प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है...
ओफ्फो! जब देखो तब गज़ल लगाकर बैठ जाते हैं,अरे अगर मुझे शादी से पहले पता होता न कि पति के साथ साथ मुझे ये जगजीत सिंह नाम की सौतन भी मिलेगी तो कसम से आपसे शादी न करती चाहे फिर कुंवारी ही क्यों न मरना पड़ता, कहते हुए गुस्से से तमतमाती हुई निशा ने बहुत जोर से म्यूज़िक सिस्टम का बटन ऑफ कर दिया।
पता होता भी कैसे! तुम्हें तो शादी से पहले ये भी नहीं पता था कि जगजीत सिंह नाम के कोई गज़ल गायक भी हैं और गायक तो छोड़ो तुम्हें तो अभी भी नहीं पता कि गज़ल कहते किसे हैं??
वेद की ये बात आग में घी का काम कर गयी और पहले से बिगड़े हुए निशा के मिजाज़ को और भी बिगाड़ गयी।
हाँ मैं तो अनपढ़ हूँ, गाँव की गंवार हूँ।
अरे ! अब इसमें गाँव और शहर कहाँ से आ गया? मैं भी तो गाँव का हूँ।
निशा की आंखों से अब गंगा और जमुना एक साथ बह रही थीं, जिसे देखकर वेद का रुख अब कुछ नरम पड़ चुका था।
वेद निशा से कुछ कह पाता उससे पहले ही आठ साल की मानवी ने उसे पीछे से आकर पकड़ लिया।
पापा, पापा!! पापा कल रात को टूथ फ़ेरी आयी थी और देखो पापा वो मेरे पिलो के नीचे ये तीन चमकदार सिक्के भी रख गयी है। खिलखिलाती हुई मानवी को वेद ने गोद में उठा लिया।
पापा आप अभी तक मार्केट नहीं गए! क्या आप भूल गए पापा कि आज संडे है और आज मम्मा ने मुझे चॉकलेट केक बनाने का प्रॉमिस किया था।
नहीं बेटा,पापा बिल्कुल भी नहीं भूले हैं और अब आप मम्मा को बिल्कुल भी परेशान नहीं करना।अब पापा जा रहे हैं मार्केट,आपके चॉकलेट केक का सामान लेने। जाओ बेटा अपनी मम्मा से जाकर बैग ले आओ।
निशा ने चुपचाप वेद के हाथों में शॉपिंग बैग और सामान का पर्चा थमा दिया।
प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है, गाड़ी ड्राइव करते हुए वेद एक बार फिर से यही गज़ल सुन रहा था और सोच रहा था कि प्यार क्या वाकई एक हकीकत है या सिर्फ फिल्मों द्वारा फैलाया गया एक झूठा फ़साना! सच्चे दिल से चाहने वालों का साथ तो कायनात भी देती है। क्या ये सिर्फ एक कोरी कल्पना है या फिर मेरी चाहत में वो शिद्दत नहीं जो मुझे बस एक बार मेरे महबूब का दीदार करा दे।
अरे वाह!! मेरा अंदाज़ तो वाकई बड़ा ही शायराना हो गया है। खुद से बात करता हुआ वेद न जाने कब सुपरमार्केट में दाखिल हुआ और सारा सामान लेकर बिलिंग की कतार में भी खड़ा हो गया शायद उसे खुद भी पता नहीं चला। वैसे तो वेद हमेशा ही ख्यालों मे खोया रहता था मगर संडे उसपर अक्सर ही ज्यादा भारी होता था।
अरे मैडम! जरा जल्दी करो न,हम सबको भी आज की डेट में ही बिल कटवाना है।
अरे तो मैं क्या करूँ? आप काउंटर पर बोलो न! अब अगर इनकी मशीन काम नहीं कर रही है तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?
अरे तो आप कैश दो न !!
एक्सक्यूज़ मी! मुझे भी कोई शौक नहीं है, यहां खड़े होकर टाइम वेस्ट करने का! आय डॉन्ट हैव कैश!!
अरे भाई साहब आप भी कुछ बोलिए न!अरे इनके बाद आपका ही नम्बर तो है, कतार में खड़े हुए वेद के कांधे को हिलाते हुए एक सज्जन बोले।
जी, जी बिल्कुल! सज्जन के छेड़ने से वेद की तंद्रा टूटी और जैसे ही वेद ने अपने आगे खड़ी हुई महिला को देखा, वो उसे सिर्फ और सिर्फ देखता ही रह गया।
प्यार का पहला खत लिखने में ... ये गज़ल अब बैकग्राउंड म्यूज़िक में बज उठी और वेद के कानों में घुलती हुई सीधा उसके दिल में उतर गयी।
वेद ! वेद तुम यहां,कैसे?
मैं, मैं तो यहीं रहता हूँ मगर तुम यहाँ अचानक!!
अरे भाई साहब अब आप इनको जानते हैं तो जरा बिल कराने की भी कृपा करें! पीछे से उन्हीं पहले वाले सज्जन की आवाज आयी।
यार बड़े ही अजीब और बद्तमीज लोग हैं अगर तुमनें मुझे रोका नहीं होता तो आज मैं उसे सही कर देती,सुपरमार्केट से निकलते हुए निशा ने बोला।
जाने दो, तुम अपना मूड खराब मत करो प्लीज़!
