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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 22

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

22

नाइल्स में स्टूडियो के आस-पास कैलिफोर्निया शैली के कई छोटे-छोटे बंगले थे जो ब्रोंको बिली ने अपनी कम्पनी के स्टाफ के लिए बनवाये थे। एक बड़ा-सा बंगला था जो उनके खुद के लिए था। उन्होंने बताया कि अगर मैं चाहूं तो उनके बंगले में उनके साथ ही रह सकता हूं। मैं इस प्रस्ताव से खुश हुआ। ब्रोंको बिली, करोड़पति काउबॉय, जिन्होंने शिकागो में अपनी पत्नी के आलीशान अपार्टमेंट में मेरी आवाभगत की थी, के साथ रहने से कम से कम नाइल्स में ज़िंदगी सहने योग्य तो रहेगी।

जिस समय हम बंगले पर पहुंचे, उस वक्त अंधेरा था। जब हमने स्विच ऑन किये तो मुझे झटका लगा। जगह एक दम खाली और मनहूसियत भरी थी। उनके कमरे में लोहे की एक चारपाई रखी थी और उसके ऊपर एक बल्ब लटक रहा था। कमरे में फर्नीचर के नाम पर एक खस्ताहाल मेज़ और एक कुर्सी भी थे। पलंग के पास लकड़ी की एक पेटी रखी थी जिस पर पीतल की एक ऐश ट्रे रखी थी जो सिगरेट के टोटों से पूरी तरह से भरी हुई थी। मुझे जो कमरा दिया गया था, वो भी कमोबेश ऐसा ही था। उसमें बस, राशन रखने की पेटी नहीं थी। कोई भी चीज़ काम करने की हालत में नहीं थी। गुसलखाने के तो और भी बुरे हाल थे। नहाने के नलके से एक मग पानी भर कर लैट्रिन में ले जाना पड़ता था तभी फ्लश किया जा सकता था और लैट्रिन को इस्तेमाल किया जा सकता था। ये घर था जी एम एंडरसन, करोड़पति काउबॉय का।

मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि एंडरसन सनकी थे। करोड़पति होने के बावजूद वे गरिमामय जीवन के प्रति ज़रा भी परवाह नहीं करते थे। उनके शौक थे, भड़कीले रंगों वाली कारें, नूरा कुश्तियों के पहलवानों को पालना, एक थियेटर रखना और संगीतमय प्रस्तुतियां करना। जब वे नाइल्स में काम न कर रहे होते, वे अपना अधिकतर समय सैन फ्रैंसिस्को में बिताते, जहां पर वे छोटे, कम कीमत वाले होटलों में ठहरते। वे अजीब ही किस्म के शख्स थे, अस्पष्ट, मौजी और बेचैन, जो आनंद भरी अकेली ज़िंदगी की चाह रखते थे। और हालांकि शिकागो में उनकी बहुत ही खूबसूरत पत्नी और बेटी थी, वे शायद ही उनसे मिलते। वे अलग और अपने तरीके से अपनी ज़िंदगी जी रही थीं।

