The Last Murder - 6 Abhilekh Dwivedi द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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The Last Murder - 6

The Last Murder

… कुछ लोग किताबें पढ़कर मर्डर करते हैं ।

अभिलेख द्विवेदी

Chapter 6:

"मतलब ये कि सारा बवाल कहीं बुक पर ना हावी हो जाये ।"

"ऐसा क्यों होगा?"

"अगर किसी ने कहा कि तुम उनसे मिली थी और सोशल मीडिया के पोस्ट्स देखे गए तो सबसे ज़्यादा गाज तुम्हीं पर गिरेगी । एक ही बात अच्छी है कि अटेंशन पूरा मिलेगा इस बुक को ।"

लास्ट लाइन पर संविदा भी चौंक गयी । मतलब रॉबिन को बुक के बिज़नेस से मतलब है ना कि संविदा से । संविदा के खयाल में ये बात भी आयी कि कहीं इसी ने तो प्रोमोशन के लिए ऐसा कुछ नहीं करवा दिया । उससे रहा नहीं गया । उसने उसी वक़्त एक संवेदना वाली पोस्ट डाल दी जान्ह्वी को समर्पित करते हुए ।

"फिलहाल तुम तीसरे बुक पर काम शुरू करो क्योंकि ये तो अब बिना प्रोमोशन के भी बिकेगी ।"

"लेकिन मेरी ज़िंदगी ज़रूर बदतर हो जाएगी ।" संविदा ने थोड़ा तल्ख होते हुए कहा ।

"जब तक अटेंशन आये, उसका इस्तेमाल करो । अपने काम पर फोकस बनाये रखो, कहीं कुछ अटको तो मुझे बताओ । और प्लीज़ अपने मन का फिलहाल कुछ मत करना ।" रॉबिन ने रिक्वेस्ट के लिपटी हुई हिदायत दी थी ।

संविदा थोड़ा चिंतित और फ्रस्ट्रेटेड एक्सप्रेशन के साथ वहाँ से निकल गयी । घर आकर सारा टाइम उसने जान्ह्वी वाली मर्डर पर नज़र बनाये रखा । उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि मर्डर किसी हथियार से नहीं, आर्टिफिशियल नाखून से की गयी है वो भी लंबे और धारदार से । हालांकि जान्ह्वी खुद इसकी शौकीन थी । संविदा ने कोशिश की नयी स्टोरी पर काम करने को लेकिन दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा था । उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे । अब बुक तो लॉन्च हो चुका था उसने सोचा कुछ दिन ऑफिस के काम में निकाला जाए फिर शायद कुछ आईडिया क्रैक हो ।

आज जब संविदा ऑफिस पहुँची तो उसने सोचा क्यों न पहली वाली नॉवेल एक बार फिर से पढ़ा जाए, क्या पता वहीं से कुछ आईडिया मिल जाए और तीसरी नॉवेल को लिखने में एक हेल्प मिल जाए । उसने इरा से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उसने काम का प्रेशर बता कर खुद को उससे दूर कर लिया । वैसे भी इरा अभी इतनी फेमस नहीं हुई थी कि वह काम ना करें और कहीं मशहूर हो जाए तो बिना काम किए भी भी उसे ऑफिस जाने के पैसे मिले । संविदा को भी समझ में आ गया था कि पर्सनल अचीवमेंट की वजह से प्रोफेशनल माहौल बदल गया है इसलिए उसने ऑफिस के कुछ काम निपटाने के बाद, कुछ वक्त अपने पहले नॉवेल को दिया । पढ़ते हुए अचानक उसे याद आया कि तीसरे नॉवेल का मर्डरर भी उसी सिगार से मर्डर करता है, बस तरीका अलग है । उसने पहली बुक लॉन्च के वक्त किसी से इसका ज़िक्र भी किया था कि वह सिगार कटर से मर्डर की कहानी एक बार और ज़रूर लिखेगी । किस से ज़िक्र किया था यह उसे याद नहीं, कहीं प्रोमिता ही नाम तो नहीं था या कुछ और? ठीक से याद नहीं आ रहा था लेकिन पन्ने पलटते हुए उसके दिमाग में नयी कहानी के आइडिया, कैरेक्टर और प्लॉट डिवेलप होने लगे थे । कुछ और समय बिताने के बाद उसने घर की तरफ रुख किया । ड्राफ्ट के तौर पर उसने सब कुछ मोबाइल में पॉइंट्स बनाकर लिख लिया था, बस अब घर जाकर उसे कहानी में पिरोने का काम रहेगा ।

