यादों के झरोखे से Part 8 S Sinha द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

यादों के झरोखे से Part 8

यादों के झरोखे से Part 8 Yadon ke Jharokhe Se


================================================================

मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - आखिर ड्रीम डेस्टिनेशन ऑस्ट्रेलिया पहुंचना

==================================================================


2 जनवरी - 6 जनवरी 1969


छः दिनों की नॉन स्टॉप सेलिंग के बाद आखिर हमारा जहाज आज पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के फ्रीमैंटल पोर्ट पहुंचा जो एक बड़ा डीप वाटर पोर्ट है .यह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ सिटी का पोर्ट है जिसे सिटी ऑफ़ लाइट भी कहते हैं . यहाँ भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट टेस्ट मैच हुए हैं . यह शहर बॉलीवुड की प्रसिद्ध एक्ट्रेस नाडिया , जिसे फियरलेस नाडिया भी कहा जाता है , की जन्म भूमि है .


पर्थ में मुझे लगा कि किसी विदेशी भूमि पर हूँ . यहाँ ठंड नहीं थी . एक दिन केबिन पर दस्तक सुन कर मैंने डोर खोला तो सामने एक किशोरी लड़की थी . उसने हेलो गुड मॉर्निंग कर नमस्ते भी किया . फिर अपना नाम मार्था बता कर कहा “ मुझे फॉरेन करेंसी इकठ्ठा करने की हॉबी हैं . आपसे कुछ इंडियन करेंसी मिलने की उम्मीद करती हूँ . “


मैंने ‘श्योर ‘कह उसे अंदर सोफे पर बैठने को कहा . फिर वार्डरोब से अपने पर्स निकाल कर उसकी बगल में बैठ गया जिससे वह कुछ सहमी दिखी .मैं उठ कर एक चेयर खींच लाया और उसके सामने बैठ गया . मैंने पर्स से पांच और दस के नोट निकाले और कहा इसमें जो चाहो ले लो . उसने कहा “ क्या दोनों ले सकती हूँ ? “


मैंने श्योर कहा तब वह बोली “ एनी कॉइन सर ? “


मैंने पर्स के पॉकेट से कुछ कॉइन निकाल कर उसे दिए . वह थैंक्स कह जाने लगी तब मैंने उसे एक मिनट रोक कर फ्रिज से कोको कोला निकाल उसे खोल कर मार्था को दिया . पहले तो वह नहीं लेना चाहती थी बाद में मेरे दोबारा कहने पर बोतल ले कर सोफे पर बैठ गयी . मैं भी एक कोका कोला ले कर चेयर पर बैठ गया .उसने कुछ भारत के बारे में पूछा . मैंने उससे पूछा “ मैंने तो सिटी में कोई ख़ास लाइटिंग नहीं देखी है फिर क्यों तुमलोग पर्थ को सिटी ऑफ़ लाइट बोलते हो ? “


उसने कहा “ दरअसल 1962 में अमेरिकी एस्ट्रोनॉट जॉन ग्लेन ने पहली बार स्पेसक्राफ्ट से जब पर्थ के ऊपर उड़ान भरी थी तब यहाँ के निवासियों ने पर्थ सिटी के लाइट्स ऑन कर दिए थे . ग्लेन ने भी कहा था कि मैं पर्थ को साफ़ साफ़ देख सकता हूँ .उस दिन से इस शहर को सिटी ऑफ़ लाइट्स कहा जाता है .”


10 जनवरी 1969


आज हमारा जहाज फ्रीमैंटल से दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड पोर्ट होते हुए विक्टोरिया प्रांत में मेलबर्न पहुंचा . यह ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा सिटी है . मुझे इस दिन का बेसब्री से इंतजार था .यह शहर ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शहरों में था और मेरी पेन फ्रेंड डॉर्थी भी यहीं रहती है . यहाँ हमें एक सप्ताह रुकना था . जिस पोर्ट में भी हमारा जहाज जाता है वहां कंपनी का एजेंट होता है . वह कार्गो लोड और अनलोड करने में कंपनी के साथ समन्वय करता है .साथ ही कंपनी और सभी सेलर्स के पत्र ला कर देता है .जहाज पर एक लैंडलाइन फोन की व्यवस्था करता है ताकि शहर के एक्सपोर्टर्स और इम्पोर्टर्स आदि से जहाज का संपर्क बना रहे .