एक बार फिर से एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो में धक्के खाना कोफ्त में डालता था। मुझे काम करने वाली एक और यूनिट का इंतज़ाम करने की ज़रूरत पड़ी। इसका मतलब, एक और संतोषजनक कैमरामैन, सहायक निर्देशक और कलाकारों की टोली चुननी पड़ी। कलाकारों की टोली चुनना थोड़ा मुश्किल काम था क्योंकि नाइल्स में इतने लोग ही नहीं थे जिनमें से चुनने की बात आती। एंडरसन की कॉउबॉय कम्पनी के अलावा नाइल्स में एक और कम्पनी थी। ये एक नामालूम सी कॉमेडी कम्पनी थी जिनका काम-काज चलता रहता और जब जी एम एंडरसन की कम्पनी काम न कर रही होती तो खर्चे निकाल लिया करती थी। कलाकारों की टोली में बारह लोग थे। और इनमें से ज्यादातर कॉउबॉय अभिनेता थे। एक बार फिर मेरे सामने मुख्य भूमिका के लिए कोई खूबसूरत-सी लड़की तलाश करने की समस्या आ खड़ी हुई। अब मैं इस बात को ले कर परेशान था कि कैसे भी करके काम शुरू किया जाये। हालांकि मेरे पास कहानी नहीं थी, मैंने आदेश दिया कि तड़क भड़क वाले एक कैफे का सेट बनाया जाये। जब मुझे हँसी-ठिठोली के लिए कुछ भी न सूझता तो कैफे के विचार से मुझे कुछ न कुछ ज़रूर सूझ जाता। जिस समय सेट बनाया जा रहा था, मैं जी एम एंडरसन के साथ सैन फ्रांसिस्को के लिए रवाना हो गया ताकि वहां पर उनकी संगीतमय कॉमेडी में समूहगान गाने वाली लड़कियों में से अपने लिए प्रमुख अभिनेत्री चुन सकूं। हालांकि वे अच्छी लड़कियां थीं फिर भी उनमें से किसी का भी चेहरा फोटोजेनिक नहीं था। एंंडरसन के साथ काम करने वाले कार्ल स्ट्रॉस, खूबसूरत युवा जर्मन-अमेरिकी काउबॉय ने बताया कि वह एक ऐसी लड़की को जानता है जो कभी-कभी हिल स्ट्रीट पर टाटे के कैफे में जाती है। वह उसे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था लेकिन वह खूबसूरत है और हो सकता है कि होटल का मालिक उसका पता जानता हो।

मिस्टर टाटे उसे बहुत अच्छी तरह से जानते थे। वह लवलॉक, नेवादा की रहने वाली थी और उसका नाम एडना पुर्विएंस था। तुरंत ही हमने उससे सम्पर्क किया और उससे सेंट फ्रांसिस होटल में मुलाकात के लिए समय तय किया। वह खूबसूरत से कुछ ज्यादा ही थी। कमनीय थी वह। साक्षात्कार के समय वह उदास और गम्भीर जान पड़ी। मुझे बाद में पता चला कि वह अपने हाल ही के एक प्रेम प्रसंग से उबर रही थी। उसने कॉलेज तक की पढ़ाई की थी और उसने बिजिनेस कोर्स किया था। वह शांत और अलग थलग रहने वाली लड़की थी। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें, सुंदर दंत-पंक्ति और संवेदनशील मुंह था। मुझे इस बात पर शक था कि वह इतनी गम्भीर दिखती है कि वह अभिनय भी कर पायेगी या नहीं और उसमें हास्य बोध है या नहीं। इसके बावज़ूद, इन सारी बातों को दर किनार करते हुए हमने उसे रख लिया। वह मेरी कॉमेडी फिल्मों में कम से कम सौन्दर्य तो बिखेरेगी।

अगले दिन हम नाइल्स लौट आये लेकिन अब तक कैफे बन कर तैयार नहीं हुआ था। जो ढांचा उन्होंने खड़ा किया था, वह वाहियात और बकवास था। स्टूडियो में पक्के तौर पर तकनीकी ज्ञान की कमी थी। कुछेक बदलावों के लिए कहने के बाद मैं किसी आइडिया की तलाश में बैठ गया। मैंने एक शीर्षक सोचा, हिज़ नाइट आउट। खुशी की तलाश में एक शराबी। शुरुआत करने के लिए इतना काफी था। मैंने यह महसूस करते हुए नाइट क्लब में एक झरना लगवा दिया कि इसी से शायद कुछ हंसी-मज़ाक की चीजें निकल आयें। मेरे पास ठलुए की भूमिका के लिए बेन टर्पिन था। जिस दिन हमने फिल्म शुरू करनी थी, उससे एक दिन पहले एंडरसन की कम्पनी के एक सदस्य ने मुझे रात के खाने पर आमंत्रित किया। ये सीधी-सादी पार्टी थी। वहां पर एडना पुर्विएंस को मिला कर हम बीस के करीब लोग थे। खाने के बाद कुछ लोग ताश खेलने बैठ गये जबकि दूसरे लोग आस पास बैठ कर बातें करने लगे। हमारे बीच सम्मोहन शक्ति, हिप्नोटिज्म़ की बात चल पड़ी। मैंने शेखी बघारी कि मैं सम्मोहन शक्तियां जानता हूं। मैंने दावे के साथ कहा कि मैं साठ सेकेंड के भीतर कमरे में किसी को भी हिप्नोटाइज कर सकता हूं। मैं इतने आत्म विश्वास के साथ बात कर रहा था कि सबको मुझ पर यकीन हो गया। लेकिन एडना ने विश्वास नहीं किया।

