नैना अश्क ना हो... - भाग 14 Neerja Pandey द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नैना अश्क ना हो... - भाग 14

इधर नवल जी साक्षी और नव्या को लेके घर पहुंचे। जैसे
बच्चों के आ जाने से घर में जान आ गई थी। पर उन दोनों
को ही पता था कि ये खुशी बस पल भर की है फिर रहना
तो उन्हे अकेले ही है। तो क्यों ना हर पल को मजे से इंजॉय
किया जाए ना की ये सोच कर दुखी हुआ जाए कि कल से
फिर अकेले ही रहना है।
चेंज कर नवल जी बोले, " नव्या चलो पत्ते हो जाए । क्या
आज फिर कोशिश करोगी पापा को हराने की ? साक्षी आओ
तुम भी देखो तुम्हारी भाभी तो मुझसे कभी जीतती नहीं ,
शायद तुम जीत जाओ । आओ कोशिश कर के देखो।" सब
को बुला कर नवल जी पत्ते लेकर बैठ गए ।

खेल जम गया। अगर नव्या ,साक्षी या गायत्री जी में से कोई भी
जीत जाता तो नवल जी कहते की चीटिंग की है तुम सब
ने मिल कर मुझे हराने के लिए। काफी देर तक पत्तो का
खेल चलता रहा। बीच में नवल जी खुद ही उठ कर गए ,बोले
"नव्या और साक्षी आज मै तुम्हे ऐसी कॉफी पिलाऊंगा की
तुमने सारी जिंदगी नहीं पी होगी। मेरी कॉफी के आगे फाइव
स्टार होटल की कॉफी भी फेल है साक्षी बेटा ! इसका स्वाद
तुम कभी भूल नहीं पाओगी ।"

फटाफट नवल जी कॉफी बना कर ले आए । वो अपना सारा
प्यार दुलार बच्चों पर उड़ेल देना चाहते थे । काफी देर तक
खेल चलता रहा । बातों बातों में आधी रात बीत गई पर समय
का एहसास नहीं हुआ। थकी हुई होने के बावजूद भी नव्या
पापा और मम्मी की खुशी के लिए उनका साथ देती रही।
करीब दो बजे गायत्री जी ने कहा चलो बच्चो अब सो जाओ
वरना देर रात तक जागने से तबियत खराब हो जायेगी।

