प्रतिशोध - 7 Ashish Dalal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रतिशोध - 7

(७)

बारिश सुबह से ही बादलों के संग अठखेलियां करती हुई कभी बड़ी ही तेजी से बरस रही थी तो कभी अचानक ही बड़े प्यार से पेड़ों की पत्तियों को नहलाती हुई मिट्टी के संग मिलकर एक होकर नये जीवन की संभावना को जन्म दे रही थी । अपने कमरे की खिड़की के पास बैठकर पिछली बातों को याद करते हुए अचानक ही श्रेया की आंखों से आंसू की दो बूंदें फिसलकर उसके गाल पर आकर ठहर गई । 

पिछले आठ महीनों में बहुत कुछ बदल गया था । नैतिक शहर छोड़कर राधिका के संग अपने मामा के गांव चला गया था । उसके वापस शहर लौटने की सम्भावना कम ही थी क्योंकि वह बचपन की स्मृतियों को संजोयें हुए उसकी एकमात्र सम्पत्ति मकान को भी बेच चुका था । उसकी मामी केन्सर की जंग से हारकर परलोक सिधार चुकी थी । गांव में उसके मामा के अपने खेत खलिहान थे लेकिन उन्हें सम्हालने के लिए उनकी अपनी कोई सन्तान न थी । शहर की अपनी जिन्दगी से परेशान होकर नैतिक ने अपने मामा के गांव आकर खेत सम्हालने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और अपनी बीती हुई जिन्दगी को यहीं पीछे छोड़ वह समय के प्रवाह के साथ आगे बढ़ गया ।

श्रेया का ऑफिस जाने का मूड सुबह से ही न था । उस पर हो रही बारिश के तेवर देखकर उसने ऑफिस फोन कर केजुअल लिव रख दी और आराम से चाय का कप लेकर अपने कमरे की खिड़की के पास आकर बैठ गई थी । 

पूरा आकाश बादलों से घिरा हुआ था । बारिश के संग चल रही हवाओं के साथ उड़ते हुए बादलों को वह अपलक निहार रही थी । तभी अचानक से तेज हवा के संग बारिश की कुछ बूंदे उसके चेहरे को आकर छू गई । एक ठण्डक भरे अहसास के साथ उसका मन रोमांच से भर गया । उसने खिड़की से अपना हाथ बाहर निकाला और बरसती बूंदों को अपनी हथेली में थामने का प्रयास करने लगी ।

‘अच्छा बताओं तो नैतिक ! मैंने कितनी बूंदें पकड़ी ?’

‘पगली कहीं की ! बूंदें कही पकड़ी जाती है । तुम्हारी हथेली में समाकर ये सारी तो चुल्लूभर पानी बन जाती है ।’ नैतिक ने पेड़ के नीचे खड़े हुए एक हाथ से छतरी थामे हुए दूसरे हाथ से श्रेया की हथेली को झटकते हुए जवाब दिया ।

‘तुम बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं हो । जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती ।’ श्रेया ने रुठते हुए जवाब दिया और नैतिक की तरफ पीठ कर खड़ी हो गई ।

‘सॉरी बाबा ! गलती हो गई ।’ नैतिक ने एक हाथ से अपना कान पकड़ा ।

‘पहले वादा करो कि घर जाते हुए आइसक्रीम खिलाओगे ।’ नैतिक के माफी मांगते ही श्रेया चहक उठी ।

‘बारिश में भला कोई आइसक्रीम खाता है ?’ नैतिक ने आंखें तरेरी ।

‘मैं खाती हूं न !’

‘तुम्हें सर्दी हो गई तो आंटी मुझे ही डांटेगी ।’ श्रेया का जवाब सुनकर नैतिक बोला ।

‘हां तो तुम डांट खा लेना । वैसे भी बारिश में भीगकर तुम्हें जल्दी ही ठण्डी लग जाती है । मम्मी की गरमागरम डांट खाकर तुम्हारी ठण्डी जल्दी भाग जाएगी ।’ श्रेया कहते हुए जोर से हंस दी और अपनी दोनों बाहें फैलाकर दौड़कर खुले मैदान में आकर बारिश में भीगने लगी । नैतिक छतरी लेकर उसके पीछे दौड़ा और फिर दोनों थोड़ा थोड़ा भीगते हुए आइसक्रीम पार्लर की ओर चल दिए ।

तभी डोरबेल बजने की आवाज सुन श्रेया अपने अतीत की यादों से बाहर निकली । उसने दरवाजा खोला तो सामने कोरियर बॉय खड़ा था । उसने एक हरे रंग का पैकेट श्रेया की तरफ बढ़ाया और बोला, ‘मैडम, यहां साइन कर दीजिए ।’

