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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 30

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

30

"कितना खूबसूरत!" मैंने कहा।

"हाँ, सो तो है, लेकिन बिना बीवी के ये घर आभूषणों के खाली डिब्बे की तरह है। इसलिए मैं इसे देर तक खाली नहीं छोड़ता, चार्ली।"

दक्षिण में हम कई मिलिटरी कैम्पों में गये और हमने कई निराश और हताश चेहरे देखे। हमारे दौरे का क्लाइमैक्स न्यू यार्क में वॉल स्ट्रीट में सब-ट्रेजरी के बाहर अंतिम बाँड मुहिम थी। वहां पर हमने, मैरी, डगलस और मैंने बीस लाख डॉलर से भी ज्यादा के बाँड बेचे।

न्यू यार्क के हालात हताश करने वाले थे। मिलिटरी के तंत्र की काली छाया हर कहीं थीं। इससे कहीं भी कुछ भी बचा हुआ नहीं था। अमेरिका आज्ञाकारिता के सांचे में ढला हुआ था और युद्ध के धर्म के आगे सारे धर्म फीके पड़ गये थे। मैडिसन एवेन्यू के मनहूस गहरे संकरे दर्रे के साथ-साथ मिलिटरी बाँड की नकली चमक-धमक भी हताश करने वाली होती। मैं अपने होटल की बारहवीं मंज़िल की खिड़की में से उन्हें विदेश जाने के लिए अपनी टुकड़ी की तरफ जाते हुए देखता रहता।

सारे माहौल के बावज़ूद बीच-बीच में हँसी के पल आ ही जाते। बॉल पार्क में न्यू यार्क के गवर्नर को सलामी देते हुए सात ब्रास बैंड गुज़रने वाले थे। ऊल-जुलूल किस्म के बैज लगाये हुए विल्सन मिज्नर स्टेडियम के बाहर प्रत्येक बैंड को रोकता और गवर्नर के ग्रैंड स्टैंड के सामने से गुज़रते हुए उसे राष्ट्रीय गीत गाने के लिए कहता। गवर्नर और दूसरे सब लोग जब चार बार खड़े हो चुके तो उसने यह ज़रूरी समझा कि वह बैंडों को पहले से राष्ट्रीय गीत शुरू करने के लिए कहे।

तीसरे लिबर्टी ऋण मुहिम के लिए लॉस एंजेल्स छोड़ते समय मैं मैरी डोरो से मिला। वे पैरामाउंट पिक्चर्स में काम करने के लिए हॉलीवुड आयी थीं। वे चैप्लिन की प्रशंसक थीं। उन्होंने काँसटेंस कॉलियर से कहा कि वे हॉलीवुड में जिस इकलौते शख्स से मिलना चाहती हैं, वह है चार्ली चैप्लिन। उन्हें इस बात का रत्ती भर भी ख्याल नहीं था कि मैं लंदन में डÎूक ऑफ यॉर्क थियेटर में उनके साथ अभिनय कर चुका था।

सो मैं मैरी डोरो से दोबारा मिला। ये मिलना किसी रोमांटिक नाटक के दूसरे अंक की तरह था। जब कोंसटांस ने मेरा परिचय करा दिया तो मैं बोला,"लेकिन मोहतरमा, हम पहले भी मिल चुके हैं। आपने मेरा दिल तोड़ा था। मैं आपसे मौन प्रेम किया करता था।"

मैरी, हमेशा की तरह खूबसूरत लगती हुईं, लम्बी कमानी के अपने चश्मे में से मेरी तरफ देखते हुए बोलीं, "हाय, कितना थ्रिलिंग।"

तब मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि मैं शारलॉक होम्स में बिली बना करता था।

बाद में हमने बाग में खाना खाया। ये ग्रीष्म ऋतु की एक गर्म शाम थी और मोमबत्ती की रोशनी में मैं उन्हें उनके मौन प्रेम में पागल एक नवयुवक की कुंठाओं के बारे में बताता रहा। मैंने उन्हें बताया कि ड्यूक और यार्क थियेटर में मैं उन पलों की टाइमिंग इस तरह से किया करता था कि जब वे अपने ड्रेसिंग रूम से निकलें तो मैं उन्हें सीढ़ियों पर ही मिलूं और गुड ईवनिंग कहूं। हम लंदन और पेरिस के बारे में बातें करते रहे। मैरी को पेरिस अच्छा लगता था और हम बिस्त्रा की, कैफे की और मैक्सिम की और चैम्प्स इलिसिस की बातें करते रहे।

