The Last Murder
… कुछ लोग किताबें पढ़कर मर्डर करते हैं ।
अभिलेख द्विवेदी
Chapter 12:
संविदा को अभी भी ज़्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कहानी जब लिखना होता था तो वो लिख लेती थी लेकिन अब जब असलियत में कातिल को ढूंढना या पकड़ना है तो उसके दिमाग में आईडिया ही नहीं आ रहे थे कि कौन-सा स्टेप लेना सही रहेगा । इसी दिमागी उथल-पुथल में ऐसे ही एक दिन तनवीर से चैट करते हुए उसने पूछ लिया कि किसी रीडर या राइटर को पकड़ना हो तो क्या स्टेप हो सकता है । उसे मालूम था कि तनवीर सर्टिफाइड हैकर है और किताबें भी पढ़ता है तो शायद कुछ निकल कर आये ।
"मैं बिल्कुल ब्लैंक हो चुकी हूँ ।"
"आसान तो नहीं है लेकिन मैं खुद अभी बीमार चल रहा हूँ इसलिए ज़्यादा कुछ हेल्प नहीं कर पाऊँगा । लेकिन हो सके तो सोशल मीडिया और सर्च इंजन की हेल्प लो और किसी साइबर एक्सपर्ट को पकड़ो ।"
तनवीर ने उससे बस इतना ही कहा कि तमाम रीडर में से तुम्हारे कुछ रीडर ऐसे भी होंगे जो किसी राइटर के ही कंटेंट को अपना बनाकर दूसरों को परोस देते होंगे, तो क्यों न संविदा अपने ही कंटेंट को सर्च इंजन पर डालकर देखे और यह पता लगाए कि क्या कोई ऐसा रीडर है जो उसके कंटेंट को चुराकर अपना बनाकर दूसरों को अपना रीडर बना रहा है । अगर कोई उसके लिए ऑब्सेस्ड भी होगा तो सम्भव है वही कातिल भी हो । यह आइडिया संविदा को पसंद आया लेकिन वो जानती थी कि वो इतनी एक्सपर्ट है नहीं और कानूनी मामला समझते हए उसने इसमें समय बर्बाद करने के बजाय यह आइडिया पुलिस को दिया । पुलिस ने भी अपने हिसाब से और साइबर डिपार्टमेंट की मदद से पता भी लगाया । उनके हिसाब से और उनके इन्वेस्टिगेशन से यह निकल कर आया कि 2-3 फेक प्रोफाइल में एक प्रोफाइल है सोशल मीडिया पर जो संविदा के कंटेंट को संक्षिप्त करके सोशल मीडिया पर शेयर करता है । प्रोफाइल पर नाम तो 'घंटो तक' का है और फोटो किसी लड़की की थी । साइबर डिपार्टमेंट ने जब आई-पी ऐड्रेस चेक किया तो पता चला कि ये सारे पोस्ट्स किसी स्मार्टफोन से होते हैं और जिस फोन से यह सारे पोस्ट हो रहे हैं वह फोन किसी तनवीर के नाम से है ।
इधर संविदा ने अपने पांचवें किताब में कुछ फेरबदल कर दिया था और कुछ चीज़ों को ठीक वैसे ही जोड़ दिया था जैसे पुलिस ने बोला था । इस बार कहानी के हिसाब से सीरियल मर्डर में पहले मर्डर प्रोमिता का होगा फिर संविदा का होना था । इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रमोशन का प्लान शुरू हो चुका था । संविदा ने भी प्रोमिता को पहले ही समझा दिया था और पुलिस ने भी प्रोमिता के घर के आस-पास निगरानी रख रही थी । इधर पुलिस जब जांच-पड़ताल के हिसाब से और आई-पी एड्रेस को ट्रैक करते हुए उसके यूज़र के पास पहुँची तो उस फोन का यूज़र कोई तनवीर नहीं था बल्कि