वह हँसी,"क्या बकवास है? मुझे कोई हिप्नोटाइज कर ही नहीं सकता।"

"तुम," मैंने कहा,"एकदम सही व्यक्ति हो। मैं तुमसे दस डॉलर की शर्त बद कर कहता हूं कि मैं तुम्हें साठ सेकेंड के भीतर सुला दूंगा।"

"ठीक है," एडना ने कहा, "तो लग गयी शर्त"

"अब एक बात सुन लो। अगर बाद में तुम्हारी तबीयत खराब हो गयी तो इसके लिए मुझे दोष मत देना। हां, मैं जो कुछ करूंगा, बहुत ज्यादा गम्भीर नहीं होगा।"

मैंने इस बात की भरपूर कोशिश की कि वह पीछे हट जाये लेकिन वह अपनी बात पर डटी रही। एक महिला ने उसके आगे हाथ-पैर जोड़े कि वह ये सब न करने दे,"तुम तो एक दम मूरखा हो," कहा उसने।

"शर्त अभी भी अपनी जगह पर है।" एडना ने शांति से कहा।

"ठीक है," मैंने जवाब दिया,"मैं चाहता हूं कि तुम सबसे अलग, अपनी पीठ दीवार से अच्छी तरह से सटा कर खड़ी हो जाओ ताकि मुझे तुम्हारा पूरा का पूरा ध्यान मिले।"

उसने नकली हँसी हँसते हुए मेरी बात मान ली। अब तक कमरे में मौजूद सभी लोग इसमें दिलचस्पी लेने लगे थे।

"कोई घड़ी पर निगाह रखे।" मैंने कहा।

"याद रखना," एडना ने कहा, "आप मुझे साठ सेकेंड के भीतर सुला देने वाले हैं।"

"साठ सेकेंड के भीतर तुम एक दम बेहोश हो जाओगी।" मैंने जवाब दिया।

"शुरू," टाइम कीपर ने कहा

तुरंत ही मैंने दो-तीन ड्रामाई हरकतें कीं, उसकी आंखों में घूर-घूर कर देखा, तब मैं उसके चेहरे के निकट गया और उसके कानों में फुसफुसाया ताकि दूसरे लोग न सुन सकें,"झूठ मूठ का नाटक करो।" और मैंने हवा में हाथ लहराये, "तुम बेहोश हो जाओगी, बेहोश, बेहोश!!"

तब मैं अपनी जगह पर वापिस आया और वह लड़खड़ाने लगी। तुरंत ही मैंने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। दर्शकों में से दो चिल्लाये।

"जल्दी करो," मैंने कहा, "इसे दीवान पर लिटाने में कोई मेरी मदद करे।"

जब उसे होश आया तो उसने हैरानी से चारों तरफ देखा और कहा कि वह थकान महसूस कर रही है।

हालांकि वह अपना तर्क जीत सकती थी और सभी उपस्थित लोगों के सामने अपनी बात सिद्ध कर सकती थी फिर भी उसने खुशी-खुशी अपनी जीत को हार में बदल जाने दिया। उसकी इस बात से मैं उसका मुरीद हो गया और मुझे तसल्ली हो गयी कि उसमें हास्य बोध है।

मैंने नाइल्स में चार कॉमेडी फिल्में बनायीं लेकिन चूंकि स्टूडियो सुविधाएं संतोषजनक नहीं थीं, मैं अपने आपको जमा हुआ या संतुष्ट अनुभव नहीं करता था। इसलिए मैंने एंडरसन को सुझाव दिया कि मैं लॉस एंजेल्स चला जाता हूं। वहां पर उनके पास कॉमेडी फिल्में बनाने के लिए बेहतर सुविधाएं थीं। वे सहमत हो गये लेकिन ये सहमति एक दूसरे ही कारण से थी। मैं स्टूडियो पर एकाधिकार जमाये बैठा था जो कि तीन कम्पनियों के लायक बड़ा या पर्याप्त रूप से स्टाफ युक्त नहीं था। इसलिए उन्होंने बॉयल हाइट्स पर एक छोटा-सा स्टूडियो किराये पर लेने के लिए बातचीत की। ये स्टूडियो लॉस एंजेल्स के बीचों-बीच था।

