बूंद से सागर बने कर्मवीर - 1 Rajesh Maheshwari द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बूंद से सागर बने कर्मवीर - 1

बूंद से सागर बने कर्मवीर

प्रेम दुबे

जबलपुर चेंबर आफ कामर्स के चेयरमैन प्रेम दुबे जी ने कहा कि विषय बहुत सामयिक एवं महत्वपूर्ण है। उद्योग, व्यापार या नौकरी में किसी एक का चयन करना अपने जीवन को नया स्वरूप देने के समान है। कोई भी युवा स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्री पाने के बाद उसमें इतनी परिपक्वता हो जाती है कि उसे आगे जीवन में क्या करना है? इसका निर्णय वह स्वयं अपने आप कर सकता है। उसे फिर भी अपने माता पिता, गुरू और अपने हितैषियों से भी सलाह लेना चाहिए परंतु उसको मन में यह दृढता रखना चाहिए कि उसका मन जो कहे वह वही करे। इसलिए कहा जाता है कि सुनो सबकी परंतु करो मन की। ऐसे समय में कोई गलत निर्णय हो जाएगा तो जीवन भर पछतावा बना रहेगा।

हमारा उद्योग, व्यापार या नौकरी करने का उद्देश्य धनोपार्जन के साथ साथ समाज में मान सम्मान प्राप्त करना भी रहता है। हमारे मातापिता की भी यही आकांक्षा रहती हैं कि उनका पुत्र या पुत्री सम्मानजनक जगह पर अपना कर्तव्य निर्वाह कर रहा हो। मेरी व्यक्तिगत सोच यह है कि कालेज में शिक्षा के दौरान स्वरोजगार पर आधारित विषय भी होना चाहिए ताकि उससे मन में स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनने की भावना विकसित हो सके।

मैं तो नौकरीपेशा लोगो को भी यही सलाह देता हूँ कि नौकरी छोडकर अपना छोटा मोटा व्यवसाय प्रारंभ कर जीवनयापन अपनी मर्जी के अनुसार करना चाहिए। हमारे चैंबर आफ कामर्स के कार्यालय में 3500 से भी ज्यादा छोटे बडे व मध्यम उद्योगों के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। जिसका उपयोग युवा वर्ग कर सकता हैं। मैं सभी युवाओं के उज्जवल भविष्य की कामना करता हुआ उन्हें आश्वस्त करता हूँ कि मेरे अनुभव की कोई भी आवश्यकता कभी भी महसूस हो तो मैं सदैव अपनी सेवाएँ देने के लिए उपलब्ध हूँ।

समीर लाल (कनाडा)

समीर लाल जबलपुर (भारत) में चार्टर्ड एकाउंटेंट थे और वर्तमान में कनाडा के एक बैंक में तकनीकी एवं रिस्क मैनेजमेंट में उच्च पद पर कार्यरत है। वे एक अच्छे लेखक, कवि एवं व्यंगकार भी है। उनका कथन है कि युवावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें जीवन को एक दिशा मिलती है और इस उम्र में अच्छी प्रेरणादायक किताबें, सफल लोगो की जीवनी, उनकी दिनचर्या जिससे वे सफल हुए, उन्होंने कैसे सफलता पायी, आदि पढना चाहिए। आप ईमानदारी, लगन और कठिन परिश्रम से कार्य करते रहे यही सफलता की कुंजी है।

आपको उद्योग, व्यापार या नौकरी में चयन हेतु अपनी पसंद और अनुभवी लोगों के विचारों को आधार बनाकर एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। लक्ष्य विहीन जीवन हमेशा भ्रमित एवं असफल रहता हैं। आप अपना लक्ष्य सदैव बडा रखे अपना हर कदम चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो उसी दिशा में बढायें। जीवन में जो भी काम करें पूरी लगन और पूर्ण सजगता और गंभीरता से करें। किसी को भी सफलता बिना परिश्रम के नही मिलती। आपकी अच्छी नीयत, नैतिकता, संपूर्ण ईमानदारी व समर्पण से ही सफलता की इबारत लिखी जाती है।

इसमें कोई अंतर नही पडता की आप देश में है या विदेश में। सफलता का मार्ग हर जगह एक ही है। व्यवसायों के लिए शायद कोई भौगोलिक क्षेत्र ज्यादा अनुकूल हो किंतु सफलता के लिए फिर भी मार्ग वही रहेगा। यह हो सकता है कि कडे परिश्रम के बाद भी सफलता देर से प्राप्त हो परंतु प्रयास अनवरत जारी रहना चाहिए। हमारा भाग्य कितना भी अच्छा हो तो भी कड़े परिश्रम के बिना किसी को सफलता प्राप्त नही होती।

मेरा देश एवं विदेश में, स्वव्यवसाय एवं नौकरी दोनो का अनुभव रहा है और मैं अपने अनुभव के आधार पर एक विशेष सलाह युवा छात्र छात्राओं को देना चाहूँगा कि हर उम्र में, जीवन के हर पडाव पर विद्यार्थी भाव को जाग्रत रखें और कुछ नया सीखने की ललक सदैव अपने मन में बनाए रखना चाहिए। परिवर्तन जीवन का नियम है और आज के बदलते परिवेश में उच्च तकनीक के साथ चलना ही सफल जीवन जीने की कला बन गयी है। आपको वक्त के साथ जीवन जीने की कला सीखना होगी। मेरी मान्यता है कि जिस दिन आप नया खोजने और सीखने में विराम लगा देते है उसी दिन से आप सफलता के पथ पर आगे बढना बंद कर देते है।