और अब मैरी न्यूयार्क में थीं। और जब उन्हें पता चला कि मैं रिट्ज में ठहरा हुआ हूं, उन्होंने अपने अपार्टमेंट में मुझे शाम के खाने पर आमंत्रित करते हुए एक खत लिखा था। पत्र कुछ इस तरह से था:

चार्ली डीयर,

मेरा चैम्प्स इलिसिस (मैडिसन एवेन्यू) से थोड़ा हट कर अपना अपार्टमेंट है जहां हम एक साथ खाना खा सकते हैं या मैक्सिम (द कॉलोनी) में जा सकते हैं। उसके बाद हम अगर आप चाहें तो हम बोइस (सेन्ट्रल पार्क) में ड्राइव कर सकते हैं।

अलबत्ता, हमने इनमें से कुछ भी नहीं किया, लेकिन मैरी के अपार्टमेंट में अकेले एकांत में खाना खाया।

मैं लॉस एजेंल्स में लौट आया और एथलेटिक क्लब में फिर से अपना मकान ले लिया और अपने काम के बारे में सोचना शुरू किया। ए डॉग्स लाइफ ने कुछ ज्यादा ही वक्त ले लिया था और मैंने जितनी उम्मीद की थी, उससे कहीं ज्यादा खर्च उस पर हो गया था। अलबत्ता, खर्च को ले कर मैं ज्यादा परेशान नहीं था क्योंकि मेरे करार के खत्म होने पर औसत ठीक हो ही जाता। लेकिन मेरी चिंता थी कि मुझसे अपनी दूसरी फिल्म के लिए आइडिया कहां से मिले। तब मेरे मन में एक ख्याल आया, क्यों न युद्ध पर एक कॉमेडी बनायी जाये। मैंने अपने इरादे के बारे में कई मित्रों को बताया। लेकिन सबने अपने सिर हिला दिये। डे मिले ने कहा,"इस वक्त युद्ध का मज़ाक उड़ाना खतरनाक हो सकता है।" खतरनाक हो या न हो, इस ख्याल ने ही मुझे उत्तेजित कर दिया।

मूल रूप से यह योजना बनायी गयी थी कि शोल्डर आर्म्स पांच रील की बनायी जायेगी। इसकी शुरुआत में अपने वतन में ज़िंदगी (होम लाइफ) दिखायी जाती, मध्य में युद्ध होता और अंत वाले अंश में खाने पीने की पार्टीबाजी दिखायी जाती जिसमें यूरोप के सारे के सारे राजे महाराजे कैसर को पकड़ने के अपने वीरतापूर्ण कारनामे के जश्न मना रहे हैं। और हां, अंत में मेरी नींद खुल जाती है।

युद्ध के पहले के और बाद के दृश्य छोड़ दिये गये। जश्न वाली पार्टी के दृश्य कभी नहीं फिल्माये गये। अलबत्ता, शुरुआत के दृश्य ज़रूर फिल्माये गये थे। कॉमेडी संकेतों में अपनी बात कहती थी। उसमें एक चार्लोट को दिखाया गया था कि वह अपने चार बच्चों के साथ घर वापिस लौट रहा है। वह उन्हें एक पल के लिए छोड़ता है, और मुंह पोंछता हुआ और डकार लेता हुआ वापिस आता है।