जिस वक्त हम वहां पर थे, दो युवा लड़के, जो अभी कारोबार में बस, शुरुआत कर ही रहे थे, आये और स्टूडियो की जगह किराये पर ले ली। उनके नाम थे हाल रोच और हारोल्ड लॉयड।

मेरी हर नयी फिल्म के साथ जैसे-जैसे मेरी कॉमेडी फिल्मों की कीमत बढ़ती गयी, ऐसेने ने अप्रत्याशित शर्तें लगानी शुरू कर दीं और वितरकों से मेरी दो रील की कॉमेडी के लिए हर दिन के लिए कम से कम पचास डॉलर का किराया वसूल करना शुरू कर दिया। इस तरह से वे मेरी प्रत्येक फिल्म से अग्रिम रूप से पचास हज़ार डॉलर जमा कर रहे थे।

उन दिनों मैं स्टॉल होटल पर मैं ठहरा हुआ था। ये एक ठीक-ठाक किराये वाला नया लेकिन आराम दायक होटल था। एक शाम मेरे काम से लौटने के बाद, लॉस एंजेल्स एक्जामिनर से मेरे लिए एक ज़रूरी टेलिफोन कॉल आया। उन्हें न्यू यार्क से एक तार मिला था जिसे उन्होंने पढ़ कर सुनाया: न्यू यार्क हिप्पोड्रोम में हर शाम पन्द्रह मिनट के लिए दो सप्ताह तक आ कर प्रदर्शन करने के लिए चार्ली चैप्लिन को 25000 डॉलर देंगे। इससे उनके काम में बाधा नहीं पड़ेगी।

मैंने तत्काल सैन फ्रांसिस्को में जी एम एंडरसन को फोन लगाया। देर हो चुकी थी और मैं अगली सुबह तीन बजे तक उनसे बात नहीं कर पाया। फोन पर ही मैंने उन्हें तार के बारे में बताया और पूछा कि क्या वे दो हफ्ते के लिए मुझे जाने देंगे ताकि मैं 25000 डॉलर कमा सकूं। मैंने सुझाव दिया कि मैं न्यू यार्क जाते समय ट्रेन में ही कॉमेडी बनाना शुरू कर सकता हूं और वहां रहते हुए उसे पूरा भी कर लूंगा। लेकिन एंडरसन नहीं चाहते थे कि मैं ये काम करूं।

मेरे बेडरूम की खिड़की होटल के भीतरी हॉल की तरफ खुलती थी इसलिए वहां पर कोई भी बात कर रहा होता तो उसकी आवाज़ सभी कमरों में गूंजती थी। टेलिफोन कनेक्शन अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा था। मैं दो हफ्ते के लिए अपने हाथ से पच्चीस हज़ार डॉलर नहीं जाने दे सकता। ये बात मुझे कई बार चिल्ला कर कहनी पड़ी।

ऊपर के किसी कमरे की खिड़की खुली और एक आवाज़ पलट कर ज़ोर से चिल्लायी, "दफा करो इस हरामजादे को और सो जाओ, बदतमीज कहीं के!!"

एंडरसन ने फोन पर बताया कि अगर मैं ऐसेने को दो रील की एक और कॉमेडी बना कर दे दूं तो वे मुझे पच्चीस हज़ार डॉलर दे देंगे। उन्होंने वादा किया कि अगले ही दिन वे लॉस एंजेल्स आ रहे हैं और करार कर लेंगे। जब मैंने टेलिफोन पर बात पूरी कर ली तो बत्ती बंद करके सोने जा ही रहा था कि मुझे वह आवाज़ याद आयी, मैं बिस्तर से उठा, खिड़की खोली और ज़ोर से चिल्लाया, "भाड़ में जाओ!"