मैंने फोन कर डॉर्थी से सम्पर्क किया . कुछ देर बातें करने के बाद उसने घर पर आने को कहा .मैंने कहा “ अभी तीन दिनों तक मेरी डे शिफ्ट है , दिन में नहीं निकल सकता हूँ . तीन दिन के बाद नाईट शिफ्ट में दिन में फ्री रहूँगा तब आ सकता हूँ . तुम अपनी मम्मा , डैड और भाई के साथ कल शाम जहाज पर आ जाओ यहीं डिनर होगा .”

“ एक मिनट डैड भी पास में हैं बात कर के बोलती हूँ .” फिर थोड़ी देर के बाद उसने कहा वे लोग कल 7 बजे शाम में आएंगे .


जहाज के पैंट्री अफसर को फोन कर मैंने केबिन में ढेर सारे स्नैक्स , चॉक्लेट्स , कोल्ड ड्रिंक्स , बियर कैन के साथ सिगरेट और एक बोतल जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल व्हिस्की भी डिलीवर करने का आर्डर दिया .


रात में लेटे हुए अपने लेटर्स पढ़ रहा हूँ , बाबा ने जहाज की नौकरी छोड़ने की बात लिखी है .शायद बोर्ड का ऑफर अभी भी वैलिड था .


11 जनवरी 1969


आज शाम मैंने बॉस से शाम को एक घंटा पहले इंजन रूम छोड़ने की इजाजत ली . 5 बजे अपने केबिन में आ कर कमरे को व्यवस्थित किया . सिंगापुर में ख़रीदे स्टीरियो प्लेयर को टेबल पर सजा दिया और उस पर एक अंग्रेजी रेकॉर्ड रख दिया . जल्दी से नहा कर अपने बेस्ट सिविल ड्रेस पहने . रेडिओ ऑन किया और सोफे पर आराम करने बैठा .ठीक सात बजे डोर नॉक हुआ .मैंने दरवाजा खोल कर उनका स्वागत कर बैठने को कहा . ससेला परिवार मेरे लिए गिफ्ट ले कर आया था .


मैंने स्नैक्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स और बीयर कैन्स निकाल कर उन्हें ऑफर की . ससेला दम्पत्ति ने बीयर ली और डॉर्थी और उसके छोटा भाई रॉबर्ट्स ने कोल्ड ड्रिंक्स . कुछ देर बात करने के बाद मैं उन्हें ले कर डाइनिंग हॉल गया . डिनर के बाद फिर वापस सभी मेरे केबिन में आये . मैंने ड्रिंक्स के बारे में पूछा तो ससेला दंपत्ति दो पेग व्हिस्की के लिए तैयार हो गए .देर तक बातें हुईं , फिर मैं उन्हें जहाज के नीचे उनके कार तक छोड़ने आया .


उन्होंने मुझे घर आने को कहा तो मैंने तीसरे दिन संडे को दिन में आने को कहा .


14 जनवरी 1969


आज दिन में मुझे डॉर्थी के यहाँ जाना है .वे लोग तो गिफ्ट ले कर आये थे तो मुझे भी कुछ ले कर जाना चाहिए .सिंगापुर से मैंने अपने घर के लोगों के लिए कुछ गिफ्ट्स लिए थे उन में से एक मैंने डॉर्थी के लिए ले लिया . मैं अकेले शहर में जाने में कुछ असहज महसूस कर रहा था इसलिए एक साथी जो मेलबॉर्न घूम चुका था उसे साथ ले टैक्सी में बैठा . पहली बार कलकत्ता के अलावा यहाँ ट्राम चलते देख आश्चर्य हुआ . ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या वर्षों से लगभग स्थिर है करीब दो करोड़ , मैं सोच रहा था कि हम हर साल एक ऑस्ट्रेलियन पॉपुलेशन बढ़ाते हैं .