वह घर में प्रवेश करता है और तभी अचानक ही एक फ्राइंग पैन तस्वीर में आता है और उसके सिर से टकराता है। उसकी बीवी को बिल्कुल भी दिखाया नहीं जाता है लेकिन रसोई में अलगनी पर एक बहुत बड़ी-सी शमीज़ लटकती दिखायी जाती है जिससे बीवी की वृहद् काया का पता चलता है। अगली दृश्यावली में दिखाया जाता है कि सेना में भर्ती के लिए उसकी जांच की जा रही है और उसे सारे कपड़े उतारने के लिए कहा जाता है। टेढ़े कटे कांच के दरवाजे पर वह एक नाम देखता है - डॉक्टर फ्रांसिस। दरवाज़ा खोलने के लिए एक छाया उभरती है और यह सोच कर कि ये कोई महिला है, वह दूसरे दरवाजे से सरक जाता है और अपने आप को कांच के पार्टीशनों के घिरे दफ्तरों की भूल भुलइंया में पाता है जहां बहुत सी महिला क्लर्क अपने-अपने काम में लगी हुई हैं। जैसे ही एक महिला सिर उठाकर उसे देखती है, वह जल्दी से एक डेस्क के पीछे छिप जाता है। लेकिन उसे पता चलता है कि वह दूसरी औरत के सामने पड़ गया है। आखिरकार एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक बचते बचाते वह और ज्यादा कांच के पार्टीशनों वाले दफ्तर में पहुंचता जाता है। अपनी मूल जगह से दूर, और दूर होता जाता है। आखिर में वह अपने आपको अलफ नंगा एक बाल्कनी में पाता है। नीचे की तरफ भीड़ भरा बाजार है। हालांकि यह दृश्यावली फिल्मायी तो गयी थी, लेकिन कभी इस्तेमाल नहीं की गयी थी। मैंने यही सोचा कि चार्लोट को गैर-मामूली ही बनाये रखा जाये जिसकी कोई पृष्ठभूमि नहीं है और वह अपने आपको पहले से ही फौज में पाता है।

सोल्जर आर्म्स तपती गर्मी में लू के थपेड़ों के बीच बनायी गयी थी।छद्म रूप से बनाये गये पेड़ के भीतर काम करना (जैसा कि मैंने एक दृश्यावली के दौरान किया था) आराम से काम करने के अलावा सब कुछ था। मैं बाहर आउटडोर लोकेशन पर काम करने से बहुत घबराता हूं क्योंकि वहां व्यवधान बहुत होता है। आदमी का ध्यान और कल्पनाशक्ति जैसे हवा में ही उड़ जाते हैं।

फिल्म बनाने में कुछ ज्यादा ही समय लग गया और मैं उससे संतुष्ट नहीं था। स्टूडियो में मैंने हरेक के मन में यही बात बिठा दी थी कि फिल्म वाहियात बनी है - और अब, डगलस फेयरबैंक्स इस फिल्म को देखना चाह रहे थे। वे अपने एक दोस्त के साथ आये और मैंने उन्हें चेताया कि मैं इस फिल्म को ले कर कितना निराश हूं और मैं तो सोच रहा था कि इसे कूड़ेदान के हवाले कर दूं। सिर्फ हम तीन लोग प्रोजेक्शन रूम में बैठे। फिल्म शुरू होते ही फेयरबैंक्स ने जो ठहाके लगाने शुरू किये, वे तभी रुकते थे जब वे बीच-बीच में खांसते थे। मेरे प्यारे डगलस, वे मेरे सबसे महान दर्शक थे। जब फिल्म पूरी हो गयी और हम दिन की रौशनी में बाहर आये तो हँसने की वजह से उनकी आँखों में पानी आ गया था।

"क्या आपको वाकई लगता है कि ये मज़ेदार है?" मैंने पूछा।

वे अपने दोस्त की तरफ मुड़े,"आपको इसके बारे में क्या लगता है? ये फिल्म को कूड़े के ढेर में फेंक देना चाहता है?" डगलस की मात्र यही टिप्पणी थी।

सोल्ज़र आर्म्स ने अपार सफलता पायी और फिल्म खास तौर पर युद्ध के दिनों में सैनिकों के बीच खासी लोकप्रिय रही। लेकिन फिर वही बात हुई कि फिल्म बनाने में मुझे उम्मीद से ज्यादा वक्त लगा था और उसकी लागत भी ए डॉग्स लाइफ की तुलना में ज्यादा आयी थी। अब मैं आपने आप से आगे निकल जाना चाहता था और मेरा ख्याल था कि फर्स्ट नेशनल शायद मेरी मदद करें। जब से मैं उनसे जुड़ा था, वे हवा में तैर रहे थे। निर्माताओं और दूसरे कलाकारों को अनुबंधित कर रहे थे और उन्हें 250000 डॉलर प्रति फिल्म और लाभ में से पचास प्रतिशत के हिस्सा अदा कर रहे थे। उनकी फिल्मों की लागत कम होती थी और उन्हें कॉमेडियों की तुलना में बनाना आसान था। और ये तय था कि वे बॉक्स ऑफिस पर कम पैसा पीट रही थीं।