अगले दिन एंडरसन पच्चीस हज़ार डॉलर के साथ लॉस एंजेल्स आये। न्यू यार्क की मूल कम्पनी जिसने यह प्रस्ताव रखा था, दो हफ्ते बाद ही दिवालिया हो गयी। ऐसी थी मेरी किस्मत।

अब लॉस एंजेल्स वापिस लौट कर मैं पहले से ज्यादा खुश था। हालांकि बॉयल हाइट्स पर बने हुए स्टूडियो के आस-पास छोपड़-पट्टियां थीं, वहां रहने से मुझे एक फायदा से हुआ कि मैं अपने भाई सिडनी के आस-पास ही रह सका। मैं उससे अक्सर शाम को मिल लेता। वह अभी भी कीस्टोन में ही काम कर रहा था और ऐसेने के साथ मेरा करार खत्म होने से एक महीना पहले उसका करार पूरा हो जाता। मेरी सफलता का ये आलम था कि सिडनी ये सोच रहा था कि वह अब अपना पूरा वक्त मेरे कारोबारी कामों में ही लगाये। रिपोर्टों के अनुसार, मेरी लोकप्रियता आने वाली प्रत्येक कॉमेडी फिल्म के साथ बढ़ती ही जा रही थी। हालांकि लॉस एंजेल्स में सिनेमा हॉलों के बाहर लगने वाली लम्बी-लम्बी कतारों को देख कर मैं अपनी सफलता की सीमा की बारे में जानता था, मैं इस बात को महसूस नहीं कर पाया कि बाकी जगह मेरी सफलता कितनी बढ़ी है। न्यू यार्क में मेरे चरित्र, कैलेक्टर के खिलौने और मूर्तियां सभी डिपार्टमेंट स्टोरों और ड्रगस्टोरों में बिक रहे थे। जिगफेल्ड लड़कियां चार्ली चैप्लिन गीत गा रही थीं और अपने खूबसूरत चेहरों पर चार्लीनुमा मूछें लगा कर, डर्बी हैट लगा कर, बड़े जूते और बैगी पैंट पहन कर अपनी खूबसूरती का नाश मार रही थीं। वे दोज़ चार्ली चैप्लिन फीट गीत गा रही थीं।

हमारे पास हर तरह के कारोबारी प्रस्तावों का तांता लगा रहता। इनमें किताबों, कपड़ों, मोमबत्तियों, खिलौनों, सिगरेट और टूथपेस्ट जैसी चीजों के प्रस्ताव होते। इसके अलावा प्रशंसकों की डाक के लगने वाले अम्बार एक और ही परेशानी खड़ी कर रहे थे। सिडनी की ज़िद थी कि भले ही एक और सचिव रखने का खर्चा उठाना पड़े, सभी खतों का जवाब दिया जाना चाहिये।

सिडनी ने एंडरसन साहब से इस बारे में बात की कि मेरी फिल्मों को रूटीन फिल्मों से अलग से बेचा जाये। ये ठीक नहीं लगता था कि सारा का सारा पैसा वितरकों की ही जेब में जाये। हालांकि ऐसेने वाले मेरी फिल्मों की सैकड़ों प्रतियां बना कर बेच रहे थे, ये फिल्में वितरण के पुराने ढर्रे पर ही बेची जा रही थीं। सिडनी ने सुझाव दिया कि बैठने की क्षमता के अनुसार बड़े थियेटरों के लिए दाम बढ़ाये जाने चाहिये। इस योजना को लागू किया जाता तो हरेक फिल्म से आने वाली रकम एक लाख डॉलर या उससे भी ज्यादा बढ़ सकती थी। एंडरसन साहब को ये योजना असंभव लगी। उन्हें ये योजना पूरे मोशन पिक्चर्स ट्रस्ट की नीतियों के खिलाफ मोर्चा बांधने जैसी लगी। इस ट्रस्ट में सोलह हज़ार थियेटर थे। फिल्में खरीदने के उनके नियम और तरीके बदले नहीं जा सकते थे। कुछ ही वितरक ऐसी शर्तों पर फिल्में खरीद पाते।