एक मिनट,हैलो!हाँ निशा मैं सुपरमार्केट से निकल चुका हूँ,बस पन्द्रह-बीस मिनट में पहुंचता हूँ!
वाइफ़?
हाँ!
तुम्हारी वाइफ़ का नाम भी निशा है !!
हाँ और मेरी लाइफ़ का नाम भी!
मतलब?
मतलब कुछ नहीं!
यार तुम्हारा ये कुछ नहीं अभी भी कन्टीन्यू है, कहकर खिलखिला कर हंस पड़ी निशा।
तुम आज भी वैसे ही हंसती हो!
और तुम आज भी मेरी हंसी देखकर वैसे ही शर्माते हो! एक बार फिर से खिलखिला दी निशा।
चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ,बताओ कहाँ जाना है?
अरे नहीं मैं चली जाऊंगी,दरअसल मैं यहां अपने जीजा जी के साथ आयी थी और फिर उन्हें अचानक ही कोई जरूरी कॉल आ गया। यू डॉन्ट वरी वेद मैं कैब ले लूंगी।
अरे!ऐंसे कैसे कैब ले लोगी?अरे मोहतरमा अब आप हमारे शहर में हैं और फ़िर लखनऊ तो मशहूर ही है अपनी तहज़ीब, अपनी मेहमाननवाजी के लिए!!
प्यार का पहला खत लिखने में... तुम्हें याद है,ये गज़ल!
हम्म! क्या कहा ?
निशा ये गज़ल!!
नहीं मुझे तो नहीं याद,कौन सी गज़ल?ज़रा सुनने दो।
सॉरी यार मुझे बिल्कुल नहीं याद! सोनू निगम?
नहीं निशा, जगजीत सिंह!!
ओह्ह! सॉरी, कान पर हाथ लगाते हुए निशा ने कहा।
इट्स ओके!
ये गज़ल तुमनें ही कॉलेज के फंग्शन में गायी थी और तुमनें ही मुझे जगजीत सिंह के बारे में बताया था बल्कि मैं तो उससे पहले जगजीत सिंह या गज़ल के बारे में जानता भी नहीं था।
तुम्हें याद है न कि मैं कैसा गाँव का एक सीधा साधा सा...
एक्सक्यूज़ मी!प्लीज़ ज़रा इसकी वॉल्यूम कम करना।घर से फोन है निशा ने वेद को उसकी बात के बीच में ही टोंक दिया।
बड़े ही अनमने मन से वेद ने वॉल्यूम ऑफ कर दिया।
सॉरी! मेरे हस्बैंड का फोन था,उनकी फ्लाइट लैंड हो चुकी है। दरअसल हम यहां अपनी दीदी और जीजा जी की शादी की पच्चीसवीं सालगिरह सैलिब्रेट करने आये हैं।
हाँ वेद तुम वो क्या कह रहे थे कि तुम्हारी भी शादी की सालगिरह आने वाली है और तुम मुझे तभी अपनी फैमिली से मिलाओगे?
हाँ मगर वो पता नहीं अभी कुछ डिसाइड नहीं है,बड़ी ही बेरुखी से वेद ने जवाब दिया।
अच्छा!
तुमनें बताया नहीं कि कहां ड्रॉप करना है तुम्हें?
अरे तुमनें पूछा ही नहीं,सोनू निगम!ओह्ह!सॉरी जगजीत सिंह।
इस बार न जानें क्यों निशा की खिलखिलाहट,वेद के कानों को चुभ रही थी।
अच्छा तुम न मुझे यहीं साइड में छोड़ दो और वैसे भी यहां से एयरपोर्ट तो तुम्हें बहुत दूर पड़ेगा। मैं यहां से एयरपोर्ट के लिए कैब ले लूंगी।
बिल्कुल निशा मेरा तुम्हें यहीं छोड़ना अच्छा रहेगा और वैसे भी मेरी वाइफ़ कम मेरी लाइफ़ मेरा बहुत देर से इंतज़ार कर रही है तो अब मेरा उसके पास जल्द से जल्द लौट जाना ही अच्छा!!
वेद क्या कह रहा था और उसका अचानक निशा की तरफ़ बदला हुआ रुख,निशा की समझ से बिल्कुल परे था मगर निशा को इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ा। वो बस वेद को थैंक्स और मीट यू सून कहकर खिलखिलाती हुई, अपना हाथ हवा में लहराती हुई चल पड़ी मगर इस वाकये से वेद को वाकई बहुत फर्क पड़ा और अब ये फर्क वेद और उसकी पत्नी के वैवाहिक जीवन में बड़ा ही सुखद फर्क लाने वाला था।
वेद की गाड़ी हर बार की तरह अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी मगर इस बार जगजीत सिंह की गज़ल की जगह पुराने जमाने के गीत, जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे... ने ले ली थी।
वेद आज न जाने क्यों बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था,उसनें अपनी पत्नी निशा को एक वॉट्सऐप मैसेज किया। आई लव यू जान, आय एम बैक!!
निशा शर्मा...