जब मैंने मिस्टर जे डी विलियम्स, फर्स्ट नेशनल के अध्यक्ष से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि वे इस मामले को अपने निदेशकों के सामने रखेंगे। मैं ज्यादा कुछ नहीं चाहता था, बस मेरी चाह यही थी कि अतिरिक्त लागत की भरपाई हो जाये और इससे उन पर दस या पन्द्रह हज़ार डॉलर प्रति फिल्म से ज्यादा का बोझ नहीं पड़ने वाला था। उन्होंने बताया कि वे एक हफ्ते के भीतर ही लॉस एजेंल्स में अपने निदेशकों से मिलने वाले हैं और बेहतर होगा मैं उनसे सीधे ही बात कर लूं।

उन दिनों वितरक लोग गंवार किस्म के कारोबारी आदमी हुआ करते थे और उनके लिए फिल्म एक ऐसा कारोबार था जिस पर गज के हिसाब से नाप कर धंधा करते थे। मेरा ख्याल है, मैं अपनी बात अच्छी तरह से कह पाया और ईमानदारी से उनके सामने अपनी वजहें स्पष्ट कर पाया। मैंने उनसे कहा कि मुझे बस, थोड़े से ज्यादा धन की ज़रूरत है क्योंकि मैं उम्मीद से कहीं अधिक खर्च कर रहा हूं। लेकिन मुझे ऐसा भी लगा मानो मैं जनरल मोटर्स से वेतन वृद्धि मांगने वाला इकलौता कर्मचारी होऊं। जब मैंने अपनी बात पूरी कर ली तो एक पल के लिए मौन छा गया और उसके बाद उनके प्रवक्ता ने अपना मुंह खोला,"ठीक है चार्ली, ये तो कारोबार है। आपने करार पर हस्ताक्षर किये हैं और हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप उसे पूरा करेंगे।"

मैंने नपे तुले शब्दों में कहा,"मैं आपको दो महीने के भीतर छ: फिल्में बना कर दे सकता हूं अगर आप उसी तरह की फिल्में चाहते हैं।"

"ये तो आप पर है चार्ली," ठंडी आवाज़ में कहा गया।

मैंने अपनी बात जारी रखी,"मैं इसलिए ज्यादा पैसों की मांग कर रहा हूं ताकि मैं अपने काम का स्तर बरकरार रख सकूं। आपकी उदासीनता से पता चलता है कि आप में मनोविज्ञान और दूरदृष्टि की कमी है। आप कम से कम खाने पीने की चीज़ों का कारोबार तो नहीं ही कर रहे हैं। आप जानते हैं कि आप व्यक्तिगत उत्साह के साथ डील कर रहे हैं।" लेकिन कोई भी तर्क उन्हें डिगा नहीं सका। मैं उनके नज़रिये को समझ नहीं पाया क्योंकि उन दिनों मुझे देश में सबसे अधिक भीड़ जुटाने वाला समझा जाता था।

"मेरा ख्याल है, ये मामला कुछ-कुछ मोशन पिक्चर्स के होने वाले सम्मेलन से संबंध रखता है।" मेरे भाई सिडनी ने कहा,"ऐसी अफवाहें हैं कि फिल्म बनाने वाली सारी की सारी कम्पनियां आपस में मिल रही हैं।"

एक दिन बाद सिडनी ने डगलस और मैरी से मुलाकात की। वे भी परेशान लग रहे थे क्योंकि उनके भी करार खत्म हो रहे थे और पैरामाउंट ने अब तक इस बारे में कुछ भी नहीं किया था। सिडनी की तरह डगलस का भी यही ख्याल था कि हो न हो, इसका संबंध इस फिल्म एकीकरण से ही है, "क्या ख्याल है अगर उनकी चालों पर निगाह रखने के लिए एक जासूस की मदद ली जाये ताकि पता चल सके कि आखिर चल क्या रहा है।"