नव्या ने कहा "मम्मी मै आपके साथ ही आज सोऊंगी।" तो
साक्षी भी "हां आंटी मै भी।" कह कर उनके बिस्तर पर चढ़
गई। गायत्री ने भी दोनों बाहें फैला कर हंसते हुए उन्हे अपने
अंक में समेट लिया, और बोली "हां हां मेरी बच्चियों आओ
आज हम सब साथ में ही सोएंगे।" लाईट बंद कर जब लेटी
तो नव्या से बोली, "आज अरसे बाद नव्या तू मेरे साथ
सोएगी। याद है तुझे जब तू छोटी सी थी तो हमारे बीच में
ही सोती थी हमेशा ; कहती थी "मम्मी पापा मै आपके
दोनों को पकड़े रहूंगी वरना आप रात में डर जाएंगे।"
नव्या ने कहा है, "हां मम्मी याद है।"
"पहले तू एक मिनट भी मेरे बिना नहीं रहती थी। पर अब
तुझे कभी हमारी याद नहीं आती,अब तो तू हमें बिल्कुल भूल
ही गई है । इसी शहर में रहते हुए भी कभी तेरा दिल नहीं
करता कि चलूं मम्मी पापा से मिल आऊं ?
रुकने को मै नहीं कहती तेरा भी अब ससुराल है, पर मिलने
तो आ ही सकती है।" गायत्री ने उदास स्वर में अपनी वेदना
व्यक्त की ।
नव्या ने, "सॉरी मम्मी " कहा । तुरंत ही साक्षी बोल पड़ी,
"आंटी अब भाभी आए ना आए मै आपसे मिलने हर संडे
आऊंगी और आपके हाथों का टेस्टी खाना भी खाऊंगी और
अंकल के हाथो की लाजवाब कॉफी भी पीऊंगी।"
गायत्री ने कहा, "हां बेटा तू ही आ जाया कर इसे तो समय
मिलेगा ही नहीं।"
दूसरे दिन शाम को आने वाले थे शांतनु जी सपत्निक पर नवल
जी ने फोन कर दिया सुबह ही कि आप भाभी जी को
लेकर आ जाइए यही सब साथ मै ही खाना - पीना होगा।
गायत्री आप सब के लिए भी खाना बना रही है।
ऑफिस में कॉल कर शांतनु जी ने इनफॉर्म कर दिया कि आज
वो नहीं आ पाएंगे। तैयार हो नव्या की मां को ले नवल जी
के घर के लिए निकल गए।
नवल जी के यहां से वापस आने के पहले ही शांतनु जी ने
सोचा की नव्या से आर्मी हैड क्वार्टर दिल्ली में नौकरी की
ज्वाइनिंग के लिए फोन करवा देता हूं।
चलने से पहले ही उन्होंने नव्या से कहा, "नव्या बेटा तुम
आज ही दिल्ली फोन करके बात कर लो कि कब जाना
है उसी के अनुसार मै और नवल जी तुम्हारे जाने की
व्यवस्था कर देंगे।"
पापा की सहमती मिलते ही नव्या ने दिल्ली फोन किया।
वहां से कहा गया कि एक सप्ताह के भीतर आपको सारी
जानकारी डिटेल में भेज दी जाएगी।
चार दिन पश्चात ही वहां से कॉल आ गई कि आपको
शाश्वत के समकक्ष ही पोस्ट ऑफर कि जा रही है।
आपकी ट्रेनिग स्पेशल होगी; और आप जितनी जल्दी
अपनी सुविधा अनुसार रिपोर्ट करेंगी उतना ही अच्छा
होगा।
जब नव्या ने दिल्ली में हुई बात चीत के बारे में सभी को
बताया तो शांतनु जी ने पूछा, "तो नव्या बेटा फिर कब
जाने का सोच रही हो ? जब का कहो मै तुम्हारा रिजर्वेशन
करवा देता हूं। या फिर कहो तो गाड़ी से ही तुम्हे छोड़ आए
जिसमे तुम्हे सुविधा लगे।"
"क्या पापा आप मुझे छोड़ आएंगे ? क्या मै अकेली
जाऊंगी ? नहीं आप और मां भी मेरे साथ चलेंगे मै अकेली
नहीं जाने वाली । आपको मेरे साथ ही चलना होगा।"नव्या
बोली।
"पर बेटा ट्रेनिग में तुम जाओगी तो हम वहां जा कर क्या
करेंगे ?"शांतनु जी ने कहा।
"नहीं पापा मेरी पोस्टिंग के साथ ही मेरी ट्रेनिग भी होगी।"
नव्या ने कहा ।
"पर बेटा साक्षी की पढ़ाई भी तो है उसका अगले वर्ष ट्वेल्थ
का एग्जाम भी तो होगा उसकी पढ़ाई बीच में कैसे छुड़वा
दूं ? फिर मेरी नौकरी भी तो है " शांतनु जी बोले।
अब नव्या निरुत्तर हो गई । साथ ही उदास भी कि मां पापा
के बिना कैसे जाएगी? उनके देख - भाल का दिया वादा वो
इतनी जल्दी कैसे तोड़ दे।
सब नव्या की बातें गौर से सुन रहे थे। शांतनु जी की बजाय
इस बार नवल जी बोले,
"ठीक तो कह रहे है शांतनु जी अपनी नौकरी और साक्षी की
पढ़ाई बीच में कैसे छोड़ कर जा सकते है?"
"पापा मेरे पास सब समस्या का समाधान है।" नव्या बोली।
"पापा आप अपने ट्रांसफर का एप्लिकेशन दे दीजिए ; और
जब तक ट्रांसफर नहीं होता छुट्टी ले लीजिए। और मम्मी
पापा आप भी तो अकेले रहते हो साक्षी को आप नहीं रख
सकते ? दोनों परिवार में समस्या हल हो जाएगी। एक मां
पापा के साथ मै रहूंगी और एक के साथ साक्षी। एक बेटी
एक माता - पिता के साथ दूसरी दूसरे माता पिता के साथ।
मेरी जगह आपको मुझसे भी प्यारी बेटी मिलेगी।" नव्या
साक्षी के बालों को बिगाड़ते हुए बोली।
"क्यों साक्षी ठीक कहा ना मैंने रह लोगी तुम।" नव्या ने
साक्षी से पूछा।
"मुझे तो मज़ा ही आएगा, पर अंकल आंटी को मंजूर हो तब
ना । "साक्षी बोली।
अब गायत्री जी बोली, "साक्षी बेटा हम दोनों नव्या के जाने के
बाद कितने अकेले है ये हम ही जानते है । हमारे अकेले पन
का दर्द कोई नहीं समझ सकता। 'अंधा क्या चाहे दो आंख '
हमें तो मन चाही मुराद मिल जाएगी तुम हमारे साथ रहो
तो।"
नव्या ने शांतनु जी से पूछा, "पापा मां आपको कोई एतराज़
तो नहीं साक्षी को मम्मी पापा के पास रखने में। "


क्या नव्या द्वारा सुझाया गया सॉल्यूशन सब मानेंगे ? क्या शांतनु जी नव्या के साथ जाएंगे ? पढ़े अगले भाग में।



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