बूंद से सागर बने कर्मवीर - 2 Rajesh Maheshwari द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बूंद से सागर बने कर्मवीर - 2

श्रीमती रश्मि धोपे

श्रीमती रश्मि धोपे कनाडा के मांट्रियल एवं टोरंटो शहरों में कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर चलाती है, जहाँ इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट को आटोकैड एवं इससे संबंधित कम्प्यूटर साफ्टवेयर के विषय में शिक्षा देती है।

उनका कथन है कि आज की दुनिया में उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं का सामना अपने लिए कैरियर चुनते समय ही दुविधा के साथ करना पडता है। उनके मस्तिष्क में अनेक विचार एव अपेक्षाओं का मंथन होता रहता है। एक युवा जिंदगी के चैराहे पर खडा है, उसे किस दिशा का चयन कर अपना भविष्य सुरक्षित करना है इस पर चिंतन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मैंने देखा है कि युवा अपने माता पिता द्वारा चुने गये विशिष्ट कैरियर को चुनने के लिए दबाव में रहते है। हम व्यक्तिगत क्षमताओं विकल्पों जीवन के लक्ष्यों के लिए बहुत कम विचार करते है। हमारा समाज परिणाम उन्मुख समाज है। सफलता के विषय में हमारे समाज में केवल मौद्रिक सफलता, नाम और प्रसिद्धि के संदर्भ में आवश्यक मानी जाती है।

हम खुशी, संतुष्टि, मन की शांति के संदर्भ में मंथन नही करते है। हम बच्चों से इन चीजों के बारे में अधिक बात करने की आवष्यकता नही समझकर उसे अपनी पढाई में जोर देकर उच्चतम अंक प्राप्त करने की अभिलाषा करने लगते है। यह वह समय है जहाँ हमारा समाज पश्चिमी सभ्यता से बहुत भिन्न है। दुनिया के अनेक देशो की यात्राओं के दौरान मैने देखा है कि उन देशो में शिक्षा, जीवन की मौलिकता से संबंधित है और जीवन में व्यवहारिक उपयोग की है, जबकि हम शैक्षणिक और सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक जोर देते है।

पश्चिमी देशो में आत्मनिर्भरता बहुत कम उम्र में ही सिखाई जाती है और जब तक बच्चा 18 वर्ष का होता है तब तक उसे खुद के लिए कमाने और अपनी उच्च शिक्षा के भुगतान की पूर्ति स्वयं करने के लिये प्रशिक्षित और तैयार कर लिया जाता है।

भारत में माता पिता बहुत लंबे समय तक बच्चों को थाली में सब कुछ प्रदान करने में गर्व महसूस करते है। अपनी पूरी जिंदगी की कमाई बेटी की शादी में खर्च करते है। जीवन की कठिनाईयों का सामना करने के लिए तैयार नही रहते है, चाहे वह वित्तीय हो, भावनात्मक हो या अन्य कोई भी हो। मेरे अनुसार माता पिता को हमारे युवाओ की बढती उम्र के दौरान उनकी विशेष क्षमताओं, कौशल, प्रतिभा और ताकत को पहचानने और फिर उन्हें सही पथ के साथ मार्गदर्शन देने के लिए एक मजबूत भूमिका निभाना चाहिए।

भविष्य में किस तरह का जीवन चाहते है यह निर्धारित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन के लक्ष्यों, जीवन में आपके मूल्यों को निर्धारित करना वह खुशी है जिसकी आपको तलाश है आज मैं बहुत सारे लोगो को विदेश में नौकरी की तलाश में देखती हूँ और फिर वे कभी वापिस अपने देश नही लौटते क्योंकि वहाँ की चमकदार जीवनशैली से इतने प्रभावित हो जाते है कि वे अपने परिवार को भी भूल जाते है। यदि आप एक इंजीनियर या डाक्टर है तो आप काफी संतोषजनक नौकरी पाने में सक्षम है। आप पर्याप्त धन कमाकर अच्छा जीवन जी सकते है।

पश्चिमी देशो में व्यक्तिगत क्षमता, कौशल और दक्षता एक उच्च गुण माना जाता है और आप अपनी इस विशेषता के लिए पहचाने जाते है। हमारे युवाओं में राष्ट्रवाद और नैतिकता की मजबूत भावना विकसित करने के लिए पाठयक्रम में इसका समावेश होना चाहिए।

आज राष्ट्र के समग्र विकास के लिए कडी मेहनत, दृढता के साथ, कठिनाईयों को पराजित करने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण निर्धारित रखने का प्रयास होना चाहिए। हम जो भी करते है वो बिना लक्ष्य निर्धारित किए करते रहते है जिससे निराशा के अंधकार में हम अपना रास्ता खोजते रहते है। हम अपनी गलतियों से सीखे और असफलताओं से अपनी सोच में परिवर्तन करते हुए सफलता में बदलने हेतु सदैव जागरूक रहें तभी हम जीवन में सफल होंगे और खुशी, मौलिकता का सही रास्ता प्राप्त कर आध्यात्मिक रूप से भी संपन्न हो सकेंगे।