हम सब एक जासूस रखने पर सहमत हो गये। हमने एक चतुर, आकर्षक और सुंदर-सी दिखने वाली लड़की को इस काम के लिए रखा। उसे जल्द ही एक महत्त्वपूर्ण निर्माण कम्पनी के कार्यपालक के साथ मुलाकात कर ली। उसकी रिपोर्ट में बताया गया था कि वह एलेक्जेन्ड्रा होटल की लॉबी में उस व्यक्ति विशेष के पास से गुज़री थी और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरायी थी। तब उसने यह बहाना बनाया कि वह उसे अपना कोई पुराना दोस्त समझ बैठी थी। उसी शाम उस महाशय ने लड़की को अपने साथ डिनर के लिए आमंत्रित किया था। लड़की की रिपोर्ट से हमें पता चला था कि वे महाशय अच्छे खासे ठरकी थे और लार टपकाने की कला में माहिर थे। तीन रातों तक वह उसके साथ बाहर जाती रही और किसी न किसी बहाने से वायदों और बहानों से उसे टरकाती रही। इस बीच इस मामले की पूरी कहानी उसके हाथ लग चुकी थी कि आखिर फिल्म उद्योग में चल क्या रहा है। वे महाशय और उनके साथी सभी निर्माण कम्पनियों को मिला कर चार करोड़ डॉलर की रकम से एक कम्पनी खड़ी कर रहे थे और संयुक्त राष्ट्र में सभी वितरकों के सामने पांच बरस के करार के लिए चुग्गा डाल रह थे। महाशय ने लड़की को बताया था कि वे बेइंतहा पैसा पीटने वाले मुट्ठी भर सनकी कलाकारों द्वारा चलाये जाने के बजाये इस कम्पनी को विधिवत कारोबारी तरीके से उद्योग के रूप में चलाने का इरादा रखते हैं। यही बातें उस लड़की की रिपोर्ट का निचोड़ थीं और इनसे हमारे मकसद पूरे हो जाते थे। हम चारों ने ये रिपोर्ट डी डब्ल्यू ग्रिफिथ और बिल हार्ट को दिखायी और उनकी भी वही प्रतिक्रिया थी जो कि हमारी थी।

सिडनी ने हमें बताया कि हम इस एकीकरण को मात दे सकते हैं अगर हम वितरकों के कान में यह बात डाल दें कि हम अपनी खुद की निर्माण कम्पनी बनाने जा रहे हैं और हमारा इरादा ये है कि हम अपनी बनायी हुई फिल्मों को खुले बाज़ार में बेचेंगे और स्वतंत्र बने रहेंगे। उस वक्त हमारे पास उद्योग में सबसे ज्यादा भीड़ जुटा सकने में सक्षम लोग थे। अलबत्ता, इस परियोजना को लागू करने का हमारा कोई इरादा नहीं था। हमारा लक्ष्य तो बस, यही था कि वितरकों को इस प्रस्तावित एकीकरण के साथ पांच बरस का करार करने से रोकें, क्योंकि सितारों के बिना ये दो कौड़ी का न रहता। हमने ये फैसला किया कि उनके सम्मेलन से एक रात पहले हम सब मिल कर एलेक्जेंड्रा होटल के मुख्य डाइनिंग हॉल में डिनर के लिए आ जुटेंगे और तब प्रेस में इस सिलसिले में घोषणा करेंगे।

उस रात, मैरी पिकफोर्ड, डी डब्ल्यू ग्रिफिथ, डब्ल्यू एस हार्ट, डगलस फेयरबैंक्स और मैं खुद मुख्य डाइनिंग हॉल में एक मेज़ पर आ बैठे। इसका असर बिजली सरीखा था। जे डी विलियम्स बिना किसी शक-शुबहे के सबसे पहले डिनर के लिए आये, हमें देखा और लपकते हुए उलटे पैर लौट गये। एक के बाद दूसरे निर्माता प्रवेश द्वार तक आते, एक निगाह डालते, और लपक कर बाहर निकल जाते, और हम वहां पर बैठे-बैठे बड़े-ब़ड़े कारोबार की बातें हाँक रहे थे। मेजपोश पर अकल्पनीय संख्याएं लिख रहे थे। जब भी कोई निर्माता दरवाजे पर अपना चेहरा दिखाता, डगलस अचानक ही बेसिर-पैर की बातें करने लगते। "मूंगफली पर बंदगोभी और सूअर के मांस पर राशन इन दिनों बाज़ार में धूम मचा रहे हैं," वे कहना शुरू कर देते। ग्रिफिथ और हार्ट ने समझा कि उनका दिमाग चल गया है।