एक लड़की थी जो अकेले रहती थी । यानी वह लड़की फेक प्रोफाइल से वह सारे पोस्ट करती थी । पुलिस ने उसकी ग़ैर-मौजूदगी में खोज-बीन की तो ये पक्का हो गया कि वो संविदा के सारे किताबों को पढ़ती है लेकिन कुछ ऐसा हासिल नहीं हुआ जो उसे कातिल साबित करता हो । पुलिस ने एक्शन लेने के बजाय थोड़ा और समय देना चाहा और इस लड़की पर नजर बनाए रखी, हालाँकि ये लड़की अकेले रहती थी तो उन्हें ये भी नहीं लग रहा था कि ये कातिल होगी और पुलिस ने यह सारी बात किसी से अभी शेयर नहीं किया था ।
इधर पांचवी किताब अपने लॉन्च के तैयार थी और सब कुछ वैसे ही चल रहा था जैसे पुलिस ने इन्हें बताया था । तनवीर से भी जब संविदा की बात हुई तो तनवीर ने वादा किया कि वह इस बार किताब लेने जरूर आएगा । उधर शहनाज़ भी तैयार थी पांचवी किताब को लेने के लिए और उसने वादा किया था कि इस बार वो या तो पिनाज़ के साथ आएगी या सिर्फ पिनाज़ ही आएगी और साथ में वो वाली किताब भी लाएगी जो उसने संविदा के हर नॉवेल से कुछ पेज को लेकर एक छोटी कहानी बनायी है । शहनाज़ ने संविदा से ये भी रिक्वेस्ट किया कि इस बार किताब पर पिनाज़ को ही डेडिकेटेड मैसेज और ऑटोग्राफ्ड कॉपी दें जिससे कि उसको बुरा ना लगे । संविदा ने भी इस चीज़ के लिए तुरंत हामी भर दी थी, उसे इस बात का अफसोस हुआ कि ये दोनों नहीं मिल पायेंगी । इधर किताब के लॉन्च की तारीख रिलीज होने की करीब आ रही थी और उधर संविदा, रोबिन और पुलिस पर बेहिसाब प्रेशर बढ़ता जा रहा था । प्रोमिता को भी डर लग रहा था कि जरा-सी चूक उसे इस दुनिया से जुदा कर देगी । इधर अंकिता भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि केस में हेल्प कर सके, हालांकि उसे थोड़ा बहुत सब कुछ समझ में धीरे-धीरे आने लगा था कि यहाँ कातिल कोई और नहीं या तो रीडर या फिर कोई राइटर ही है और बेकार में लोग संविदा या रॉबिन के चक्कर में पड़े हैं । पुलिस ने अभी तक किसी से नहीं बताया था कि जिसके पास से मोबाइल मिला है वह कौन है, उनको ज़्यादा शक तनवीर पर था लेकिन सबूत नहीं था ।
बुक-लॉन्च के दिन सब कुछ वैसे ही शुरू हुआ जैसे नॉर्मल या हर बार होता था । इस बार ज़्यादा दिखावा नहीं था लेकिन भीड़ इस बार सबसे ज्यादा थी और इतने ज्यादा नए और पुराने चेहरे थे कि संविदा को समझ नहीं आ रहा था किसको कितना समय दें । इन्हीं के बीच शायद वह कातिल भी था या होगा जो किताब ले जाने के लिए आया होगा । आज यहाँ पुलिस भी थी, अंकिता भी थी, रोबिन और संविदा भी थे और सबकी नज़रें उसी कातिल को ढूंढने और पहचानने की कोशिश कर रही थी । लेकिन भीड़ में से किसी ऐसे एक बंदे बंदे को ढूंढना इतना आसान नहीं था । पुलिस की एक टीम बैकएंड साइड में सीसीटीवी पर नजर गड़ाए हुए थी और बुक रीडिंग का सेशन शोरूम में चल रहा था । इस बार बुक रीडिंग सेशन