बाद में पता चला कि ऐसेने ने बिक्री का अपना पुराना तरीका छोड़ दिया है और जैसा कि सिडनी से सुझाव दिया था, अब वे थियेटर की बैठने की क्षमता के अनुसार अपनी दरें बढ़ा रहे थे। इससे, जैसा कि सिडनी ने कहा था, मेरी प्रत्येक कॉमेडी फिल्म के लिए आने वाली रकम एक लाख डॉलर हो गयी। इस खबर से मेरे कान खड़े हो गये। मुझे हफ्ते के सिर्फ बारह सौ पचास डॉलर ही मिल रहे थे और मैं लिखने, अभिनय करने और निर्देशन करने का सारा काम कर रहा था। मैंने शिकायत करना शुरू कर दिया कि मैं बहुत ज्यादा काम कर रहा हूं और मुझे फिल्म बनाने के लिए थोड़े और समय की ज़रूरत है। मेरे पास एक बरस का करार था और मैं हर दो या तीन हफ्ते में कॉमेडी फिल्म बना कर दे रहा था। जल्द ही शिकागो में स्पूअर साहब हरकत में आये। वे लॉस एंंजेल्स के लिए ट्रेन में सवार हुए और एक अतिरिक्त चुग्गे के रूप में यह करार किया कि अब मुझे हर फिल्म के लिए दस हज़ार डॉलर का बोनस मिला करेगा। इससे मेरी सेहत को कुछ खुराक मिली।

लगभग इसी समय डी डब्ल्यू ग्रिफिथ ने अपनी एपिक फिल्म द बर्थ ऑफ ए नेशन बनायी जिसने उन्हें चलचित्र सिनेमा के उत्कृष्ट निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया। इसमें कोई शक नहीं था कि वे मूक सिनेमा के बेताज बादशाह थे। हालांकि उनके काम में अतिटकीयता होती थी और कई बार सीमाओं से बाहर और असंगत भी, लेकिन ग्रिफिथ की फिल्मों में मौलिकता की छाप होती थी जिसकी वज़ह से हर आदमी को उनकी फिल्म देखनी होती।

डे मिले ने अपने कैरियर की शुरुआत द व्हिस्पिरिंग कोरस और कारमैन के एक संस्करण से की थी लेकिन अपने मेल एंड फिमेल के बाद उनका काम कभी भी चोली के पीछे क्या है, से आगे नहीं जा सका। इसके बावज़ूद मैं उनकी कारमैन से इतना ज्यादा प्रभावित था कि मैंने इस पर दो रील की एक प्रहसन फिल्म बनायी थी। ये ऐसेने के साथ मेरी आखिरी फिल्म थी। जब मैंने ऐसेने को छोड़ दिया था तो उन्होंने सारी कतरनों को जोड़-जाड़ कर उसे चार रील की फिल्म बना दिया था। इससे मैं बुरी तरह से आहत हो गया और दो दिन तक बिस्तर पर पड़ा रहा। हालांकि उनकी ये करतूत बेईमानी भरी थी, फिर भी मेरा ये भला कर गयी कि उसके बाद मैंने अपने सभी करारों में ये शर्त डलवानी शुरू कर दी कि मेरे पूरे किये गये काम में किसी भी किस्म की कोई काट-छांट, उसे बढ़ाना या उसमें छेड़-छाड़ करना नहीं चलेगा।

मेरे करार के खत्म होने का समय निकट आ रहा था, तभी स्पूअर साहब कोस्ट पर मेरे पास एक प्रस्ताव ले कर आये। उनका कहना था कि इस प्रस्ताव का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। अगर मैं उन्हें दो-दो रील की बारह फिल्में बना कर दूं तो वे मुझे साढ़े तीन लाख डॉलर देंगे। फिल्म निर्माण का खर्च वे उठायेंगे। मैंने उन्हें बताया कि किसी भी करार पर हस्ताक्षर करने से पहले मैं चाहूंगा कि डेढ़ लाख डॉलर का बोनस पहले रख दिया जाये। इस बात ने स्पूअर साहब के साथ किसी भी किस्म की बातचीत पर विराम लगा दिया।

