुशी की बात है। लेकिन बच्चे तू तो अभी तक ठीक नहीं हुई है ना। "  - माँ कंचन रुआंसी- सी होकर बोल पड़ती है।

 

"ओहो, मम्मा आप की कितनी चिंता करती है। मेरा भी सैंपल अभी लिया गया है। जल्दी रिपोर्ट आ जाएगी।"

लिली माँ कंचन की फिक्र कम करने का प्रयास करते हुए कहती है।

"अच्छा मम्मा मैं अब फोन रखती हूँ। मुझे पापा से भी बात करनी है। ओके बाय।"  - कहते हुए लिली फोन रख देती है।

 

आज लिली का इतना खिलखिलाता हुआ चेहरा देखकर अनुराग की पुरानी यादें ताजा हो जाती है।

 

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