‘इतनी बारिश में आने की क्या जरूरत थी ? बारिश बंद होने पर दे जाते ।’ श्रेया ने साइन करते हुए कोरियर बॉय से बात करने लगी ।

‘पार्सल एक्सप्रेस सर्विस से भेजा गया है मैडम तो रिसीव करने के एक घंटें के अन्दर डिलीवरी करना जरूरी था ।’ जवाब देते हुए उसने श्रेया से पेपर और पेन लेकर अपने बैग में रखे और वहां से चला गया ।

दरवाजा बंदकर श्रेया ने लिफाफे को पलटकर ध्यान से देखा । उस पर प्रेषक के नीचे लिखा नाम पढ़कर उसने उस पर बड़ी ही हसरत से अपनी ऊंगलियां फेर दी । लिफाफा खोलकर उसने सारे पेपर उलट पलटकर देख डाले और एक ठण्डी आह भरकर वापस खिड़की के पास आकर बैठ गई ।

‘इस बार कम से कम एक बार तो इन्कार कर दिया होता नैतिक ।’ वह धीमे से बुदबुदायी और उसकी आंखें गीली हो गई ।

‘जब उसने इन्कार किया था तब उसकी सुन ली होती तो आज ये नौबत ही न आती । खुद तो डूबी और बेचारे नैतिक की जिन्दगी भी बर्बाद कर डाली तूने । न जाने कौन सी मनहूस घड़ी में मैंने उस बेचारे को तुझसे शादी रचाने के लिए प्रस्ताव रखा था ।’ अपने ही विचारों में खोई श्रेया को पता ही न चल पाया कि कब वन्दना उसके पीछे आकर खड़ी हो गई ।

‘आपके कहने पर माफी भी तो मांग ली थी बाद में ।’ श्रेया ने अपने आपको सम्हाला और बोली ।

‘हर चीज का अपना एक वक्त होता है श्रेया । तू गलती पर गलती करती गई और वह तुझे माफ करता गया लेकिन तू इसे उसकी कमजोरी समझ बैठी श्रेया । अपने स्वाभिमान पर लगी चोट इन्सान कभी नहीं भूलता ।’ वन्दना ने श्रेया के चेहरे पर उठ रहे भावों को पढ़ने की कोशिश की ।

‘अब जो हो गया उसे बार बार याद दिलाकर आप मुझे परेशान न करो मम्मी ।’ श्रेया खीज उठी ।

‘परेशान तो तू खुद ही हो रही है बार बार पश्चाताप की आग में जलकर ।’ वन्दना ने कहा तभी उसकी नजर श्रेया के बिस्तर पर पड़ी । 

‘वकील चाचा से फोन पर बात कर लेना । कल ही पूछ रहे थे कि नैतिक ने डायवोर्स के पेपर साइन कर भिजवाये या नहीं ।’ वन्दना ने श्रेया के बिस्तर पर पड़ा लिफाफा और पेपर्स पर नजर डालते हुए कहा और कमरे से बाहर निकल गई ।

बाहर बारिश बंद हो चुकी थी । तभी श्रेया की नजर बारिश में भीग चुके पक्षी के एक जोड़े पर जाकर ठहर गई । दोनों अपने पंख फैलाकर चीं चीं करते हुए अपने पंखों में ठहरा हुआ पानी निकाल रहे थे । श्रेया ने अपना मोबाइल उठाकर उनका वीडियो शूट करने लगी । तभी अचानक ही जोड़े में से एक पक्षी ने अपनी चोंच दूसरे पक्षी के पंखों में घुमाना शुरू कर दी । श्रेया को लगा चोंच घुमाने वाली पक्षी शायद मादा थी । उसकी इस हरकत से नर पक्षी नाराज हो गया और मादा पक्षी की गर्दन पर अपनी चोंच से प्रहार कर वहां से उड़ गया । उसके पीछे पीछे तुरन्त मादा पक्षी भी उड़कर उसके संग पेड़ की टहनी पर जा बैठी । अब दोनों फिर से आपस में अपनी अपनी चोंच से एक दूसरे के पंखों से खेलने लगे ।

श्रेया वीडियो शूट कर फिर से गहरे विचार में खो गई और वापस अपने अतीत में चली गई ।

सबेरे सबेरे नैतिक के घर के बाहर पुलिस की गाड़ी खड़ी देखकर जमा हुए आस पड़ौसियों में आपस में शोरगुल होने लगा । पुलिस अधिकारी के साथ बहस करते हुए नैतिक घर से बाहर निकलते हुए बार बार हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था ।