भविष्य! भविष्य!! शानदार भविष्य!! कहां ले जा रहा था भविष्य!!! संभावनाएंं पागल कर देने वाली थीं। किसी हिम स्खलन की तरह पैसा और सफलता हर दिन और तेज गति से बरस रहे थे। ये सब पागल कर देने वाला, डराने वाला था लेकिन था हैरान कर देने वाला।

जिस वक्त सिडनी न्यू यार्क में अलग-अलग प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा था, मैं कारमैन फिल्म का निर्माण पूरा करने में लगा हुआ था और सांता मोनिका में समुद्र की तरफ खुलने वाले एक घर में रह रहा था। किसी-किसी शाम मैं सांता मोनिका तटबंध दूसरे सिरे पर बने नाट गुडविन के कैफे में खाना खा लिया करता था। नाट गुडविन को अमेरिक मंच का महानतम अभिनेता और हल्की फुल्की कॉमेडी करने वाला कलाकार समझा जाता था। शेक्सपियर काल के अभिनेता और आधुनिक हल्के-फुल्के कॉमेडी कलाकार, दोनों ही रूपों में उनका बहुत ही शानदार कैरियर रहा था। वे सर हेनरी इर्विंग के खास दोस्त थे और उन्होंने आठ शादियां की थीं। उनकी प्रत्येक पत्नी अपने सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध होती। उनकी पांचवीं पत्नी मैक्सिन इलियट थी जिसे वे तरंग में आ कर "रोमन सिनेटर" कह कर पुकारते थे। "लेकिन वह वाकई खूबसूरत और बेहद बुद्धिमति थी," वे बताया करते। वे बहुत सहज सुसंस्कृत व्यक्ति थे और अपने वक्त से कई बरस आगे थे। उनमें गहरा हास्य बोध था और अब उन्होंने सब-कुछ छोड़-छाड़ दिया था। हालांकि मैंने उन्हें मंच पर कभी अभिनय करते हुए नहीं देखा था, मैं उनका और उनकी प्रतिष्ठा का बहुत सम्मान करता था।

हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये और पतझड़ के दिनों की ठिठुरती शामें एक साथ सुनसान समंदर के किनारे चहलकदमी करते हुए गुज़ारते। निचाट उदासी भरा माहौल सघन हो कर मेरी भीतरी उत्तेजना को आलोकित कर देता। जब उन्हें पता चला कि मैं अपनी फिल्म पूरी करके न्यू यार्क जा रहा हूं तो उन्होंने मुझे बहुत ही शानदार सलाह दी। "तुमने आशातीत सफलता पायी है। और अगर तुम जानते हो कि किस तरह से अपने आप से निपटना है तो तुम्हारे सामने एक बहुत ही शानदार ज़िंदगी तुम्हारी राह देख रही है। जब तुम न्यू यार्क पहुंचो तो ब्रॉडवे से परे ही रहना। जनता की निगाहों से दूर-दूर बने रहो। कई सफल अभिनेता यही करते हैं कि वह देखा जाना और तारीफ किया जाना चाहते हैं। इससे उनके भ्रम ही टूटते हैं।" उनकी आवाज़ गहरी और गूंज लिये हुए थी, "तुम्हें हर कहीं बुलाया जायेगा," उन्होंने कहना जारी रखा,"लेकिन सभी न्यौते स्वीकार मत करो। सिर्फ एक या दोस्त चुनों और बाकी के बारे में कल्पना करके ही संतुष्ट हो जाओ। कई महान अभिनेताओं ने हर तरह के सामाजिक निमंत्रण स्वीकार करने की गलती की है। जॉन ड्रियू ने भी यही गलती की थी। वे सामाजिक दायरों में बहुत लोकप्रिय थे और उनके घरों में चले जाया करते थे लेकिन लोग थे कि उनके थियेटरों में नहीं जाते थे। जॉन ड्रियू उन्हें उनके ड्राइंगरूम में ही मिल जाते थे। तुमने दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर रखा है और तुम ऐसा करना जारी रख सकते हो अगर तुम इससे बाहर खड़े रहो।" उन्होंने विचारों में खोये हुए कहा।

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