कुछ देर लिखने के बाद संविदा को लगा थोड़ा सोशल मीडिया पर भी ध्यान दिया जाए । उसने देखा कि जान्ह्वी से संबंधित बातें अब अपना असर खो रहीं थीं । वैसे भी सोशल मीडिया पर राइटर से रिलेटेड कोई भी ट्रेंड 3 दिन से ज्यादा नहीं दिखता और यही चीज़ संविदा के लिए अच्छी थी । अचानक उसकी नजर चैट बॉक्स पर पड़ी । उसने देखा शहनाज़ का चैट था जो उसने अभी तक ओपन नहीं किया था । उसने कुछ सेकंड सोचा और फिर उस चैट को ओपन किया और उसने भी शहनाज़ के हाय का जवाब, वेव कर के दे दिया । संयोग से शहनाज़ उस वक़्त ऑनलाइन ही थी तो उसने भी तुरंत स्माइली के साथ जवाब दिया । बात होने लगी तो संविदा को पता चला की जान्ह्वी की मौत नाखून से हुई थी लेकिन आर्टिफिशियल नाखून थे जबकि उसे ये बात मालूम चल चुकी थी लेकिन फिर भी उसने शहनाज़ से इस तरीके से बात की जैसे उसे ज़्यादा कुछ नहीं मालूम । शहनाज़ ने बताया कि मरने टाइम जान्ह्वी के चेहरे और बॉडी पर खरोंचे जाने के निशान थे । हालाँकि जांच-पड़ताल में कुछ ठीक से पता नहीं चला है लेकिन पुलिस को ये बहुत अजीब लगा की मारने वाले ने जान्ह्वी के सीने से दिल निकाल कर वहीं फेंक दिया था, कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है ये पुलिस को समझ नहीं आ रहा था । शहनाज़ ने जैसे ही कहा कि इसकी मौत आपके नॉवेल मैं लिखी हुई कहानी से मिलती है तो संविदा के चेहरे का रंग उड़ गया । उसने बात घुमाने के लिए उसकी बहन पिनाज़ के बारे में और उसे जानने में इंटरेस्ट लेने में दिलचस्पी दिखायी । किसी रीडर-फैन के लिए इससे बड़ी चीज़ क्या होगी कि ऑथर उसके आस-पास की चीज़ों में इंटरेस्ट ले रहा है । लेकिन संविदा ने ज़्यादा वक़्त नहीं दिया और तीसरी किताब को लिखने का बहाना बनाकर शहनाज़ को अलविदा कहा । वापस संविदा सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि जान्ह्वी की मौत उसकी मर्डर स्टोरी से मिलना मात्र संयोग है या सोच-समझा संयोग ।

संविदा को वर्क फ्रॉम एनीवेयर की आज़ादी मिल गयी थी इसलिए अब उसे ज़्यादा कुछ नहीं सोचना पड़ता था । लेकिन जब किसी को इस आज़ादी से तकलीफ हो जाये तो वो हर पैंतरा लगाता है जिससे कि आज़ादी में खलल ज़रूर पड़े ।

"उसे इतनी आज़ादी देने की क्या ज़रूरत है? काम ज़्यादा मैं करती हूँ, क्लाइंट डील मैं करती हूँ और बिज़नेस भी ज़्यादा मेरे एंड से ही आ रहा है लेकिन फैसिलिटी उसे दी जा रही है ।" इरा ने चिढ़ते हुए गौरव से कहा । दोनों गौरव के केबिन में थे । इरा वर्किंग डेस्क पर बैठी थी और गौरव उसके सामने अपने चेयर पर ।

"तुम टेंशन मत लो । फैसिलिटी देकर काम कम लेना ही अलग स्ट्रेटेजी है । फिलहाल एक स्टेप ले लिया है । उसकी सैलरी से 25% की कटौती का आर्डर मंजूर हो चुका है । कोई बड़ा कांड हो तो संविदा को बाहर का रास्ता दिखाना आसान हो जाएगा ।"

"क्लाइंट वाला मामला काम नहीं करेगा?"

