मुक्म्मल मोहब्बत - 18 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुक्म्मल मोहब्बत - 18


मुकम्मल मोहब्बत -18


"यू,ओके !" वोट झील मेंं उतारते हुए मैंने पूछा.

"यस."धीरे से बोली मधुलिका.

उदास थी वह.रोज वाली चंचलता उसके चेहरे से गायब थी.मैंने उसका चेहरा गौर से देखते हुए पूँछा-"कल कहां रहीं?"


"तुम कल आये थे?"उसने धीरे से पलकें ऊपर उठायी.


"हां,आया था. काफी देर तक तुम्हारा इंतजार किया. मंदिर के पीछे, आसपास सभी जगह तुम्हें देखा. कहीं उस दिन की तरह कहीं छिपकर बैठ गई हो."मैं आहिस्ता से बोला.


"सॉरी,डियर, मैं बादल से मिलने गई थी.उसकी बहुत याद आ रही थी."उसका लहजा उदास था.


"मुलाकात हुई?"

"कहां?वह कालेज आया ही नहीं था."

"अरे,बुध्दू ! समर वकेशन चल रहे हैं. वह कालेज क्यों आने लगा."मैंने शीघ्रता से कहा.

"ओह,गॉड ! मैं भूल ही गई. कालेज बंद चल रहे हैं. सच,यार,पूरी बुध्दू हूँ मैं."

"शायद,हम दोनों ही बुध्दू हैं."मैंने उसे हंसाने के लिए कहा.

वह हँसी. लेकिन, हँसी फीकी थी.

"अच्छा, बताओ.कल सारा दिन तुमने क्या किया?'"मैं मधुलिका का मन बहलाने की कोशिश करने लगा.

"नहीं, स्वीट, पहले तुम बताओ.कल सारा दिन तुमने क्या किया?"शायद वह स्वयं के लिए बोलने के मूड में नहीं थी.फिर रूककर बोली-"कल तुमने मुझे मिस किया था?"

"हां,मधुलिका, सचमुच कल मैंने तुम्हें बहुत मिस किया था. बहुत देर तक तुम्हारा इंतजार किया. रात होने लगी थी. तुम्हें शायद आना नहीं था. फिर मैं वापस चला गया."


"घर पहुंच कर क्या किया?"उसने फिर सबाल किया.


"घर जाकर डिनर किया. उसके बाद मेरी दोस्त ऐनी का फोन आ गया था. उससे बात करता रहा. फिर सो गया."मैं मधुलिका से उसका स्केच बनाने और रूम मेंं मोगरों के फूलों की खुशबू भर जाने की बात छिपा गया. बता भी दूँ तो बुध्दू कहकर हँसेगी.



"तुम्हारी बहुत अच्छी दोस्त है, ऐनी. कैसी दिखती है?"

"हां,बहुत अच्छी दोस्त है ,लेकिन तुम्हारी जैसी नहीं दिखती."मैंने हँसकर कहा.


"अरे,बुध्दू!दोस्ती के लिए खूबसूरत दिखना जरूरी नहीं. बस,उसका दिल खूबसूरत होना चाहिए. इतना खूबसूरत कि वह हर समय प्यार की खुशबू से महकमा रहे."वह इस तरह बोल रही थी जैसे आवाज कहीं दूर से आ रही हो.


सच ही तो है. जिसके अंदर प्यार ही प्यार भरा हो.उसके प्यार की खुशबू हर जगह पहुंच जाती है. शायद ,इसीलिए मधुलिका के प्यार के साथ मोगरों के फूलों की खुशबू भी रात मेरे रूम में पहुंच गई.


"क्या सोच रहे हो?"मैंने गलत कहा?"मुझे खामोश देखकर मधुलिका ने पूँछा.


"तुम ठीक कह रही हो. दिल खूबसूरत होना चाहिए. जिसकी अंदर की दुनिया खूबसूरत होती है. वह बाहर से भी अच्छा होता है. बस,दिल अच्छा होना चाहिए. वैसे कुछ लोग बेमिसाल होते हैं. अदंर से भी खूबसूरत ,बाहर से भी खूबरसूरत. बिल्कुल तुम्हारी तरह."

इस बार जोर से हँसी मधुलिका-"बादल भी यही कहता है. हर खूबसूरत इंसान अच्छा हो जरूरी नहीं. लेकिन, तुम बेमिसाल हो."

"बादल गलत नहीं कहता है. तुम हो ही बेमिसाल."मैंने अपने शब्दों पर जोर दिया.

"अच्छा."मुस्कुराई वह.

मुझे उसका बदलता मूड अच्छा लगा.मैंने बात आगे बढ़ायी-"तुम्हारा बादल भी तुम्हारी तरह खूबसूरत है?"

"अगर मेरी तरह खूबसूरत होता ,तभी मेरा दोस्त होता क्या?"उसने मुझे कुछ इस तरह देखा जैसे मैंने बादल का अपमान कर दिया हो.


"नहीं, यह बात नहीं है बस,जानना चाहता हूँ. कैसा दिखता है. तुम इह कहानी की हीरोइन हो और बादल हीरो. हीरो के बारे में लिखना तो बनता है न!"मैंने बात का रूख मोड़ दिया.

"बादल तुम्हारी तरह खूबसूरत नहीं लेकिन हैंडसम है."वह शरारत से मुस्कुराई.

मैं भी मुस्कुरा दिया.

"डियर, रायटर, लेपटॉप खोलो"उसने मुझे आदेश दिया. फिर संजीदा होते हुए बोली-"सुनो,रायटर जी,मैं बादल के लिए जो कुछ भी बोलूं उसे कहानी में शामिल किया करो."


"ओके."

अब मेरी अंगुलियां लेपटॉप पर चलने को तैयार थीं.



क्रमशः