The Last Murder - 2 Abhilekh Dwivedi द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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The Last Murder - 2

The Last Murder

… कुछ लोग किताबें पढ़कर मर्डर करते हैं ।

अभिलेख द्विवेदी

Chapter 2:

“सृष्टि के करीब आते ही रणदीप का दिल ज़ोर से धड़क रहा था । उसके धड़कनों की रफ़्तार तेज़ थी और शायद इसी वजह से उसके लबों पर एक कंपन भी थी । उसे ये नहीं पता था कि सृष्टि से उसकी ये आखरी मुलाकात होने वाली है । हाँ, सृष्टि को पता था कि ये मुलाकात हमेशा के लिए आखरी होने वाली है । उसने रणदीप के लबों में खुद के लबों में उलझा कर सारी कम्पन को एक नया अंजाम दे दिया । रणदीप के हाथों ने उसे बेपर्दा करते हुए उसके जिस्म के हर पोर को छूकर अपने अंदर उतार लिया था । सृष्टि के नाखूनों से उसके पीठ पर खरोंचे तो थी लेकिन उसे किसी भी ऐसे दर्द का एहसास नहीं हो रहा था । रणदीप तो सृष्टि में खो चुका था । लेकिन सृष्टि के ज़हन में उसका मकसद हलचल मचा रहा था । उसे पता था कि आज रणदीप को सब बताना होगा क्योंकि आज यहाँ सबकुछ ख़त्म करना है । उसने अपने नाखूनों का दबाव बढ़ाया लेकिन इस बार रणदीप के सीने पर । रणदीप कुछ समझ पाता, सृष्टि ने अपनी पूरी ताकत से उसके सीने को चीर दिया और उसका दिल निकाल कर ज़मीन पर रख दिया था । रणदीप मर चुका था, दिल धड़क कर भी खामोश था और सृष्टि के चेहरे पर जीत की ख़ुशी थी ।”

संविदा ने जैसे ही पढ़कर अपनी नज़रें, सामने भीड़ से मिलायी उसे समझ आ गया कि उसकी किताब ने क्या असर किया है । लोग इतना तल्लीन होकर किसी नए राइटर की पहली किताब को सुनते हैं, ये उसे विश्वास नहीं हो रहा था । उसकी नज़रें जैसे ही पास खड़े रॉबिन जयसवाल से मिली, वो समझ गयी कि बिज़नेसमैन ने सही राइटर पर दांव खेला है । सारे श्रोता खड़े हुए और ताली बजा रहे थे । भीड़ में उम्रदराज भी थे और प्योर-क्वोट से जन्मे नए राइटर भी । उसे ये समझ में आया कि ऐसी कहानियाँ हर उम्र के लोगों को पसंद आती है । भीड़ में वैसे ज़्यादा संख्या पुरुषों की ही थी तो जलन वाली बात कहीं दिखी नहीं । जो फीमेल थीं भी, सभी उससे प्रभावित थीं । एक राइटर और क्या चाहेगा । मैनेजर ने इशारा किया कि बुक साइनिंग की प्रक्रिया शुरू की जाए । रॉबिन भी खूब दिलचस्पी लेते दिख रहे थे । उन्होंने भी अपना चेयर संविदा के पास ही लगा रखा था । संविदा ने मुस्कुराहट के साथ हर खरीददार को ऑटोग्राफ के साथ बुक देना शुरू किया । अच्छी बात ये थी कि सबको किताब खरीदना पड़ रहा था इसलिए बिल देने के बाद लोग किताब को अपने सीने से लगा ले रहे थे । फ्री वाली, लोग घर में पड़ी सीलन वाले कोने से लगा देते हैं । वैसे यहाँ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने पहले ये किताब ऑनलाइन पढ़ ली थी और यहाँ पेपरबैक एडिशन लेने के लिए आये थे । इन्हीं में से थी प्रोमिता, छोटी बिंदी वाली बंगालन, उम्र में बड़ी, कद में छोटी, सांवला रंग और गोल चेहरे पर हाइलाइटेड लंबे बाल । देखकर ही लगा ये सिर्फ किताब लेकर नहीं जाएगी ।

"आपने अपने नॉवेल में एक लेडी को इतना क्रूर और साइको क्यों दिखाया है? ज़्यादातर फीमेल ऐसी नहीं होती ।"