जल्द ही प्रेस के छ: सात सदस्य हमारी मेज़ पर नोट्स ले रहे थे और हम बयान जारी कर रहे थे कि हम अपनी आज़ादी को बरकरार रखने के लिए और आगामी एकीकरण का मुकाबला करने के लिए युनाइटेड आर्टिस्ट्स की एक कम्पनी खड़ी करने जा रहे हैं। इस स्टोरी को अगले दिन पहले पृष्ठ पर जगह मिली।

अगले दिन कई निर्माण कम्पनियों के प्रमुखों ने अपने अपने पद से इस्तीफा दे कर मामूली से वेतन पर और हिस्से पर हमारी कम्पनी में अध्यक्ष पद पर आने का प्रस्ताव रखा। इस तरह की प्रतिक्रिया के बाद हम लोगों ने तय किया कि हम अपनी परियोजना को आगे ले जायेंगे। इस तरह से युनाइटेड आर्टिस्ट्स कार्पोरेशन अस्तित्व में आयी।

हमने मैरी पिकफोर्ड के घर पर एक बैठक रखी। हम में से हरेक व्यक्ति अपने अपने प्रबंधक और वकील के साथ आया। वहां पर इतना बड़ा जमावड़ा हो गया कि हमें जो कुछ भी कहना था, हमें सार्वजनिक सभाओं में किये जाने वाले भाषण की तरह कहना पड़ा। दर असल, जब भी मैं कुछ बोला, हर बार मैं बेहद नर्वस हो जाता। लेकिन मैं मैरी की कानूनी और कारोबारी दक्षता को देख कर दंग था। उन्हें सारी चीजों के नाम तक याद थे। अमूर्तिकरण और आस्थगित स्टॉक वगैरह। उन्हें इन्कार्पोरेशन की सभी धाराएं याद थीं। पेज़ सात पर कानूनी विसंगति, पैरा ए, धारा 27, और वे सहजता से पैरा डी में ओवरलैप और विरोधाभास की बात कर रही थीं। ऐसे मौकों पर वे मुझे हैरान करने के बजाये उदास कर जाती थीं क्योंकि अमेरिका की हर दिल अजीज का एक ऐसा पक्ष था जिससे मैं वाकिफ नहीं था। उनका एक जुमला तो मैं आज तक नहीं भूल पाया हूं। हमारे प्रतिनिधियों के सामने दलीलें देते हुए उन्होंने एक फिकरा कसा, हमें यही करना होगा सज्जनो, मैं हँसते हँसते दोहरा हो गया और दोहराता फिरा, हमें यही करना होगा।

उन दिनों मैरी की खूबसूरती के बावजूद कारोबार में काफी निपुण होने के बारे में उनकी ख्याति थी। मुझे याद है, माबेल नोर्माड, जिसने उनसे पहली बार मेरा परिचय कराया था, कहा था, "ये हैं हैट्टी ग्रीन* उर्फ मैरी पिकफोर्ड।"

ऐसी कारोबारी बैठकों में मेरी हिस्सेदारी शून्य रहा करती। सौभाग्य से मेरा भाई सिडनी कारोबार में मैरी की ही तरह चतुर था और डगलस, जो एक सौम्य उदासीनता ओढ़े रहते, हममे से किसी से भी ज्यादा शातिर थे। जिस वक्त हमारे वकील आपस में कानूनी तकनीकी पेचीदगियों में उलझ रहे होते, वे किसी स्कूली बच्चे की तरह कूद फांद करते रहते लेकिन इन्कार्पोरेशन की धाराएं पढ़ते वक्त वे कोई अर्धविराम भी न भूलते।