‘सर, आपको जरुर कोई गलतफहमी हुई है । मैंने कोई अपराध नहीं किया है ।’

‘आपकी वाइफ ने आपके खिलाफ वायोलेंस की कम्पलेन दर्ज करवायी थी । आपको नोटिस भेजा गया था लेकिन आपने उसका कोई जवाब नहीं दिया और न ही कल आप चौकी पर हाजिर हुए ।’ नैतिक की बात सुनकर पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया ।

‘ये सरासर झूठा इल्जाम लगाया गया है मुझ पर । आप इनसे ....ये केशव चाचा से पूछ लीजिए ।’ नैतिक ने अपने इर्दगिर्द नजर दौड़ाकर समीप खड़े केशव चाचा की तरफ इशारा कर पुलिस अधिकारी से कहा ।

‘मि. नैतिक । आप मेरे काम में मुझे सहकार दीजिये । अभी आपको केवल पूछताछ के लिए ही थाने ले जाया जा रहा है ।’ पुलिस अधिकारी ने चेतावनी भरे स्वर में नैतिक से कहा । तभी नैतिक की नजर वन्दना के घर की दहलीज पर खड़ी श्रेया पर पड़ी । उसने अगले ही पल अपमान से तिलमिलाते हुए अपनी नजरें फेर ली । थोड़ी ही देर में एक लेडी कांस्टेबल के साथ राधिका बाहर आई । पुलिस की गाड़ी में बैठते हुए नैतिक की आंखों में आंसू उभर आये ।

‘सर, कम्प्लेन मेरे खिलाफ दर्ज हुई है तो मेरी मम्मी को सभी के सामने इस तरह जिल्लत न कीजिए ।’ 

‘मि. नैतिक । उनका नाम भी चढ़ा है रजिस्टर में ।’ पुलिस अधिकारी ने कहा और राधिका के गाड़ी में सवार होते ही गाड़ी वहां से चल दी ।

चार घण्टें बाद नैतिक और राधिका जब वापस लौटे तो किसी से नजरें नहीं मिला पा रहे थे । उनके घर में दाखिल होते ही वन्दना श्रेया को लेकर अन्दर आयी ।

श्रेया को देखकर नैतिक की आंखें लाल हो गई । वह गुस्से से तिलमिला उठा । वह आगे बढ़कर श्रेया से कुछ कहने ही जा रहा था कि राधिका ने उसे रोक दिया । नैतिक अपमान के घूंट पीता हुआ अपनी जगह पर खड़ा रह गया ।

तभी वन्दना बोली, ‘बेटा, श्रेया ने तो कुछ भी बोलने लायक ही नहीं छोड़ा है पर मैं आप दोनों की हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं ।’

‘आप क्यों माफी मांग रही है आंटी ? आपकी बेटी ने जब मुझे अपराधी करार दे ही दिया है तो अब उसे बताऊंगा कि डोमेस्टिक वायोलेंस कैसा होता है ।’ कहते हुए नैतिक ने अपना कदम आगे बढ़ाया ।

‘नैतिक ! खबरदार जो श्रेया को हाथ भी लगाया तो ।’ राधिका ने नैतिक का हाथ पकड़ लिया ।

‘देख लिया आपने ? इस इन्सान के लिए आपने मुझसे अपनी कम्प्लेन कैन्सल करवाई और माफी मंगवाने यहां लेकर आई ।’ श्रेया ने वन्दना की तरफ देखा ।

‘श्रेया, इस बात को यहीं खत्म कर और माफी मांग नैतिक और राधिका बहन से ।’ वन्दना श्रेया पर चिल्लाई ।

‘सॉरी ।’ श्रेया ने कहा और अगले ही क्षण वह वहां से लौट गई ।

तभी उसका ध्यान अपने मोबाइल की ओर गया और वह वापस अपने वर्तमान में लौट आई । किसी नम्बर से बार बार उसे कॉल आ रही थी ।

‘बोलिए वकील चाचा ।’ कॉल कनेक्ट करते हुए श्रेया बोली ।

‘नैतिक ने पेपर साइन कर भिजवाये या नहीं ?’

‘आज ही आये है, कुछ देर पहले ।’ श्रेया ने जवाब दिया ।

‘चलो अच्छा हुआ । अभी साढ़े दस बज रहे है । तू वो पेपर्स लेकर एक बजे मेरे ऑफिस आ जा ।’

‘ठीक है चाचा ।’ कहकर श्रेया ने फोन रख दिया और नहाने चली गई ।