को ज़्यादा समय नहीं दिया गया था लेकिन स्ट्रेटेजी के मुताबिक इस बार सबको बुक और संविदा के साथ सेल्फी भी लेने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया था ताकि जितने भी विज़िटर हों सबका चेहरे साफ आये । क्योंकि किसी ने भी कातिल को अभी देखा नहीं था और जब तक मर्डर एटेम्पट होगा नहीं, कातिल का चेहरा सामने आ नहीं सकता । चेहरे मिलाने में पुलिस को ज्यादा तकलीफ ना हो इसलिए ये पैंतरा लगाया गया था ।
आज भी तनवीर ने किताब लेते हुए वही डिमांड रखी जिसे संविदा ने पहले से ही पूरा कर दिया था । सीसीटीवी के थ्रू जब पुलिस को पता चला कि यह तनवीर संविदा का रेग्युलर रीडर और फैन है तो उन्होंने उसे धीरे-से शोरूम के बैक एंड ऑफिस में बुला लिया । तनवीर को बहुत अजीब लगा हालांकि वो जानता था कि संविदा का ये केस भी चल रहा है । वहाँ पुलिस ने उससे पूछा उस फोन के बारे में तो उसने बताया कि यह सही बात है कि फोन उसके नाम से है लेकिन यह फोन उसने 4 साल पहले ही एक कज़िन सिस्टर को दे दिया था । उसने ये भी बता दिया कि वो भी किताबों की बहुत शौकीन है, किताबें बहुत पड़ती है और उसे अपने अंदाज में लिखती है, अकेली रहती है, माँ-बाप पहाड़ों पर रहते हैं, लेकिन वह तो बहुत छोटी है... महज 17 साल की है और उसका नाम 'शहनाज़' है । जहाँ पुलिस को लग रहा था कि वो जल्दी ही कातिल के पास पहुँचेंगे, वहीं अब बहुत बड़ा झटका मिला था । अब अगर वह शहनाज़ पर शक भी करते हैं तो वह अभी नाबालिग थी और उसे हिरासत में लेना सिर्फ इसी बात पर आसान नहीं होता क्योंकि ना तो किसी ने उसे कत्ल करते हुए देखा है ना ही कोई ऐसा सुराग मिला है । उन्होंने तनवीर से सिर्फ इतना बताया कि साइबर क्राइम और कॉपीराइट का मामला है और उस आईडी से ओरिजिनल कंटेंट को बिना ऑथर के परमिशन से सोशल मीडिया पर सर्क्युलेट किया जा रहा है जो कि गलत है, कॉपीराइट का उल्लंघन है । इसलिए ज़रूरी है कि शहनाज़ को एक हिदायत दी जाय और फिर समझाया जाय । इसके बाद तनवीर को उन्होंने छोड़ दिया ।
इधर आज पिनाज़ आयी हुई थी और उसने संविदा से किताब लेते हुए बहुत प्यार से बात भी किया । वो बहुत खुश थी कि उसे नयी किताब उसके नाम से मिल गई और उसने अपनी वह किताब संविदा को दे दिया जो उसने संविदा के ही छप चुके नॉवेल के कुछ पेजों को जोड़कर एक स्टोरी बनायी थी । पिनाज़ के हिसाब से बुक पूरी हो चुकी थी । संविदा को यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि पिनाज़ में इतना अच्छा टैलेंट है । पिनाज़ ने सेल्फी के लिए मना कर दिया और संविदा ने भी ज़्यादा ज़ोर-ज़बरदस्ती इसलिए नहीं किया क्योंकि उसे शहनाज़ ने बताया था कि वह लाइमलाइट और प्रदर्शन से दूर रहती है । बुक सेल्फी का सेशन ओवर हुआ और धीरे-धीरे सारे ऑडियंस किताब की कॉपी लेकर जाने लगे थे ।