The Author Singh Srishti फॉलो Current Read एक रात तेरी याद में..... By Singh Srishti हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अधुरी खिताब - 54 --- एपिसोड 54 — “किस्मत की दबी हुई आवाज़ें”हवा में कुछ अनकहा... बेजुबान इश्क -6 (शादी — खामोशी का सबसे सुंदर इज़हार)सुबह की हल्की धूपघर की ख... Operation Mirror - 8 चेहरे मरे नहीं… मिटाए गए हैं। ताकि असली बच सके।”Location मु... नेहरू फाइल्स - भूल-90 भूल-90 इतिहास से की गई छेड़छाड़ को दूर करने की दिशा में कुछ न... राजु र सिता “Raju ra Sita”Comedy + Action + Youthful AdventureकहानीPokha... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे एक रात तेरी याद में..... (2.4k) 2.1k 6.6k दिल लगाना शायद उतना भी आसान नहीं, किसी से इश्क़ फरमाना वो भी आज के जमाने मे तो बिल्कुल भी आसान नहीं। यहां ज़िंदगियां कब पटरी से नीचे उतार आएं और कब सपने जो अक्सर हम बड़ी जल्दी जल्दी देख लिया करतें हैं और वो भी किसी दूसरे के साथ वो कब कांच की तरह टूट कर बिखर जाएं कुछ पता नही चलता है। पता है सपने जितने बड़े और हसीन होते हैं जिन्हें अगर किसी और के साथ में देखते है वो बड़ी बेरहमी से टूटतें हैं और उनके टूटने पर जितना दर्द होता है उतना ही तेज़ शोर भी होता है मगर अफ़सोस ये शोर और दर्द सिर्फ हमारे तक ही पता चलता है और जिसकी वज़ह से ये शोर होता है उसे तो पता ही नहीं चलता है। ज़िन्दगी हर दर्द को चुपचाप सहना बड़ी सहजता से सीखा ही देती है। ख़ैर ये तो हुई ज्ञान की बाते मगर आज तो घर पर सब एक साथ बैठ कर आईपीएल का मज़ा ले रहे हैं, अंधेरे से कमरे में सिर्फ़ एक रोशनी जो है वो टीवी की ही आ रही है कमरे को दो भागों में बांट दिया गया है ये बंटवारा किसी जमीनी बंटवारे के तहत नही बल्कि आईपीएल की दो टीमों के बीच हुआ है। सोफे के एक हिस्से मे बैठे पापा और जोसेफ (छोटा भाई) जो एक एक टीम में हैं और दूसरी तरफ़ जो कि बेड मे टीना और उसकी मां बैठी है । दोनों तरफ़ भारी शर्त लगी है और मुकाबला बड़े जोरो से है हारने वाली टीम रविवार को जीतने वाली टीम के पसंद का खाना बनाकर खिलाना पड़ेगा। ख़ासकर महिलाओं की टीम की तरफ़ खुशहाली भरा माहौल नज़र आ रहा था हो भी क्यों न हार गए तो भी कोई ग़म नही जीत गए तो मौज ही मौज। पर ज़रा रुकिए ये हैप्पी फ़ैमिली अभी पूरी नही हुई है जी हां यहां एक और मोहतरमा रहती हैं जो पेशे से हाई कोर्ट की अच्छी खासी वकील हैं और इनके केवल जीत और कामयाबी के ही नहीं बल्कि गुस्से और झड़प के भी चर्चे पूरे कोर्ट मे फेमस हैं। ये आज मैच नहीं देख रहीं ।उसकी वजह कोई झगड़ा या केश नही है बल्कि कुछ और ही है। टीवी से सटे बगल वाले कमरे में वो प्रेमी की याद में तड़प रही थी, आँखों मे आँसू और दिल में मानो न जाने कौन सा उबाल उठ रहा था।उसको उसके खाए धोखे की सुध न थी बल्कि संग बिताये प्यार के चंद लम्हों के ही दृश्य दिखायी दे रहे थे।वह अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थी और खुद को पूरी तरह से रोकने की कोशिश कर रही थी की कही उसकी सिसकियां पास में ही टीवी देख रहे घर वाले न सुन ले इस डर से उसने अपना मुँह कपडे से दबा दिया ।मानो आँखों की नदियों का बांध ही टूट गया हो और अंशुओं की धारा को आज़ादी मिल गयी हो........ वह खूब रोई बहुत तड़पी फिर मन ही मन खुद को और उस धोखेबाज़ प्रेमी को बहुत कोशने लगी।फिर शायद वही आग उस सर्द रात की हवाओं में बुझ गयी... वह उन्ही हसीन यादों को दिल में लिए रोते रोते सो गई और कब रात को मिटाती हुई अचानक सुबह हो गयी ,तो लगा यह तो हर रात की कहानी है Download Our App