भक्त और भगवान
उसका जीवन
प्रभु को अर्पित था
वह अपनी सम्पूर्ण
श्रृद्धा और समर्पण के साथ
तल्लीन रहता था
प्रभु की भक्ति में।
एक दिन उसके दरवाजे पर
आयी उसकी मृत्यु
करने लगी उसे अपने साथ
ले जाने का प्रयास,
लेकिन वह
हृदय और मस्तिष्क में
प्रभु को धारण किए
आराधना में लीन था
मृत्यु करती रही प्रतीक्षा
उसके अपने आप में आने का
वह नहीं आया
और मृत्यु का समय बीत गया
उसे जाना पड़ा खाली हाथ
कुछ समय बाद
जब उसकी आँख खुली
उसे ज्ञात हुआ सारा हाल
वह हुआ लज्जित
हाथ जोड़कर नम आँखों से
प्रभु से बोला
क्षमा करें नाथ मेरे कारण आपको
यम को करना पड़ा परास्त
कहते-कहते वह
प्रभु के ध्यान में खो गया
भक्ति में लीन हो गया।
कोरा कागज
कोरा कागज
साफ, सुन्दर, स्वच्छ
पर उसका मूल्य नगण्य
किन्तु जब उस पर
अंकित होते हैं सार्थक शब्द
भाव, विचार या वर्णन
होता है लिपिबद्ध
तब वह अनमोल होकर
बन जाता है
इतिहास का अंग।
जीवन भी
कोरे कागज के समान है
जब होता है सृजनहीन
तब समय के साथ
खो देता है अपनी पहचान
वह किसी की स्मृतियों में नहीं रहता
उसका जीवन यापन होता है मूल्यहीन,
पर जो मेहनत, लगन और समर्पण से
सृजन करता हुआ
समाज को देता है दिशा
वह बनता है युग-पुरुष
उसका जीवन होता है
सफलता, मान-सम्मान और वैभव से परिपूर्ण।
हमारा जीवन
ना हो कोरे कागज के समान
युग पुरुष बनकर दिखाओ।
देश को विश्व में
गौरवपूर्ण स्थान दिलाओ।
नव-वर्षाभिनन्दन
आ रहा नववर्ष!
आओ मिलकर
नव-आशा और
नव-अपेक्षा से
करें इसका अभिनन्दन।
देश को दें नई दिशा
और लायें नये
सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन,
किसानों, व्यापारियों, श्रमिकों और
उद्योगपतियों को मिले उचित सम्मान।
रिश्वत, मिलावट, भाई-भतीजावाद और
मंहगाई से मुक्त राष्ट्र का हो निर्माण,
कर्म की हो पूजा और
परिश्रम को मिले उचित स्थान,
जब राष्ट्र प्रथम की भावना को
सभी देशवासी
वास्तव में कर लेंगे स्वीकार,
नूतन परिवर्तन
नूतन प्रकाश का सपना
तभी होगा साकार,
सूर्योदय के साथ
हम जागें लेकर मन में
विकास का संकल्प,
तभी पूरी होंगी
जनता की अभिलाषाएं
तब सब मिलकर
राष्ट्र की प्रगति के
बनेंगे भागीदार,
नूतन वर्ष का अभिनन्दन
तभी होगा साकार।
शुभ दीपावली
दीपावली शुभ हो
लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे
कुबेर जी का भण्डार भरा रहे
आशाओं के दीप जल रहे हैं
निराशाओं से संघर्ष कर रहे हैं
आशा का प्रकाश
निराशा के अंधकार को समाप्त कर
उत्साह व उमंग का संचार
हमारी अंतरात्मा में कर रहा है
हम अच्छे दिनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं
भ्रष्टाचार, मंहगाई व रिश्वतखोरी के
समाप्त होने की प्रतीक्षा में
जीवन बिता रहे हैं
सरकार चल रही है
जैसे
सिर के ऊपर से
कार निकल रही है
सिर को कार का पता नहीं
कार को सिर का पता नहीं
पर सरकार चल रही है
आओ हम सब मिलकर
करें सकारात्मक सृजन
विध्वंश के एक अंश का भी
ना हो जन्म
विपरीत परिस्थितियों में भी
प्रज्ज्वलित रखो
आशाओं के दीप
कठिनाइयों में भी
बुझने मत दो
दीप से दीप प्रज्ज्वलित कर
बहने दो
प्रेम की गंगा।