उन निर्माताओं में से एक जो इस्तीफा दे कर हमारी कम्पनी में आने के लिए इच्छुक थे, एडोल्फ ज़ुकोर, पैरामाउंट के अध्यक्ष और संस्थापक थे। वे ओजस्वी व्यक्तित्व के मालिक थे, छोटे से कद के प्यारे से आदमी। उनकी शक्ल नेपोलियन से मिलती थी और वे थे भी नेपोलियन की तरह गहराई लिये हुए। कारोबार की बात करते समय वे सामने वाले को मुगध कर लेते और ड्रामाई हो जाते। वे अपने हंगेरियन उच्चारण में बोले,"आप, आपको इस बात का पूरा हक है कि अपने प्रयासों का पूरा फायदा उठायें क्योंकि आप लोग कलाकार हैं। आप सृजन करते हैं। आप ही लोग हैं जिनकी वजह से लोग आते हैं।" हम विनम्रता से सहमत हो गये। उन्होंने कहना जारी रखा,"आप, आप ऐसी कम्पनी का गठन करने के लिए आये हैं जो कि मेरी निगाह में कारोबार में सबसे ज्यादा भयावह कम्पनी है, अगर अगर," उन्होंने ज़ोर दिया,"अगर इसका सही ढंग से प्रबंधन किया जाये। आप लोग कारोबार के एक सिरे पर सृजक कलाकार लोग हैं और दूसरी तरफ मैं सृजक हूं। इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।"

और वे इसी तरह से बात करते रहे। उन्होंने हमें मंत्रमुग्ध कर रखा था। वे हमें अपने सपनों और विश्वासों के बारे में बता रहे थे। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वे थियेटरों और स्टूडियो, दोनों को मिला कर एक करना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि वे ये सब अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार हैं, बस, वे अपने सारे कलाकार हमारे साथ शामिल करना चाहेंगे। वे तनावपूर्ण, संत महंत जैसी वाणी बोल रहे थे,"आपको लगता है कि मैं आपका दुश्मन हूं। लेकिन मैं आपका दोस्त हूं। कलाकार का दोस्त। इस बात को याद रखो, मैं ही वह पहला व्यक्ति था जिसके पास दूरदृष्टि थी। किसने आपके गंदे थियेटर बुहारे? किसने आपकी आरामदायक सीटें लगायीं? मैं ही वह व्यक्ति था जिसने बड़े बड़े थियेटर बनाये। जिसने कीमतें ऊपर उठायीं और इस बात को संभव कर दिखाया कि आपको अपनी फिल्मों के लिए बेइंन्तहा पैसा मिले। इसके बावजूद, आप ही लोग मुझे सूली पर चढ़ाना चाहते हैं।"

ज़ुकोर एक साथ महान कलाकार और कारोबारी व्यक्ति थे। उन्होंने पूरी दुनिया में थियेटरों का बहुत बड़ा जाल सा बिछा दिया था। अलबत्ता, चूंकि वे हमारी कम्पनी में हिस्सा चाहते थे, हमारी बातचीत का कोई फल नहीं निकला।

छ: महीने के भीतर ही मैरी और डगलस नयी बनायी गयी कम्पनी के लिए फिल्में बनाने लगे थे लेकिन मुझे अभी भी फर्स्ट नेशनल को छ: और कॉमेडी बना कर देनी थीं। उनके तकलीफदेह नज़रिये ने मुझे इतना हताश कर दिया कि मेरे काम की प्रगति में बाधा आने लगी। मैंने प्रस्ताव रखा कि मैं अपने करार का हिस्सा खरीद लेता हूं और उन्हें एक लाख डॉलर का लाभ देने के लिए तैयार हूं लेकिन उन लोगों ने इन्कार कर दिया।

चूंकि मैरी और डगलस ही केवल ऐसे कलाकार थे जो अपनी फिल्मों का वितरण हमारी कम्पनी के माध्यम से कर रहे थे, वे मुझसे लगातार इस बात की शिकायत करते रहते कि मेरी बनायी फिल्मों के अभाव में उन पर कितना बोझ पड़ रहा है। वे अपनी फिल्में बीस प्रतिशत की बेहद कम लागत पर वितरित कर रहे थे। उन्होंने कम्पनी को दस लाख डॉलर के घाटे में ला खड़ा किया। अलबत्ता, मेरी पहली फिल्म द गोल्ड रश के प्रदर्शन के साथ ही कर्जे उतार दिये गये थे और इससे कुछ हद तक मैरी ओर डगलस की शिकायती रुख को थोड़ा नरम कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।

