Chapter-- 3
🎼🎼🎼गुरु का पाखंड 🎼🎼🎼🎼🎼
ताया ताई जी के घर से वापस आने के बाद नूर थोड़ा उदास रहने लगी और फिर धीरे धीरे नूर अपनी पढ़ाई मे व्यस्त हो गयी परंतु ये बातें नूर जितना भूलना चाहती थी, उसके अपने ही उसे उतना ये सब बाते याद करवाते थे।
नूर के परिवार वाले एक गुरु जी को बहुत मानते थे l वो अपने सब काम, अपने गुरु जी को पूछ कर ही करते थे l सारा परिवार उन के पास जाता था l खास कर नूर का बड़ा भाई गुरु जी को बहुत मानता था। गुरु जी के बुलावे पर, वो सब काम छोड़ गुरु जी के पास चला जाता था।
नूर को उदास देख, उसका भाई उसे गुरु जी के दर्शन करवाने के लिए लेकर जाने लगा। जिस से नूर को थोड़ा बदलाव मिल जाएl नूर भी जाने लगी। उसे भी अच्छा लगने लगा। नूर भी उन्हें अपना गुरु माने लगी। गुरु जी के पास हर महीने दर्शन के लिए भाई के साथ जाने लगी।
एक दिन नूर रोज की तरह सुबह उठी। समय देखने के लिए मोबाइल हाथ मे उठाया l "ये क्या , किस का मैसेज है, कौन है ये .."
नूर ने मैसेज भेजने वाले को जानने के लिए उसने नंबर पर मैसेज किया ... who?
गुरु...
नूर हैरान हुई.... गुरु जी l तभी गुरु जी ने बताया, की उन्होंने नूर का नंबर उसके भाई से लिया है। उसके बाद गुरु जी भक्ति भरे मैसेज नूर को करने लगे l नूर को पहले थोड़ा अजीब लगाl फिर उसने मैसेज को ध्यान से देखा, की मैसेज मे कुछ गलत तो नहीं लिखा हुआ?
" ये मैं क्या सोच रही थी, गुरु जी के बारे मेl मेरी सोच कितनी ग़लत हो गयी है। उन का खुद का परिवार है l मैं ये कैसे सोच सकती हूं" नूर अपने आप को दोषी माने लगी।
सब सही चल रहा था। नूर सब कुछ भूल कर आगे बढ़ने लगी।
इसी बीच, एक दिन रात के ११ बजे डोरबैल बजीl सब सोचने लगे कौन होगा इस समय? भैया दरवाज़ा खोलने गएl दरवाज़ा खुला तो देखा गुरु जी अपने चार भक्तों के साथ थे। भैया गुरु जी को देख खुश हो गए। गुरु जी के घर आने से सब खुश थे l सभी लोग उन की सेवा मे लग गए। देर रात होने के कारण गुरु जी और सब भक्त नूर के घर ही रुकने वाले थे।
सफ़र से आने के कारण सब थके हुए थे, इस लिए गुरु जी एक कमरे मे आराम करने लगे जबकि बाकी भक्त दूसरे रूम मे सो गएl
गुरु जी भी खाना खा कर सो गए। अराम करने के बाद जब गुरु जी ऊठे, तो उन्हों ने चाय पीने की इच्छा जाहिर की, नूर ने गुरु जी के लिए चाय तैयार की और गुरु जी को कमरे मे देने गई l Ac चलने के कारण रूम का दरवाज़ा बंद ही रखा हुआ थाl नूर ने चाय बेड के पास टेबल पर रखीl गुरु जी ने नूर को दो मिनट रुकने को बोला और नूर को AC चलने के कारण दरवाजा बंद करने को कहाl
नूर ने सोचा, की गुरु जी को कोई काम होगा। इसलिए दरवाज़ा थोड़ा बंद कर गुरु जी के पास खड़ी हो गईl गुरु जी ने नूर को बैठने को बोला, परंतु नूर खड़ी रही फिर गुरु जी ने एकाएक नूर का हाथ पकड़ लिया. नूर डर गई उसकी साँसे तेज़ हो गयी, नूर हाथ छुड़वा पाती उस से पहले गुरु जी ने उसे खींच कर अपने पास बेड पर गिरा लियाl नूर कुछ समझ पाती, उस से पहले गुरु जी उसे चूमने की कोशिश करने लगे। नूर ख़ुद को गुरु जी से छुड़वाने के लिए प्रयासरत थीl तभी गुरु जी नूर के ऊपर आ गएl जिस के कारण नूर खुद को हिला भी नही पा रही थीl गुरु जी ने नूर को चुप रहने को कहा, नहीं तो वो उस के भाई को दण्डित करेंगे।
नूर ने फिर भी गुरु जी से अपने आप को छुड़वाया, और बाहर आ गई। सब सो रहे थे, इसलिए किसी को कोई बात का पता नहीं चलीl नूर बाहर आ कर रोने लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था .. कि क्या था ये सब .. वो क्या करे, वो किस से बोले .. भाई गुरु जी पर इतना यक़ीन करते है
भाई को बोले या ना बोले ... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो बस रोती रहीl फिर उसने भैया को बोलना चाहा, तभी गुरु जी आ गये, और बात बीच में ही काट दी। भैया को वो अपने साथ कहीं बाहर ले गये।
नूर डर गई की भैया को कुछ ना हो, इस लिए घर पर किसे से कोई बात नहीं की और अपने भाई का घर वापस आने का इंतजार करने लगी।
नूर घबरा कर इधर उधर टहलने लगीl भैया को फ़ोन किया, भैया ने जवाब दिया कि मैं गुरु जी के साथ हूं बाद में बात करूंगा और फ़ोन काट दिया।
नूर अब सोचने लगी क्या करूं...फिर नूर ने निर्णय लिया वो गुरु जी की सच्चाई भैया के सामने लेकर आयेगी।
रात को नूर ने भैया को फ़ोन किया और पूछा कि आये नहीं?, भैया ने जवाब दिया कि उन्हें देर हो जायेगी और वे रात को १० बजे तक वापस आयगें, और गुरु जी भी साथ में घर आयेंगे। तुम खाना बना लेनाl और ये कह कर फ़ोन काट दियाl अब नूर ने निर्णय लिया कि आज रात ही वो गुरु जी की सच्चाई को भैया के सामने लेकर आयेगी।
नूर खाना तैयार करने लगीl खाना तैयार हो गया। दरवाज़ा खड़का. ... नूर पहले थोड़ा घबराई, फिर अपने आप को संभाला और दरवाज़ा खोलने को चली गईl भैया और गुरु जी आ गए थे। गुरु जी भैया के कमरे में चले गए। भैया गुरु जी के लिए पानी लेकर आये और नूर को थाली तैयार करने को बोलाl भैया गुरु जी को पानी देकर नूर के साथ खाना लगाने और खिलाने में मदत करने लगेl १ घंटे तक नूर और भैया ने मिल के खाना गुरु जी को खिलायाl गुरु जी खाने के बाद चाय पीते थे तो भैया ने नूर को गुरु जी के लिए चाय बना कर चाय गुरु जी को देकर आने को कहा। नूर कमरे मे गई, गुरु जी की चाय टेबल पर रख दीl और गुरु जी के पास रुक गईl गुरु जी ने नूर को पास बैठने को कहा। नूर इस बार बिना कुछ कहे पास बैठे गईl गुरु जी नूर को बोलने लगे, की तेरे भैया को आज अगर में चाहता जो मर्जी वो कर सकता थाl अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो देख लो!, फिर तेरे भैया के साथ जो होगा उसकी जिम्मेदार तुम ख़ुद होगीl नूर रोने लगी। फिर गुरु जी नूर को अनैतिक तरीके से छूने लगे। नूर को अपने नजदीक खींच, उसको चूमने की कोशिश करने लगे। तभी एक दम से दरवाज़ा ज़ोर से खुला। ये नूर का भाई थाl नूर भाग कर भाई के पास आ गईl गुरु जी डर के कारण बड़बड़ाने लगे.. कोई बात स्पष्ट रूप से नहीं बोल पा रहे थे।
नूर के भाई ने उसी वक़्त गुरु जी के मुँह पर जोर से चाँटा लगायाl जिसकी आवाज़ सुन सभी लोग आ गए कि क्या हुआ, गुरु जी अपने बचाव मे नूर और उस के भाई को ग़लत बोलने लगे।
फिर नूर ने बताया की गुरु जी के बारे मे उसने अपने भैया को पहले ही सब कुछ बता दिया था, जब वो खाना खिला रहे थे। पहले तो भैया ने यक़ीन नही हुआ, फिर वो मान गएl नूर ने अपना प्लान भैया को बताया। सब वैसे हुआ और गुरु जी को ये सब करते हुए पकड़ाl और सब को दिखाने के लिए नूर ने कमरे मे अपना मोबाइल कैमरा पहले ही सेट कर दिया था, जिस में सब रिकार्ड हो गया। जिसे देख गुरु जी माफ़ी माँगने लगे
नूर के भाई ने गुरु जी के ख़िलाफ़ केस दर्ज़ कराया, और उन्हें सज़ा हो गईl जिस से कई परिवार की लड़कियां गुरु जी के चंगुल में फंसने से बच गयीं।
ये नूर की हिम्मत ही थी जिसके कारण न जाने कितनी लड़कियों की सुरक्षा हो गई। नूर चाहती तो गुरु जी की भाई को दण्डित करने के डर से ग़लत का साथ दे सकती थी, पर उसने अपने भाई पर यक़ीन कर उसे सच बताया और उस के भाई ने उसका साथ दिया। जिस से कितनी लड़कियों की ज़िन्दगी खराब होने से बच गई।
कभी भी अपने बच्चों की छोटी से छोटी सी बात को नज़र अंदाज मत करोl गुरु वो जो सही राहा लेकर जाये, ना की अपने भक्तों के घर बर्बाद करेl
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कहते हैं गुरु बिन ज्ञान कहाँ,
पहले जैसे गुरु अब हैं कहाँl
चले थे हम गुरु बनाने,
या फिर खुद की इज़्ज़त को गँवाने।
गुरु है तो एक इंसान,
क्या पता कब जाग जाए,
उसके अंदर का शैतानl
गुरु के नाम पर कर जाए बेईमानी,
इस से अच्छा है, खुद की इज़्ज़त बचानीl
चले हो जो गुरु बनाने,
तो जान लीजिए पहले,
उस गुरु के अफ़सानेl
घर की इज़्ज़त अपने हाथ,
अजनबी पर मत करना विश्वास।
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अब नूर को एक बात समझ आ गई थी, कि लड़की का रिश्ता किसी से नहीं हो सकता और ना उसके लिए कोई गुरु हो सकता है। लड़की का रिश्ता सिर्फ ख़ुद उसके साथ ही होता है। बाहर से ज्यादा लड़की को उसके अपने, जिस पर वो यक़ीन करती है, वही उसे दर्द देते हैं।
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Navita 🎼