"मैम, नहीं होती इसलिए ऐसा लिखा है और लिखा तभी आपने सवाल भी किया । किसी भी चीज़ के लिए एक वजह होनी चाहिए, मैंने वही वजहों को जगह दिया है ।"

"हम्म! इंटरेस्टिंग । वैसे मैं भी लिखती हूँ लेकिन ऐसा लिखना शायद मुश्किल है ।"

"कोशिश कीजिये, हेल्प की ज़रूरत होगी तो मेल पर कांटेक्ट कीजिये, दोनों मिलकर लिखेंगे!" संविदा ने इतना कहकर उसे किताब दे दी । क्योंकि प्रोमिता के पीछे वाली लेडी को शायद जल्दी थी । प्रोमिता के आगे निकलते ही वो लेडी सामने आयी । दोनों की नजरें मिली और स्माइल एक्सचेंज हुआ । न जाने क्यों उसे देखकर रॉबिन वहाँ से उठ के कहीं और निकल गए ।

"आपकी अगली किताब कब आएगी? उस लेडी ने पूछा ।

"अगले महीने ।" पूरी हो चुकी है, बस थोड़ी एडिटिंग और प्रूफिंग बाकी है ।"

"मुझे उसका इंतजार रहेगा । मुझे इसपर आपका ऑटोग्राफ चाहिए ।" कहते हुए लड़की ने एक बाइंडिंग की हुई फ़ोटोकॉपी के कुछ पेपर्स उसके आगे कर दिए । संविदा ने ध्यान से देखा तो उसके बुक का स्क्रीनशॉट लेकर उस प्रिंट करवाया था और उसे बाइंडिंग करवाकर बुक की शक्ल दे दी थी ।

"ये आपने क्या किया है और क्यों?"

"वो मैं आपका ऑटोग्राफ इसी पर चाहती थी क्योंकि उम्मीद नहीं थी कि मुझे कॉपी मिलेगी । मैंने इसलिए खुद से इसे बुक की शक्ल दे दी । आप ऑटोग्राफ कर देंगी तो मेरी मेहनत सफल हो जाएगी ।" लेडी ने मुस्कुरा कर कहा ।

संविदा ने भी उसके भोलेपन को देखकर उसपर ऑटोग्राफ दिया और शोरूम मैनेजर से कहा कि इसे जो कॉपी दें, उसके पैसे ना लें । लड़की जाते हुए इतना खुश हुई कि वापस तुरंत आकर झट से उसने संविदा को हल्का-सा हग किया और वापस भाग गयी । सबको अजीब भी लगा लेकिन सबके चेहरे पर स्माइल थी । लाइन में अब लड़के थे ।

"अरे मैडम जी, किताब से ज़्यादा आपकी कवर और नाम ज़बरदस्त है!"

"मेरा कवर नहीं, किताब का और नाम भी किताब का जबरदस्त है!"

"वही तो! लो इसपर अपना ऑटोग्राफ दे दो, नम्बर तो आप दोगी नहीं, बस ऑटोग्राफ के नीचे एक हार्ट बना देना ।"

संविदा ने मुस्कुरा कर वही किया । उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तनवीर बताया । उसके जाते ही एक लेडी सामने आयी और लगता है वो उस लड़के के हरकत से चिढ़ी हुई थी । वैसे भी कोई किसी से आगे हो और थोड़ा अटेंशन ले-ले तो पीछे वाले का चिढ़ना लाज़मी लगता है ।

“कुछ लोगों में इतनी भी तमीज़ नहीं होती कि ये ग़ौर करें कि किससे क्या बात करनी है… ये ऑटोग्राफ लेते हुए भी अपनी डिमांड ऐसे रखते हैं जैसे राइटर पर कोई एहसान कर रहे हों ।” उस लेडी ने कहा ।

“रीडर्स अगर कुछ डिमांड करते हैं तो वो उनका प्यार होता है, अपना समझते हैं तभी डिमांड या मेरे हिसाब से कहूँ तो रिक्वेस्ट करते हैं ।” संविदा ने मुस्कुराते हुए उस लेडी के लिए बुक पर साइन करने लगी ।