डॉर्थी और उसके मम्मा डैड ने हमारा स्वागत किया . मैंने गिफ्ट डॉर्थी को थमाया और सभी ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करने लगे .ससेला दंपत्ति ने ड्रिंक के लिए पूछा तो मैंने मन कर दिया पर मेरा साथी बीयर के लिए तैयार था .कुछ देर बाद हमने एक साथ लंच लिया . यहाँ देशी खाना तो नहीं था सब कॉन्टिनेंटल . मैंने पहले से ही बोल रखा था वेजिटेरियन फ़ूड तो उन्होंने उसका भी प्रबंध किया था हालांकि मुझे छोड़ कर सभी नॉन वेजिटेरियन एन्जॉय कर रहे थे .


लंच के एक घंटे बाद मैं शिप पर लौट आया क्योंकि मेरी शिफ्ट थी . ससेला ने हमारे लिए टैक्सी बुला दिया था . डॉर्थी ने कहा “बी इन टच .” मैंने श्योर कहा और हम दोनों बाय कर टैक्सी में बैठ गए .


20 जनवरी 1969


आज हमारा शिप विश्व विकास ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर और आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सिटी सिडनी पोर्ट पर पहुँच रहा है . मैं डेक पर खड़े हो कर सागर के किनारे बसे शहर की सुंदरता देख कर मुग्ध हो गया .जहाज विश्व विख्यात सिडनी हार्बर ब्रिज के नीचे से गुजर रहा है . एक ओर मशहूर भव्य ओपेरा हाउस स्थित है . गनीमत है बीच समुद्र में लंगर डालने की नौबत नहीं आयी . पायलट बोट आ कर शिप को पोर्ट में बर्थ करने तक गाइड करता है . दरअसल सभी पोर्ट में एंट्री के पहले वहां के पोर्ट से एक पायलट बोट आ कर शिप को पोर्ट तक सुरक्षित ले जाता है . यह इसलिए होता है कि अक्सर किनारे पानी कम होता है या अन्य चट्टान आदि से समस्या हो सकती है और लोकल पायलट को पोर्ट की पूरी जानकारी होती है . सिडनी में पांच दिन रुकना है . अच्छी बात यह है कि अभी तीन दिन मेरी डे शिफ्ट है रात को घूमने का मौका मिलेगा .


शाम को मैं कुछ कुलीग के साथ घूमने निकला . सेलर्स क्लब गया . वहां टेप रिकॉर्डर पर हिंदी गाने सुन कर आश्चर्य हुआ . मैं एक टेबल पर बैठ गया , वहां एक अधेड़ उम्र की महिला बीयर पी रही थी . वह मुझसे 25 साल बड़ी और लम्बी चौड़ी हठ्ठी कठ्ठी थी . उसने मुझे नमस्ते कर ड्रिंक लेने को कहा तो मैंने कहा “ मैं नहीं पीता .”


उसने आश्चर्य से देखते हुए कहा “ बीयर भी नहीं . विरले ही सेलर्स ड्रिंक नहीं करते हैं . “


मैं एक कोक की कैन ले आया और पीने लगा .थोड़ी देर में उस औरत ने कहा “ लेट अस डांस . “


“ सॉरी , आई डोंट नो एनी डांस . “


“ कम ऑन , आई विल हेल्प यू . “ कह कर उसने अपना हाथ बढ़ाया


मैं उठ कर उसके साथ गया .पहले उसने एक हाथ कमर पर रखने को कहा दूसरे हाथ में अपना हाथ थमाते हुए कहा “ नाउ मूव , टेक स्टेप वन टू ...... “


मैंने दो चार स्टेप आगे पीछे उसके कथनानुसार लिए फिर वह बोली “ सी , हाउ सिंपल .”

पांच मिनट बाद ही दोनों वापस टेबल पर आ बैठे .उसने मुझसे कुछ आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले हिंदी शब्द पूछे .


कुछ देर बाद वह चली गयी . मैंने कुछ सुवेनर क्लब से ख़रीदे जिनमें ऑस्ट्रेलियाई कंगारूज के थ्री डाइमेंसन फोटो थे और एक सिडनी हार्बर ब्रिज का शो पीस थे . फिर वापस अपनी शिप पर आ गया .


===============================