युद्ध अब और भीषण हो चला था। बेदर्दी से कत्लेआम और विध्वंस पूरे यूरोप में आतंक मचाये हुए थे। प्रशिक्षण शिविरों में लोगों को सिखाया जा रहा था कि बायोनेट से किस तरह से सामने वाले पर हमला करें, कैसे चिल्लायें, दौड़ें और दुश्मन की अंतड़ियों में बायोनेट घुसेड़ दें और अगर ब्लेड उसके पेट में फंस जाये तो किस तरह से ब्लेड को ढीला करने के लिए उसकी अंतड़ियों में गोली चलायें। उन्माद का पारावार नहीं था। सेना के भगोड़ों को पांच बरस की सज़ा दी जा रही थी और हर आदमी को अपना पंजीकरण कार्ड साथ साथ लिये चलना होता। अगर कोई आदमी साधारण कपड़ों में नज़र आ जाता तो ये शर्म की बात मानी जाती क्योंकि कमोबेश हर आदमी यूनिफार्म में होता। और अगर उसने यूनिफार्म न पहनी होती तो उससे उसके पंजीकरण कार्ड के लिए पूछा जा सकता था और ऐसा भी हो सकता था कि कोई महिला उसे सफेद पंख उपहार में दे जाती।

कुछ अखबारों ने इस बात के लिए मेरी आलोचना की कि मैं युद्ध में क्यों नहीं हूं। दूसरे कुछ लोग मेरे पक्ष में खड़े हो गये। उनका ये तर्क था कि मेरी कॉमेडियों की मेरे सैनिक बनने से ज्यादा ज़रूरी हैं।

जिस वक्त अमेरिकी सेना फ्रांस पहुंची, उस वक्त वह नयी और ताज़ी थी। वह तुरंत कार्रवाई करना चाहती थी, और अंग्रेजों और फ्रांसीसियों, जो कि तीन बरस से खूनी लड़ाई लड़ रहे थे, की अनुभवी सलाह के खिलाफ उत्साह के साथ और जान हथेली पर रख कर लड़ाई में कूद पड़ी लेकिन इसके लिए उसे काफी कीमत चुकानी पड़ी। लाखों सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हफ्तों तक निराश करने वाली खबरें आती रहीं। मृत और घायल अमेरिकी सैनिकों की लम्बी-लम्बी सूचियां जारी की जाती रहीं। इसके बाद एक ठहराव आया और महीनों तक दूसरे मित्र राष्ट्रों की तरह अमेरिकी भी कीचड़ और खून से भरी खाइयों में पसरे पड़े रहे।

और आखिरकार, मित्र राष्ट्रों ने आगे बढ़ना शुरू किया। नक्शे पर हमारी पताकाएं लहराती नज़र आने लगीं। हर दिन भीड़ की भीड़ उत्सुकता से झंडों को देखती रहती, और आखिरकार खबर आयी। लेकिन काफी बड़ी कीमत चुकाने के बाद। काले बड़े शीर्षक नज़र आये - कैसर हॉलैंड की तरफ भागे। इसके बाद पूरे पन्ने पर दो ही शब्दों वाली खबर आयी - संधि पर हस्ताक्षर। उस वक्त मैं एथलेटिक क्लब में अपने कमरे में था जिस वक्त ये खबर आयी। नीचे सड़कों पर हंगामा सा हो गया। गाड़ियो के हॉर्न, फैक्टरियों के भोंपू, बिगुल बजने शुरू हो गये और रात दिन बजते ही रहे। पूरी दुनिया खुशी के मारे पागल हो गयी थी। हँसना, गाना, नाचना, गले मिलना, चुंबन और प्यार करना चल रहे थे। आखिर शांति स्थापित हो गयी थी।

युद्ध के बिना जीवन ऐसा ही था मानो आपको जेल से रिहा कर दिया गया हो। हम इतने कड़े अनुशासन में रहते आये थे और हमारी इतनी रगड़ाई होती थी कि बाद के महीनों तक बिना पंजीकरण कार्ड के बिना बाहर निकलने में डरते रहे। इसके बावज़ूद, मित्र राष्ट्रों की जीत हुई थी। इसका जो भी मतलब रहा हो। लेकिन वे निश्चित नहीं थे कि उन्होंने शांति पर विजय पा ली है। एक बात तय थी कि जिस सभ्यता को हम अब तक जानते आये थे, वह अब वही नहीं रह जाने वाली थी। वह युग अब जा चुका था। और इसके साथ ही जा चुकी थीं तथाकथित मूल अच्छाइयां, लेकिन फिर, किसी भी युग में मूल अच्छाइयां असाधारण नहीं रही थीं।

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