“हम्म । अभी तुम नयी हो और ये ये पहली किताब है न, इसलिए ऐसी बातें आ रहीं हैं, कुछ और साल लिख लो, फिर ये बातें खुद बदलेंगी जब कोई रीडर जीना मुश्किल कर देगा ।” लगता है लेडी कुछ ज़्यादा ही खफा थी । संविदा ने नाम पूछा तो उसने अपना नाम अंकिता कुलश्रेष्ठ बताया, उम्र में संविदा से काफी सीनियर थी और शायद किसी मीडिया ग्रुप से थी ।

“आप लगता है ज़्यादा खफा हैं अपने रीडर्स से?” संविदा ने मुस्कुराते हुए और शायद अंकिता को थोड़ा शांत करने के इरादे से पूछा था ।

“अरे मेरी बात छोड़िये, आप मुझे ये बताइये कि मर्डरर का जो तरीका है मर्डर करने का, उसका आईडिया कहाँ से आपको मिला? क्योंकि लेडी किलर इतनी इंटेंसिटी से किसी का मर्डर नहीं कर सकती ।” अंकिता ने पूछा ।

"औरतों को अपने नाखून बड़े प्यारे लगते हैं, उन्हें जब वो इतना संवार कर शो-ऑफ कर सकती है तो उन्हीं से किसी का मर्डर क्यों नहीं कर सकती?

"फिर भी, इतना सब आसान नहीं होता ।"

"मेरे नॉवेल में आपको आगे और भी कई अलग चीजें मिलेंगी । अगले नॉवेल में किलर सिगार कटर से मर्डर करता है, अब बोलिये!"

"किसी लेडी के लिए ये आसान नहीं है, जितना मैं जानती हूँ ।"

“मतलब आपको लगता है कि कोई लेडी किलर, सिगार कटर से किसी की उँगलियों को काटने के बाद उसी से मर्डर नहीं कर सकती? लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि किलर को मर्डर करने के लिए सिर्फ किलर होना ज़रूरी है, वो मर्डर करने से पहले अपना या आपका जेंडर नहीं देखता ।”

“अच्छा, लेकिन ये सिगार कटर से मर्डर करने का आईडिया कहाँ से मिला?”

“मैंने कुछ राइटर को सिगार का इस्तेमाल करते हुए देखा है । फिर उसके कटर का इस्तेमाल देखा तो लगा कि इसे इम्प्लीमेंट करना चाहिए ।”

“ग्रेट! इसके आगे कैसी स्टोरी आएगी?”

“आएगी तो मर्डर स्टोरी ही क्योंकि मेरा एग्रीमेंट इन्हीं कहानियों के लिए हुआ है, बस ये कटर का इस्तेमाल दोहराना चाहूँगी ।”

“तो क्या नेक्स्ट नॉवेल सीरीज़ होगी?”

“आप सारे सवाल पूछ लेंगी तो आपके पीछे जो खड़े हैं वो आपसे नाराज़ हो जायेंगे ।”

“असल में जर्नलिस्ट हूँ तो सवाल करने की आदत है और ध्यान ही नहीं रहता कि कब-कहाँ और कितना सवाल करना है ।”

“आप इत्मीनान से मिलिए, सारे सवालों के जवाब मिलेंगे!” संविदा ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया ।

थोड़ी देर की लिए ऑटोग्राफ वाली फॉर्मेलिटी चली और फिर संविदा फ्री होकर रॉबिन से मिलने चली गयी । रॉबिन अपने केबिन में उसी की किताबों का शायद जायज़ा ले रहे थे । देखते ही चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी ।

“संविदा, अभी आप नयी हैं, इस तरह हर बात हर किसी से नहीं कह देना चाहिए ।” रॉबिन ने मुस्कुराते हुए, बिना नज़र मिलाते हुए कहा ।

“जानती हूँ, और मुझे लगता है आपने मुझे अंकिता से बात करते देखा शायद इसलिए आपने ये बात कही है, राइट?” संविदा ने एक कॉन्फिडेंस दिखाते हुए पूछा था ।

“हाँ, क्योंकि यहाँ जितने लोग थे, उनमें तुम्हें जानने वाले कम थे और मेरे इनविटेशन पर आने वाले ज़्यादा । आपके पास रीडरशिप है लेकिन वो सोशल मीडिया पर है, ग्राउंड पर मैं ही लाऊंगा । कुछ भी शेयर करना हो खासकर अंकिता जैसे लोगों से, तो थोड़ा संभल कर ।” रॉबिन ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा ।