🎼🎼🎼Noor🎼🎼🎼
Part - 2
चली थी मैं अपनों पर यक़ीन करने..
मेरे अपनों ने था, मेरे यक़ीन को तोड़ा..
बाहर से ज्यादा, अपनों से था मैंने मुँह मोड़ा..
इज़्ज़त का रख ध्यान...,
अपनों से रहना पहला सावधान l
जब नूर ८ क्लास मे थी, तब नूर की ताई जी बीमार हो गयी इस के कारण उसे वहाँ रहने जाना पड़ा। नूर अभी भी श्याम भैया द्वारा की गयी उस हरकत को भूली नहीं थीl अब नूर बड़ी हो चुकी थी, तो उस ने सोचा इस बार भैया ऐसा नहीं करेंगे। मम्मी पापा के कहने पर नूर अपने ताया जी के घर चली गई।
ताया जी के ३ बेटे थे। एक भैया बाहर कंपनी मे काम करते थे तो वहीं बाहर ही रहते थेl घर पर श्याम भैया और अमर भैया रहते थेl अमर भैया मेडिकल का काम करते थे।
नूर शाम को घर पहुंची। उसने सब का हाल चल पूछा फिर सब के लिए चाय बानी और ताई जी से नूर ने घर के हाल-चाल के बारे मे जाना, फिर नूर ने जाते ही सारा घर संभाल लिया, और रात के खाने की तैयारी करने लगी। खाना तैयार हो गयाl ताई जी और नूर सब के घर आने का इंतज़ार करने लगीl तभी बाहर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी। नूर की साँसे तेज होने लगी, कि श्याम भैया आ गए। नूर न तो उन का सामना करना चाहती थी, ना ही उन से बात करना चाहती थी। पर ताई जी के सामने चुप भी नहीं रह सकती थी। फिर नूर ने आगे आ कर देखा तो श्याम भैया ही थेl उसने अपने आप को संभाला और श्याम भैया को नमस्ते कर रसोई मे चली गई। श्याम भैया ने कपड़े बदले और ताई जी के पास आ कर बैठे गए। इतने मे अमर भैया भी आ गए। नूर ने सब के लिए खाना लगा दिया, सब ने खाना खाया, फिर कुछ देर बाते करने लगे। फिर ताई जी ने सब को सोने को बोला। घर छोटा होने के कारण ताई और ताया जी बाहर खटिया पर सो गएl दोनों भाई बिस्तर पर और नूर खटिया पर दोनों भाइयों के पास सो गई।
श्याम भैया का डर आज भी नूर के मन मे था, इस लिए नूर अमर भैया की तरफ खटिया लगा कर सो गई। उस दिन नूर देर से ही सोई क्योकि आज भी नूर का मन बहुत घबरा रहा था। फिर कब उसे नींद आ गई पता ही नहीं चलाl नूर सुबह उठी, टिफ़िन तैयार किए, दोनों भैया चले गए।
नूर ने रोज़मर्रा के सभी काम ख़त्म किये। शाम को श्याम भैया घर आ गए। और अमर भैया देर से घर आने वाले थे, इसलिए सब ने खाना खाया और सोने चले गए। अभी तक अमर भैया आये नहीं थे, तो नूर को थोड़ी घबराहट हो रही थीl इसलिए नूर सोई नहींl श्याम भैया सो गएl नूर को चैन की साँस ली।
इतने मे बाहर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी। अमर भैया के पास घर की चाबी थी तो वो खुद दरवाज़ा खोल लेते थेl पर दरवाज़ा खुलने की आवाज़ काफ़ी देर तक अती रहीl तभी नूर ने थोड़ा डर कर खिड़की से कमरे के बाहर देखा, वो अमर भैया थेl वो बार बार ताला खुलने की कोशिश कर रहे थे। चाबी ठीक से नहीं लग रही थीl नूर को थोड़ा अजीब लगा। फिर नूर ने बाहर जा कर दरवाज़ा खोला। अमर भैया एक दम गिरते गिरते रुके। नूर ने उन्हें संभाला और अमर भैया अंदर चले गएl नूर ने दरवाज़ा बंद किया और अपनी खटिया पर आ कर लेटे लेटे सोचने लगी की आज भैया का बर्ताव कुछ अलग सा है, क्या उन्होंने शराब पी रखी है? इतने मे अमर भैया आ गए और बिस्तर पर जा कर सो गए। नूर भी काफी देर बाद सो गई।
आधी रात हो चुकी थी। नूर को फिर वही एहसास हुआ, जो उसे बचपन मे श्याम भैया की हरकत से समय हुआ था। नूर डर कर एक दम से जागी। ये क्या ... अमर भैया ......