"नहीं, अभी वो सोशली एक्टिव है तो उससे रिलेटेड कुछ कांड हो तो ज़्यादा स्ट्रॉन्ग पॉइंट बनेगा । देखते हैं, कुछ न कुछ तो करना ही होगा नहीं तो ये सबके सिर पर कदम रख कर आगे निकल जायेगी ।" कहते हुए गौरव ने इरा के पैर पर अपने हाथ रख के धीरे से सहलाया और स्माइल किया ।

"संविदा के एग्जिट के बाद ही कहीं एंट्री मिलेगी, समझे । कहते हुए इरा ने उसके हाथ को धीरे से हटाया और डेस्क से उतर गयी लेकिन निकलने से पहले उसने जाते-जाते हुए कहा, "हैशटैग हाऊ डेयर यु चल रहा है, छूने से पहले इसका खयाल रखो । इस साल का ब्राइट स्टार अवार्ड और इस क्वार्टर का अवार्ड नहीं आया मेरे हिस्से तो तुम्हारे हिस्से यही हैशटैग आएगा ।" कहते हुए इरा ने वहाँ से अलविदा लिया । गौरव को समझ आ गया था अब क्रिएटिव हेड होना ही पड़ेगा ।

संविदा को नहीं पता था कि क्यों अचानक से वर्क फ्रॉम एनीवेयर देते ही उसकी सैलरी घटा दी गयी । हालांकि उसे इससे ज़्यादा फर्क इसलिए भी नहीं पड़ना था क्योंकि रॉबिन ने जो डील की थी उससे, उसके हिसाब से उसे 1 साल तो जॉब की ज़रूरत नहीं पड़ने वाली थी । इसलिए उसने तीसरे नॉवेल की तरफ और ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया था । इससे फायदा ये हुआ कि नॉवेल का 70% हिस्सा उसने 10 दिन में कवर कर लिया था । वैसे भी पहली नॉवेल के साथ उसकी स्पीड 1000 वर्ड प्रतिदिन थी और अब वो बढ़कर 4-5000 हो चुकी थी । कभी-कभार पूरा समय ना देने के वजह से भी संविदा अपने रफ्तार के हिसाब से सही जा रही थी । लेकिन हर रफ्तार को एक स्पीड ब्रेकर की ज़रूरत होती है । अभी जान्ह्वी को गुज़रे हुए 15 दिन बीते थे, अब मनीषा जैन का मर्डर हो गया था । इस खबर से फिर सब तरफ उनकी चर्चा शुरू हो गयी । सोशल मीडिया पर उनकी लास्ट पोस्ट संविदा के किताब के लिए ही थी ।

खबरों के हिसाब से मनीषा जी का कत्ल किसी धारदार हथियार से हुआ था । संविदा को ये जानकर इसलिए भी दुःख हुआ क्योंकि उसकी ख्वाहिश थी कि मनीषा जी उसके किसी एक बुक-लॉन्च में ज़रूर आये । एक तरफ उसे इस बात की खुशी थी कि उन्होंने उसकी किताब के बारे में कुछ तो कहा, भले नेगेटिव ही कहा लेकिन उनके गुज़र जाने से सब कुछ बदल गया था । बुझे मन से उसने अपनी ख्वाहिश को नयी किताब के नए पन्नों में दफना दिया था । तीसरी नॉवेल रेडी थी । उसने मेल पर पीडीएफ फ़ाइल रॉबिन को भेजा और मैसेज कर दिया कि वो इसके लिए मिलकर बात करेगी । रॉबिन ने भी रिप्लाई में मिलने की तारीख और समय कंफर्म कर दिया था । सबकुछ बहुत जल्दी भी हो रहा था लेकिन इस तरीके से हो रहा था कि कुछ समझ नहीं आ रहा था ।