अमर भैया, मेरी खटिया पर! अमर भैया.....नूर आगे कुछ बोलती इससे पहले अमर भैया ने नूर के मुँह पर हाथ रख उसे चुप करा दियाl नूर को अमर भैया की सांसे सुनाई दे रही थी, जो बहुत तेज चल रही थी। डर के कारण नूर की सांसे भी तेज हो गई। अमर भैया ने शराब पी हुई थी।जिस की दुर्गंध नूर के सिर चढ़ रही थी।
नूर ने भैया को खटिया से दूर करने की कोशिश की, तभी भैया ने नूर के दोनों हाथ एक दम कस कर पकड़ लिए और नूर का मुँह बंद करने के लिए उसको चूमने का प्रयत्न करने लगे। नूर ने खुद को भैया की गिरफ़्त से छुड़वाने के लिए उनको अपने घुटने से एक जोर से लात मारी, जिस से भैया की पकड कमजोर हो गई। फिर नूर ने अपना एक हाथ छुड़वा कर भैया को एक कस कर चाँटा लगाया। जिस की आवाज़ सुन श्याम भैया हल्के से जागे लेकिन अनदेखा कर आंखे बंद कर वो फिर सो गए।
अमर भैया एक दम किनारे हो, बेड पर बैठे गए। नूर की आँखों से आँसू बंद नहीं हो रहे थे। भैया थोड़ा होश मे आये। और नूर से माफ़ी मांगने लगे। ताया ताई जी को कुछ न बताने के लिए विनती करने लगेl रोते हुए कहने लगे की अगर ताया ताई जी को पता चल गया, तो वो उन्हें घर से बाहर निकाल देगें।
नूर कुछ नहीं बोलीl सारी रात बस रोती रहीl सुबह नूर बीमार हो गयीl ताया ताई को कुछ पता ना चले इसलिए भैया खुद नूर को टेबलेट दे कर चले गए और ताया ताई जी को रात में उनके द्वारा की गई ग़लती के बारे में कुछ न बताने के लिए पुनः अनुरोध कर गये।
उस दिन नूर पूरे दिन बीमार रही। उस के बाद नूर ने ताया ताई जी से अपने घर जाने की जिद करने लगी। ताया ताई जी ने पूछा की क्या हुआ?, नूर चुप रहने और कुछ ना बताने की ग़लती, एक बार फिर नहीं करना चाहती थी, इसलिए इस बार उसने सब कुछ ताई जी को बता दिया और अपने घर आ गई।
ताया ताई जी ने रात को भैया को बहुत मारा। सारी उम्र ताया ताई जी नूर से आंखे नहीं मिला सकेl क्योंकि वो इस सब के लिए बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे।
उस दिन के बाद नूर ने किसी को भी अपना भाई नहीं माना, सिवा अपने दोनों सगे भाई के क्योंकि उस दिन के बाद अब नूर को किसी भाई पर कोई यक़ीन नहीं राहा थाl उसके लिए सारे रिश्ते ख़त्म हो गए। आज भी नूर अपनी ज़िन्दगी मे कही कोई रिश्ता बनाती है तो बहुत सोच विचार कर।
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✋✋अपने रिश्तो पर रखो ध्यान✋✋
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अपने रिश्तो पर रखो ध्यान
छीन ना ले वो तेरी पहचान
बेटी का करते तुम ध्यान
क्योंकि वो तेरी है पहचान
बाहर से सुरक्षा तुम करते,
सब रिश्तो पर यक़ीन तुम करते
होते हो तुम कहीं दूर
अपने रिश्ते ही तोड़ देते तुम्हारा यक़ीन
घर की बेटी को देख बन जाते शैतान
जिन पर तुम नहीं देते ध्यान
करते हो बेटी को तुम प्यार
बाहर के साथ अपनों पर भी तुम रखो ध्यान
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🤫बेटी की चुप🤫
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बेटी तुम भी मत बन नादान
तू है अपने घर की पहचान
बेटी है तू घर की
मत जाना भूल
करता कोई ग़लत
तभी माँ बाप को बोल
चुप रहना तेरी नादानी है
माँ बाप की तू रानी है
तेरा रिश्ता, पहले तेरे खुद से है
बाकी रिश्ते ना कोई मायने रखते है
चुप रह कर बनती
तू खुद की गुनहगार
इसलिए खुद का रख
पहले तो खुद ध्यान
यो ना बन नादान
लड़की का अपनों से रिश्तो को बचाने के लिए चुप रहना, और बड़े गुनाह को बढ़वा देता है l इसलिए चुप नहीं, इंसाफ़ करो l
मिलते हैं आगे ऐसी ही कोई नई कहानी के साथ ... जिस में टूट जाए यक़ीन करने वाले रिश्तो का पाखंड ....
To be continued .........😊😊
Please give me your valuable rating and review & suggestion for best writing ...🙏🙏😊
Thanku so much 🙏🙏😊
Navita 🎼